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Showing posts from February, 2017

104 का दम

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★ISRO का एक महत्वपूर्ण उपकरण PSLV-C-37 के सोलर पैनल में पॉवर उत्पादान ्तथा आंकड़े इकट्ठे करने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण एवं चिप् इस्रैइल एवं यूरोप ने बनाए हैं, जो  रिमोट से नियंत्रित होने में सक्षम हैं. इन उपकरणों में पीजोइलेक्ट्रिक जैसी मूलभूत सिधान्तों पर अनुसंधान करके ही अत्याधुनिक चिप एवं अन्य क्रिटिकल उपकरण निर्मित होते हैं, लेकिन हमारे देश में मूलभूत सिद्धांत/भौतिकी पर कोई अनुसंधान नहीं होता. यहाँ हर प्रकार के अनुसन्धान के क्षेत्र में काफी विषमताएं हैं एवं क्षेत्र भी काफी सीमित हैं. ◆जानकारी के लिए देखें-  goo.gl/g5GX2w अतः हमारे देश के नीति-नियंताओं एवं सरकारों को उन देशों की ही शर्तों के अनुसार कार्य करना होता है. समाचारों में उन्ही पक्षों को दर्शाया जाता है, जिससे जनता को लगे कि हाँ, सरकारों ने उन संधियों से कुछ हासिल किया, लेकिन ये हासिल किन किन तरह के कीमतों पर हुआ, इसके बारे में किसी सरकार ने कुछ नहीं बताया. ऍफ़ डी आई से यहाँ आने वाली विदेशी कंपनियां कभी भी हमें अपना तकनीक नहीं देतीं हैं. हमारे देश के नेताओं ने नीति निर्धारण में अगर इन देशों की संधि शर्तों एवं अन्य कई प्रकार

शिवलिंग के ऊपर लगाए जाने वाले आक्षेपों का खंडन

आक्षेप : क्या शिवलिंग घृणित नहीं है? किसी महिला के निजी अंग (योनि) पर रखे एक पुरुष के निजी अंग की पूजा महिलाओं द्वारा करना और उस पर दूध चढ़ाना! कितना अश्लील है! उत्तर : वास्तव में अश्लीलता तो तुम्हारे मन में है जो हर चीज में अश्लीलता खोजने को उतावला रहता है। खास तौर पर हिंदू प्रतीकों में, क्योंकि हिंदुओं को कोसने में तुम्हें वीडियो गेम खेलने से ज्यादा मज़ा आता है। शिव : शिव का अर्थ है कल्याण (सभी का)। दुनिया के किसी भी शब्दकोश में इसके लिए कोई समानांतर शब्द नहीं है। हिंदू सभी का कल्याण चाहते हैं। यही कारण है कि वे "ॐ नमः शिवाय" का जप करते हैं - जो सभी का कल्याण करता है, मैं उस परमपिता परमात्मा के समक्ष समर्पण करता हूँ। बिना किसी भेदभाव के, सभी के कल्याण की प्रार्थना हिन्दू धर्म के अतिरिक्त किसी अन्य विचारधारा में नहीं पाई जाती। लिंग: लिंग का अर्थ है चिन्ह। जैसे स्त्रीलिंग का अर्थ है कोई ऐसी वस्तु जो स्त्रीरूप में कल्पित की जा सके। अब वह एक वास्तविक महिला भी हो सकती है या कोई ऐसी वस्तु जो स्त्री रूप में सोची जा सके। उदाहरण के लिए, नदी, लता आदि। इसी तरह पुल्लिंग उसे कह

अन्य सम्प्रदाय के धर्म-ग्रंथों में हिन्दू एक अवैध धर्म है, सेक्युलर लोग क्या इस सच से मुंह मोड़ चुके हैं?

अन्य सम्रदाय के धर्म-ग्रंथों में हिन्दू धर्म एक अवैध धर्म है, सेक्युलर लोग क्या इस सच जानते समझते हैं? सेक्युलर सोच के वाहक लोग, अपने आप को सत्य के पारखी बतलाते हैं, लेकिन इस सत्य से वाकिफ नहीं हैं कि धर्म क्या है और सत्य क्या है? इन सेक्युलर लोगों ने कभी अपने ही पुरातन धर्म ग्रंथों को पढने की चेष्टा नहीं कि, प्रचलित एवं मुट्ठी भर बिकाऊ विचारकों एवं लेखकों को पढ़कर मनगढ़ंत उल जलूल तर्क देते हैं, अपने सेक्युलर बनने को समर्थन दिलवाने के लिए. अपने सेक्युलर बनने से पहले एक बार अपना धर्म ग्रन्थ पढ़ कर तो देख लिया होता कि, आपसे शुरू होने वाली सोच के कारण आपका भविष्य किस और करवट लेगा. ऐसे लोगों को हिन्दू धर्म में अपने जन्म से नफरत है, तभी इस सत्य को अन्य मतावलंबियों में स्वीकार नहीं कर सकते हैं, की "हाँ, मैं हिन्दू हूँ. !!" क्या ये सेक्युलर इतने निर्बल हो गए है, कि अपनी पहचान तक छुपानी पड़ रही है?  सेकूलर अपने धर्म की रक्षा कर सकने में अक्षम हैं, इसी कारण से वे एक नए धर्म में मतांतरित हो चुके हैं, जिसका नाम सेकुलरिज्म है !!  कल को ऐसे कमजोर एवं डरपोक लोग, अपने माता-पिता के नाम तक

"सर्वधर्मसमभाव" बकवास है जो सम्प्रदाय को धर्म समझने वाले आधुनिक मूर्खों ने गढ़ लिया है.

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ब्रह्मा, विष्णु, महेश में बड़ा कौन है?  . उत्तर :-- यदि आप सही उत्तर बता दें तो क्या वह शान्तिप्रिय शरीफ आपके बताये सबसे बड़े हिन्दू देवता की पूजा करने लगेगा ? आप भी जानते हैं कि ऐसा नहीं होगा | धर्मशास्त्र में आदेश है कि शास्त्र का सही अर्थ जानने के लिए शंका करना और उसका निवारण करना शास्त्रार्थ है | जिनकी नीयत में खोट है उनसे शास्त्रार्थ करने की मनाही है | उसका मुँह बन्द करने के लिए दाम-दण्ड-भेद की आवश्यकता पड़ेगी, साम की नहीं | ये "शान्तिप्रिय शरीफ" लोग शान्ति और तर्क की बात नहीं समझ पाते | प्रश्न पूछने वाले के मन में स्वयं कोई जिज्ञासा नहीं थी, केवल दूसरे का मुँह बन्द करवाने की इच्छा थी, अतः इतना ही उत्तर पर्याप्त है, जो "तोल-मोल" कर दिया गया है | कौन देवता बड़ा है इस प्रश्न का उत्तर मेरे पिछले लेखों में पहले से है जो इन महाशय ने नहीं पढ़ा है | ******* ******* ******* अहंकार ही छोटा बनाता है, जो वास्तव में बड़ा होता है उसे बड़प्पन का अहंकार नहीं होता |  अहंकार तीन प्रकार के होते हैं -- तामसिक, राजसिक और सात्विक |  तामसिक अहंकार काम-क्रोध-लोभ-मोह आदि पापों