Posts

Showing posts from March, 2022

🚩“सवर्ण” और “अवर्ण” के सही अर्थ : 🚩

Image
 🚩“सवर्ण” और “अवर्ण” के सही अर्थ : 🚩 सनातनियो मे भेदभाव मुगलकाल मे पैदा किया गया है, गरीब तबके के लोग जो संघर्ष करने की स्थिति मे नही थे से कहा गया या तो तुम अपना धर्म बदलकर मुस्लिम बनो या जो कार्य सनातनियो को निषिद्ध है वह कार्य करवाये गये ।पर जिन्हे हम सनातन विरोधी कार्यो के कारण अछूत समझने लगे थे, वो कितने कट्टर सनातनी होगे कि धर्म मे निषिद्ध कार्य तो करने लगे पर धर्म नही बदला, ।अछूत किसे कहते है जिसे छुआ न जा सके, पर ये अछूत क्यो हो गये क्योकि ये निम्न कार्य मे मुगलो द्वारा बलपूर्वक, लगाये गये, पर आज तो ये सनातन मे निषिद्ध कार्यो मे लिप्त नही है तो फिर इन्हे सनातन की मुख्यधारा मे लाये, दूसरे धर्म के लोगो ने हमे तोड़ा भेदभाव पैदा किये, तो आज तो हम शिक्षित है सब जानते है तो हम एक बने समता मूलक सनातन का निर्माण करे. बहुत पहले मैंने लिखा था — “सवर्ण” का अर्थ है वर्ण−सहित,अर्थात् वर्णव्यवस्था के अन्तर्गत चारों वर्ण।  अवर्ण वह है जो चारों वर्णों से बाहर हो । म्लेच्छों ने जानबूझकर आधुनिक काल में “सवर्ण” और “अवर्ण” के गलत अर्थ प्रचारित किये । ऋग्वेद,मनुस्मृति,महाभ

आज का सच

Image
आज का सच यही है कि वही लोग दुनिया पर राज करेंगे जो आधुनिक ज्ञान-विज्ञान को पढ़ने-पढ़ाने  में आगे रहेंगे। साजिश के किस्से बनाते रहिए सच यही है कि आज अमेरिका, चीन या यूरोप ही दुनिया के सबसे ताकतवर देश हैं।  चीन पिछले कुछ दशकों में बमुश्किल अपने पैरों पर खड़ा हुआ है। भारत अब भी अमेरिका या रूस की मदद के बिना देर तक नहीं खड़ा रह पाता। छोटा सी कौम है, यहूदी। उसने खुद को ज्ञान-विज्ञान की तपस्या में झोंक दिया। अगर धार्मिक समुदाय के आधार पर देखा जाए 100 साल में उन्होंने विश्व ज्ञान कोश में जितना योगदान किया है उतना एशिया के किसी अन्य समुदाय ने नहीं किया। जबकि उनकी जनसंख्या भारत की दर्जनों जातियों से बहुत कम है। हम अपने को चाहे जितना होशियार समझें, हम में से ज्यादातर तोते की तरह वही बोलते हैं जिस माहौल में हम पले-बढ़े होते हैं। बहुत कम लोग हैं जो अपने परवरिश के अनुकूलन (कंडीशनिंग) से कुछ हद तक आजाद हो पाते हैं। 100 प्रतिशत आजाद तो शायद कोई नहीं हो पाता। अब यह आपके परवरिश पर निर्भर करता है कि विश्व इतिहास में मिली हार-जीत को आप किस तरह देखते हैं। दुनिया के बड़े हिस्से को गुलाम बनाने व

