क्या सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य व चाणक्य की हत्या में चन्द्रगुप्त मौर्य की ग्रीस(यूनान) वाली पत्नी का हाथ था? पढ़ें-

आज के भ्रमित सूचना वाले युग में सत्य वो बिलकुल नहीं जो हमको बताया जाता है,जिस पर जोर देकर अपनी बात मनवाया जाता है. 

हमें ये जोर देकर प्रचार प्रसार से मनवाया जाता है कि सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य व हेलेना के मध्य कोई प्रेम कहानी था, सच तो ये है कि जब चन्द्रगुप्त मौर्य ने भूतकाल के यूनान अर्थात आज के ग्रीस को हरा दिया था तब वहां के राजा ने अपनी बेटी हेलेना को चन्द्रगुप्त से विवाह करवाने की इच्छा व्यक्त की थी, जिसे चन्द्रगुप्त मौर्य के गुरु चाणक्य ने ना-नुकुर के बाद इस शर्त से स्वीकार की थी कि इन दोनों की कोई संतान राज काज में हस्तक्षेप नहीं करेगी. जबकि हुआ इसका उल्टा.

इन दोनों की संतान ही चन्द्रगुप्त मौर्य व चाणक्य की ह्त्या का कारण बनी, क्योंकि ग्रीस के राजा ने अपनी बेटी चन्द्रगुप्त मौर्य को कोई योजना के अंतर्गत ही दी होगी, कोई शत्रु राजा हार जाने पे अपने शत्रु राजा से बदला लेने के लिए ऐसी अनेकों चालें चलता है जिससे कि निकट भविष्य में बदला लेना संभव हो. 

हालाँकि, चंदगुप्त मौर्य के पहले के काल के राजा कभी भी ग्रीस अर्थात यूनान की लड़कियों के साथ वैवाहिक सम्बन्ध नहीं रखते थे. जिस बात का उनके लोगों को अत्यंत बुरा लगा था, जिसके परिणाम स्वरुप ग्रीस के निकटवर्ती प्रदेश कजार के कजारिया व थोड़े समय के बाद बवेरिया के धन संपन्न लोगों की मदद से एक नए धर्म का उदय हुआ जिसे आज यहूदी के नाम से जाना जाता है.
इन लोगों ने पता लगा लिया था कि हिन्दू धर्म के मजबूत होने का कारण क्या सब है, इसीलिए इन लोगों ने इस्लाम , इसाइयत एवं अन्य नए कुछ धर्म जैसे अनेकों पंथ अपने पैसों के बल पे शुरू करवाए, अपने आदमियों को पैसे दे कर बकायदा उन अमुक धर्मों की पुस्तकें लिखवायीं गयीं और भारत में उनके राजदूतों द्वारा यहाँ के लोगों में कुछ लालची लोगों को धन देकर यहाँ के पुराण-इतिहास व रामायण महाभारत ग्रंथों से छेड़ छाड़ की गयी. 

यहाँ का नामी राजा भोज भी उन्ही धन माफियाओं का आदमी था, जिसके काल में महाभारत में कई हजार श्लोको को जोड़ा गया था. ये बात मुझे उनके समुदाय के खुद के एक महिला ने बताया था. 
इसी तरह अन्य अनेकों लोग आज ऐसे हैं जिन्होंने हिन्दू धर्म को उखाड़ने व यहाँ नयी नए कुकर्मों को नैतिक बनवा दिया व जो पहले से चला आ रहा था उन्हें अनैतिक करार दे कर आज हिन्दुओं अमानवीयता का स्तर दिखलाई देता है, ऐसे लोग के वंशज आज पूजे जाते हैं, क्योंकि हिन्दुओं को आज दुसरे समाज में घुसपैठ करना नहीं आता, और न ही शंकराचार्य की सत्ता कोई कम की है, जिनके पास अथाह संपती है लेकिन चाहें तो वे यह काम कर सकते हैं. 
खैर...





बौद्ध मत उदय के प्रमाण इतिहास अशोक से पूर्व नही मिलते आखिर मिस्र के पिरामिड क्यो स्तूपो जैसी रचना है|
जो बुद्ध से बहुत पहले से है.

