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Showing posts from April, 2017

क्षद्म हिंदूवादी लोग बिना कोई रास्ता अपनाए, केवल बहस में समय बर्बाद करते हैं.

हिंदुवादियों को बीके हुए evm का विरोध तो होता नहीं है, इन्केलिये हिंदुत्व का अभी तक कोई रूप-रेखा भी तैयार नहीं हुआ...ना ही इन लोगों ने इससे सम्बंधित सभी ग्रन्थ को पढ़ा है......इनके लिए हिंदुत्व उतना ही है, जितना कि इनके राजीव=दीक्षित जी बताया हुआ है..... \. ये लोग बचकाने लोग हैं, उम्र कितनी भी हो.... . ये कूदेंगे..कि हम ये क़ानून बंद करवा देंगे...वह क़ानून बंद करवा देने....लेकिन कैसे करेंगे...इनको ये भी नहीं मालूम अभी तक.... . जो कानून सुधार का प्रयास कर रहे हैं....उनसे ही इन ्हिन्दुवादियों को समस्या है.... . दरअसल ऐसे सभी लोग, हिंदुत्व हिंदुत्व करके कहीं किसी एक पॉइंट पर कभी नहीं पहुंचेंगे....क्योंकि इनके पास कोई विधि ही तैयार नहीं है....ऐसे लोग क्षद्म हिंदूवादी है एवं इनसे बात करके लोगों का समय बिगड़ता है....

भगवान श्रीराम को न्याय कौन दिलाएगा?

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क्या हिन्दुस्तान के संसदीय लोकतांत्रिक प्रशासनिक व्यवस्था में इतना बल है, इतना आत्म-सम्मान है कि वो भगवान श्रीराम को उनका महल वापस लौटाने का न्याय दिला सके?  . नहीं है इतना बल, क्योंकि हमारी सरकारें विदेशी सहायता से ही बनती है. . देश के अन्य मंदिर व अयोध्या में राम मंदिर --- बीजेपी एवं संघ ने राम मंदिर मुद्दे का अपने निजी स्वार्थ के लिए जिस तरह से राजनैतिक करण किया है उससे हिन्दू धर्म को क्षति हुई है और आगे भी यही दिशा बनी रही तो यह मुद्दा हिन्दू धर्म को परोक्ष रूप से नुकसान ही पहुंचाएगा। . आज सभी राजनैतिक पार्टियां एवं बुद्धिजीवीयों के समूह -- "अदालत का फैसला मानेंगे" की पुकार लगा रहे है। लेकिन इस मुद्दे को कोर्ट के हवाले कर देना अब अलोकतांत्रिक भी है। . यह मामला अदालत में सबसे पहले 1885 में पहुँचा था, जब महंत रघुबर राम ने बाबरी मस्जिद के हिस्से में राम मंदिर निर्माण के लिए दावा किया था। तब के जिला जज ऍफ़. केमैर ने फैसला दिया था कि -- "मैंने सभी पक्षो की उपस्थिति में विवादित जगह का व्यक्तिशः अवलोकन किया है। यह साफ़ है कि बाबरी मस्जिद का निर्माण राम मंदिर पर किया

# @PMOIndia BANevm

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@PMOIndia BANevm . कौन है जो इवींएम की गड़बड़ी की शिकायत करेगा ? .  क्या आपको मतदान के बाद EVM से प्राप्त पर्ची में किसी अन्य पार्टी का चुनाव चिन्ह आता है तो क्या आप व्यक्तिगत रूप से इसकी शिकायत करने की जोखिम उठाएंगे ? नहीं....आप यह जोखिम नहीं उठाएंगे...हमें मालूम है....कोई स्वयं फंसना नहीं चाहेगा.....लेकिन क्या कारण है? --------- . असल बात ये है कि अगर आपने ईवीएम में जिस चुनाव चिन्ह के सामने का बटन दबाया है, प्रिंट हुई पर्ची में कोई दूसरा चुनाव चिन्ह आता है तो आप मशीन पर टेस्ट वोट की मांग कर सकते हैं। . ऐसे में आपको पोलिंग मुलाजिमों को कंप्लेंट करनी होगी और रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट 1951 के सेक्शन 45-एमए के तहत डिक्लेरेशन भरकर देनी होगी। इसके बाद ईवीएम में टेस्ट वोट डाली जाएगी। अगर इसमें बटन किसी का और प्रिंट में चुनाव निशान दूसरे का आता है तो वहां तुरंत पोलिंग बंद कर दी जाएगा लेकिन चुनाव् अधिकारियो पर क्या कार्यवाही होगी यह कुछ स्पष्ट नही है, सिर्फ यहां पोलिंग कैंसिल कर दोबारा वोटिंग कराई जाएगी। . लेकिन-लेकिन अगर टेस्ट में पर्ची उसी निशान की आती है जो ईवीएम में दबाया है तो