जब ए पी जे अब्दुल कलाम ने स्वीकारी थी स्वदेशी मिसाइल निर्माण की चुनौती :

अमेरिका की जकड़बंदी के बीच स्वीकारी स्वदेशी मिसाइल निर्माण की चुनौती :

यह चुनौती परोक्ष रूप से आज भी भारत के ऊपर है, जिसके लिए वर्तमान एवं भविष्य की किसी भी सरकारों को इंदिरा गाँधी जैसी दृढ इच्छा शक्ति दिखने की जरूरत है जिससे भारत पुनः परमाणु परीक्षण में अपने प्रतियोगी देशों से आगे निकल सके. ताकत वाले को ही ताकत वाले से सम्मान मिलता है।



डॉ. कलाम की विलक्षण क्षमता को पहचान कर 1983 में इंदिरा गांधी ने उन्हें तब मान्यता दी थी, जब वह इसरो में सैटेलाइट लांच वीइकल प्रोजेक्ट के निदेशक थे। 1974 में पोकरण परमाणु विस्फोट के बाद अमेरि की अगुआई में सारी पश्चिमी दुनिया भारत के पीछे हाथ धोकर पड़ गई थी और उसने भारत को वैसे हर तकनीकी उत्पाद और ज्ञान की सप्लाई पर रोक लगा दी थी, जिससे भारत एक मिसाइल और परमाणु ताकत बन सकता था। 
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मिसाइल की जरूरत :

शीतयुद्ध के दौर में अमेरिका ने पाकिस्तान को अफगानिस्तान की सोवियत समर्थक सरकार से लड़ने के लिए अग्रिम मोर्चे के देश के तौर पर अपना लिया था और वह पाकिस्तान के गुपचुप परमाणु कार्यक्रम को नजरअंदाज कर रहा था। इसके चलते भारत कीसुरक्षाके लिए बड़ाखतरा पैदा हो गया था। हमारे सामने अपने दरवाजे पर खड़ी हो रही एक परमाणु ताकत का सामना करने कीएक चुनौतीखड़ी हो गई थी।
वैसे तो 1974 में परमाणु विस्फोट कर इंदिरा गांधी ने भारत की परमाणु हथियार बनाने कीक्षमता से दुनिया को परिचित करा दिया था। पर इसके साथ ही यह भी जरूरी था कि इन परमाणु हथियारों को दुश्मन देश पर गिराने की मिसाइल क्षमता हासिल की जाए। मिसाइल वही देश बना सकता है जिसके पास अंतरिक्ष में रॉकेट भेजने की क्षमता हो। अंतरिक्ष जाने वाले रॉकेट का इस्तेमाल लंबी या मध्यम दूरी की मिसाइल के तौर पर भी किया जा जा सकता है।
चूंकि कलाम इसरो के रॉकेट बनाने वाले प्रोजेक्ट के निदेशक थे, इसलिए इंदिरा गांधी ने 1983 में उन्हें मिसाइलों के रॉकेट बनाने का काम शुरू करने की जिम्मेदारी सौंपी। 1983 में यह प्रोजेक्ट‘एकीकृत मिसाइल विकास कार्यक्रम’ के नाम से जाना गया, जिसके तहत पृथ्वी(जमीन से जमीन, 250 किमी), अग्नि (जमीन से जमीन, 1500 किमी), नाग (टैंक नाशक), आकाश (जमीन से हवा, 25 किमी) और त्रिशूल (जमीन से हवा, 9 किमी) मिसाइलों के विकास का काम शुरू हुआ। यह कार्यक्रम शुरू होने के बाद अमेरिका और उसके साथी देशों के कान खड़े हुए और वे भारत के मिसाइल विकास कार्यक्रम को सफल होने से रोकने के लिए गोलबंद होने लगे।
1987 में उन्होंने 22 देशों को साथ लेकर मिसाइल टेक्नॉलजी-कंट्रोल रिजीम (एमटीसीआर) नाम की एक संधि की जिसके तहत भारत का नाम लिए बगैर सारी दुनिया से कहा गया कि जो भी देश एमटीसीआर के सदस्य नहीं हैं, उनको ऐसी कोई भी दोहरे इस्तेमाल वाली तकनीक का निर्यात नहीं किया जाए जो मिसाइल बनाने कीउनकी महत्वाकांक्षा पूरी करने में मददगार साबित हो सके। लेकिन इसके बावजूद डॉ. कलाम की अगुआई में 1988 में ‘पृथ्वी’ का पहला सफल परीक्षण किया गया और 1989 में ‘अग्नि’ का भी पहला परीक्षण हुआ। इस तरह भारत ने पूरी तरह अपने ही देश में विकसित तकनीक और उपकरणों के बल पर अमेरिका और पश्चिमीदेशों के मिसाइल और परमाणु एकाधिकार को तोड़ा।