आखिर क्यो बौद्धो के मिलते जुलते प्रतीक आदि मध्य पूर्व देश यूनान सीरियाँ मिस्र आदि देशो मे बुद्ध से सैकड़ो वर्ष पूर्व ही है सच तो यह है कि बुद्ध का काल्पिक चर्रित्र गढ कर कही हमे यूनानी सभ्यता व संस्कृति षड़यंत्र कर लाद दी गई है
आखिर क्या कारण था कि चन्द्रगुप्त और चन्द्रगुप्त के पुत्र बिन्दुसार जैन धर्म के अनुयायी होते हुए जिस मत की प्रमुख अहिंसा परमो धर्मा है; के होते हुए चन्द्रगुप्त के पौत्र व बिन्दुसार के पुत्र को बुद्ध की शरण ले उसका प्रचारक बनना पड़ा ???

इसका कारण थी चन्द्रगुप्त की विदेशी यूनानी पत्नी , लिखने वाले ने तो लिखा नहीं है
पर हेलेना जिस उद्देश्य के साथ यहां थी, मैं समझता हूँ कि वह यही पता करना था कि हमारी सभ्यता का मूल मंत्र क्या है और उसे किस प्रकार नष्ट या क्षतिग्रस्त किया जा सकता है, को समझने के बाद ही बुद्धावतार के रुप में सत्य पर आक्रमण किया गया, विशेष वेशभूषा और आडम्बर का सहारा लेकर समाज में उन अपभ्रंषित विचारों को फैलाया गया।
अगर, चंद्रगुप्त को चाणक्य या ज्ञानियों का साथ मिला/गुरुत्व मिला तो सम्राट अशोक तक आते आते वो ज्ञानी कहाँ लुप्त हो गये और अशोक क्यों गुरु विहीन हो गया कि उसे "बुद्धम् शरणम गच्छामि" करना पड़ गया ?
रक्त पिपासु तो हम थे नहीं, लेकिन स्वरक्षा हेतू निर्बल भी नहीं थे ।

फिर, क्यों जोर दिया गया "हिंसा मत करो" , जबकि यही बौद्ध भिक्षुओं के हिंसक होने के प्रमाण भी मिलते हैं ?क्योकि सांस्कृतिक आक्रमण के लिये उनका बाह्य रूप कुछ और था और सफल होने के लिये आंतरिक रूप कुछ और था ? बौद्ध धर्म का चोला पहनने बाद ही अशोक ने 19000 जैनियो की हत्या स्यमं की और जैन मतानुयायी का मस्तक काट कर लाने वाले को पुरस्कार देने की धोषणा की (संन्दर्भ दिव्यवंदन , भाग अशोक वंदन)
मेरी विवेचना तो यही कहती है।

