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Showing posts from April, 2022

जातिप्रथा और जातिवाद: क्या धर्म की अनिवार्यता हर समाज की आवश्यकता नहीं है?

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जातिप्रथा और जातिवाद by Vinay Jha (दूसरे के पोस्ट पर मैं अपनी पाँच वर्ष पुरानी टिप्पणी को पृथक पोस्ट के रूप में यहाँ डाल रहा हूँ क्योंकि वहाँ मुट्ठी भर लोग यह टिप्पणी पढ़ पाये थे ।) 45000 शाखाओं में बंटे ईसाई जब एकता की ब्राह्मणवाद की भेदभाव की बात करते हैं तो धूर्तता भी छोटा शब्द लगता है। आरक्षण लैनै के लिये सभी नीची जाति मे सहजता के साथ स्वीकार कर लैगै, बस कोसना क्षत्रिय,और ब्राह्मणों को ही कौसना है I पूजा-पाठ, शादी-विवाह सभी धार्मिक कार्य में ब्राह्मण चाहिए, फिर भी ब्राह्मण को गाली देंगे । क्या धर्म की अनिवार्यता हर समाज की आवश्यकता नहीं है? जातिप्रथा और जातिवाद के बारे में अधिकांश लोग आजकल मैकॉलेपुत्रों के दुष्प्रचार से भ्रमित हैं | जातिप्रथा और जातिवाद परस्पर भिन्न परिघटनाएं हैं | जातीय आधार पर परस्पर वैमनस्य और एक दूसरे के अधिकारों का हनन "जातिवाद" है जो हिन्दुओं की दासता के युग में पनपा और अंग्रेजों ने सुनियोजित तरीके से इसे भड़काया | जातियों (और जनजातियों) का अस्तित्व जातिप्रथा है जो मूलतः कर्म पर आधारित वर्ण-व्यवस्था से ही निकली है और भारत के स्वर्णिम काल क

हर कर्म का कर्म होता है

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।।हर कर्म का कर्म होता है।। By Deepak Parashar आज ब्राह्मण के अपने कर्म को त्याग कर लोभ में लिप्त होने और सही कर्म न करवाने की चर्चा लेख हर जगह जगह जगह पाए जाने लगे हैं।।तो अब अपना मत भी लिख दे रहा हूं सहमत या असहमत होना आपकी अपनी इच्छा पर निर्भर है।। जब कोई विप्र आपके घर आकर किसी कर्मकांड को करता है जिस किसी भी कार्य के निमित उसने पूजा या जो भी किया है उसकी सफलता के लिए आपकी मनोकामना के लिए और जो आपका  दोष विप्र ने अपने सर लिया है विप्र को बाद में भी पूजा पाठ हवन मंत्र जप करना होता है ये बज्र नियम है।। इसके बिना न आपका किया गया कार्य पूर्ण होता है न ही आप और विप्र दोनों दोष मुक्त होते हैं।। आजकल क्या चला हुआ है?? मेरे एक परम आदरणीय मेरे भगवान स्वरूप पंडित जी जो कि श्री काशी जी से विद्या अर्जित किए हुए हैं और तंत्र यंत्र मंत्र ज्योतिष कर्मकांड मारण मोहन उच्चाटन यहां तक कि भैरव तंत्र में भी पारंगत हैं।। वेद उपनिषद पुराण रामायण सभी को मनन धारण किए हुए हैं।। वो सभी कर्मकांड 15 सक पहले ही छोड़कर खेती से अपना जीवन यापन करते हैं और दो गऊ माता की सेवा करते हुए आर्थिक तंगी में हैं