पृथ्वीऔर अग्नि के परीक्षणों के बाद तो भारत पर तकनीकी सप्लाई का शिकंजा और कस गया। लेकिन डॉ. कलाम के मार्गनिर्देशन में रक्षा-अनुसंधान एवं विकास संगठन(डीआरडीओ) के वैज्ञानिक मिसाइल विकास कार्यक्रम को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाते रहे। डीआरडीओ ने कई अन्य मिसाइलें भी बनाईं, जिसमें सबसे अहम रही रूस के साथ साझा तौर पर विकसित सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस। इसका विकास और उत्पादन भारत में किया गया। पश्चिम की तकनीक संबंधी बंदिशों को धता बताते हुए डॉ. कलाम ने देश के शोध संस्थानों को विकसित किया और विश्वविद्यालयों में मौजूद प्रतिभा को आगे बढ़ाया। उन्हें खासकर उन तकनीकों और उत्पादों के विकास का दायित्वसौंपा गया, जिनका आयात भारत नहीं कर सकता था।
ब्रह्मोस जैसी मिसाइल कोई भी देश किसी और देश को बेच नहीं सकता, क्योंकि इसकी क्षमता एमटीसीआर के तहत आती है। लेकिन भारत-रूस सामरिक साझेदारी के तहत कलाम ने रूसी वैज्ञानिकों को प्रेरित किया कि वे भारतीय वैज्ञानिकों के साथ मिलकर इस तरह कीमिसाइल बनाएं। इन मिसाइलों का स्वदेशी-स्तर पर विकास कर भारत ने न केवल भारतीय सेनाओं की विदेशी कंपनियों पर निर्भरता खत्म की बल्कि मिसाइलों के बाजार में भारत एक मजबूत मिसाइल पावर के रूप में खड़ाहुआ।
                                                      

ताकतवर को सम्मान :

1998 में तत्कालीन प्रधानमंत्रीअटल बिहारीवाजपेयी ने डॉ. कलाम और डॉ. आर. चिदंबरम से कहा कि परमाणु विस्फोट करना है। तब डॉ. कलाम ने अमेरिकी सैटेलाइटों कीपैनी निगाहों से बचने की जो रणनीति तैयार की, वह अद्भुत थी। इसी वजह से अमेरिका और बाकी दुनिया इस बात से अचंभित रह गई कि भारत ने 11 मई को पोकरण में दो परमाणु विस्फोट भी कर लिए और उन्हें इसकी भनक तक नहीं लगने दी। इस तरह डॉ. कलाम ने भारत को मिसाइल और परमाणु ताकत बनाने में नेतृत्वकारी भूमिका निभाई। आज भारत कीसैनिक ताकत का लोहा सभी मानने लगे हैं। डॉ. कलाम बार-बार कहते भी थे- ‘ताकत वाले को ही ताकत वाले से सम्मान मिलता है’।
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बहरहाल, राष्ट्रपति के रूप में उनके पास मोटे तौर पर दो विकल्प थे। एक तो यह कि कार्यपालिका प्रमुख के रूप में वे सरकार के कामकाज को लेकर सचेत रहें और जहां भी उसे रास्ते से इधर-उधर होते देखें, वहां अपनी मर्यादा में रहते हुए उसकी गलतियों का एहसास कराएं। दूसरा रास्ता राष्ट्रपतिभवन को अकादमिक और वैचारिक विमर्शका केंद्र बनाने तथा एक दूरदर्शी अभिभावक के रूप में राष्ट्रके सामाजिक-आर्थिक विकास का भविष्योन्मुख खाका खींचने का था। इसे उनकी शक्तिकहें या सीमा, लेकिन ‘लाभ का पद’ संबंधी विधेयक को लौटाने के निर्णय को छोड़ दें, तो आम तौर पर उन्होंने पहले वाले रास्ते से कतरा कर निकलना ही बेहतर समझा। राष्ट्रपति के रूप में अपने सामने आई 21 दया याचिकाओं में से 20 के संबंध में कोई फैसला न करने को लेकर उन्हें आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। 23 मई 2005 को अपनी रूस यात्रा के दौरान उन्होंने मंत्रिमंडल की सलाह पर बिहार विधानसभा को भंग कर दिया था। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस पर प्रतिकूल टिप्पणी कीथी। कलाम ने काफी दिनों बाद खुलासा किया कि इस टिप्पणीके बाद वे अपना पद छोड़ देना चाहते थे।
