# @PMOIndia BANevm



@PMOIndia BANevm
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कौन है जो इवींएम की गड़बड़ी की शिकायत करेगा ?

क्या आपको मतदान के बाद EVM से प्राप्त पर्ची में किसी अन्य पार्टी का चुनाव चिन्ह आता है तो क्या आप व्यक्तिगत रूप से इसकी शिकायत करने की जोखिम उठाएंगे ?
नहीं....आप यह जोखिम नहीं उठाएंगे...हमें मालूम है....कोई स्वयं फंसना नहीं चाहेगा.....लेकिन क्या कारण है?
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असल बात ये है कि अगर आपने ईवीएम में जिस चुनाव चिन्ह के सामने का बटन दबाया है, प्रिंट हुई पर्ची में कोई दूसरा चुनाव चिन्ह आता है तो आप मशीन पर टेस्ट वोट की मांग कर सकते हैं।
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ऐसे में आपको पोलिंग मुलाजिमों को कंप्लेंट करनी होगी और रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल एक्ट 1951 के सेक्शन 45-एमए के तहत डिक्लेरेशन भरकर देनी होगी।
इसके बाद ईवीएम में टेस्ट वोट डाली जाएगी। अगर इसमें बटन किसी का और प्रिंट में चुनाव निशान दूसरे का आता है तो वहां तुरंत पोलिंग बंद कर दी जाएगा लेकिन चुनाव् अधिकारियो पर क्या कार्यवाही होगी यह कुछ स्पष्ट नही है, सिर्फ यहां पोलिंग कैंसिल कर दोबारा वोटिंग कराई जाएगी।
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लेकिन-लेकिन अगर टेस्ट में पर्ची उसी निशान की आती है जो ईवीएम में दबाया है तो ऐसे वोटर पर उसके भरे डिक्लेरेशन के आधार पर कानूनी कार्रवाई होगी और 6 महीने की कैद तक हो सकती है..............
ऐसे मे कोन इवींएम की गड़बड़ी की शिकायत कर के फसना चाहेगा
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अतः एक व्यक्ति शिकायत करके फंस सकता है, लेकिन यही शिकायत सामूहिक रूप से की जाए तो जनता का बिगाड़ने वाला नहीं रहेगा कोई क्योंकि सब लोग संगठित होंगे...जिसे हम क्रांति कहते हैं....
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इस सामूहिक शिकायत को अगर आप व्यक्तिगत रूप से करेंगे तो देश के अन्य नागरिकों तक आप अपनी बात नहीं पहुंचा पायेंगे...जिससे कि आप अन्य प्रदेशों के नागरिकों के सहयोग से वंचित होंगे, इससे सम्बंधित आन्दोलनों को दबाया जाना आसान हो जाएगा....
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लेकिन अगर यही शिकायत सार्वजनिक मंच पर किआ जाए, जिससे अन्य प्रदेश के नागरिकों को भी मालूम हो, और वे आपका साथ दें, इसे हम पारदर्शी शिकायत प्रणाली कहते हैं....
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इस कानून का ड्राफ्ट यहाँ देखे-
पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://web.facebook.com/ProposedLawsHindi/posts/529823220529210
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नेताओं का संपर्क यहाँ से प्राप्त करें और उन्हें आप अपना एक आदेश भेजें क्योंकि आप एक जनतंत्र में रहते हैं,ना की किसी तानाशाही राजव्यवस्था में----- www.nocorruption.in
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आप इस आदेश को इस तरह से भेजिए-
"माननीय सांसद/विधायक महोदय....
मैं अपने सांवैधानिक अधिकार का उपयोग करते हुए आपको पारदर्शी शिकायत प्रणाली के ड्राफ्ट को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून बनाने का मांग करता हूँ.
मतदाता संख्या- xyz. "
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आप ट्विटर पर भी @PMOindia BANevm लिखकर पी एम् को आदेश भेज सकते हैं...

