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Showing posts from October, 2016

सन-1971 में पाकिस्तान के दो ही टुकड़े क्यूँ हुए, इस देश के पांच टुकड़े नही हो पाने के क्या कारण थे?

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◆ मित्रों, सन १९७१ में पाकिस्तान के दो देशों में बाँटने के दरम्यान, रूस ने हमें हथियारों एवं उनके स्पेयर पार्ट्स का सप्लाई किया था लेकिन रूस ने पाकिस्तान के और दो-तीन टुकड़े करने में हमारा साथ इसीलिए नहीं दिया था क्योंकि अगर पाकिस्तान खतम हो जाता तो वो हथियारों की सप्लाई हमें फिर क्यों करता? क्यूंकि पाकिस्तान के खत्म हो जाने के बाद भारत के साथ युद्ध करने वाला एक देश खत्म हो जाता, इसके साथ साथ उस समय के युद्ध में पाकिस्तान अगर सऊदी अरब से मदद मांगता जिससे रूस कई तरह से संधियों में बंधा हुआ देश था, तो उस समय रूस किसी भी कीमत पर मदद नहीं कर सकता था. . अगर रूस ने उस समय हमें मदद की होती ना, तो पीओके(पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) जो आज पाकिस्तान का हिस्सा है, उसे भी हिन्दुस्तान में वापस लिया जा सकता था. लेकिन ऐसा नहीं हो सका, क्यूंकि हमें हथियारों के लिए विदेशी संस्थाओं का मुंह ताकना पड़ता था.  . ये भी ध्यान रखना चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई देश पहले अपना सोचता है, वहां कोई भाईचारा नहीं होता, केवल संधि होती है, अब ये संधि आपके अपने देश के फायदे के लिए हो या नुक्सान के लिए, संधि हमेश

भारत के वर्तमान पेटेंट क़ानून और बिकने वाली दवाओं एवं उनके कंपनियों का सम्बन्ध

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★ हमारे देश में एक ही कम्पोजीशन वाली दवाएं अलग अलग नामों से बेचीं जाती हैं एवं दावा कंपनियां घनघोर मुनाफा कमा रहीं हैं, इससे बीमार लोगों को कोई ख़ास स्वास्थ्य लाभ नहीं होता एवं लोग असमय ही काल कवलित हो जाते हैं ं स्थिति १९७० के पहले वाली ही होने जा रही हैं, जब काफी बड़े पैमाने पर लोग बीमारियों से मर जाते थे. https://www.youtube.com/watch?v=VOSzvaQQKWU एक ही कम्पोजीशन की दवाइयों को उनके ओरिजिनल नाम से बची जानी चाहिए, ना कि उनके ब्रांड नाम के द्वारा. . ★ इस देश में नए पेटेंट क़ानून का मतलब ये है कि नयी स्वदेशी कंपनियां यहाँ मार्केट में कोई इनोवेशन नहीं का सकतीं हैं, जिन कंपनियों के नाम पर पेटेंट है, वही कर सकतीं हैं. . ★ मान लीजिये कि कोई आयुर्वेदिक कंपनी किसी आविष्कार द्वारा सामान कम्पोजीशन के उत्पाद को यहाँ बेचा और किसी विदेशी कंपनी ने अगर उस आयुर्वेदिक कंपनी को अपने पेटेंट को चुराने का आरोप लगा दिया तो उस आयुर्वेदिक कंपनी के ऊपर पेटेंट के अवहेलना का केस चलेगा और reversal of burden of proof के तहत उन आयुर्वेदिक कंपनियों को अपने अपने उत्पाद का प्रोडक्शन बंद करना पड़ेगा. जब तक केस का अ

Nations are convincing citizen - let us have nuclear war !! How? Is this possible?

