चिड़िया क्यूँ मरने दी जा रहीं हैं?


5G रेडिएशन के नुकसानदायी होने का ये कारण है कि इससे अति लघु आवृत्ति की विद्युत-चुम्बकीय तरंगे निकलती हैं, जिसके कारण इसके उपकरणों को न केवल टेलीफोन के टावर्स बल्कि हर घर एवं बिल्डिंग पे लगाया जाता है. कारण ये बताया जाता है कि इससे हर उपयोग कर्ता को इन्टरनेट की एवं स्मार्ट उपकरण की उपलब्धता हासिल रहेगी.
वस्तुतः आज के समय में सभी घरों में स्मार्ट उपकरणों का इस्तेमाल होना आम बात है जैसे कि स्मार्ट मीटर, स्मार्ट माइक्रोवेव ओवन, स्मार्ट फ़ोन और स्मार्ट न जाने क्या क्या.....उन सभी उपकरणों के लिए ५G रेडिएशन हर घर के ऊपर जैसे चिमनी लगी होती है वैसे लगाया जाता है. इसे साइन बोर्ड के ऊपर भी लगाया जाता है.
इसकी मशीन का शक्ल जूते के डिब्बे जितनी होती है.
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वस्तुतः आपका लैपटॉप भी एक प्रकार का विद्युत चुम्बकीय तरंग उत्पन्न करता है, जो वाई फाई से जुड़ने पे, 
कोई भी वीडियो स्ट्रीमिंग होने पे  ज्यादा तरंग देता है. 
5G की तरंग एक शक्तिशाली तरंग होती है और घरों के निकटतम लगे होने के कारण सभी के आसपास इन शक्तिशाली तरंगों का घना कोहरा सा रहता है जिसके कारण ह्रदय आदि की बीमारी ज्यादा होती है.
शरीर में जब इससे कुछ बदलाव आने लगते हैं तो गले में एवं नाक में एक प्रकार की जीवाणु पनपने लग जाते हैं जैसे कि कोई चीज यदि गलने लगे तो उसके ऊपर अपने आप ही फफूंद पद जाती है, इस जीवाणु का नाम कोरोना कर दिया गया है, एवं बदले में अन्य ही बीमारी की दवाई दी जा रही है जिससे इस जीवाणु को समाप्त किया बोला जा रहा है जबकि उससे शरीर की रोग प्रतिकारक शक्ति और भी घटती है जो बाद में कई प्रकार की महामारियों एवं इन्फेक्शन होने को बढ़ा देती है, जिसके लिए वे एड्स की दवाई दे रहे हैं जो गैर जरुरी है, इन दवाइयों के सेवन के बाद किसी के बचने की कोई चांस नहीं है. अतः, कोशिस करे इन दवाइयों को ना लें. जैसे ही कोई लक्षण दिखे- उसका उपचार स्वयं ही करें.
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इसी कारण से पक्षियों के मरने की खबरे आज ज्यादा सुनने को मिल रहीं हैं.
इससे बचने के उपाय में क्या करना है ये समझ में आ ही गया होगा कि अब आगे क्या करना चाहिए.

VADODARA (GUJARAT) के वन्यजीव बचाव ट्रस्ट को सिवासी रोड पर खानपुर गांव में एक खेत से एक संकट कॉल आया। इसलिए ट्रस्ट के सदस्य वन विभाग के एक अधिकारी के साथ उस स्थान पर पहुंचे और विभिन्न प्रजातियों के 9 मृत पक्षियों को पाया। उन्हें मौत का कारण जानने के लिए पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया है।
लेकिन मुझे नहीं लगता कि वे कविता से बाहर मारे गए थे, लेकिन यह 5G परीक्षण और स्थापना से प्रभावित है, जो पूरे भारत में चल रहा है, कोरोनावायरस सिर्फ एक HOAX है, असली दुश्मन 5G है और अत्यधिक प्रभावी RADIATION इससे बाहर आता है।