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कागज़ ज्यादा खर्च होने का खंडन:-
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कागज और पेड़ों को बचाने के लिए चुनाव आयोग और EVM के अंधभक्तों का नकली बहाना!
EVM अंधभक्त कहते हैं कि EVM पर्यावरण पर कम बोझ डालता है, जिससे प्रदूषण कम होता है।
जबकि EVM द्वारा उत्पन्न प्लास्टिक और इलेक्ट्रोनिक अपशिष्ट 20,000 चुनावी पत्रकों से भी अधिक हानि पहुँचाता है, जितना कागज प्रत्येक EVM बचाता है।
चलिए अब देखते हैं कि EVM का ढोंग आखिर कितना कागज बचाता है?
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लोकसभा चुनाव में उम्मीद्वारों कि औसत संख्या= 14 प्रति निर्वाचन क्षेत्र मत पत्र(बैलट पेपर) का साईज= 2 A4 शीट से कम
आजकल अधिकतर अखबारों में लगभग 20 पन्ने होते हैं, तो एक अखबार 40 बैलट पेपर के बराबर हुई। परंतु बैलट पेपर कि मोटाई अधिक होती है, इसलिए प्रत्येक अखबार को 40 बैलट पेपर कि जगह 20 बैलट पेपर के बराबर मान लेते हैं।
लोकसभा + विधानसभा + पंचायत चुनावों में भारत को बैलट पेपर कि आवश्यकता है =3×85 करोड़= 255 करोड़ =300 करोड़ मान लेते हैं।
300 करोड़ मतपत्र = 15 करोड़ अखबार कि प्रतियाँ सभी अखबार पूरे भारत में लगभग 25 करोड़ प्रतियाँ प्रति दिन बेचती है।
तो 5 वर्ष के सभी चुनावों में कागज का कुल उपभोग 1 दिन के अखबार से भी कम है।
अब आप सोंच सकते हैं कि कितने बेईमान हैं चुनाव आयोग के अधिकारीगण जो कहते हैं- "EVM कागज बचाता है"।
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और EVM के अंधभक्त ऐसे बेईमान अधिकारीयों को सुनना पसंद करते हैं, कितना भेड़पना भड़ा पड़ा है इनमें?
एक EVM का प्रयोग केवल 10 वर्ष ही किया जाता है उसके बाद फेंक दिया जाता है। 10 वर्ष = 1 लोकसभा + 1 विधानसभा + 1 लोकसभा + 1 विधानसभा और ज्यादा से ज्यादा दो उपचुनाव (नगर निगम में दूसरे EVM का प्रयोग होता है)
1 EVM = अधिक से अधिक 6 चुनाव 1 EVM कि जरूरत प्रति बूथ 1 EVM में 1000 मतदाता = 1000 मतपत्र A4 पन्नों का वजन जिसका प्रयोग हम लेजर प्रिंटर में करते हैं = 6 ग्राम मतपत्र का वजन, जिसकी मोटाई A4 कागज के दोगुनी होती है = 12 ग्राम तो 1 EVM = 6000 कागज × 12 ग्राम = 73 किलोग्राम कागज 1 किलो प्लास्टिक 1 किलो कागज से 20-30 गुना अधिक पर्यावरण के लिए बोझ उत्पन्न करता है। और 1 किलो इलेक्ट्रोनिक अपशिष्ट 1 किलो किगज के 100 गुना से भी अधिक बोझ उत्पन्न करता है अर्थात प्रदूषण फैलाता है।
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तो प्लास्टिक और इलेक्ट्रोनिक अपशिष्ट जितना EVM उत्पन्न करता है वह मतपत्र के कचरा बहुत ही अधिक है।
EVM अंधभक्तों और चुनाव आयोग के अधिकारीगण के कुतर्क को गलत सिद्ध करने हेतु इतना पर्याप्त है।
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जय हिन्द.
वन्दे मातरम्

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