भारत में राष्ट्रपति के पास ऐसी कोई शक्ति नहीं की वो किसी अपराधी की सज़ा माफ़ कर सके, राष्ट्रपति यह सब काम पीएम के कहने पे ही कर सकता है, यह तोह बस एक रस्म बना दी गई है की राष्ट्रपति ने सज़ा माफ़ कर दी यां याचिका रद्द कर दी | बहरहाल...
ये अलग बात है कि kalaam साहब की लिखी सभी कवितायें तमिल भाषा में है, जिसका अनुवाद अंग्रेजी में होने पर कुछ विपक्षी वामपंथी सेक्युलर लोगों को बेकार लगती हैं, लेकिन उनकी कविताओं से जीवन रुपी पहेली को अद्भुत दिशा मिलती है, आवश्यकता है कि उन कविताओं को धैर्य रखकर दिमाग में समझा जाए.
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यह सत्य है कि सेना हथियारों पर निर्भर करती है। सैनिको के पास जितने बेहतर हथियार है सैनिक उतना ही बेहतर प्रदर्शन करते है। आप ऐसे साहसी और देशभक्त सैनिक से क्या उम्मीद करेंगे जो अपनी थ्री नोट थ्री से मशीनगन धारी दुश्मन से मुकाबला कर रहा हो। फिर आप यह भी चाहते है कि वह अपने जज्बे का प्रदर्शन करते हुए खुद की जान देश पर कुर्बान कर दे, ताकि आप उसकी महिमा गा सके।
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इसी बेवकूफाना हिमाकत के कारण हमारे सैनिक अपनी जान गवां रहे है, और इसके जिम्मेदार वे सभी लोग है जो बढ़ चढ़ कर शहादत का यशोगान गाते है, लेकिन सैनिको और सेना को आधुनिक हथियार दिए जाने का विरोध करते है।
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अपने सेना के हथियारों की तुलना अन्य देशो की सेनाओं से कीजिये, तो आप पायेंगे कि हमने सैनिको को राम-भरोसे छोड़ा हुआ है।.
यदि आप सैनिको का सम्मान करते है तो उन्हें शहीद होने के लिए मत उकसाइए, बल्कि सरकार से उन कानूनों की मांग कीजिये जिससे हम स्वदेशी आधुनिक हथियारों का उत्पादन करके सेना को मजबूत और सैनिको को सुरक्षित बना सके।
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तो आइन्दा जब भी आप सेना या सैनिक का विचार करे तो जो चीज सबसे पहले आपके दिमाग में आनी चाहिए वो हथियार है, न कि बावर्दी सैनिक।
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जूरी सिस्टम(http://tinyurl.com/JurySys) और राईट टू रिकाल( http://tinyurl.com/RtrDistJudgehttp://tinyurl.com/RtrPoliceChief , http://tinyurl.com/RtrMinister) कानूनों को गेजेट में प्रकाशित करवाकर हम स्वदेशी आधुनिक हथियारों का उत्पादन करके अपनी सेना को मजबूत बना सकते है।
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यदि आप इन कानूनों का विरोध करते है तो अप्रत्यक्ष रूप से आप भारत की सेना को कमजोर बनाने में सहयोग कर रहे है, और युद्ध/हमलो के दौरान होने वाली मौतों के लिए जिम्मेदार है।.
