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Showing posts from October, 2017

भारतीय सैना को सुधारना और राईट-टू-रिकोल

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नोट:- इस पोस्ट को फेसबुक मेमोरी ने दिखाया कि इसे फेसबुक ने ब्लाक किया हुआ है, हमारे भ्रष्ट नेताओं के लोगों की आँखों में सच एक मिर्चे की भाँती चुभती है. इसीलिए कई लोगों ने मिलकर मेरे कई पोस्ट्स को ब्लाक करवा दिया है.   30 October 2015   हमें भारतीय सैना को सुधारना और राईट-टू-रिकोल , ज्यूरी-सिस्टम ये कानून इतने अति-आवश्यक (अर्जंट) क्यूँ हैं और यह ना होने से कैसी तबाही मचेगी ? भ्रष्टाचार से हमें क्या फरक पड़ता है ? https://www.youtube.com/watch… . यह कैसा विकास ? देश की विदेशी मुद्रा कम हो रही है और विदेशी मुद्रा खर्च बढ़ रहा है | आजकल हमारा निर्यात बहुत कम हो रहा है और आयात बहुत बढ़ रहा है | आज सरकार चाहे किसी की भी हो, चलाते उसे कोर्पोरेट ही हैं, लाभ भ्रष्ट कोर्पोरेट को होता है और घाटा देश के नागरिकों को होता है | कार्यकर्ताओं को विस्तार से बताना चाहिए कि हम कौनसी नीतियां अपना रहे हैं जिसके द्वारा हम अपने निर्यात बढ़ा सकते हैं और कैसे हम आयात कम कर सकते हैं | हमने कुछ सुझाव दिए हैं कि नागरिक, पूर्णतः भारतियों द्वारा निर्मित उत्पादन करके निर्यात की गुणवत्ता और मात्रा बढ़े, ऐसी व्

यह कैसा विकास ?

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नोट:- इस पोस्ट को फेसबुक मेमोरी ने दिखाया कि इसे फेसबुक ने ब्लाक किया हुआ है, हमारे भ्रष्ट नेताओं के लोगों की आँखों में सच एक मिर्चे की भाँती चुभती है. इसीलिए कई लोगों ने मिलकर मेरे कई पोस्ट्स को ब्लाक करवा दिया है.   30 October 2015   ==================================================================== यह कैसा विकास ? देश की विदेशी मुद्रा कम हो रही है और विदेशी मुद्रा खर्च बढ़ रहा है | आजकल हमारा निर्यात बहुत कम हो रहा है और आयात बहुत बढ़ रहा है | आज सरकार चाहे किसी की भी हो, चलाते उसे कोर्पोरेट ही हैं, लाभ भ्रष्ट कोर्पोरेट को होता है और घाटा देश के नागरिकों को होता है | कार्यकर्ताओं को विस्तार से बताना चाहिए कि हम कौनसी नीतियां अपना रहे हैं जिसके द्वारा हम अपने निर्यात बढ़ा सकते हैं और कैसे हम आयात कम कर सकते हैं | हमने कुछ सुझाव दिए हैं कि नागरिक, पूर्णतः भारतियों द्वारा निर्मित उत्पादन करके निर्यात की गुणवत्ता और मात्रा बढ़े, ऐसी व्यवस्था को लागू करवा सकते हैं. कृपया ये लिंक देखें – www.tinyurl.com/ SwadeshiBadhao अगस्त 2015 में भारत का व्यापर संतुलन घाटा (आयत और निर्य

छठ पर्व कैसे मनाया जाता है.

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छठ पर्व मुझे तो बहुत ही सुंदर पर्व लगा, क्या कुछ नहीं है इसमें, पूरे भारत में यह मनना चाहिए था. . सूर्यषष्ठी (छठ) का वर्णन महाभारत काल में भी है, सूर्योपासना का महापर्व है ये। बिहार में प्रचलित मान्यता है कि जब श्रीरामचंद्र जी को उनके माता-पिता ने वनवास की आज्ञा दे दी थी तब माँ सीता ने बिहार के मुंगेर के गंगा तट पर संपन्न की थी. इसके बाद से महापर्व की शुरुआत हुई। श्री राम जब 14 वर्ष वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, रावण वध के पाप से मुक्त होने के लिए ऋषि-मुनियों के आदेश पर राजसूय यज्ञ करने का फैसला लिया। इसके लिए मुग्दल ऋषि को आमंत्रण दिया गया था, लेकिन मुग्दल ऋषि ने भगवान राम एवं सीता को अपने ही आश्रम में आने का आदेश दिया। ऋषि की आज्ञा पर भगवान राम एवं सीता स्वयं यहां आए और उन्हें इसकी पूजा के बारे में बताया गया। कालांतर में जाफर नगर दियारा क्षेत्र के लोगों ने वहां पर मंदिर का निर्माण करा दिया। यह सीताचरण मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर हर वर्ष गंगा की बाढ़ में डूबता है। महीनों तक सीता के पदचिह्न वाला पत्थर गंगा के पानी में डूबा रहता है। इसके बावजूद उनके पदचिह्न धूमिल

पृथ्वीराज चौहान के बारे में जो पता है, वो सब कुछ सच का उल्टा है .

