104 का दम

★ISRO का एक महत्वपूर्ण उपकरण PSLV-C-37 के सोलर पैनल में पॉवर उत्पादान ्तथा आंकड़े इकट्ठे करने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण एवं चिप् इस्रैइल एवं यूरोप ने बनाए हैं, जो रिमोट से नियंत्रित होने में सक्षम हैं. इन उपकरणों में पीजोइलेक्ट्रिक जैसी मूलभूत सिधान्तों पर अनुसंधान करके ही अत्याधुनिक चिप एवं अन्य क्रिटिकल उपकरण निर्मित होते हैं, लेकिन हमारे देश में मूलभूत सिद्धांत/भौतिकी पर कोई अनुसंधान नहीं होता. यहाँ हर प्रकार के अनुसन्धान के क्षेत्र में काफी विषमताएं हैं एवं क्षेत्र भी काफी सीमित हैं.
◆जानकारी के लिए देखें- goo.gl/g5GX2w
अतः हमारे देश के नीति-नियंताओं एवं सरकारों को उन देशों की ही शर्तों के अनुसार कार्य करना होता है. समाचारों में उन्ही पक्षों को दर्शाया जाता है, जिससे जनता को लगे कि हाँ, सरकारों ने उन संधियों से कुछ हासिल किया, लेकिन ये हासिल किन किन तरह के कीमतों पर हुआ, इसके बारे में किसी सरकार ने कुछ नहीं बताया. ऍफ़ डी आई से यहाँ आने वाली विदेशी कंपनियां कभी भी हमें अपना तकनीक नहीं देतीं हैं.
हमारे देश के नेताओं ने नीति निर्धारण में अगर इन देशों की संधि शर्तों एवं अन्य कई प्रकार की शर्तों के अनुसार कार्य नहीं किया, तो वे देश उन सभी महत्वपूर्ण उपकरणों को बंद कर देंगे.
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★क्या ये संभव नहीं है, कि हमारे देश में सभी वैज्ञानिक, इंजीनियरिंग एवं अन्य सभी तकनीकी से सम्बंधित महत्वपूर्ण उपकरणों का निर्माण एवं अनुसंधान हमारे देश के लोग करें, यहाँ की एजेंसिया करें?
◆जब तक हमारा देश, इन उच्च तकनीकी उत्पादनों में पूरी तरह स्वदेशी नहीं हो जाता, तब तक हमारे देश के नीति निर्धारकों को स्वतंत्रता एवं संप्रभुता पूर्वक कार्य करने की अनुमति वे देश कभी नहीं देंगे.
◆2008 में CAG की रिपोर्ट के अनुसार ही तेजस के 30% पुर्जे स्वदेशी थे.
इन सब बातों का मतलब ये हुआ कि भारत का डिफेंस सिस्टम स्वदेशी नहीं है, हमारे देश को अपनी सीमा सुरक्षा के लिए विदेशो से आयात हुई मशीनों एवं उपकरणों पर निर्भर रहना होगा, आप यदि इस निर्भरता का प्रभाव हमारे डिफेंस सिस्टम पर जानना चाहते हैं तो यह विडियो देखें- https :// www . youtube . com / watch? v=nb-xNwtrQjI&ab_ channel = RajivDixitDedicatedChannel-vatsalanand [ लिंक के लिए स्पेस हटा दें.]
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★समाधान:-
राईट-टू-रिकॉल समूह ने स्वदेशी हथियारों के निर्माण के लिए ड्राफ्ट दिया है-
१) भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540
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२) सम्पूर्ण रूप से भारतीय नागरिको के स्वामित्व वाली कम्पनियों (WOIC) के लिए कानूनी ड्राफ्ट :
www.facebook.com/pawan.jury/posts/809743912477180
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३) ज्यूरी सिस्टम के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
www.facebook.com/pawan.jury/posts/809746209143617
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४) नेट निष्पक्षता या नेट न्युट्रिलिटी को बनाये रखने के लिए सांसद को भेजे जाने वाले एसएमएस का ड्राफ्ट :
www.facebook.com/pawan.jury/posts/820005808117657
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5) संपत्ति कर के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट https://web.facebook.com/ProposedLawsHindi/posts/575904979254367
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६) For removing caste based reservation http://www.tinyurl.com/AarakshanGhatao