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Many nations are convincing their citizen to save their lives and survive in case of Nuclear War, so that let us have nuclear attack in guise of nationalism and get killed or live a nuclear-genetic-deceased life throughout your next generations. Be it Russia or India.    . People involved in anti national activities and anti-human activities should be assembled and nucleated in assembly hall itself. . Why we commons have to face this disaster because of few bunches of white dogs? . All such news in which people are being trained for nuclear safety in case of nuclear attack is all about to convince us to let us have nuclear attack on us so that mass can be wiped out of this earth, else live life with major physical deficiencies.. . Even if you hide in 200 ft deep cave then also, people need some medicine tablets to save only few of hormonal gland from infected air and moisture. . And what about food, water, fishes , goats etc species survive on nature, and by getting them

आशारामजी बापू के खिलाफ षड्यंत्र

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★दिल्ली में रिपोर्ट लिखवाने का कारण वहाँ का कठोर "पौक्सो क़ानून" तो नहीं?? . ★मीडिया ने वही किया जिसके लिए वो कुख्यात है ..लेकिन आसाराम बापू की इतनी मानहानि तो हमारे ही लोगों ने करी है ...जबकि दुसरे शंकराचार्य के मामले में भी हम देख चुके हैं ...अगर वो हत्या नहीं कर सकते तो शायद आसाराम बापू भी वो नहीं कर सकता जिसका लांछन लगा है ...पर सत्य अब शीघ्र ही आना चाइये ... वैसे भी हमारा सिस्टम कोर्ट ऑफ़ जस्टिस नहीं है ...कोर्ट ऑफ़ लॉ है  :/ . ★कुछ दिनों पहले दैनिक भास्कर में समाचार छपा था कि AIIMS में चेक-अप के समय आसाराम बापू ने किसी नर्स को देखकर कोई भद्दा कमेन्ट किया था... फेसबुक पर बहुत से मित्रों ने उस खबर को लेकर आसाराम बापू की खूब खिल्ली भी उड़ाई थी... बाकायदा वह भद्दा कमेन्ट लिखकर पोस्ट भी किया था. अब AIIMS की तरफ से लिखित में बयान आ गया है, कि दैनिक भास्कर में छपी वह खबर गलत है... आसाराम बापू ने किसी नर्स से ऐसा कुछ नहीं कहा था, ना ही नर्सिंग स्टाफ ने उनके खिलाफ कोई मौखिक या लिखित शिकायत की... . अखबार समाजहित के लिए निकाले जाते थे, लेकिन आजकल ये शुद्ध व्यापार है ==============

अगर यूनिफार्म सिविल कोड में तलाक का क़ानून मुसलमान लोगों के तलाक के क़ानून कि तरह आसान बना दिया जाए तो क्या भारत खत्म कर दिया जाएगा?

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अगर लाये जाने वाले यूनिफार्म सिविल कोड के अंतर्गत अगर तलाक को मात्र पांच बार पांच व्यक्तियों के सामने उच्चारण करके तलाक दिए जाने को आसान बनाया गया तो ये होगा- . १) हिन्दू इसाई बनेंगे या मुसलमान, काफी लोग मुसलमान या इसाई बनने को मजबूर कर दिए जायेंगे. . २) अधिकतर उच्च शिक्षित महिलाएं शादी नहीं करेंगी या विदेशो में जा के सेटल हो जाएंगी. . ३) अधिकतर गरीब एवं निम्न-माध्यम वर्गीय घरों के लोग जो उच्च शिक्षा पाने को इतना आसान नहीं बना सकते वे इस धर्मांतरण एवं परिवार-तोडू व्यवस्था की चक्की में पिसने को मजबूर कर दिए जाएंगे. . ४) विशिष्ट वर्ग में व्याभिचार को धर्म बना दिया जाएगा एवं ये सभी जातियों में होगा, शर्त केवल इतना होगा कि उनके पास पर्याप्त धन कि व्यवस्था हो, परिवार जाए भाड़ में. जो काम पहले समाज में लुक-छिप कर किये जाते थे, अब उन कार्यों को कानूनी बना दिया जाएगा. . महिलाओं के अविवाहित रहने को बढ़ावा मिलेगा और क्यों न मिले भला, उन्हें भी अमन चैन से जीने का अधिकार प्रकृति प्रदत्त है, जो भारतीय क़ानून के अंतर्गत संभव ही नहीं, अब यूनिफार्म सिवि