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टीवी से इतिहास पढेंगे ? अजमेर के सरकारी संग्रहालय में वे सिक्के रखे हैं जिनकी मैंने लेख में चर्चा की है, और उनके बारे में तीस वर्षों से NCERT की पाठ्यपुस्तकों में पढ़ाई हो रही है | लेकिन अधिकाँश लोग स्कूल में ठीक से पढ़ाई नहीं करते, और जो लोग करते भी हैं वे स्कूल के निकलने के बाद अधिकाँश बातें स्कूल में ही छोड़ देते हैं | पृथ्वीराज के दरबारी चारण चन्दरबरदाई की कविता को इतिहास मानने वालों ने स्कूल में इतिहास का अध्ययन ठीक से नहीं किया, चोरी करके परीक्षा में उत्तीर्ण होते रहे हैं, वरना NCERT की इतिहास की पुस्तक पढ़े रहते तो जानते कि पृथ्वीराज युद्ध में नहीं मरा और मुहम्मद गोरी को दिल्ली सौंपकर उसके अधीन अजमेर का राजा बना रहा जिसके सबूत के तौर पर सिक्के मिले हैं जिनके एक ओर मुहम्मद गोरी को बादशाह मानकर दूसरी ओर पृथ्वीराज को अजमेर का अधिपति बताया गया है । चन्दरबरदाई के झूठ का प्रमाण यह है कि उसके अनुसार पृथ्वीराज ने शब्दभेदी बाण द्वारा मुहम्मद गोरी को मारा जिसके बाद पृथ्वीराज और चन्दरबरदाई ने एक दूसरे को वहीं पर मार डाला । इस सफ़ेद झूठ को इतिहास मानने वाले इतना भी नहीं सोचते कि यदि यह सच

साहित्य का इतिहास

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साहित्य का इतिहास लिखने वाले या काल-निर्धारण करने वाले को साहित्यकार नहीं कहा जाता, सच्चे साहित्य की सर्जना करने वाले को साहित्यकार कहा जाता है | साहित्य की सही परख में सक्षम व्यक्ति को आलोचक कहा जाता है | समूचे हिन्दी साहित्य को ठीक से समझने वाले व्यक्ति को ही हिन्दी साहित्य का इतिहास लिखने का अधिकार है, ऐसा अधिकारी कौन है ? टी एस इलियट ने लिखा था कि जो साहित्य में असफल हो जाते हैं वे आलोचक बन जाते हैं, हिन्दी में भी लगभग सारे आलोचक ऐसे ही हैं, साहित्य की परिभाषा तक नहीं जानते, हिन्दी साहित्य को राजनैतिक खेमों में बांटकर गुटबाजी में व्यस्त रहते हैं और अपने गुट के साहित्यकार को उछालकर पुरस्कार दिलाने में सारा समय गुजारते हैं | गधों की पुस्तकें पढने वाला भी गधा ही बनेगा | एक उदाहरण देता हूँ -- धर्मवीर भारती की लिखी हुई "बन्द गली का आख़िरी मकान" आपने छात्रों को पढाई होगी | सारे आलोचकों को भुलाकर अपने दिमाग से सोचिये -- क्या वह ग्रन्थ रोमान्टिक है ? या यथार्थवादी है ? "वाद" का लेबल चिपकाने की आदत से बचें | "गुनाहों का देवता" को बहाना बनाकर शिवदान सिंह चौह

मानव और दानव

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मानव और दानव :- भारत में धर्म की जड़ें अधिक गहरी थीं, अतः कलियुग में असुरों का प्रभाव बढ़ने पर भी केवल भारत में ही सनातन धर्म बच पाया, सबसे बुरे प्रभाव तो पाकिस्तान से मोरक्को तक और अफ्रीका एवं अमरीकी महादेशों में पड़े | उन क्षेत्रों में पूरी की पूरी सभ्यताओं को मिटा दिया गया और पूरी आबादी का सफाया हुआ या दास बनाया गया | कहने को पाकिस्तान भारत का हिस्सा था लेकिन द्वापर युग के अन्त में ही वहां के संस्कार पूरी तरह से भ्रष्ट हो चुके थे यह महाभारत में वर्णित है | ईसाइयों ने मुसलमानो ं से अधिक अत्याचार किये हैं - अमरीकी महादेशों और अफ्रीका पर, केवल USA में चार करोड़ रेड इण्डियन का जंगली जानवरों की तरह शिकार किया गया | भारत में बन्दूकें और तोपें थी अतः भारतीय जिन्दा बच पाए, केवल अधीन बनाए गए | यूरोप से सनातनी परम्परा को मिटाने के लिए रोमनों और बाद में रोमन चर्च ने भयंकर अत्याचार किये | चर्च का ईसा की शिक्षाओं से कोई लेना-देना नहीं था, अभी जो बाइबिल है उसमें ईसा का कोई विचार नहीं है | ईस्वी 300 के बाद रोमनों ने नए ईसाई सम्प्रदाय को अपने स्वार्थ के लिए खड़ा किया | पुराने सनातनी एवं आसुरी स