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Showing posts from July, 2016

भारतीय मीडिया में देशप्रेम एवं राष्ट्रवाद को अलग तरीके से क्यूँ परिभाषित करते हैं ?

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मीडिया में राष्ट्रवाद एवं देशप्रेम को भी आज कल एक नयी साम्प्रदायिकता की तरह ही दिखाया जा रहा है, हालाँकि राष्ट्रवाद को इस नयी तरह की साम्प्रदायिकता का जामा पहनाने का कार्य कांग्रेस के समय में ही तीन दशक पहले ही शुरू हुई थी. उम्मीद थी कि जब लोकसभा चुनाव २०१४ के बाद बीजेपी की पार्टी केन्द्रीय सत्ता में आएगी, तो राष्ट्रवाद के ऊपर से साम्प्रदायिकता नाम का कलंक धो दिया जाएगा, क्यूंकि तब हम राष्ट्रवादी लोग, बीजेपी को एक देशभक्त पार्टी समझते थे, जिसको अब सभी क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के सौ प्रतिशत कर दिए जाने के बाद अब ये पार्टी कांग्रेस से भी कहीं ज्यादा ही राष्ट्रवाद का ढोंग करती नजर आती है. इसके नेता भी मीडिया में ऐसे बयान दे देते हैं, जैसे कि ये पार्टी देश नहीं बल्कि अपना फेसबुक अकाउंट चला रही हो, एवं इस पार्टी के नेता को कितने लोग किस तरह के कमेन्ट करते हैं. खैर...... . सांप्रदायिकता का नया नाम ही कुछ वर्षों से अब राष्ट्रवाद हो गया है !! . मीडिया के ज़रिये अब आपके साथ एक खेल खेला जा रहा है. . एक उदाहरण के तौर पर, कश्मीर में या अन्य जगहों पर आतंकी-मुठभेड़ में एक संदिग्ध या

आंबेडकर ने ऐसा बोला था क्या? क्या ये सच है या कोई षड्यंत्र?

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क्या संलग्न ट्वीट किसी षड्यंत्रकारी का प्रयास है? या धर्मान्तरण करने वालों का एक प्रयास है? . आंबेडकर बौद्धही क्यों बना ईसाई क्यों नही ?  उन्हेँ ऐसा धर्म चाहिए था जिसमेँ वो धार्मिक नेता बन सकेँ राजनेता के साथ साथ और ईसाई और सिक्ख धर्म मे पहले से ही धार्मिक नेता मौजूद थे तो वहाँ इनकी ना चलती जबकि बौध्द का कोई बड़ा धार्मिक नेता मौजूद नहिँ था भारत मेँ। . अम्बेडकर जी ने स्वतन्त्रता संग्राम का बहिष्कार किया था और केवल जाति के लिए अन्य हिन्दुओं से लड़ें , जब साइमन कमीशन का विरोध पूरा देश कर रहा था तब वे साइमन कमीशन के लिए बॉम्बे-प्रेसीडेंसी-कमिटी में मनोनीत होकर कार्य कर रहे थे, ब्राह्मणों की पैरवी और धन से पढ़े-लिखे , किन्तु मनुस्मृति के पाश्चात्य गलत अनुवाद को प्रामाणिक मानकर हिन्दू धर्म और समाज का ही विरोध करने लगे, . संस्कृत सीखने का प्रयास तक नहीं किया किन्तु वेदों और मनुस्मृति पर पाश्चात्यों के विचार पढ़कर अपने लेख लिखते थे, अंग्रेजों की चाल के अनुसार दलितों के लिए पृथक electorate की माँग की (उन संसदीय क्षेत्रों में केवल दलित ही वोट कर सकते थे, अतः शेष हिन्दुओं से उनका अलगाव और वैम

अब विदेशी निवेशकों को हमारे देश में नागरिकता दी जाएगी, जैसे की १९४७ के पहले हुआ करता था..