भगवान के विभिन्न नामों की व्युत्पत्तियों का कथन- महाभारत, उद्योग पर्व

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भगवान के विभिन्न नामों की व्युत्पत्तियों का कथन (Part-1)  महाभारत, उद्योग पर्व, अध्याय 69 अथवा 70  भगवान समस्त प्राणियों के निवास स्थान हैं तथा वे सब भूतों मे वास करते हैं, इसलिये ‘वसु’ हैं एवं देवताओं की उत्पत्ति के स्थान होने से और समस्त देवता उनमें वास करते हैं, इसलिये उन्हें ‘देव’ कहा जाता है। अतएव उनका नाम ‘वासुदेव’ है, ऐसा जानना चाहिये। बृहत अर्थात व्यापक होने के कारण वे ही ‘विष्‍णु’ कहलाते हैं। "वसनात् सर्वभूतानां वसु त्वाद् देवयोनितः। वासुदेवस् ततो वेद्यो बृहत्त्वाद् विष्णुरुच्यते ॥३॥" हे भारत! मौन, ध्‍यान और योग से उनका बोध अथवा साक्षात्कार होता है; इसलिये आप उन्हें ‘माधव’ समझें। मधु शब्द से प्रतिपादित पृथ्वी आदि सम्पूर्ण तत्त्वों के उत्पादन एवं अधिष्‍ठान होने के कारण भगवान् मधुसूदन को ‘मधुहा’ कहा गया है।  "मौनाद् ध्यनाच्च योगाच्च विद्दि भारत माधवम्। सर्व तत्त्व लयाच्चैव मधुहा मधुसूदनः ॥४॥" ‘कृष’ धातु , सत्ता अर्थ का वाचक है और ‘ण’ शब्द आनन्द अर्थ का बोध कराता है, इन दोनों भावों से युक्त होने के कारण नित्य आनन्दस्वरूप श्रीविष्‍णु ‘कृष्‍ण’ कहलाते

सत्संग की महिमा

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★★★सत्संग की महिमा, पढ़े नारद की ये कथा- ★एक बार देवर्षि नारद भगवान विष्णु के पास गए और प्रणाम करते हुए बोले, “भगवान मुझे सत्संग की महिमा सुनाइये।” भगवान मुस्कराते हुए बोले, नारद! तुम यहां से आगे जाओ, वहां इमली के पेड़ पर एक रंगीन प्राणी मिलेगा। वह सत्संग की महिमा जानता है, वही तुम्हें भी समझाएगा भी। नारद जी खुशी-खुशी इमली के पेड़ के पास गए और गिरगिट से बातें करने लगे। उन्होंने गिरगिट से सत्संग की महिमा के बारे में पूछा। सवाल सुनते ही वह गिरगिट पेड़ से नीचे गिर गया और छटपटाते हुए प्राण छोड़ दिए। नारदजी आश्चर्यचकित होकर लौट आए और भगवान को सारा वृत्तांत सुनाया। भगवान ने मुस्कराते हुए कहा, इस बार तुम नगर के उस धनवान के घर जाओ और वहां जो तोता पिंजरे में दिखेगा, उसी से सत्संग की महिमा पूछ लेना। नारदजी क्षण भर में वहां पहुंच गए और तोते से सत्संग का महत्व पूछा। थोड़ी देर बाद ही तोते की आंखें बंद हो गईं और उसके भी प्राणपखेरू उड़ गए। इस बार तो नारद जी भी घबरा गए और दौड़े-दौड़े भगवान कृष्ण के पास पहुंचे! नारद जी कहा, भगवान यह क्या लीला है। क्या सत्संग का नाम सुनकर मरना ही सत्संग की म

यही झूठी फोटो बहुत फैलाई है झूठो ने

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मिथक 1: क्या सरदार पटेल को गांधी एवं नेहरू जी ने पीएम नही बनने दिया ? देश का प्रथम चुनाव 1951-1952 के मध्य हुआ था। सरदार पटेल जी का निधन 15 दिसम्बर 1950 को ही हो गया था, तो क्या प्रधानमंत्री बनने के लिए कायरकर एवं हंगामा प्रसाद लुख़र्जी ने समर्थन किया था ? अब कांग्रेस अध्यक्ष बनने की वृतांत: मौलाना अबुल कलाम आजाद 1940-1946 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। 1946 में नया अध्यक्ष का चुनाव होना था। जिस चुनाव में 15 में से 13 प्रदेश कांग्रेस कमेटियों ने पटेल जी को एवं 2 कमेटियों ने आचार्य कृपलानी जी को अध्यक्ष बनने के लिए समर्थन किया था। लेकिन 2 सितंबर 1946 को अंतरिम सरकार यानी गवर्नर जनरल की एग्जीक्यूटिव कॉउंसिल में प० जवाहर लाल नेहरू उपाध्यक्ष (विदेश एवं राष्ट्रमंडल विभाग) एवं सदस्य सरदार बल्लभ भाई पटेल (गृह एवं संचार विभाग) बन गए जिसके कारण कांग्रेस संगठन के अध्यक्ष आचार्य कृपलानी बन गए। 1946 - 1948 तक आचार्य कृपलानी अध्यक्ष बने रहे। उसके बाद पट्टाभि सीतारमैया अध्यक्ष बने। 1940-1951 तक नेहरू या पटेल दोनों में से कोई कांग्रेस का अध्यक्ष नही रहा है। तो प्रिय अंग्रेजी दुहराहो व मुखविरो