टॉवर ऑफ साइलेंस पारसी समुदाय का मसान

Image
WADIA GROUP के चैयरमैन नुस्ली वाडिया हर महीने हज़ारों करोड़ो रूपये कमाते हैं. TOWER OF SILENCE में खंडिया का काम करने वाले 62 साल के PERVEZ WADIA मुश्किल से 18,000 रुपए कमा पाते हैं. कहानी पारसी MASAAN की, जिसे हम तीन नामों से जानते है ईरानी नाम "दखमा", गुजराती नाम "डोंगेरवाड़ी" और अंग्रेजों का दिया हुआ नाम "टॉवर ऑफ साइलेंस". टॉवर ऑफ साइलेंस पारसी समुदाय का मसान है जहां खांडिया द्वारा पारसी धर्म रीति रिवाजों से मृत देह का अंतिम संस्कार किया जाता है. खांडिया मसान के कर्मचारी होते हैं जो शुद्ध रूप से पारसी समुदाय से ही होते हैं, गैर धर्म के लोगों को खांडिया नही बनाया जाता. लेकिन पारसी समुदाय खंडिया से अछूतों जैसा बर्ताव करता है. आप खंडिया को पारसी धर्म का डोम कह सकते हैं. पारसी धर्म जिसका असली नाम जोरास्ट्रियन है अपने समृद्धि और विकास की बड़ी बड़ी बात करता है. उसके पास WADIA, GODREJ, TATA, MISTRY, DAMANIA, JEEJEEBOUY, POONAWALA, NARIMAN जैसे बड़े बड़े नाम है जिनकी अमीरी की कहानियां सुनाकर हमें बताया जाता हम कितने गरीब और कामचोर हैं जबकि ऐसा नही ? खांडिय

विण्डो−११ की गुण्डागर्दी का उपचार

माइक्रोसॉफ्ट के निशाने पर रूस ही नहीं,भारत भी है । विण्डो−११ ने बड़ा हंगामा मचाया कि जिस कम्प्यूटर में tpm2.0 spi module का चिप मदरबोर्ड में रहेगा उसी कम्प्यूटर में विण्डो−११ इन्सटॉल हो सकेगा ताकि कम्प्यूटर के डैटा सुरक्षित रहे । मेरे नये लैपटॉप में यह चिप था,अतः विण्डो−११ इन्सटॉल हो गया । तब से माइक्रोसॉफ्ट प्रसन्न है और मैं अवसन्न!बहुत से पुराने प्रोग्राम कार्य नहीं कर रहे हैं । सिस्टम पुनः इन्सटॉल किया । फिर भी लैपटॉप का डिस्प्ले बेकार है । उसका ग्राफिक्स ड्राइवर विण्डो−११ को पसन्द नहीं है,यद्यपि विण्डो−१० में कोई समस्या नहीं थी । दो बाहरी डिस्प्ले अच्छी तरह कार्य कर रहे हैं,जिनमें से एक तो १२ वर्ष पुराना samsung syncmaster B2030 है जो विण्डो−११ में भी ठीक है,किन्तु नये मँहगे लैपटॉप के अपने डिस्प्ले वाले ड्राइवर को विण्डो−११ इन्सटॉल ही नहीं होने दे रहा है और किसी अज्ञात गलत डिस्प्ले ड्राइवर को स्वतः इन्सटॉल कर देता है! ३२−बिट वाले अनेक पुराने प्रोग्राम हैं जो स्टार्ट हो जाते हैं किन्तु अदृश्य रहते हैं,सिस्टम में उनका सेटप अथवा रन फाइल अनन्त काल तक चुपचाप चलता रहता है । गूगल सर्च बतात

