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Showing posts from June, 2018

भाजपा का रोजा

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Vinay Jha 17 May  ·  https://www.facebook.com/vinay.jha.906/posts/1920601447951150 रमजान के दौरान भाजपा सरकार आतंकियों के विरुद्ध रोजा रखेगी | भाजपा प्रवक्ता का कहना है कि आतंकी गुण्डे "यदि" गोली नहीं चलाएंगे, तभी सेना उनपर गोली नहीं चलायेगी | आतंकियों के समर्थन में मजहब के नाम पर जो मुल्ले युवकों को पत्थरबाजी के लिए उकसाते हैं उनके लिए यह निर्णय है, ताकि कश्मीरी युवक पहचान सके कि ये मुल्ले रमजान में कैसा रोजा चाहते हैं | किन्तु सेना के विशेषज्ञ भी खुलेआम नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं, कहते हैं कि आतंकियों के विरुद्ध सेना की आल-आउट मुहम को बीच में ही तोड़ा जा रहा है, इस तरीके से सरकार करेगी तो आतंकवाद कभी भी समाप्त नहीं होगा | घाटी में आतंकियों के पाँव उखड़ने लगे थे तो एक तरफ पत्थरबाजों को रिहा किया गया और दूसरी तरफ सेना के हाथ बांधें जा रहे हैं ताकि आतंकियों को सँभलने और नयी तैयारी करने का अवसर मिले | एकतरफा सीज-फायर का अर्थ यह है कि पहले भारतीय सैनिकों को गोली खाने तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी, गोली खाने के बाद ही सैनिक गोली चला सकेंगे !! इस तरह आतंकियों स

भृगु संहिता :--

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Vinay Jha 6 June at 05:56  · https://www.facebook.com/vinay.jha.906/posts/1940562242621737 मैकॉले के मानसपुत्रों के अनुसार पाँच हज़ार वर्ष पहले भारतीय संस्कृति के प्रथम बीज पड़े थे, क्योंकि बाइबिल को मानने वालों का कहना है कि ईसापूर्व 4004 में गॉड से सृष्टि रची थी | ये लोग भारत के प्राचीनतम ग्रन्थों का काल ईसापूर्व तीन हज़ार वर्षों तक अथवा उससे भी कम ले जाते हैं | ऐसी बुद्धि रखने वाले लोग भृगु ऋषि का ज्ञान कितना समझ सकते हैं और कितना सुरक्षित रख सकते हैं ? भृगु संहिता के नाम पर भारत के अनेक भागों में दावे किये जाते रहे है जिनमें से अधिकाँश फर्जी हैं | जो सही भी हैं वे गलत हाथों में हैं | भारतीय पंजाब के होशियारपुर शहर में रेलवे मंडी है जहाँ पश्चिमी पंजाब से विभाजन के समय ट्रक पर लादकर अन्य ग्रंथों के सहित भृगु संहिता लायी गयी थी | भृगु संहिता मेरे पास भी है | उत्तर प्रदेश के देवरिया में भी एक परिवार दावा करता है | कोई मूर्ख ही कह सकता है कि भृगु संहिता में ज्योतिष सम्बन्धी सारी बातें हैं | ज्योतिष के तीन स्कन्ध (भाग) हैं -- सिद्धान्त (गणित), होरा (कुण्डली का व

चित्त, धारणा-ध्यान-समाधि व मानसिक व्याधि

Vinay Jha 8 May  ·  --------------------------- . चित्त की वृत्ति का निरोध और मनोरंजन में विपरीत सम्बन्ध है | . अविद्या ही पुरुष में बहुत्व की भ्रामक माया का आभास कराता है | अविद्या असत है, इसका अस्तित्व वास्तव में है ही नहीं | एक ही पुरुष सहस्रशीर्षा सहस्राक्ष है, सहस्रों जीवों में आत्मरूपी होकर विद्यमान है | उसके बिना किसी की सत्ता संभव ही नहीं है | आत्म का पर म वही परमात्म तत्त्व है | आर्यावर्त का प्रमुख वेद है शुक्ल यजुर्वेद की माध्यन्दिन शाखा, जिसका अन्तिम यजु: कहता है कि "जो पुरुष आदित्य में है वही पुरुष मैं हूँ" | वेद का यह अन्तिम मन्त्र ही अद्वैत वेदान्त का आधार है | म्लेच्छों और उनके अनुचरों द्वारा स्थापित विषविद्यालय ऐसी बातों को विकृत करके गलत चीजें पढ़ाते हैं, जिनमें संस्कृत के वेतनभोगी प्राध्यापक भी पीछे नहीं हैं | शास्त्रीय परम्परा में वेद ही अन्तिम प्रमाण है, और वेद का दर्शन अद्वैत ब्रह्मवाद है | "पुरुष" का अर्थ शारीरिक लिंगभेद से मत निकालें | पुरुष का अर्थ है विशुद्ध चैतन्यता, पुण्य का पुंसत्व | इसमें बहुत्व तभी सम्भव है जब कई प्रकार के