राईट-टू-रिकॉल और पारदर्शी-शिकायत-प्रणाली जैसे देश-सुधारक कानूनों को राजपत्र में प्रकाशित करने के लिए अपने पोलिटिकल नेताओं के उपार दबाव बना सकते हैं.
अगर आप चाहते हैं कि प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री पारदर्शी-शिकायत-प्रणाली(TCP) के ड्राफ्ट को गजेट में प्रकाशित करें तो उन्हें इस टेक्स्ट http://tinyurl.com/PrintTCP ” को एम्.पी./एम्.एल.ए. को SMS भेजना चाहिए.
एम्.पी का मोबाइल नंबरhttp://tinyurl.com\rahulmehta3 से प्राप्त किया जा सकता है.
अगर 42 करोड़ से अधिक मतदाता MPs को TCP का ड्राफ्ट गजेट में छापने के लिए SMS से आदेश भेजते हैं तो प्रधानमंत्री इसे कुछ दिनों में ही गजेट में प्रकाशित कर सकते हैं.
>>> समाधान ये है कि आप अपने MLA/MP को राइट-टू-रिकॉल पुलिस-कमिश्नर ड्राफ्ट को गजेट में छापने के लिए SMS से आदेश भेज सकते हैं. आदेश इस प्रकार से हो सकता है कि “ मैं आपको राईट-टू-रिकॉल-पुलिस कमिश्नर ड्राफ्ट http://tinyurl.com/RtrPoliceChief को गजेट में छापने का आदेश देता हूँ.
>>> पूरे ड्राफ्ट को SMS से नहीं भेजा जा सकता. अगर आप RTR-डिस्ट्रिक्ट पुलिस-चीफ अर्थात RTR-DPC ड्राफ्ट का समर्थन करते हैं और सोचते हैं कि इससे दुर्घटनाएं रुक सकती है तो आप समाचारपत्र में दूसरे मतदाताओं को ऊपर बताये लिंक को MLAs को SMS से आदेश भेजने के लिए विज्ञापन दे सकते हैं.
>>> राईट-टू-रिकॉल-जज का प्रस्तावित ड्राफ्ट http://rahulmehta.com/301.htm के अध्याय-21 में जाकर पढ़ सकते हैं. और http://tinyurl.com/RtrDistJudge में भी पढ़ सकते हैं. RTR-DPP(District Public Prosecutor) का प्रस्तावित पर पढ़ सकते हैं.
>>> http://tinyurl.com/RtrDistJudge तथा http://tinyurl.com/RtrDPP के लिए भी आप अपने एम् एल ए को sms से आदेश भेज सकते हैं..
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>>> कार्यकर्ता राईट-टू-रिकॉल-मंत्री के क़ानून के ड्राफ्ट को गजेट में प्रकाशित करवाने के लिए MP/MLAs को SMS से आदेश भेज सकते हैं. ये आदेश इस प्रकार से हो सकता है कि “माननीय MP/MLA महोदय, राईट-टू-रिकॉल-मंत्री के क़ानून को गजेट में प्रकाशित किया जाए जिससे कि हम मतदाता गृह और रक्षा मंत्री को छोड़कर दूसरे विभाग के मंत्रियों को बदल सकें जैसे कि शिक्षा मंत्री, खाद और रसायन मंत्री इत्यादि. पूरा ड्राफ्ट पढने के लिए कृपया इस लिंक को देखें:-http://tinyurl.com/RtrMinister”.
