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Showing posts from December, 2016

प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्रमोदी जी का सन २०१६ का अंतिम संबोधन में घोषित योजनाएं क्या पिछली योजनाओं का कॉपी-पेस्ट नहीं थीं?

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भारत के माननीय प्रधानमन्त्री श्री नरेन्द्रमोदी जी का सन २०१६ साल का राष्ट्र के नाम अंतिम संबोधन में देश के लिए नया क्या और पुराना क्या था?  सन २०१६ का अंतिम संबोधन में घोषित योजनाएं, पिछली योजनाओं का कॉपी-पेस्ट नहीं थीं? . प्रधानमंत्री का राष्ट्र को सम्बोधन, नोटबंदी की विफलता के प्रच्छन्न स्वीकार के सिवा क्या था?  जो उद्देश्य उन्होंने 8 नवम्बर को घोषित किए थे, उनकी क्या उपलब्धियों का क्या हुआ? कितना काला धन मिला, पाकिस्तान पोषित आतंकवाद पर कितनी नकेल लगी?  देश को कोई जानकारी नहीं देंगे? नागरिकों ने जो अत्याचार भोगा, जो मौतें हुईं, उन पर किसी समवेदना का इज़हार भी नहीं? घर ख़रीदने, जनन, वरिष्ठ नागरिकों की बचत पर मामूली रियायत आदि तो अरुण जेटली अपने बजट में ही समेट लेते! . कांग्रेसी वित्तमंत्री जिन टोटकों की कभी बजट भाषणों में जुगाली करते थे, वड़ा प्रधान वर्ष की ढलती घड़ियों में उसी अन्दाज़ में देशवासियों के समक्ष उथला गए। पूरे पौन घंटे। क्या दुस्साहस है, क़सम से। . प्रधानमंत्री के पास नोटबंदी को सही ठहराने के लिए कोई तथ्य नहीं था, इसलिए बस सामान्य बातें दोहराने के अलावा कोई उपाय

निर्भया - किसे परवाह है !!!

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निर्भया के मुख्य आरोपी जिसे नाबालिग बताया जा रहा था,  की अपराध के समय उम्र 17 वर्ष और कुछ माह थी। उसकी वास्तविक उम्र को लेकर संदेह बना हुआ था और यह माना जा रहा थ ा कि वह 18 वर्ष पूरे कर चुका है। किन्तु उसकी जन्म तारीख को सुनिश्चित करने के लिए मार्क शीट को आधार बनाया गया, क्योंकि मौजूदा क़ानून इसी प्रकार से है। बोन-टेस्ट करके उसकी वास्तविक आयु का निर्धारिण किया जा सकता था। लेकिन मोदी साहेब ने साफ़ इंकार कर दिया कि जुवेनाइल का बॉन टेस्ट किसी भी सूरत में नहीं लिया जाएगा। अत: उन्होंने आयु निर्धारण के लिए बोन-टेस्ट के क़ानून को पास करने से मना कर दिया। . सोनिया और केजरीवाल ने भी इस मामले में मोदी साहेब का समर्थन किया कि 'अशरफ अली' (छद्म नाम ) का बोन-टेस्ट किसी भी सूरत में नहीं किया जाना चाहिए। मोदी-सोनिया और केजरीवाल को यह शंका थी कि बोन-टेस्ट में यदि अशरफ वयस्क पाया गया तो उस पर आईपीसी की धारा 302 के तहत मुकदमा चल जाएगा और उसे निश्चित रूप से फांसी होगी। . http://timesofindia.indiatimes.com/…/articlesh…/18280306.cms . अशरफ की माँ ने बताया कि "उन्हें बच्चे के जन्म की तिथि ठीक से य

Significance of idol-worship in spirituality

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What is the significance of idol-worship in spirituality? Just imagine there are no idols at all in this country, no temples, no photographs, no paintings, the entire mankind would have been in big loss. Just imagine, there were no sculpture, you would never had known how the people of past have looked. Just imagine, there was no Michale Angelo, no Ravi-Verma there were no painting of any sorts, this world would be such a dull place. Similarly, imagine the world without any dance any music or any festivity you know the people who systematically attack the values of the society or the culture of the country they are some mischief. They say you just put all ashrams into one basket and sit hopeless, simply all temples are looting money; what do these(people exposing the mischives) do? What do the bollywood do? Each of those actors come and sneeze in front of camera and take crores of rupees. For big advertisement they just come and sneeze two times for which they take 2-3 cror

मैकॉले के बच्चे एवं रामायण की कहानी, सीखें कि हिंदुत्व का मजाक बनाने वाले को क्या जवाब दें.