Bending It Like Bharatanatyam

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#DidYouKnow: Bending It Like Bharatanatyam Although there is no evidence of a linear evolution of Bharatanatyam over the last 2,000 years, Tamil and Sanskrit texts confirm its ancient roots. Scholars Dr. Kapila Vatsyayan and late Dr. V. Raghavan have traced the dance style to Ekaharya Lasyanga, a solo performance depicting themes of love and relationships, mentioned in the Sanskrit text Natyasastra (2BC-2AD). #IncredibleIndia PC: Ali Bagwan https://www.instagram.com/alibagwan_photography/

अपने धर्म के साथ‌ बेअदबी क्या हिंदुओं के ही नसीब में लिखी‌‌ हुई है?

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अपार वैदिक वाङ्मय, उपनिषद, पुराण, स्तुति, स्तोत्रों तथा असंख्य सहस्त्रनामावलियों को छोड़कर धर्म के व्यापारियों ने‌ चालाकी के ‌साथ सबसे सरल हनुमानचालीसा चुनी है।  लेकिन यह भी शायद किसी को ही शुद्ध कंठस्थ हो! सोशलमीडिया पर देखा गया है कि ऐसे अद्भुत प्राणी न वन्देमातरम् सुनाना जानते हैं, न राष्ट्रगान। इन्हें तो शायद संघ की ध्वजवंदना भी पूरी न‌ आती हो।  हिंदूधर्म के निजीकरण के उपरांत अब मदारी की तरह इसके मालिकान हनुमान जी को गली-गली ‌घुमा रहे‌ हैं। क्या तुलसीदास जी ने इसी काम के लिए हनुमान चालीसा रची थी?  ईसाई और मुसलमान तो छोड़िए ही, क्या अपना सिख‌-समाज भी किसी प्रोटेस्ट के लिए गुरुग्रंथ साहिब का चौराहे-चौराहे पाठ कर सकता है? अपने धर्म के साथ‌ बेअदबी क्या हिंदुओं के ही नसीब में लिखी‌‌ हुई है? जब मेरे शैशव में चैतन्यता का समावेश होने लगा वही‌ समय‌ था, पंडित नेहरू का देहावसान हुआ था। राजसत्ता में लालबहादुर शास्त्री, इंदिरा जी, जगजीवनराम, चंद्रभानु गुप्त, पंडित कमलापति त्रिपाठी जैसे राजनेता थे। विपक्ष में दीनदयाल उपाध्याय, डॉ. बलराज मधोक, अटलबिहारी बाजपेई, जयप्रकाश नारायण, राजनार

लाल मोती जवाहर By Vinay Jha

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लाल मोती जवाहर By Vinay Jha ब्रिटिश जासूस T. E. Lawrence कश्मीर में भी रहा था । कश्मीर में धनी ईसाई बाप Harry Nedou की बेटी से उसने शादी की,किन्तु ड्यूटी के कारण बिना बताये लापता हो गया — ऐसा तारिक अली का कथन है । कलकत्ता के अखबार Liberty ने छाप दिया कि कश्मीर में अरब “करम शाह” नाम के जिस व्यक्ति ने हैरी नेडू की बेटी से शादी की वह अरब नहीं है बल्कि ब्रिटिश जासूस T. E. Lawrence है तो लॉरेन्स लापता हो गया । बाद में उसी से शेख अब्दुल्ला ने निकाह किया । बिना तलाक वाली से निकाह गुनाह है,अतः तारिक अली लिखते हैं कि बाद में १९२९ ई में लॉरेन्स ने तलाक दे दिया । लापता होने के बाद तलाक कैसे दिया? निम्न साइट https://www.andrewwhitehead.net/blog/srinagar-nedous-reborn पर यह वाक्य मिलेगा= “Harry Nedou married a Gujjar woman, Mir Jan. Their daughter Akbar Jehan (they had several sons too) married Sheikh Abdullah, the 'Lion of Kashmir', the foremost Kashmiri nationalist of his generation. (Tariq Ali has suggested that Akbar Jehan earlier entered into a brief marriage to T.E. Lawren