.◆ भाइयों एवं बहनों, चूंकि आप एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक हैं, अतः ये आपका कर्तव्य बनता है कि आप को जिन ड्राफ्ट्स की उपयोगिता हमारे देश की स्थिति को सुधारने वाली लगे, उनको राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून के रूप में लागू किये जाने की मांग करें.
★आप ये मांग इस तरह से रखे.-. "माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540 क़ानून को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून भारत में लाये जाने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद "
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◆इसी तरह आप अन्य सभी ड्राफ्ट्स के लिए भी कर सकते हैं. राईट-टू-रिकॉल समूह द्वारा प्रस्तावित सुधारात्मक कानूनों की जानकारी के लिए देखिये- https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1045257802233875:0
★नेताओं का संपर्क यहाँ से प्राप्त करें - www.nocorruption.in
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जय हिन्द.
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★इसरो के द्वारा विदेशी १०१ मानव-निर्मित उपग्रहों को उनकी कक्षा में स्थापित करने के लिए, इसरो की पीठ थपथपाई जा रही है, क्यूंकि इसे उन देशों का काम सस्ते में हो गया, एवं राजनैतिक उपलब्धियों में, वे देश, भारतवासियों की नजर में मित्र देश घोषित हो गए, जिससे कि ये लोग, उन देशो द्वारा यहाँ लादी जाने वाली किसी भी प्रकार की दुर्घ्त्नात्म्क क़ानून एवं शर्तों को भी आँख मूँद कर अपना हितकारी समझती रहे और उन शर्तों का बोझ ढोए.
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★ISRO का एक महत्वपूर्ण उपकरण PSLV-C-37 के सोलर पैनल में पॉवर उत्पादान ्तथा आंकड़े इकट्ठे करने के लिए महत्वपूर्ण उपकरण एवं चिप् इस्रैइल एवं यूरोप ने बनाए हैं, जो रिमोट से नियंत्रित होने में सक्षम हैं. इन उपकरणों में पीजोइलेक्ट्रिक जैसी मूलभूत सिधान्तों पर अनुसंधान करके ही अत्याधुनिक चिप एवं अन्य क्रिटिकल उपकरण निर्मित होते हैं, लेकिन हमारे देश में मूलभूत सिद्धांत/भौतिकी पर कोई अनुसंधान नहीं होता. यहाँ हर प्रकार के अनुसन्धान के क्षेत्र में काफी विषमताएं हैं एवं क्षेत्र भी काफी सीमित हैं.
◆जानकारी के लिए देखें- goo.gl/g5GX2w
अतः हमारे देश के नीति-नियंताओं एवं सरकारों को उन देशों की ही शर्तों के अनुसार कार्य करना होता है. समाचारों में उन्ही पक्षों को दर्शाया जाता है, जिससे जनता को लगे कि हाँ, सरकारों ने उन संधियों से कुछ हासिल किया, लेकिन ये हासिल किन किन तरह के कीमतों पर हुआ, इसके बारे में किसी सरकार ने कुछ नहीं बताया. ऍफ़ डी आई से यहाँ आने वाली विदेशी कंपनियां कभी भी हमें अपना तकनीक नहीं देतीं हैं.
हमारे देश के नेताओं ने नीति निर्धारण में अगर इन देशों की संधि शर्तों एवं अन्य कई प्रकार की शर्तों के अनुसार कार्य नहीं किया, तो वे देश उन सभी महत्वपूर्ण उपकरणों को बंद कर देंगे.
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★इसे आप इस तरह से समझ सकते हैं:-
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चिंटू - मास्टर जी, अमेरिका अपने सेटेलाईट भारत से क्यों छुड़वा रहा है, खुद से क्यों नहीं छोड़ देता ?
मास्टर जी - कोई भी ताकतवर देश पोची तकनीक से सम्बंधित कार्यो के लिए अन्य देशो की सेवाएं लेता है और महत्त्वपूर्ण तकनीक से सम्बंधित वस्तुओ का उत्पादन स्वयं करता है। इससे अमुक देश के मानव संसाधनो का ज्यादा बेहतर इस्तेमाल हो पाता है, तथा उत्पादन क्षमता बढती है। 