उन यूनानियों को विवाह के बारे में पता भी नहीं था, हाँ सेक्स के बारे में जरूर पता था, उनकी आज भी यही स्थिति है, तभी विवाह संस्था की नकल कर लेने के बाद भी रिश्तों को नहीं समझ सके ? वे हेलेना ही थी जिसे आचार्य चाणक्य
की राजा बिन्दुसार के प्रति इतनी करीबी पसंद नहीं थी. राजा बिंदुसार का मंत्री सुबंधु जिसे इतिहासकारो ने चाणक्य को कलंकित कर राज्य से निकालने का दोषी कहा परन्तु मुख्य षड़यंत्रकारी कौन था ये पता करने की किसी ने प्रयास ही नही किया वो षडयंत्रकारी हेलेना ही थी क्योकि चाणक्य की मुख्य शत्रु हेलेना ही थी कारण चाणक्य ने चन्द्रगुप्त से ये वचन लिया था कि विदेशी यूनानी हेलेना न तो राज्य के शासन मे हस्तक्षेप करेगी न हेलेना की संतान राज्य की उत्तराघिकारी होगी ये वो वचन थे जिस उद्देश्य के लिये हेलेना आयी उसकी पूर्ति संम्भव नही थी और षंडयंत्र के तहत् हेलेना ने सुबंधु के द्वारा बिन्दुसार के मन मे कि उनकी माता की मृत्यु का कारण कोई और नहीं वरन् स्वयं आचार्य चाणक्य ही हैं। ऐसा करने में हेलेना सफल हुई और बिन्दुसार आचार्य में दूरियां इतनी बढ़ गईं कि आचार्य सम्राट बिंदुसार को कुछ भी समझा सकने में असमर्थ हो गये अंतत: उन्होंने महल छोड़कर जाने का फैसला कर लिया और एक दिन वे चुपचाप महल से निकल गए। उनके जाने के बाद जिस दाई ने राजा बिंदुसार की माता जी का ख्याल रखा था उन्होंने उनकी मृत्यु का राज सबको बताया 
कि चाणक्य सम्राट चन्द्रगुप्त के खाने में प्रत्येक दिन थोड़ा थोड़ा विष मिलाते थे ताकि वे विष को ग्रहण करने के आदी हो जाएं और यदि कभी शत्रु उन्हें विष का सेवन कराकर मारने की कोशिश भी कर तो उसका राजा पर कोई असर ना हो। जिसका डर था वही हुआ एक दिन चन्द्रगुप्त व उनकी पत्नि दुर्धरा को विष मिलाया हुआ खाना राजा की पत्नी ने ग्रहण कर लिया जो उस समय गर्भवती थीं। विष से पूरित खाना खाते ही उनकी तबियत बिगड़ने लगी, जब आचार्य को इस बात का पता चला तो उन्होंने तुरंत रानी के गर्भ को काटकर उसमें से
शिशु को बाहर निकाला और राजा के वंश की रक्षा की। यह शिशु आगे चलकर राजा बिंदुसार के रूप में विख्यात हुए।

 यदि बिन्दुसार मर जाता तो स्वाभाविक ही हेलेना के पुत्र जस्टिन् ही राज्य का शासक होता इस षड़यंत्र मे हेलेना का वास्तविक मन्तव्य पूर्ण हो जाता परन्तु बाधा यहॉ भी चाणक्य बन गये इससे एक बात भी निकलती है कि भाजन मे विष मिलाने मे भी हेलेना ही का षड़यंत्र होगा अंतत: जब राजा बिंदुसार को दाई से यह सत्य पता चला तो उन्होंने चाणक्य को महल में वापस लौटने को कहा लेकिन चाणक्य ने मना कर दिया  परन्तु कुछ समय पश्चात ही सुबंधु ने आचार्य चाणक्य को जिंदा जला दिया वो कौन था जिसे राज्य से स्वतः निर्वासन का जीवन जी रहे चाणक्य से भय था तो वो हेलेना ही थी क्यो चन्द्रगुप्त राज्य छोड़ कर जाकर रहस्यमय तरीके से प्राण त्यागे जबकि राज्य व पुत्र दोनो संकट मे थे कही वो चन्द्रगुप्त की हत्या तो नही थी .

बाइबिल को भी बदला उन लोगों ने, क्योंकि यहाँ की बिना शर्त मानवता उन लोगों को भी भायी, परन्तु मालिक और दास की भावना का त्याग नहीं कर सकने के कारण गरीबों की मदद की भावना को जन्म दिया, जिसे ही वे मानवता कहते हैं, और जो मात्र दिखावे की होती है। 

उसी लँगड़ी मानवता का नाम लेकर ही तो जार्ज बुश ने ईराक में लाखों लोगों को मारा ?
ताकि, उनका आधिपत्य बना रहे ।

Comments

  1. अपकी शुरुआत अच्छी है अंत भी बहुत अच्छा है बस कुछ ऐतिहासिक साक्ष्य का भी इस्तेमाल करना चाहिए

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  7. 1961 mein jab naiwyork stochk aixchhangai ne is par pooree tarah se rok laga dee in juaariyon ya gamblairs ko koee na koee doosara jugaad dhoondhana hee tha taaki vo apane is satt king ko jeevit rakh saken.

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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.

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