यूक्रेन सङ्कट — ११

यूक्रेन सङ्कट — ११ यूक्रेन सङ्कट वस्तुतः नैटो द्वारा रूस एवं विश्व पर पूर्ण आधिपत्य जमाने के दीर्घकालीन षडयन्त्र का अङ्ग है । सोवियत सङ्घ का विघटन भी इसी षडयन्त्र का अङ्ग था — सोवियत कम्युनिष्ट पार्टी के प्रमुख गोर्बाचोव ने वैश्विक प्रसिद्धि के लोभ में सोवियत सङ्घ को तोड़ा और उस बहती गङ्गा में हाथ धोने में मास्को कम्युनिष्ट पार्टी के प्रमुख येल्तसिन तो गोर्बाचोव से भी आगे निकल गये । सोवियत कम्युनिष्ट पार्टी में वैचारिक रूप से अपरिपक्व एवं चमचों से घिरे रहने वाले नेताओं की तूती बोलती थी । तभी तो ब्रेझनेव जैसे मूर्ख को सोवियत कम्युनिष्ट पार्टी का प्रमुख बनने का अवसर मिला और उनके राज में गोर्बाचोव तथा येल्तसिन जैसे मक्कार लोगों को आगे बढ़ने का अवसर मिला — जो उस समय “कट्टर कम्युनिष्ट” बनकर दूसरे कम्युनिष्टों को पछाड़ने में सबसे आगे रहने का प्रयास करते थे और इस प्रयास में मार्क्सवाद पढ़ने और उसे लागू करने की बजाय सुप्रीम सोवियत के सुप्रीम नेताओं की बूट−पॉलिश करने में व्यस्त रहते थे;क्योंकि लेनिन की मृत्यु के पश्चात कम्युनिष्ट पार्टी में कैरियर चमकाने का यही एकमात्र उपाय रह गया था । इस “चमचावादी

यूक्रेन सङ्कट — १०

यूक्रेन सङ्कट — १० पुतिन डरकर साइबेरिया भागने की तैयारी में है  — “भारतीय टीवी”  । अब विश्वयुद्ध की खुली धमकी दे दी है मुँगेरीलाल ने ! मुँगेरीलाल का एक भी पॉयलट रूस के विरुद्ध उक्राइनी युद्धविमान उड़ाने के लिए तैयार नहीं है । मुँगेरीलाल के अधिकांश टैंक रूस द्वारा विकसित पुराने T-72 हैं जिनके फोटो दिखाकर उनको पकड़े हुए रूसी टैंक बता रहा है । रूस के नये टैंक अगली पीढ़ियों वाले हैं जिनका युद्ध में प्रयोग हो रहा है,उनमें से एक भी टैंक मुँगेरीलाल क्यों नहीं पकड़ता? पत्तलकारों का कहना है कि स्लोवाकिया रूसी S-300 मिसाइल विरोधी प्रणाली उक्राइन को देना चाहता है जिसपर रूस अप्रसन्न है । पत्तलकारों को पता है कि रूस द्वारा ही S-300 उक्राइन को दिया गया था जो नालायकों को प्रयोग करना नहीं आता;वर्षो से रखे−रखे सड़ रहे हैं । सही बात बताने पर सनसनीखेज समाचार नहीं बनता । TRP झूठ बकने पर ही बढ़ती है? असैन्य मुहल्लों में मुँगेरीलाल के नात्सी गुण्डों ने मोर्चेबन्दी कर रखी है जिस कारण रूसी सेना नगरों में घुसने से कतरा रही है । फिर भी जिस तरह से रूसी सेना बढ़ रही है वह स्तालिन और हिटलर के बीच वास्तविक शतरञ्ज की स्मृत