चिंटू - मतलब क्या हुआ इसका
मास्टर जी - एक सोफ्टवेयर इंजिनियर कुछ सहायक रख लेता है ताकि कम्प्यूटर से सम्बंधित रूटीन कार्य करने में उसका वक्त जाया न हो और वह नयी प्रविधियों की खोज करने में अपना समय दे सके। एप्पल आईफोन के सेमी कंडक्टर चिप्स और प्रोसेसर्स खुद से अमेरिका में ही बनाता है किन्तु बैटरी, डिस्पले, कैमरा, स्पीकर आदि चिल्लर आयटम जापान, साउथ कोरिया, ताइवान, चीन आदि से आयात कर लेता। बस वैसा ही यहाँ समझो। अमेरिका अपने मानव संसाधन का अधिकतम इस्तेमाल हथियार बनाने में करता है तथा सेटेलाईट छोड़ने जैसे रूटीन काम किराए पर अन्य देशो से करवा लेता है। भारत सेटेलाईट भेज सकता है लेकिन हथियार नहीं बनाता। 

चिंटू - जब भारत में सेटेलाईट भेजने की काबिलियत है तो हथियार बनाने में कौन से वेद पढ़ने है। भारत हथियार क्यों नहीं बनाता ?
मास्टर जी - हथियार बनाना आसान नहीं है। उदाहरण के लिए भारत ने 1978 में तेजस बनाने का प्रोजेक्ट शुरू किया था, लेकिन कई परीक्षणों के बावजूद 25 साल में हमसे उसका इंजन नहीं बना। तब हमने इसका इंजन अमेरिका से आयात किया, और शेष चिल्लर पुर्जे खुद से बनाए। सभी हथियारों में यही हाल है। भारत के पास हथियार बनाने की काबिलियत नहीं है। लेकिन यदि भारत अपने देश में ज्यूरी सिस्टम, वेल्थ टेक्स आदि कानूनों को लागू कर दे तो भारत भी आधुनिक हथियारों के निर्माण की काबिलियत जुटा सकता है। 

चिंटू - मास्टर जी, हर बात में ज्यूरी सिस्टम को मत घुसाओ आप। 104 सेटेलाईट हमने भेज दिए है। और कितनी तकनीक चाहिए हथियार बनाने में ? हम इन्ही वैज्ञानिको को क्यों नहीं लगा देते लड़ाकू विमान, युद्ध पोत, रडार, मिसाइल आदि बनाने में ?
मास्टर जी - सेटेलाईट बनाने के लिए सिर्फ 100-500 कर्मठ, अनुशासित और मेधावी वैज्ञानिको की टीम चाहिए होती है, जो कि दिन रात अपनी लेब में इस काम में लगे रहे। इसीलिए सेटेलाईट बनाना आसान है। किन्तु एक हथियार बनाने के लिए मुक्त बाजार के हजारों मेकेनिकल, इलेक्ट्रोनिक, कंप्यूटर, धातु, संचार, रसायन, इलेक्ट्रीशियन इंजीनियर्स की जरुरत होती है। इन सबके संयोजन से एक युद्ध पोत या लड़ाकू विमान बनता है। ऐसे कुशल इंजीनियर्स निजी क्षेत्र से आते है। और निजी क्षेत्र की स्थानीय कम्पनियों के विकास और सरंक्षण के लिए ज्यूरी सिस्टम के बिना कोई उपाय नहीं है।
अमेरिका में ज्यूरी सिस्टम है, इसीलिए वहां इंजीनियरिंग के अवसर है, और वे हथियारों के निर्माण में आगे है। भारत में नहीं है, इसीलिए हम सेटेलाईट पकड़ कर बैठे हुए है। युद्ध होगा तो सेटेलाईट बस बता देगा कि सेना आ रही है। सेना से लड़ने के लिए हथियार चाहिए। अब तुम खुद ही सोच लो कि हम सेटेलाईट तो भेज पा रहे है लेकिन अपने घर में हमसे AK-47 भी क्यों नहीं बन रही, लड़ाकू विमान और युद्ध पोत तो दूर की बात है !!! क्योंकि हथियार मतलब AK-47 भी बनाना सेटेलाईट बनाने से कहीं ज्यादा महत्वपूर्ण और मुश्किल है। 

चिंटू - ज्यूरी सिस्टम, वेल्थ टेक्स आने से कैसे होगा ? 

मास्टर जी - भारत में निजी कम्पनियों को हथियारों के उत्पादन के लिए कई प्रकार की अनुमति एवं लाइसेंस लेना होता है। इसीलिए भारत के उद्योगपति तेल, साबुन, अचार, चटनी, शेम्पू, धागे, रसायन, कपड़ा आदि और ऐसी ही वस्तुओ का कारोबार कर पाते है । एक क़ानून चाहिए, जिसके गेजेट में आने से भारत की कोई भी निजी कम्पनी हथियारों का उत्पादन कर सकेगी। इससे प्रतिस्पर्धा बनेगी।
फिर इन्हें बड़ी और विदेशी कम्पनियों से बचाने के लिए ज्यूरी सिस्टम लगेगा वरना जज बहुराष्ट्रीय कम्पनियों से पैसा खाकर हथियार बनाने की सभी छोटी कम्पनियों को ख़त्म करवा देंगे। ज्यादा निर्माण इकाईया लगे इसके लिए जमीन सस्ती करनी पड़ेगी। वेल्थ टेक्स आने से जमीनों की कीमते 5 से 10 गुना गिर जायेगी और लागत में कमी आएगी। इस तरह से इन कानूनों से हम आधुनिक हथियारों के निर्माण के जमीन तैयार कर सकेंगे। 