आपके साथ भी ऐसा हो सकता है

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पटना का पारस अस्पताल एक बार फिर चर्चा में ।  पढ़े , पूर्व आईएएस अधिकारी ( मुख्य सचिव बिहार ) विजय प्रकाश जी की आपबीती ,उनकी ही जुबानी .. आपके साथ भी ऐसा हो सकता है आज मैं पारस एचएमआरआई अस्पताल, पटना में इलाज कराने का एक भयानक अनुभव साझा करने जा रहा हूं ताकि हम इलाज करते समय सावधान हो जाएँ क्योंकि इस प्रकार की घटना किसी के साथ भी हो सकती है। मैं मार्च'22 के प्रथम सप्ताह में तीव्र दस्त और ज्वर के रोग से काफी पीड़ित हो गया था। तीन दिनों तक परेशानी बनी रही। घर पर रहकर ही इलाज करा रहा था। चौथे दिन 11.3.'22 को  बुखार तो ख़त्म हो गया पर दस्त कम नहीं हो रहा था। सुबह अचानक मुझे चक्कर भी  आ गया। चूंकि कुछ वर्षों से मैं एट्रियल फिब्रिलिएशन (ए एफ)  का रोगी रहा हूँ अतः सदा एक कार्डिया मोबाइल 6L साथ रखता हूँ।  अपने कार्डिया मोबाइल 6L पर जांच किया तो पता चला कि पल्स रेट काफी बढ़ा हुआ था और इ0 के0 जी0 रिपोर्ट एट्रियल फिब्रिलिएशन (ए0 एफ0) का संकेत दे रहा था। अतः तुरत अस्पताल चलने का निर्णय हुआ। पारस एच एम आर आई अस्पताल घर के करीब ही है। अतः सीधे हम उसके इमरजेंसी में ही चले गये। इमरजेंसी

अखण्ड भारत की माँग विपरीत कालचक्र की पुकार है

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अखण्ड भारत की माँग विपरीत कालचक्र की पुकार है. By Vinay Jha “अखण्ड भारत की राह में आने वाले मिट जायेंगे” — मोहन भागवत । राह में आने वाले मिट जायेंगे उसके पश्चात अखण्ड भारत बनायेंगे, अभी बन जाय तो उनकी संख्या बहुत बढ़ जायगी । किन्तु अभी माँग उठाने का समय आ चुका है । मोहन भागवत साधारण व्यक्ति नहीं हैं,और न ही किसी वंशवादी परिवारवादी जातिवादी संगठन के प्रतिनिधि हैं ।  अखण्ड भारत की माँग विपरीत कालचक्र की पुकार है ।  पं⋅ दीनदयाल उपाध्याय ने कहा था कि राष्ट्र एक जीवन्त संस्था है जो समय की माँग के अनुसार अपने अनुकूल अनुषङ्गी संस्थाओं को स्वयं खड़ा कर लेता है;मोहन भागवत जैसों को खड़ा कर देता है और उनके मुँह से राष्ट्र अपनी बात निकाल देता है । राष्ट्र केवल भारत है,अन्य सब तो कलि के मल हैं । चारों पुरुषार्थों द्वारा प्रजा का रञ्जन जो करे उसे राष्ट्र कहते हैं । वह राष्ट्र अभी अशक्त है,किन्तु विपरीत कालचक्र में राष्ट्र पुनः अपने स्वाभाविक गौरव को प्राप्त करेगा और प्रजाओं का सर्वविध रञ्जन करेगा । राह में आने वाले मिट जायेंगे । जो राष्ट्र के योग्य न हो वे हिन्दू भी मिट जायेंगे । __________