यूक्रेन सङ्कट — ९

यूक्रेन सङ्कट — ९ जिस प्रकार सीरिया का पेट्रोलियम लूटने के लिए वहाँ युद्ध कराकर बीस लाख सीरियाई शरणार्थियों को अमरीका ने विश्वयुद्ध में पराजित जर्मनी में भिजवा दिया,उसी प्रकार अब यूक्रेन में युद्ध भड़काकर वहाँ के शरणार्थियों को जर्मनी और उससे पूर्व स़्थित देशों में भेजा जा रहा है । अमरीका ने सम्पूर्ण २०२२ ई⋅ वर्ष में यूरोप से आने वाले शरणार्थियों की अधिकतम सीमा दस सहस्र निर्धारित की है,जबकि अभीतक २५ लाख यूक्रेनी शरणार्थी यूरोप के नैटो देशों में आ चुके हैं । अमरीकी मीडिया ही यह बता रही है =https://www.usnews.com/news/politics/articles/2022-03-06/explainer-what-is-the-us-doing-to-help-ukraine-refugees ब्रिटेन की नीति भी अमरीका जैसी ही है,यूक्रेनी शरणार्थियों को ब्रिटेन में शरण मिलने में नाकों चने चबाने पड़ते हैं । ब्रिटेन में केवल उन यूक्रेनियों को शरण देने पर विचार किया जा सकता है जिनके परिवार का कोई व्यक्ति पहले से ब्रिटेन में है — हाल का संघर्ष आरम्भ होने के उपरान्त अभीतक केवल तीन सहस्र यूक्रेनियों को ब्रिटेन में शरण मिल सकी है । अर्थात् जो वास्तव में शरण के योग्य है उसे शरण नहीं मिल सक

यूक्रेन सङ्कट — ८

Image
यूक्रेन सङ्कट — ८ झेलेन्स्की का जन्म क्रिवोई रोग (Kryvyy Rih) में २५ जन⋅ १९७८ ई⋅ को अपराह्न २ बजे हुआ था । जन्मकाल में कुछ पलों की त्रुटि सम्भव है । सूर्य,शुक्र,मङ्गल,बृहस्पति और केतु अशुभ हैं । कुण्डली में सर्वाधिक प्रबल ग्रह चन्द्रमा हैं जिनकी महादशा १४ जुलाई २०१६ को आरम्भ हुई । चन्द्रमा के पश्चात सबसे शुभ ग्रह राहु और शनि हैं । पराक्रमेश चन्द्र महादशा में जब राजकारक दशमेश राहु की अन्तर्दशा आयी तो राष्ट्रपति बने,जिसमें उक्राइना के धन्नासेठ ने सहायता की क्योंकि चन्द्रमा धनेश भी हैं । किन्तु धनभाव में नीच मङ्गल हैं,नीच कर्म से धन! तृतीय भाव में चन्द्रमा अशुभ होते हैं । अतः प्रबल होने के कारण गद्दी तो मिली किन्तु फल अशुभ है। चन्द्र महादशा में दूसरे अच्छे ग्रह हैं शनि जिनकी अन्तर्दशा में चार दिनों की चाँदनी नैटो ने दिलायी । परन्तु १२ मार्च २०२२ ई⋅ को शनि अन्तर्दशा समाप्त हो रही है । शनि चन्द्रमा के एकमात्र मित्र हैं । तत्पश्चात बुध की अन्तर्दशा आरम्भ होगी । बुध भी राजयोगकारक हैं और स्थान−परिवर्तन योग के कारण लग्न पर बृहस्पति के अशुभ प्रभाव को काटकर पूर्ण प्रभाव रखते हैं । किन

आध्यात्म चेतन जगत का विज्ञान

Image
आध्यात्म चेतन जगत का विज्ञान ही तो है. हमारे ऋषि-मुनि महान वैज्ञानिक थे. वे गुफाओं में विभिन्न अनुसंधान करते थे, बस अशिक्षित समाज को समझा दिया जाता था कि वे तपस्या/साधना कर रहे हैं. और जब तक वे वैज्ञानिक थे, हमारा देश सोने की चिड़िया बना रहा. लेकिन बाद में विज्ञान रहित धर्म नें, या यूं कहिये कि विज्ञान विरोधी कर्मकांडी धर्म नें ही सोने की चिड़िया को मट्टी की चिड़िया बना कर हमें सदियों के लिए गुलामी की जंजीरों में धकेल दिया. आज भी हम मानसिक रूप से गुलाम ही तो हैं. दुनियाँ में सबसे ज्यादा दुरुपयोग धर्म द्वारा ही हुआ है, सबसे ज्यादा युद्ध धर्म के नाम पर ही हुए हैं, सबसे ज्यादा ठगी भी धर्म के नाम पर ही हो रही है इसीलिये मैं बारम्बार कहता हूँ कि धर्म छोड़ आध्यात्म को अपनाईये. जो स्थान जड़ जगत में विज्ञान का है, वही चेतन जगत में आध्यात्म का क्योंकि आध्यात्म स्वयं विज्ञान का ही विराट रूप है, सत्य के बिलकुल समीप है, शाश्वत है. वैसे भी ज्ञान-विज्ञान-आध्यात्म.....ये सब बनाया तो ईश्वर नें ही है, बस विज्ञान तो उसकी बनाई प्रकृति को डिकोड करके उसे उसे इंसानियत की बेहतरी के उपयोग में लाता है.