- हर गली में लगे हैं मोबाइल टावर, फैला रहे रेडिएशन
- नियम-कानून ताक पर रख लगाए गए टावर दे रहे बीमारियां
GORAKHPUR : मोबाइल टावर लगाने को लेकर ट्यूज्डे को आर्यनगर में पब्लिक ने विरोध शुरू कर दिया। पब्लिक का कहना था कि जीडीए बिना जांच पड़ताल के घनी आबादी वाले एरिया में मोबाइल टावर लगाने की परमिशन दे देता है। टावर की लोकेशन के आसपास कई स्कूल थे जिससे रेडिएशन का असर बच्चों पर पड़ने का खतरा था। धरना-प्रदर्शन के बाद जीडीए ने टावर का इंस्टालेशन कैंसिल कर दिया। ट्यूज्डे को हुई इस घटना के बाद वेंस्डे को आई नेक्स्ट ने मोबाइल टावरों के रेडिएशन और उसके प्रभावों पर इनवेस्टिगेशन किया। पड़ताल में पता चला कि सैकड़ों की संख्या में मानक ताक पर रख लगाए गए टावर गोरखपुराइट्स को बीमारियां बांट रहे हैं।
इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स हैं खतरनाक
मोबाइल टावर से निकलने वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक वेव्स कैंसर का कारण बनती हैं। इस रेडिएशन से जानवरों पर भी असर पड़ता है। यही वजह है कि जिस एरिया में मोबाइल टावरों की संख्या अधिक होती है, वहां पक्षियों की संख्या कम हो जाती है। ग्रामीण अंचल में इसी वजह से मधुमक्खियां समाप्त हो गई हैं।
किस एरिया में नुकसान सबसे ज्यादा?
एक्सप‌र्ट्स की मानें तो मोबाइल टावर के 300 मीटर एरिया में सबसे ज्यादा रेडिएशन होता है। एंटेना के सामनेवाले हिस्से में सबसे ज्यादा तरंगें निकलती हैं। जाहिर है, सामने की ओर ही नुकसान भी ज्यादा होता है। मोबाइल टावर से होने वाले नुकसान में यह बात भी अहमियत रखती है कि घर टावर पर लगे ऐंटेना के सामने है या पीछे। टावर के एक मीटर के एरिया में 100 गुना ज्यादा रेडिएशन होता है। टावर पर जितने ज्यादा एंटेना लगे होंगे, रेडिएशन भी उतना ज्यादा होगा।
रेडिएशन से ये होते हैं नुकसान
- थकान
- अनिद्रा
- डिप्रेशन
- ध्यान भंग
- चिड़चिड़ापन
- चक्कर आना
- याद्दाश्त कमजोर होना
- सिरदर्द
- दिल की धड़कन बढ़ता
- पाचन क्रिया पर असर
- कैंसर का खतरा बढ़ जाना
- ब्रेन ट्यूमर
टावर लगाने के ये हैं नियम
- छतों पर सिर्फ एक एंटीना वाला टावर ही लग सकता है।
- पांच मीटर से कम चौड़ी गलियों में टावर नहीं लगेगा।
- एक टावर पर लगे एंटीना के सामने 20 मीटर तक कोई घर नहीं होगा।
- टावर घनी आबादी से दूर होना चाहिए।
- जिस जगह पर टावर लगाया जाता है, वह प्लाट खाली होना चाहिए।
- उससे निकलने वाली रेडिएशन की रेंज कम होनी चाहिए।
- कम आबादी में जिस बिल्डिंग पर टावर लगाया जाता है, वह कम से कम पांच-छह मंजिला होनी चाहिए।
- टावर के लिए रखा गया जेनरेटर बंद बॉडी का होना चाहिए, जिससे कि शोर न हो।
- जिस बिल्डिंग की छत पर टावर लगाया जाता है, वह कंडम नहीं होनी चाहिए।
- दो एंटीना वाले टावर के सामने घर की दूरी 35 और बारह एंटीना वाले की 75 मीटर जरूरी है।
- मोबाइल कंपनियों को अभी लगे टावरों से उत्सर्जित विकिरण को 90 फीसद तक कम करना होगा।
- निर्देशों का उल्लंघन करने वाले पर 5 लाख रुपए प्रति टावर जुर्माना है।
बोलते हैं आंकड़े
-2010 में डब्ल्यूएचओ की एक रिसर्च में खुलासा हुआ कि मोबाइल रेडिएशन से कैंसर होने का खतरा है।
-हंगरी में साइंटिस्टों ने पाया कि जो बहुत ज्यादा सेलफोन इस्तेमाल करते थे, उनके स्पर्म की संख्या कम हो गई।
-जर्मनी में हुई रिसर्च के मुताबिक जो लोग ट्रांसमिटर ऐंटेना के 400 मीटर के एरिया में रह रहे थे, उनमें कैंसर होने की आशंका तीन गुना बढ़ गई। 400 मीटर के एरिया में ट्रांसमिशन बाकी एरिया से 100 गुना ज्यादा होता है।
-केरल में की गई एक रिसर्च के अनुसार मोबाइल फोन टावरों से होनेवाले रेडिएशन से मधुमक्खियों की कमर्शियल पॉपुलेशन 60 फीसदी तक गिर गई है।
मोबाइल टावर लगाने के लिए कई कंपनियों की एप्लीकेशन जीडीए के पास आई है। इसके लिए निरीक्षण किया जा रहा है, जो सही होगा उसी को परमिशन दी जाएगी।
हरिचरण, सचिव, जीडीए
मोबाइल टावर सेफ जोन में लगे होने चाहिए। टावर से निकलने वाला रेडिएशन से इंसान तो इंसान, जानवरों पर भी बुरा असर पड़ता है।
प्रो। बीएस राय, एचओडी ईसीई, एमएमएमयूटी
मोबाइल टावर के रेडिएशन से डिप्रेशन, कैंसर जैसी कई बीमारियां होती हैं। ब्रेन ट्यूमर के केसेज बढ़ने के पीछे मोबाइल टावर का रेडिएशन ही जिम्मेदार है। यूजर्स को मोबाइल का कम से कम प्रयोग करना चाहिए।
डॉ। रणविजय दूबे, न्यूरोलॉजिस्ट
https://www-inextlive-com.cdn.ampproject.org/v/s/www.inextlive.com/lite/mobile-towers-are-a-threat-to-health-87580?usqp=mq331AQFKAGwASA=&fbclid=IwAR2J7KddTdaiDnFE5W37Tc2s33gZq12GXBLO-SFUApx5QhFrJRXHTZYL_-8&amp_js_v=0.1#aoh=15866920628016&amp_ct=1586692087728&referrer=https%3A%2F%2Fwww.google.com&amp_tf=From%20%251%24s&ampshare=https%3A%2F%2Fwww.inextlive.com%2Fmobile-towers-are-a-threat-to-health-87580

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