भारतीय सेना का दवाब नहीं रहता तो नैटो की तरह भारत सरकार ने भी झेलेन्स्की को सैन्य सहायता भेजने का निर्णय ले लिया रहता ।

By Vinay Jha अभी रिपब्लिक−भारत टीवी उक्राइनी नगर खारकोव का एक फर्जी वीडियो बारम्बार दिखा रही है जिसमें एक खाली पार्क को नष्ट करने के लिए उसपर गोले बरसाये जा रहे हैं । गोले बरसाने वाले टैंक कहीं पास में ही हैं किन्तु उनको नहीं दिखाया गया । ब्रिटिश प्रधानमन्त्री ने १६ मार्च को ही कहा था कि नौ दिनों में रूस का सारा गोलाबारूद समाप्त हो जायगा जिसके उपरान्त रूस पर उक्राइन की जीत हो जायगी । किन्तु झेलेन्स्की द्वारा प्रचारित फर्जी वीडियो के अनुसार रूस के पास १४ अप्रैल को भी इतना फालतू गोलाबारूद है कि खाली पार्क के बैंचों और पेड़ों को अकारण नष्ट किया जा रहा है!सम्भवतः यह सिद्ध करना लक्ष्य है कि हँसने की मनाही करने वाले उत्तर कोरिया के पश्चात अब रूस दूसरा पागल देश है जो खाली पार्क से युद्ध कर रहा है! वीकिपेडिया पर https://en.wikipedia.org/wiki/Azov_Battalion लेख पढ़ें,अमरीकी स्रोतों को ही उद्धृत करते हुए इसमें दर्जनों प्रमाण दिये गये हैं जो सिद्ध करते हैं कि अजोव बटालियन युद्धापराध की दोषी है और २०१४ ई⋅ से ही दोनवास में उक्राइन के रूसी लोगों का नरसंहार कर रही थी । किन्तु भारतीय मीडिया को ये बातें

“राष्ट्रीय आय का आधुनिक अर्थशास्त्र”

“राष्ट्रीय आय का आधुनिक अर्थशास्त्र” by Vinay Jha Aniket Junnare जानना चाहते हैं कि अमरीकी जीडीपी में घूस का प्रतिशत कितना है । अमरीका में जिस घूस को वैध माना जाता है उसे “सेवा” क्षेत्र की जीडीपी में गिना जाता है । अवैध आय की गिनती कोई देश नहीं करता । मेरी समझ में नहीं आता कि लॉकहीड ने किसी नेता को लॉबीइंग फीस (घूस) दी तो नेता की इस आमदनी को अमरीका की जीडीपी में जोड़ा गया,किन्तु लॉकहीड ने जो लॉबीइंग फीस व्यय की उसे अमरीकी जीडीपी में घटाया क्यों नहीं जाता?तब कुल जीडीपी बढ़ी कैसे? जिस अनर्थशास्त्र में गृहलक्ष्मी के अथक परिश्रम की गिनती नहीं हो किन्तु वेश्यावृति और जूआ से जीडीपी बढ़ती हो,उस अनर्थशास्त्र में घूस पर लॉकहीड के व्यय से जीडीपी नहीं घटती और उसी घूस से नेता की आय बढ़े तो उससे देश की जीडीपी बढ़ जाती है! नाई किसी ग्राहक की दाढ़ी बनाये तो नाई की उस आमदनी को देश की जीडीपी में जोड़ते हैं किन्तु ग्राहक ने नाई को जो राशि दी उसे देश की जीडीपी में नहीं घटाते! नाई आपकी हजामत बनाये तो देश की जीडीपी बढ़ती है,देश का विकास होता है । आप स्वयं अपनी दाढ़ी बनायें तो आप देशद्रोही हैं क्योंकि आप देश की जीडी