>>> जो लोग चाहते हैं कि प्रधानमंत्री/मुख्यमंत्री पारदर्शी-शिकायत-प्रणाली(TCP) के ड्राफ्ट को गजेट में प्रकाशित करें तो उन्हें इस टेक्स्ट “http://tinyurl.com/RahulMehtaOrder8 ” या “http://tinyurl.com/PrintTCP ” को एम्.पी./एम्.एल.ए. को SMS भेजना चाहिए. एम्.पी का मोबाइल नंबरhttp://tinyurl.com\rahulmehta3 से प्राप्त किया जा सकता है.
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मोदी सरकार के द्वारा लागू किये गए PUBLIC GRIEVANCE के इस सिस्टम(http://pgportal.gov.in/ViewStatus.aspx)
में जो व्यवस्था दी गई है उसमे कोई भी व्यक्ति किसी भी अन्य व्यक्ति के नाम पर कहीं से भी शिकायत दर्ज कर सकता है और शिकायर दर्ज करने वाले व्यक्ति की सत्यता को जांचने का कोई मार्ग नहीं है. इसके साथ ही धरना-प्रदर्शन, हस्ताक्षर प्रणाली भी वैसे ही व्यर्थ है क्योंकि हस्ताक्षर कोई भी किसी के नाम पे कर सकता है और उसकी सत्यता को जांचा नहीं जा सकता. इसके वदले में सरकार को TCP (Transparent-Verifiable Complaint-Proposal Procedure) सिस्टम को लागू करना चाहिए. इसके डिटेल के लिए आप इस लिंक पर देखें- www.rtrg.in/tcpsms
इस व्यवस्था को लागू करने से पूरे भारत को ये लाभ मिलेगा कि अगर किसी राज्य/जिले/गाँव में कोई अच्छी व्यवस्था लागू होती है तो उस अच्छी व्यवस्था को दुसरे राज्यों/गांवों/जिलों इत्यादि में भी वहां के नागरिकों की डिमांड पर लागू किया जाए.ये तभी संभव है जब भारत के नागरिक यहाँ के अन्य दूसरी जगह के लिए दर्ज की गई शिकायत और वहां की न्यायव्यवस्था को जान सकें.
सरकार को अपने न्यायव्यवस्था में सुधार के लिए अन्य दो कानूनों को भी लाये जाने की आवश्यकता है जो हमारे देश के उद्योगों की उत्पादकता तथा न्यायव्यवस्था में सुधार लाते हैं :-
1)http://tinyurl.com/RtrMinister
2) http://tinyurl.com/JurySys
इसके साथ देश के काम आने वाले सभी अत्याधुनिक हथियारों को भी अपने ही देश में बनाए जाने की जरुरत है न कि बाहर से आयात करने की क्योंकि हथियारों के लिए अन्य देशों पर निर्भरता ही हमें विदेशी कंपनियों को लाने के लिए मजबूर करती है.
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भारतीय उपमहाद्वीप की श्रेष्ठतम हुतात्मा डॉ ऐ पी जे कलाम ने आज भारत का साथ छोड़ दिया लेकिन वो अमर है | ऐसी आत्माएं मरती नही है | उनके धर्म में, उस धर्म के जानकर इस बाल ब्रह्मचारी को जन्नत में क्या देंगे लेकिन भारत की सभ्यता, संस्कृति और सनातन हिन्दू धर्म उन्हें महर्षि का दर्जा देती है और ऐसी आत्माएं अजर अमर होती हुयी, इस जीवन चक्र के आवागमन से मुक्त हो कर, मोक्ष को प्राप्त करती है |
भारत की स्वतंत्रता के बाद से अमरत्व को प्राप्त करने वाले स्वर्गीय डॉ ऐ पी जे कलाम भारत के श्रेष्ठतम महापुरुष थे | भारत उनका ऋण कभी नही चुका पायेगा |
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राजनीति, कानून सुधार एवं व्यवस्था परिवर्तन, विज्ञान, शोध व अनुसंधान में सभी को गहरी रूचि लेनी चाहिए क्योंकि यही वे चीज़ें हैं जो मानव-समुदाय का भाग्य एवं भविष्य-निर्माता होतीं हैं.
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जय हिन्द 

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