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Showing posts from January, 2018

हमारा बिगड़ा हुआ इतिहास, दंगे-फसाद और समाधान

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 मलेशिया एक मुस्लिम बहुल राष्ट्र है जिसका इस्लाम राष्ट्रीय धर्म है। इसके बाद भी संजय भंसाली की 'पद्मावत' मूवी को बैन कर दिया गया है। मलेशिया के सेंसर बोर्ड ने इस विवादित फ़िल्म को, 'नॉट रेलेवेंट'( अप्रसांगिक) टिप्पणी के साथ, 'नॉट एप्रूव्ड लिस्ट'(अस्वीकृत श्रेणी) में डाल दिया है। मलेशिया की सेंसर बोर्ड की नॉट रेलेवेन्ट टिप्पणी का आशय यह होता है 'यह फ़िल्म समाज मे, समुदायों के बीच घृ णा व असहजता फैलायगी'।  http://www.firstpost.com/entertainment/padmaavat-banned-in-malaysia-by-countrys-censor-board-as-it-hurts-sensitivities-of-islam-4325809.html 62% मुस्लिमो का इस्लामिक राष्ट्र मलेशिया यह समझता है लेकिन भारत की धर्मनिर्पेक्षिता नही समझती है। यहां तो सेंसर बोर्ड से लेकर सर्वोच्च न्यायलय तक, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर सब बेचने और बिकने को तैयार है, आखिर यह भी तो अभिव्यक्ति की उनकी स्वतंत्रता है, भले ही भारत और उसके हिन्दू का मान लोगो के उपहास और कटाक्ष की ज्वाला में जले तो जले।  पाकिस्तान में भारतीय सेंसर बोर्ड को ठेंगा दिखाकर भंसाली ने बिना क

शाकाहार हिंदुत्व और नित्य-व्रत

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Vinay Jha https://www.facebook.com/vinay.jha.906 मनुष्य शाकाहारी परिवार प्राइमेट्स से निकला है । अतः फल और सब्जियाँ मनुष्य का प्राकृतिक आहार है । जितना कम पकाया जाय या बिल्कुल न पकाया जाय उतना अच्छा । यदि टमाटर त्याग दें (जो विदेशी मूल का है, संस्कृत में इसके लिए शब्द नहीं है) तो वैदिक यज्ञ के अनुसार फल और सब्जियाँ "हविष्यान्न" के अन्तर्गत आती हैं , बशर्ते गाय के दूध-घी के अलावा भैंस का दूध-दही-घी और कोई भी नमक-तेल -मिर्च-मसाला भी त्याग दिया जाय । तब ऐसा भोजन जप-तप सहित किया जाय तो यज्ञ के तुल्य फल देता है और ग्रहशान्ति में सहायक बनता है , बशर्ते स्वयं पकाएं और दूषित संस्कारों वाले व्यक्ति को चूल्हा न छूने दें । अरवा चावल, मसूर के सिवा अन्य दालें, गेंहूँ या जौ का आटा , आदि भी हविष्यान्न के अंतर्गत आता है । बिना बाहरी जल दिए धीमी आँच पर सब्जी इस तरह पकाई जाय कि भाप कम से कम बाहर जाय तो स्वाद नष्ट नहीं होता । यदि ऐसे खेत की सब्जी और चावल आपको उपलब्ध हो सके जिसमें कभी भी कृत्रिम खाद नहीं पड़ा हो तो ऐसा स्वाद और सुगन्ध मिलेगा जो किसी मसाले में सम्भव नहीं है , साथ ही भरप

आर्थिक-संकल्प-एवं-जमा-बीमा बिल(FRDI)-२०१७ की समस्या एवं समाधान

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आर्थिक-संकल्प-एवं-जमा-बीमा बिल; ऍफ़ आर डी आई बिल अर्थात फाइनेंसियल रेजोलुशन एंड डिपाजिट इन्शुरन्स बिल-२०१७. का क्लॉज़-52 पढ़ें. ये बेल-इन का क्लॉज़ है. भारत का 63% पैसा सरकारी बैंक में और 18% पैसा प्राइवेट बैंक में जमा है.  विवाद इस बिल के चैप्टर चार के सेक्शन-दो को लेकर भी है, जिसके तहत एक रेजोलुशन कार्पोरेटर से सलाह मशविरे के बाद ये तय किया जाएगा कि दिवालिया बैंक के जमाकर्ता को जमा पैसे के बदले कितनी रकम दी जाये. ये लोग तय करेंगे कि जमाकर्ता को ख़ास रकम मिले या खाते में पूरा पैसा वापस दे दिया जाए.  मित्रो, कुछ एक महीनो से इस बिल के ऊपर काफी चर्चाएं हुईं हैं, सोशल मीडिया पे भी खूब छाया रहा ये मुद्दा. इस समय हमारे देश में बैंको में Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation Act-1961 लागू है, जिसके अंतर्गत जमाकर्ता को एक लाख तक की सरकारी गारंटी है. अर्थात यदि बैंक दिवालिया घोषित हो जाता है तो सम्बंधित बैंक के हर उस खाताधारक को जिसकी रकम एक लाख रुपये से ज्यादा जमा है, उसे एक लाख रुपये तक रकम मिलेंगे ही. इसका मतलब ये है कि एक लाख से ज्यादा किसी जमाकर्ता का कितना भी बड़ा राशि क्य