हाइपरसोनिक बाइडेन — भाग २

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हाइपरसोनिक बाइडेन — भाग २ by Vinay Jha अमरीकी मीडिया में झूठा प्रचार किया जा रहा है कि मार्च में अमरीका ने हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण कर लिया है किन्तु रूस से तनाव न बढ़े इस कारण उसे गुप्त रखा । मार्च में तनाव का डर था जो अब नहीं रहा?भारतीय मीडिया CIA से घूस खाकर उस असफल हाइपरसोनिक बूस्ट−ग्लाइड मिसाइल को हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल कह रही है और यह भी कह रही है कि अभी तक यह केवल रूस और चीन के पास थी,अब अमरीका के पास भी है । पहले मुझे लगा कि झेलेन्स्की का साहस बढ़ाने के लिए बाइडेन प्रशासन ने इस झूठ का प्रचार कराया होगा । किन्तु तथ्यों की जाँच करने पर चौंकाने वाली सूचना मिली । विकिपेडिया के लेख https://en.wikipedia.org/wiki/AGM-183_ARRW में  इस AGM-183_ARRW हाइपरसोनिक बूस्ट−ग्लाइड मिसाइल की सूचना है जिसे विकसित करने के लिए लॉकहीड−मार्टिन कम्पनी को अगस्त २०१८ ई⋅ में अमरीकी वायुसेना ने ४८ करोड़ डालर का ठेका दिया । जून २०१९ ई⋅ में इसका “कैप्टिव कैरी फ्लाइट टेस्ट” हुआ,अर्थात् बी−५२ बम्बर विमान में बिना छोड़े लादकर ले जाने का परीक्षण । मिसाइल छोड़ा नहीं गया । उस परीक्षण का फोटो भी उपर

खञ्जर > खिञ्जर > खिञ्जल > किञ्जल > किञ्झल

विश्व के सर्वोत्तम हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल किञ्झल ( Кинжал ) का रूसी में अर्थ है “खञ्जर” । By Vinay Jha खञ्जर > खिञ्जर > खिञ्जल > किञ्जल > किञ्झल उपरोक्त रूपिम परिवर्तन में कुल चार स्वनिमों में परिवर्तन हुआ = (१) अकार > इकार (२) र् > ल् (३) ख् > क् (४) ज > झ ( ख् का स्वरण् ज् को ट्रान्सफर हुआ ) ४२००० वर्षीय कालचक्र में १३ रूपिम परिवर्तन ६⋅० दशम−लॉगेरिथ्मिक पैमाने पर होते हैं । चार रूपिम परिवर्तनों का काल है= (४ x (६÷१३)) का एण्टी−लॉग अर्थात् ७०⋅१७०४,जिसे ४२००० से भाग देने पर मिलेगा ५९८⋅५४३ वर्ष । ४२००० वर्षीय कालचक्र की समाप्ति २००० ई⋅ की सौरपक्षीय मेष−संक्रान्ति को हुई,उससे ५९८⋅५४३ वर्ष पहले १४०१ ईस्वी के सितम्बर में रूसी भाषा में किञ्झल का वास्तविक उच्चारण था “खञ्जर” । अतः उस समय की हिन्दी और उस समय की रूसी में इस शब्द का समान उच्चारण था । पश्चिम की नस्लवादी वेदविरोधी भाषाविज्ञान में रूपिम परिवर्तन द्वारा कालनिर्धारण के विषय को ग्लोट्टो−क्रोनोलॉजी कहते हैं । उनकी ग्लोट्टो−क्रोनोलॉजी में दो त्रुटियाँ हैं,लघुगणकीय (लॉगेरिथ्मिक) पैमाने की बजाय सामान्य पैमाने का उ

हाइपरसोनिक बाइडेन

हाइपरसोनिक बाइडेन By Vinay Jha हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल केवल रूस के पास है,प्रथम सफल परीक्षण हुए ९ वर्ष हो गये । अभी तक दो किस्म के हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल जिरकॉन और किञ्झल रूस विकसित कर चुका है और भारत के साथ मिलकर तीसरा हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल विकसित कर चुका है किन्तु कोरोना के कारण उसका परीक्षण २०२० ई⋅ में स्थगित कर दिया गया था — कलाम साहब के नाम पर उसका नाम BrahMos-2(K) रखा गया जिसमें K का अर्थ है “कलाम” । अन्य किसी देश के पास अभी तक हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल की तकनीक नहीं है । BrahMos-2(K) विकसित हो चुका है अथवा अभी भी कुछ कार्य बाँकी है इसका स्पष्टीकरण नहीं किया गया है,२०२० ई⋅ में उसका परीक्षण किया जाना था यह पहले कहा गया था । रूस का Kh-47M2 Kinzhal विश्व का एकमात्र हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल है जिसका प्रयोग वास्तविक युद्ध में हो चुका है,हाल में नात्सी अजोव बटालियन के विरुद्ध । इसकी गति माख−१२ है,अर्थात् ध्वनि की गति से १२ गुणी अधिक । ध्वनि की गति १२२५ किमी प्रति घण्टे की है । किञ्झल का परास (रेञ्ज) २००० किमी है जो अल्प गति वाले अन्य क्रूज मिसाइलों से भी बहुत अधिक है । बैलिस्टिक तथा बू