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मोदी के राष्ट्र द्रोह की कीमत भारत को फिर एक और गुलामी से चुकाना होगा. मोदी के भारत के प्रति उठाये गए, राजनैतिक कदमो में चलते ही, जो कांग्रेस की सरकार साठ सालों में नहीं कर सकी, इसने सत्ता में आते ही कर दिया एवं उन महा-कारपोरेशन वालों की गोद में जा बैठा.  इसीलिए तमाम विदेशी संगठन एवं सरकारें, इसको अभी तक का सबसे महान प्रधानमंत्री बता रहा है एवं यहाँ की जनता को गुमराह किया जा रहा है. . विदेशी निवेशकों को ही क्यूँ यहाँ के निवासी का दर्जा दिया जाएगा, ये देश अपने जिन कानूनों के त हत, हमारे देश में लूट-तंत्र चला रहे हैं, उन कानूनों को इस देश में लाने के बारे में मोदी कभी सोचता है क्या? . आप क्या कर सकते हैं, यहाँ देखें- https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1045257802233875:0 . बायकाट दिस पी एम् टोटली. रिकॉल दिस पी एम्, इस पी एम् को पदच्युत कर देना चाहिए यहाँ की जनता को.. . आप सबको राईट टू रिकॉल प्रधानमंत्री के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : https://web.facebook.com/pawan.jury/posts/837611029690468 . को गजेट नोटिफिकेशन में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून बनाए जाने की मांग क

जब ए पी जे अब्दुल कलाम ने स्वीकारी थी स्वदेशी मिसाइल निर्माण की चुनौती :

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अमेरिका की जकड़बंदी के बीच स्वीकारी स्वदेशी मिसाइल निर्माण की चुनौती : यह चुनौती परोक्ष रूप से आज भी भारत के ऊपर है, जिसके लिए वर्तमान एवं भविष्य की किसी भी सर कारों को इंदिरा गाँधी जैसी दृढ इच्छा शक्ति दिखने की जरूरत है जिससे भारत पुनः परमाणु परीक्षण में अपने प्रतियोगी देशों से आगे निकल सके. ताकत वाले को ही ताकत वाले से सम्मान मिलता है। डॉ. कलाम की विलक्षण क्षमता को पहचान कर 1983 में इंदिरा गांधी ने उन्हें तब मान्यता दी थी, जब वह इसरो में सैटेलाइट लांच वीइकल प्रोजेक्ट के निदेशक थे। 1974 में पोकरण परमाणु विस्फोट के बाद अमेरि की अगुआई में सारी पश्चिमी दुनिया भारत के पीछे हाथ धोकर पड़ गई थी और उसने भारत को वैसे हर तकनीकी उत्पाद और ज्ञान की सप्लाई पर रोक लगा दी थी, जिससे भारत एक मिसाइल और परमाणु ताकत बन सकता था।   . मिसाइल की जरूरत : शीतयुद्ध के दौर में अमेरिका ने पाकिस्तान को अफगानिस्तान की सोवियत समर्थक सरकार से लड़ने के लिए अग्रिम मोर्चे के देश के तौर पर अपना लिया था और वह पाकिस्तान के गुपचुप परमाणु कार्यक्रम को नजरअंदाज कर रहा था। इसके चलते भारत कीसुरक्षाके लिए बड़ा

Common people like us won't exist in 100 years from now. Do you know that?

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Common people like us won't exist in 100 years. See below, how we can't exist after few years from now. From - http://www.bbc.com/news/magazine-16536598 . Twenty top predictions for life 100 years from now:- . 1)One single worldwide currency (from Kennys_Heroes), THAT means, by 100 years, all nations may be bankrupt. That's why lies are being spread for in 2025, there will be some era of satya-yug, my guess is true now, in 2025, India will be bankrupted. . 2)We will be able to control the weather (mariebee_) . 3) Sovereign nation states will cease to exist and there will be one world government (krozier93) . 4) DNA and robotic engineering, we will have created incredibly intelligent humans who are immortal (game_over) . 5) Marriage will be replaced by an annual contract (holierthanthou) . 6) Deserts will become tropical forests (jim300) . 7) We will have the ability to communicate through thought transmission (Dev 2) . 8) Britain will