यूक्रेन सङ्कट — १

यूक्रेन सङ्कट — १ अमरीका से अच्छे सम्बन्ध बनाये रखना भारत के लिये आवश्यक है किन्तु यह नहीं भूलना चाहिये कि आज भी पाकिस्तान के बारे में अमरीका की नीति भारत के विरुद्ध ही है । अमरीकी सहायता के कारण ही पाकिस्तान भारत को परेशान करने का साहस कर सकता है । अमरीका का कहना है कि जबतक भारत आणविक शस्त्र का पूर्ण त्याग करके NPT को स्वीकार न ले तबतक अमरीका कोई भी महत्वपूर्ण शस्त्र भारत को नहीं दे सकता । परन्तु यही नियम पाकिस्तान पर अमरीका लागू नहीं करता । आज भी भारत का सबसे बड़ा सामरिक सहायक रूस ही है । अमरीका से घूस खाने वाले कई लोग भारत में प्रचार करते हैं कि रूस अपने हथियार बेचकर लाभ कमाने के लिये भारत को बाजार बनाना चाहता है । सच्चाई यह है कि जब मिग विमान संसार के सबसे अच्छे युद्धयानों में गिने जाते थे तब भी सोवियत संघ ने उसका कारखाना ही भारत को दे दिया था । ब्रह्मोस मिसाइल का इञ्जन रूस ने ही दिया,वैसा इञ्जन भारत नहीं बना सकता । भारत की सहायता करने में रूस को लाभ यह है कि भारत की शक्ति बढ़ाकर वह अमरीका का वर्चस्व घटाना चाहता है । रूस को लाभ हो वा न हो,रूस से अच्छे सम्बन्ध रखने में भारत को तो लाभ

यूक्रेन सङ्कट — २

यूक्रेन सङ्कट — २ भारतीय मीडिया जिस प्रकार अमरीकी गुप्तचर संस्था CIA की प्रचार सामग्री को परोसकर भारतीयों को जानबूझकर मूर्ख बना रही है उसे देखते हुए इस विषय पर कुछ भी लिखने का मन नहीं हो रहा था । किन्तु भाग−२ की घोषणा कर रखी थी,अतः कुछ तो लिखना ही था । २०१४ ई⋅ में भाजपा की सरकार लोकतान्त्रिक तरीके से बनी । उसके पश्चात यदि CIA के प्रशिक्षित नकाबपोश कमाण्डो एवं विशाल धनराशि की सहायता से भाजपा−विरोधियों का अवैध कब्जा सारे सरकारी भवनों पर करा दिया जाय और नरेन्द्र मोदी को जान बचाकर किसी सुरक्षित देश में भागना पड़े,एवं उसके पश्चात आठ वर्षों तक भाजपा को प्रतिबन्धित करके उसे वोट देने वालों को चुन−चुनकर ठिकाना लगाया जाय,उनके छोटे बच्चों को भी यह कहकर मार डाला जाय कि हिन्दुत्ववादियों की नस्ल ही घटिया होती है जिसे जड़ से उखाड़ना अनिवार्य है — तो कैसा लगेगा?उससे भी अधिक मजा तब आयगा जब ऐसे कुकर्म करने वालों को नैटो द्वारा भोले−भाले लोकतन्त्रवादी कहा जाय! पिछले आठ वर्षों से यूक्रेन में यही हो रहा है । उसे नैटो का सदस्य बनाकर रूस की राजधानी एवं अन्य महत्वपूर्ण ठिकानों पर अमरीकी आणविक मिसाइल तैनात करने क