बुचा नरसंहार

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बुचा नरसंहार ३१ मार्च को रूसी सेना बुचा से निकल गयी । तबतक यूक्रेनी सेना वहाँ थी भी नहीं,वहाँ कोई युद्ध नहीं चल रहा था । रूसी सेना के निकलते ही बुचा के मेयर ने बयान दिया कि अब जनजीवन सामान्य है । तब यूक्रेनी सेना ने बुचा में प्रवेश किया । उस समय बुचा की सड़कों पर न तो मेयर को कोई लाश दिखा और न यूक्रेनी सेना को । २ अप्रैल को सैकड़ों लाश सड़कों पर मिले ऐसा वीडियो अचानक प्रकट हो गया । वहाँ बाहर के पत्रकारों को बुलाया गया,भारत के पत्रकार भी गये । तबतक लाशों को बुचा के चर्च की क्रबगाह में दफनाया जा चुका था जिसका चित्र भारतीय टीवी में भी आया है । प्लास्टिक बैग में लाशों को भरकर चर्च की क्रबगाह में बिना किसी ईसाई रस्म के दफन करना कोई ईसाई सहन करेगा?यूक्रेनी सेना को ताबूत नहीं मिले तो नैटो से माँग लेती । यूक्रेन के अधिकांश ईसाई आर्थोडॉक्स चर्च को मानते हैं जिनसे पश्चिम यूरोप के पोप और उनके कैथॉलिक चेले ही नहीं बल्कि प्रोटेस्टेण्ट भी चिढ़ते हैं । अब रूस−विरोधी झेलेन्स्की के समर्थकों को आर्थोडॉक्स चर्च भी बुरा लगने लगा है । झेलेन्स्की तो वैसे भी यहूदी हैं । उन लाशों की सही जाँच नहीं होने

नव अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था (NIEO) : भाग−१ - Vinay Jha

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नव अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था (NIEO) : भाग−१ यूक्रेन सङ्कट ने एक गड़े मुर्दे को उखाड़ दिया है जो अब विकसित देशों के वर्चस्व के अन्त का आरम्भ करेगा । सोवियत सङ्घ के विघटन से पहले के अन्तिम दशक में New International Economic Order (NIEO) की माँग जोड़ पकड़ने लगी थी । सोवियत सङ्घ के विघटन होते ही इस विषय को भुला दिया गया क्योंकि एकध्रुवीय नैटो−नियन्त्रित विश्व में इस माँग का अर्थ था किसी बहाने अमरीका द्वारा आक्रमण । NIEO की माँग का अर्थ था कि विकसित देशों के सङ्गठन OECD द्वारा थोपी गयी पुरानी अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था की लूट−खसोट से बहुत से देश अप्रसन्न थे । वह पुरानी व्यवस्था अभी भी पूरे विश्व पर हावी है किन्तु पूरे संसार की मीडिया और अर्थशास्त्रियों की बहसों में इसकी चर्चा नहीं की जाती — विकसित देशों के भय से । १८८४ ई⋅ में ही अमरीका सकल घरेलू उत्पाद (GNP) में ब्रिटेन को पछाड़ कर संसार की सबसे बड़ी आर्थिक शक्ति बन चुका था — ऐसा अर्थशास्त्रियों द्वारा पढ़ाया जाता है । किन्तु इस तथ्य का प्रचार नहीं किया जाता कि उन्हीं लोगों के अनुसार १८८४ ई⋅ में अमरीका,ब्रिटेन और भारत की GNP