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Showing posts from January, 2016

पिछड़े लोग आखिर हैं कौन?

जब अन्याय ही क़ानून बन जाता है न, तो विद्रोह ही कर्तव्य हो जाता है !! . अगर आप भारत में रहते हैं तो आपने जातिगत आधारित सामाजिक व्यवस्था तथा रिजर्वेशन स िस्टम के साथ कभी न कभी लेन-देन किया ही होगा, जिंदगी में कम से कम एक बार तो ध्यान दिया ही होगा. . अगर भेद भाव की बात करे तो अगड़ो को तो छोड़ दीजिये , पिछड़ी जाती के लोग खुद को दलितों से श्रेष्ट समझते है , दलितों में ही ले लीजिये धोबी खुद को अन्य दलितों से श्रेष्ठ मानता है ,धनुक जाती के लोग खुद को चमार एवं खटिक जाती के लोगो से श्रेष्ठ समझते है , चमार खुद को पासी और जमादार से श्रेष्ठ मानते है | . इसी प्रकार पिछडो में भी यादव खुद को अन्य पिछडो से श्रेष्ट मानते हैं , पाल अपने को नाई , लोधी इत्यादि से श्रेष्ठ समझते है और इनमे से कोई भी एक दुसरे के साथ रोटी - बेटी का सम्बन्ध नहीं रखता | तो फिर छुआ - छूत के लिए सिर्फ अगड़ी जातियां ही किस प्रकार जिम्मेदार है ??? इन सब का मूल कारण है की हर व्यक्ति अपने मन में श्रेष्टता के अहंकार से ग्रसित है. अतः वह स्वयं के कर्म को और ओहदे को सदैव दूसरे से ज्यादा श्रेष्ट समझता है | इस लिए छुआ - छूत की समस्या सिर्फ

Increase in Service tax is a shock absorber for GST reforms so that public can't shout against GST

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Do you know that you are being made to pay for the GST reforms. Actually, you are already paying for a reform that will essentially be benefitting India Inc. Si nce April 2015 you are paying a service tax of 14% - up from 12.36% that you were paying earlier -- simply to prepare you to absorb the shock of a high GST rate (from April 1 2016 if the bill goes through Parliament). http://goo.gl/5oLbc0 . The big GST question: Why should I foot your bill?  DEVINDER SHARMA @devinder_sharma | 19 December 2015 One tax India is moving towards a uniform goods and services tax Supporters say GST will reform the country's convoluted tax regime Currently there are too many layers in India's tax system One beneficiary A flat GST will make the common man pay more It will lead to an increase in inflation Corporates will benefit the most from the new policy More in the story What has the GST experience been in other countries What should the governme

किसी रईस की संतान को मुक़दमे का सामना करना पड़ता है तो जुवेनाइल बोर्ड के सदस्य बिकने के लिए उनके घर पर कतार बाँध कर खड़े हो जाएंगे

2012 में हुए निर्भया बलात्कार काण्ड का मुख्य आरोपी सभी राजनैतिक पार्टियों की तरफ से आज रिहा कर दिया गया, क्योंकि --- . १) कांग्रेस ने 2012 से 2014 तक सत्ता में  रहते हुए जुवेनाइल एक्ट में संशोधन करने से इंकार कर दिया। . २) क्योंकि मई 2014 से दिसम्बर 2015 तक मोदी साहेब ने ऐसे किसी भी प्रस्ताव को संसद में रखने से इंकार कर दिया जिससे मुख्य आरोपी की रिहाई पर रोक लगाईं जा सके। . ३) क्योंकि मोदी साहेब ने ऐसे किसी अध्यादेश को लागू करने से भी इंकार कर दिया, जिससे मुख्य आरोपी को सलाखों के पीछे रखा जा सके . ४) क्योंकि मुख्य आरोपी की रिहाई पर रोक लगाने की जनहित याचिका लगाने वाले सुब्रह्मनियम स्वामी ने भी सरकार से ऐसा अध्यादेश लाने की मांग करने से इंकार कर दिया। . ५) क्योंकि अरविन्द केजरीवाल ने भी ऐसे किसी भी अध्यादेश या प्रस्ताव की मांग करने से इंकार कर दिया। . ६) क्योंकि राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी मुख्य आरोपी की रिहाई पर रोक लगाने के लिए आवश्यक प्रस्ताव या अध्यादेश की मांग करने से इंकार कर दिया। . ७) क्योंकि पिछले 3 साल से सड़को पर उतर कर मोमबत्तियां जलाने, महिला सुरक्षा के लिए धरना प्रदर्शन कर

GDP क्या बला है

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ये GDP क्या बला है ?? मित्रों, क्या आप जानते हैं कि जीडीपी का बढ़ता रेट स्वदेशी उत्पादन एवं स्वदेशी संसाधनों का विदेशियों द्वारा दोहन को दिखता है?  जीडीपी का मतलब ये नहीं है कि आपका देश कितना प्रगति कर रहा है, इसका मतलब ये है कि आपके देश के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर मूल्य एवं धन का कितना बार हस्तांतरण हुआ है. बीके हुए मीडिया चैनल्स इसे कुछ इस तरह से दिखाते हैं कि जैसे जीडीपी अगर नहीं बढ़ी या घ ाट गयी तो आपके देश का विकास ही निगेटिव हो गया या विकास होना बंद हो गया? क्या आप विकास का मतलब ये लगाते हैं कि कितनी विदेशी कंपनियां भारत में आयीं हैं? ऐसा विकास तो स्वदेशी उद्योगों को भी देश में बढ़ाकर किया जा सकता है. जब आप टूथपेस्ट खरीदते हैं तो GDP बढ़ती है परंतु किसी गरीब से दातुन खरीदते हैं तो GDP नहीं बढ़ती। जब आप किसी बड़े होस्पीटल मे जाकर 500 रुपे की दवाई खरीदते हैं तो GDP बढ़ती है परंतु आप अपने घर मे उत्पन्न गिलोय नीम या गोमूत्र से अपना इलाज करते हैं तो जीडीपी नहीं बढ़ती। जब आप घर मे गाय पालकर दूध पीते हैं तो GDP नहीं बढ़ती परंतु पैकिंग का मिलावट वाला दूध पीते हैं तो GDP बढ़ती है। जब आप अपने