यूक्रेन सङ्कट — ३

Image
यूक्रेन सङ्कट — ३ ड्रग−लार्ड को किसी सुपरपॉवर का मालिक बना दिया जाय तो संसार की कैसी दशा होगी?दावूद इब्राहिम के मालिक हक्कानी गिरोह को पूरा अफगानिस्तान सौंपने वाले ड्रग−लार्ड के पुत्र “हण्टर बाइडेन” का २०१३ ई⋅ वाला फोटो संलग्न है,उसी वर्ष ड्रग टेस्ट में वे कोकेन के अभ्यस्त पाये गये तो अमरीकी नौसेना ने उनको सीधे बर्खास्त कर दिया । उस नौकरी के लिये उनको दो छूटें दी गयी थी वरना उनका प्रार्थनापत्र ही अस्वीकृत हो जाता — ४३ वर्ष का होने पर भी उम्र में छूट,और पहले से ही ड्रग एडिक्ट सिद्ध होने पर भी नौसेना में अफसर बनने की छूट । छूट मिलने पर भी कोकेन पीकर पुनः जाँच कराने गये तो नौकरी से बर्खास्त हो गये । कुछ घण्टों के लिए कोकेन की तलब को रोक लेते तो ड्रग टेस्ट पास कर लेते,उसके बाद पीते!अमरीका बड़ा कानूनची देश है,हमारे सुपरस्टार की पतलून तक उतारकर जाँच करता है । किन्तु उनके उप−रासपति का बेटा पुराना ड्रग एडिक्ट और बुड्ढा हो तब भी नौसेना का अफसर बन सकता है!किन्तु अफसर बनकर ज्वॉइन करते समय जाँच में पुनः कोकेन खून में मिला!बिना कोकेन के कुछ काल तक भी रहना कठिन!कोकेन एडिक्ट का चेहरा कैसा

यूक्रेन सङ्कट — ४

Image
यूक्रेन सङ्कट — ४ (जिनको ज्योतिष में रुचि नहीं है अथवा सीखना नहीं चाहते उनको ज्योतिषीय बातों को अनदेखा करते हुए शेष बातें पढ़नी चाहिए ।) बाइडेन से पहले विश्व−कुण्डली की जाँच कर लें । वर्तमान सौरवर्ष की मेरु−कुण्डली में सबसे अशुभ फल यूक्रेन और उसमें भी लुगान्स्क को है जिसके कारण युद्ध भड़का । सर्वतोभद्रचक्र में “य” पर गुरु,केतु,सूर्य एवं शुक्र के वेध हैं,तथा “उ” पर चन्द्र,राहु,सूर्य,शुक्र एवं शनि के । अतः “यू’ पर गुरु,केतु,चन्द्र,राहु,सूर्य,शुक्र एवं शनि के कुल सात वेध हैं!बुध का वेध नहीं है किन्तु सूर्य से बुध पराजित हैं जिस कारण बुध का फल सूर्य ही देंगे । इस प्रकार कुल आठ वेध हैं!पाँच वेध पर पूर्ण फल मिलता है,आठ तो भयङ्कर है! शनि शुभ हैं किन्तु मारकेश भी हैं । वही हाल राहु का भी है । शुक्र स्वयं तो शुभ हैं किन्तु मृत्युभावेश सूर्य में अस्त हैं । वही हाल बुध का है । चन्द्र,सूर्य,केतु और गुरु अशुभ हैं । कुल मिलाकर अशुभ वेध अत्यधिक हैं और शुभ वेध अल्प हैं । यूक्रेन के लिये वर्ष अत्यधिक अशुभ है । यूक्रेन में भी रूसी−बहुल लुगान्स्क प्रान्त सर्वाधिक अशुभ है