चिंटू - ये क़ानून देखने हो तो कहाँ मिलेंगे ?
मास्टर जी - यहाँ पर देख सकते है :
स्वदेशी हथियारों के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://web.facebook.com/ProposedLawsHindi/posts/548862728625259
ज्यूरी प्रक्रिया के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://web.facebook.com/ProposedLawsHindi/posts/548841788627353
संपत्ति कर के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
https://web.facebook.com/ProposedLawsHindi/posts/575904979254367

चिंटू - तो मास्टर जी ये कानूनों को लागू करने में दिक्कत क्या आ रही है ?
मास्टर जी - सभी तरफ से दिक्कत ही दिक्कत है। मोदी साहेब, केजरीवाल और सोनिया जी इन कानूनों के सख्त खिलाफ है। इसी वजह से इनके सभी अंध भगत भी इन कानूनों की खिलाफत करने को मजबूर है। इनका मानना है कि चाहे जो हो पर भारत या तो हथियार आयात करेगा या फिर अमेरिकी कम्पनियां ही भारत में आकर हथियार बनाएगी !!!
बाबा रामदेव और मोहन भागवत भी इन कानूनों का विरोध कर रहे है। उनका कहना है कि साबुन, शेम्पू और च्यवनप्राश ही स्वदेशी होना चाहिए, हथियार विदेशी होने से भी चलेगा। हाई कोर्ट/सुप्रीम कोर्ट के सभी जज और पेड मिडिया भी इन कानूनों के खिलाफ है। और देश के सभी बुद्धिजीवी भी इन कानूनों का विरोध कर रहे है। ये सभी भारत के नागरिको को सेटेलाईट से ही खुश रखना चाहते है। 

चिंटू - पर ये सब भंग खा गए है क्या ? क्यों देश में स्वदेशी हथियारों के लिए आवश्यक कानूनों का विरोध कर रहे है ?
मास्टर - अरे नहीं। ये लोग खुद भांग नहीं खाते। इनका पेशा अपने भगतो को भांग पिला कर गाफिल बनाये रखना है। क्योंकि इन सब लोगो को अपनी अपनी जगह पर चिपके रहने के लिए अमेरिका एवं बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की कृपा की जरुरत है। अत: ये अपने पद को बनाये रखने और, और भी ऊँचा पद पाने के लिए ऐसे किसी क़ानून का समर्थन नहीं करना चाहते जिससे अमेरिकी हथियार निर्मात्री कम्पनियों को घाटा हो। 

चिंटू - मतलब ये तो सब के सब द्रोही है।
मास्टर जी - नहीं नहीं। ऐसे नहीं कहते। इनके प्रसंशको को बुरा लगेगा। इसे नर्म लहजे में यूँ कहिये कि -- इनकी पद लिप्सा, धन लोलुपता और कीर्ति लाभ की आंकाक्षा ने राष्ट्र हित को टेकओवर कर लिया है। अत: ये देश हित के कानूनों का विरोध करने के लिए बाध्य है। 
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चिंटू - तो अब ये क़ानून कैसे आयेंगे ?
मास्टर जी - देश को आजाद करवाने की परवाह नेहरु, पटेल, गोलवलकर या गांधी को नहीं थी। ये सभी ब्रिटिश साम्राज्य के साथ शान्ति पूर्ण सहअस्तित्व में निवास करते थे, और थोड़ी बहुत खटपट के बावजूद आलिशान जीवन जी रहे थे। लेकिन महात्मा भगत सिंह, आजाद, सान्याल, बटुकेश्वर एवं ऐसे ही हजारो आम नागरिको को आजादी चाहिए थी अत: उन्होंने इसके लिए काम किया।
तो जिन आम नागरिको को ये क़ानून चाहिए उन्हें ही इन कानूनों का नागरिको में प्रचार करना होगा और सरकार पर इन्हें लागू करने का दबाव बनाना होगा। तुम्हे चाहिए तो तुम मांग करो। वर्ना ये ऊँचे लोग युद्ध के बादल मंडराते ही अगली फ्लाईट से देश छोड़ देंगे और किसी सुरक्षित देश में बैठकर उसी अमेरिकी सेटेलाइट के माध्यम से जिसे हमने अमेरिका के लिए छोड़ा है , उसी तरह युद्ध का सीधा प्रसारण देखेंगे जिस तरह हम ईराक का देख रहे थे। 
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◆ चूंकि आप एक लोकतांत्रिक देश के नागरिक हैं, अतः ये आपका कर्तव्य बनता है कि आप को जिन ड्राफ्ट्स की उपयोगिता हमारे देश की स्थिति को सुधारने वाली लगे, उनको राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून के रूप में लागू किये जाने की मांग करें.
★ये मांग इस तरह से रखे.-. "माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्टhttps://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540 क़ानून को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून भारत में लाये जाने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद " 
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Comments

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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.

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