निर्भया- नरेंद्र मोदी की काल्पनिक बेटी

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यदि नरेंद्र मोदी को किसी पुत्री के पिता बनने का अवसर प्राप्त होता, और यदि दिसंबर 2012 में साहेब की पुत्री के साथ वही हादसा पेश आता जो कि ज्योति सिंह के साथ पेश आया था और 2014 में यदि मोदी साहेब प्रधानमन्त्री बन जाते तो --- १. वे सबसे पहले वाजपेयी के लिए भारत रत्न के प्रस्ताव को खारिज कर देते, और यह सुनिश्चित करते कि सरकार में जेटली को कोई मंत्रालय नहीं मिले। क्योंकि वाजपेयी और जेटली ने मिलकर ही 1999 में जुवेनाइल की आयु 16 से बढ़ाकर 18 कर दी थी। . २. प्रधानमन्त्री पद की शपथ लेने के अगले दिन ही मोदी साहेब जो जुवेनाइल एक्ट प्रस्तुत करते उसमें 'वर्ष 2012 से प्रभावी' होने का प्रावधान जोड़ देते। [*उल्ल्खेनीय है कि मोदी साहेब ने जिस जुवेनाइल एक्ट को लोकसभा से पास किया है, उसमे उन्होंने अपने राजनैतिक स्वार्थो के चलते '2012 से प्रभावी' होने का प्रावधान जोड़ने का विशेष रूप से विरोध किया था, ताकी अशरफ अली (छद्म नाम) की रिहाई में कोई बाधा न बने। अत: मोदी साहेब द्वारा प्रस्तावित जुवेनाइल एक्ट यदि नाबालिग की रिहाई से पहले भी राज्य सभा से पास हो जाता, तब भी इस क़ानून के

निर्भया को अंतिम न्याय

अटल बिहारी वाजपायी ने जुवेनाइल का उम्र 16 से बढाकर 18 किया था 1999 में, औरअब मोदी ने निर्भय केस में नाबालिग और बालिग़ का निर्णय लेने का अधिकार नाबालिग बोर्ड को देकर हम भारतीय नारियों को यही सन्देश दिया है कि जो लोग शादीशुदा एवं बच्चेदार नहीं हैं, उनको हम स्त्रियों को कभी वोट नहीं देना चाहिए, ऐसे हिजड़ों को प्रधानमन्त्री तो क्या पार्लिअमेंट में बैठने का कोई अधिकार नहीं है, क्योंकि जो लोग कि खुद कि बेटियाँ नहीं, जिनका कोई परिवार नहीं, साथ में रहने वाली पत्नी नहीं, जिनका अपनी पत्नी व बेटी के लिए कोई उत्तरदायित्व नहीं, वे क्या किसी अन्य व्यक्ति की बेटी या स्त्री के दुःख का क्या पता कभी लगा सकते हैं? परिवारहीन नेताओं का समाज से जुडाव कैसा? . क्या स्त्री-शरीर से खलेने वाला भी नाबालिग हो सकता है? और क्या शरीर की वृद्धि हो जाने से कोई बालिग़ हो जाता है? . मोदी के निर्णय से यही सन्देश भारतीय जन-मानस में गया है कि - स्त्री कोई जीव नहीं है, उसे सम्मानपूर्वक जिंदगी जीने का कोई अधिकार नहीं है, वो एक जंतु भी नहीं है, मात्र कोई सब्जी-भाजी है, जिसको पुरुषों द्वारा जितना खाया जाए, उस पुरुष को समाज और

श्रीमती इंदिरागांधी सरकार बनाम मोदी सरकार :-

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सामने से वार करने वाला दुश्मन, विश्वाश्घाती दोस्त से अधिक बढ़िया होता है.  जिस समाज के पढ़े लिखे लोग अपने ही समाज के प्रति उत्तरदायी और चिंतित न हो उस समाज का सत्यानाश करने के लिए शत्रुओ की आवश्यकता नही पडती. . अब तक के इतिहास में अगर इमरजेंसी का निर्णय छोड़ दिया जाये तो अकेले इन्दिरा गांधी ही एक ऐसी राष्ट्रीय राजनेता हुई हैं जिनके मन में गरीबों के प्रति पीड़ा थी। हालांकि कांग्रेस का बड़ा तबका उनकी इस शख्सियत का विरोधी था। याद करिए वह इन्दिरा जी ही थीं जिन्होंने राजाओं-नव्वाबों की चली  आ रही बपौती को समाप्त किया। एक झटके में उन्होंने प्रीवीपर्स बिल लाकर राजाओं के विशेषाधिकार छीन लिए। जो उन्हें ब्रिटिश सत्ता की दलाली के एवज में मिले थे। इसके पहले उन्होंने किरायेदारी एक्ट में संशोधन किया था जिसके चलते ही गांव से भागकर आया गरीब और वंचित तबका शहर में सम्मानजनक जीवन जी सका। 1967 में इन्दिरा गांधी ने किरायेदारी अधिनियम में संशोधन किया था जिसके कारण किसी किरायेदार को अकारण न तो मकान से निकाला जा सकता था न हर साल किराया बढ़ाया जा सकता था और डीएम को अधिकार दिया कि वह मकान का न्यूनतम व अधिकतम