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होशियार बच्चा और रामायण की कहानी~  अखिल भारत हिन्दू महासभा .................. . अध्यापक :- बच्चों रामचंद्र जी ने समुद्र पर पुल बनाने का निर्णय लिया  पप्पू :- सर मैं कुछ कहना चाहता हूँ.  अध्यापक :- कहो बेटा पप्पू :- रामचंद्र जी का पुल बनाने का निर्णय गलत था. अध्यापक :- वो कैसे पप्पू :- सर, उनके पास हनुमान थे जो उडकर लंका जा सकते थे, तो उनको पुल बनाने की कोई जरूरत नहीं थी. अध्यापक :- हनुमान ही तो उड़ना जानते थे बाकी रीछ और वानर तो नहीं उडते थे.  पप्पू :- सर वो हनुमान की पीठ पर बैठ कर जा सकते थे. जब हनुमान पूरा पहाड़ उठाकर ले जा सकते थे, तो.....  अध्यापक :- भगवान की लीला पर सवाल नहीं उठाया करते नालायक  पप्पू :- वैसे सर एक उपाय और था. अध्यापक :- (गुस्से में ).....क्या ?  पप्पू :- सर, हनुमान अपने आकार को कितना भी छोटा बड़ा कर सकते थे जैसे सुरसा के मुंह से निकलने के लिए छोटे हो गये थे और सूर्य को मुंह में लेते समय सूर्य से भी बडे.......... तो वो अपने आकार को भी तो समुद्र की चौडाई से बड़ा कर सकते थे और समुद्र के ऊपर लेट जाते और सारे बन्दर हनुमान जी की पीठ से गुजरकर लंका पहुंच

भारत में पुलिस-व्यवस्था किसकी रक्षा करती है?

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आम जनता जिनका सम्बन्ध किसी राजनैतिक घरानों व उनके दबंगों से नहीं है, के मन में, भारतीय पुलिस व्यवस्था के बारे में निम्नलिखित तीन सवाल तो उठते ही होंगे कि :- a) - क्या पुलिस व्यवस्था सत्ता एवं उसके नुमाइंदों की रक्षा के लिए है ? b) - क्या पुलिस व्यवस्था नागरिकों को गुलाम बनाने व आवाज दबाने के लिए है ? c) - क्या पुलिस व्यवस्था को सुधारने का कोई उपाय है?(इस लेख का तारांकित हिस्सा(★ समाधान ?) पढें) ....... उत्तर = a-b-c हाँ। कैसे ? . बात ये है, कि हमारे देश में पुलिस की कार्य-प्रणाली इंडियन पुलिस एक्ट के द्वारा नियंत्रित होती है, जिसका अस्तित्व 1860 में आया. 1860 में इंडियन पुलिस एक्ट बनाया गया | 1857 के पहले अंग्रेजों की कोई पुलिस नहीं थी इस देश में लेकिन 1857 में जो विद्रोह हुआ उससे डरकर उन्होंने ये कानून बनाया ताकि ऐसे किसी भी तरह के विद्रोह या क्रांति को दबाया जा सके | अंग्रेजों ने इसे बनाया था भारतीयों का दमन और अत्याचार करने के लिए | 1857 की महाक्रान्ति के बाद अंग्रेजों ने पुलिस व्यवस्था को खड़ा किया जिससे उसकी सत्ता 90 वर्ष तक चलती रही यदि देश में अंग्रेजों का विरोध होता था त

gold standard VS value of money

Traditionally, the gold standard has been used to tie the value of money to something more constant and stable than the capricious desires of government officials. Such an impersonal protection is needed to restrain the actions of those who hold a legal monopoly on the creation of money. Under the gold standard, the quantity of the money supply is independent of the policies of government bureaucrats and politicians. Gold represents value uncontrolled by government. The gold standard takes decisions regarding the quantity of money out of the hands of politicians. Making paper money redeemable in gold keeps the government from arbitrarily increasing the money supply. Not only does full redeemability of the currency unit restrict government power, it also supports public confidence in money, allows market forces to work, and protects citizens from disguised taxation through monetary inflation. The gold standard provides a market-based medium of exchange and stable monetary system t

काला धन व सफ़ेद धन के खेल के पीछे सरकार की नियत

काला धन व सफ़ेद धन तो चंद शब्द हैं, जिसके पीछे वे लोग, माध्यम वर्ग को गरीब बनाकर रखेंगे और जिनके पास काला धन होगा, घूस का पैसा होगा, उसका कुछ नहीं होगा, यही रिजल्ट होगा, आप देखना. !!  पैसा काला या सफ़ेद नहीं होता है, मान लीजिये कि मेरे घर के बच्चों ने मार्केट गए और किसी छोटे दुकानदार के यहाँ से कुछ खरीद लिए. अब उस दुकानदार ने अगर टैक्स नहीं चुकाया तो मेरा ही सफ़ेद पैसा उसका काला पैसा हो गया, अब वही दुकानदार मान लीजिये सिनेमा देखने के लिए गया, और अब वही काला पैसा अब सफ़ेद पैसा बन जाता है.  इस तरह से छोटे व्यापारियों का काला पैसा कहीं रखा नहीं रहता, उसका काफी हिस्सा बाजार में निरंतर घूमता रहता है.  . अब आते हैं, इन राजनीतिज्ञों एवं उनकी पार्टियों कि तरफ, इनका म ुख्य लेन देन धनपतियों, बड़े बड़े उद्योगपतियों एवं बिल्डर्स तथा real-एस्टेट के मालिकों के साथ जमीनों, सोने-जवाहरातों एवं अन्य लाभांशों में हुआ करता है. इन पार्टियों एवं नेताओं कि फंडिंग नब्बे प्रतिशत तक इन्हीं तरीकों से होतीं हैं. . अगर भारत कि कोई भी सरकार काले धन पे रोक लगाने का इरादा रखती है सच्चे मायनों में तो इन नाओं और अपने स्वय