भृगु संहिता :--


Vinay Jha
ऋषियों की रचनाएं सबके लिए होती है, किसी एक परिवार के लिए ऋषि नहीं लिखते थे |  मेरा भी अपना परिवार नहीं है, कल मेरी रचनाओं को ऐसे ही दुष्ट अपनी निजी सम्पत्ति घोषित कर देंगे |
बौद्धिक सम्पदा की तुलना भूमि या इमारत से नहीं की जा सकती | और यदि करेंगे भी तो पहले ताजमहल को मुगलों के वर्तमान वंशजों की निजी सम्पत्ति घोषित कर दो , मैं तो उसे राष्ट्रीय धरोहर के लायक नहीं समझता

केवल अपने परिवार के किसी व्यक्ति द्वारा रचित पाण्डुलिपि पर कोई अपना निजी अधिकार जता सकता है, वह भी सीमित काल तक | क़ानून को लागू करने में सरकार सख्ती नहीं बरत रही है | बौद्धिक सम्पदा यदि प्राचीन काल की है और किसी एक वंश तक सीमित नहीं है तो स्वाभाविक रूप से राष्ट्रीय धरोहर है | 

रावण संहिता नवांश द्वारा फलकथन की सुन्दर पद्धति है किन्तु केवल नवांश द्वारा, जो ज्योतिष का छोटा सा हिस्सा है.


लोकसभा चुनाव के नतीजे भृगु संहिता से नहीं निकाले जा सकते, भृगु संहिता में केवल बनी-बनायी व्यक्तिगत कुण्डलियाँ रहती हैं | नेताओं की भविष्यवाणी संभव है, यदि उनकी सही कुण्डलियाँ बनी हों तब | जिनका व्यक्तिगत पुण्य अधिक होता है वे कम अध्ययन द्वारा भी सही फल कह सकते हैं, जो लोभी और पापी हैं वे कितना भी पढ़ लें सही फल नहीं कह पाते , हालाँकि पैसे के बल पर प्रचार करा लेते हैं | काशी का सबसे प्रसिद्ध ज्योतिषी लक्ष्मण दास (हलवाई) है जिसे कुछ नहीं आता है, मुट्ठी भर साधारण ब्राह्मण ज्योतिषियों को बिठा रखा है और विज्ञापन द्वारा लोगों को आकर्षित करता है |

त्रिकालदर्शी सर्वज्ञ बनना है ? तब तो ईश्वर ही बनना पडेगा | सम्पूर्ण ज्योतिष केवल वे ही जानते हैं .


मुस्लिमों की "लाल किताब" आधारित तो मूलतः वैदिक ज्योतिष पर ही है, म्लेच्छ स्वयं दिव्य विद्याएँ खोज ही नहीं सकते, किन्तु चोरी करने का भी हुनर नहीं था (क्योंकि कोई भी अच्छा ज्योतिषी उनको सिखाने के लिए तैयार नहीं होता जिस कारण लालची और मूर्ख पण्डितों से सीखा), इतना विकृत कर दिया कि अब उसमें कितना भूसा है और कितना चावल यह छाँटने में जीवन बीत जाएगा |

Comments

  1. आदरणीया बहन,बहुत सारी भ्रांतियां डोर कर दीं आपने।इससे लोगों को बेहद लाभ हुआ।जिस तरह आपने सार तत्व प्रस्तुत किया है ज्योतिष का,बेहद मूल्यवान है।अनेक आभार,धन्यवाद।

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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.

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