यूक्रेन सङ्कट — ५

यूक्रेन सङ्कट — ५ रूसी पेट्रोलियम पर प्रतिबन्ध लगने के कारण भारत जैसे देशों को भी अब मँहगा पेट्रोलियम खरीदना पड़ेगा । पुतिन बड़ा दुष्ट है न! किन्तु इस मँहगे पेट्रोलियम से लाभ किसको होगा?बाइडेन के मित्र शेखों और ईस्ट इण्डिया कम्पनी के मालिक राथ्सचाइल्ड के जमाई रॉकफेलर की पेट्रोलियम कम्पनी को । इनका पेट्रोलियम मँहगा क्यों हो गया?मजदूरों की हड़ताल है?मशीनें मँहगी हो गयी?नहीं । रूसी पेट्रोलियम पर इन्हीं सेठों ने पाबन्दी लगायी ताकि अपना पेट्रोलियम मँहगे में बेचकर सबको लूट सकें । यूक्रेन विवाद जितना लम्बा खिंचेगा,उतना कमायेंगे! रूस की करेन्सी रूबल लगभग ३०% गिर गयी । कहाँ गिर गयी?पश्चिम के बाजार में — जहाँ रूस के सामान पर ही प्रतिबन्ध है । जब सामान बेच ही नहीं सकते तो रूबल डबल हुआ अथवा आधा इससे क्या अन्तर पड़ता है?रूस के आन्तरिक बाजार में मँहगाई कितनी है इसका महत्व रूसियों के लिये हैं । जाड़े के महिनों में बर्फबारी के कारण कृषि−उत्पाद मँहगे हो जाते हैं,वरना अन्य सभी वस्तुओें की मँहगाई दर अमरीका से कम रूस में है । पिछले कई दशकों में मँहगाई अमरीका में सबसे ऊँचे दर पर है । अमरीकियों को घाटा है । मँहग

यूक्रेन सङ्कट — ६

यूक्रेन सङ्कट — ६ भारतीय मीडिया का कहना है कि रूस के सर्वश्रेष्ठ सुखोई−३५ विमानों को पिछड़ी तकनीक  वाले यूक्रेन के मिग−२९ मारकर गिरा रहे हैं । सच्चाई यह है कि यूक्रेन के वायुवान उड़ ही नहीं सकते,उसके सम्पूर्ण आकाश पर रूसी वायुसेना का और उसके सम्पूर्ण समुद्री तट पर रूसी नौसेना का पूर्ण आधिपत्य है । आधिपत्य करना उचित है वा अनुचित यह दूसरा विषय है,आधिपत्य है इस सच्चाई को भारतीय मीडिया छुपा रही है । गलत सूचनायें दी जा रही हैं ताकि सभी देशों की सरकारें गलत निर्णय लें । १ मार्च को ब्रिटिश प्रधानमन्त्री पोलैण्ड में थे,वहाँ एक यूक्रेनी पत्तलकार ने पूछा — “आप कहते हैं कि यूक्रेन का साथ देंगे किन्तु यूक्रेन के आकाश को “नो फ्लाई जोन” घोषित क्यों नहीं करते ताकि रूसी फाइटर विमान यूक्रेन में उड़ न सकें?” ब्रिटिश प्रधानमन्त्री बेवकूफ हैं,बेवकूफी में ऐसी सच्चाई मुँह से निकल गयी जिसे मीडिया वालों को सुधारकर प्रचारित करना पड़ा । बोले कि आपका कहा मानें तो यूक्रेन के आकाश में हमें रूसी विमानों को मारकर गिराना होगा जो हम कर नहीं सकते” ( “... which is something we cannot do.” )। अर्थात् नैटो की नाभि में दम नहीं