GDP क्या बला है

ये GDP क्या बला है ?? मित्रों, क्या आप जानते हैं कि जीडीपी का बढ़ता रेट स्वदेशी उत्पादन एवं स्वदेशी संसाधनों का विदेशियों द्वारा दोहन को दिखता है? 

जीडीपी का मतलब ये नहीं है कि आपका देश कितना प्रगति कर रहा है, इसका मतलब ये है कि आपके देश के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर मूल्य एवं धन का कितना बार हस्तांतरण हुआ है.
बीके हुए मीडिया चैनल्स इसे कुछ इस तरह से दिखाते हैं कि जैसे जीडीपी अगर नहीं बढ़ी या घाट गयी तो आपके देश का विकास ही निगेटिव हो गया या विकास होना बंद हो गया?

क्या आप विकास का मतलब ये लगाते हैं कि कितनी विदेशी कंपनियां भारत में आयीं हैं? ऐसा विकास तो स्वदेशी उद्योगों को भी देश में बढ़ाकर किया जा सकता है.

जब आप टूथपेस्ट खरीदते हैं तो GDP बढ़ती है परंतु किसी गरीब से दातुन खरीदते हैं तो GDP नहीं बढ़ती।

जब आप किसी बड़े होस्पीटल मे जाकर 500 रुपे की दवाई खरीदते हैं तो GDP बढ़ती है परंतु आप अपने घर मे उत्पन्न गिलोय नीम या गोमूत्र से अपना इलाज करते हैं तो जीडीपी नहीं बढ़ती।

जब आप घर मे गाय पालकर दूध पीते हैं तो GDP नहीं बढ़ती परंतु पैकिंग का मिलावट वाला दूध पीते हैं तो GDP बढ़ती है।

जब आप अपने घर मे सब्जिया उगा कर खाते हैं तो GDP नहीं बढ़ती परंतु जब किसी बड़े AC माल मे जाकर 10 दिन की बासी सब्जी खरीदते हैं तो GDP बढ़ती है।

जब आप गाय माता की सेवा करते हैं तो GDP नहीं बढ़ती परंतु जब कसाई उसी गाय को काट कर चमड़ा मांस बेचते हैं तो GDP बढ़ती है।

रोजाना अखबार लिखा होता है की भारत की जीडीपी 8 .7 % है कभी कहा जाता है के 9 % है ; प्रधानमंत्री कहते है की हम 12 %जीडीपी हासिल कर सकते है पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलम कहते थे की हम 14 % भी कर सकते है , रोजाना आप जीडीपी के बारे में पड़ते है और आपको लगता है की जीडीपी जितनी बड़े उतनी देश की तरक्की होगी ।

कभी किसीने जानने की कौशिश की के ये जीडीपी है क्या ? आम आदमी की भाषा में जीडीपी का क्या मतलब है ये हमें आज तक किसी ने नही समझाया । GDP actually the amount of money that exchanges hand . माने जो पैसा आप आदान प्रदान करते है लिखित में वो अगर हम जोड़ ले तो जीडीपी बनती है ।

अगर एक पेड़ खड़ा है तो जीडीपी नही बढती , लेकिन अगर आप उस पेड़ को काट देते है तो जीडीपी बढती है किउंकि पेड़ को काटने के बाद पैसा आदान प्रदान होता है , पर पेड़ अगर खड़ा है तो तो कोई इकनोमिक activity नही होती जीडीपी भी नही बढती ।

अगर भारत की सारे पेड़ काट दिया जाये तो भारत की जीडीपी 27 % हो जाएगी जो आज करीब 7 % है । आप बताइए आपको 27 % जीडीपी चाहिए या नही !
अगर नदी साफ़ बह रही है

तो जीडीपी नही बढती पर अगर आप नदी को गंध करते है तो जीडीपी तिन बार बढती है । पहले नदी पास उद्योग लगाने से जीडीपी बढ गयी, फिर नदी को साफ़ करने के लिए हज़ार करोड़ का प्रोजेक्ट लेके ए जीडीपी फिर बढ गयी , फिर
लोगोने नदी के दूषित पानी का इस्तेमाल किया बीमार पड़े, डॉक्टर के पास गए डॉक्टर ने फीस ली , फिर जीडीपी बढ गयी ।

अगर आप कोई कार खरीदते है , आपने पैसा दिया किसीने पैसा लिया तो जीडीपी बढ गयी, आपने कार को चलाने के लिए पेट्रोल ख़रीदा जीडीपी फिर बढ गयी, कार के दूषित धुयाँ से आप बीमार हुए , आप डॉक्टर के पास गए , आपने फीस दी उसने फीस ली और फिर जीडीपी बढ गयी । जितनी कारे आयेगी देश में
उतनी जीडीपी तिन बार बढ जाएगी और इस देश रोजाना 4000 जादा कारे खरीदी जाती है ,

25000 से जादा मोटर साइकल खरीदी जाती है और सरकार भी इसकी तरफ जोर देती है किउंकि येही एक तरीका है के देश की जीडीपी बड़े।

हर बड़े अख़बार में कोका कोला और पेप्सी कोला का advertisement आता है और ये भी सब जानते है के ये कितने खतरनाक और जेहरिला है सेहत के लिए पर फिर भी सब सरकारे चुप है और आँखे बंध करके रखा है किउंकि जब
भी आप कोका कोला पीते है देश की जीडीपी दो बार बढती है । पहले आप कोका कोला ख़रीदा पैसे दिया जीडीपी बढ गया , फिर पिने के बाद बीमार पड़े डॉक्टर के पास गए, डॉक्टर को फीस दिया जीडीपी बढ गयी ।

आज अमेरिका में चार लाख लोग हर साल मरते है किउंकि वो खाना खाते है , किउंकि जो जंक फ़ूड है कार्बोनेटेड ड्रिंक्स है वो खाने से मोटापा और
बीमारी होती है , आज 62 % अमेरिका के लोग क्लीनिकली मोटापा के सिकार है और हमारे देश में 62 %लोग तो कुपोषन के सिकार है । ये भी जीडीपी बदने
का एक तरीका है , जितना जादा प्रदुषण खाने में होगा उतना जादा जीडीपी बढता है ।

आज अमेरिका में चार लाख लोग हर साल मरते है किउंकि वो खाना खाते है , किउंकि जो जंक फ़ूड है कार्बोनेटेड ड्रिंक्स है वो खाने से मोटापा और
बीमारी होती है , आज 62 % अमेरिका के लोग क्लीनिकली मोटापा के सिकार है और हमारे देश में 62 %लोग तो कुपोषन के सिकार है । ये भी जीडीपी बदने का एक तरीका है , जितना जादा प्रदुषण खाने में होगा उतना जादा जीडीपी बढता है ।

पहले फ़ूड इंडस्ट्री की बृद्धि हुई जीडीपी बड़ी ,उसके साथ फार्मासिउटीकाल्स की बृद्धि हुई फिर जीडीपी बढ गयी , फिर इसके साथ इन्सिउरेंस भी बृद्धि हुई ।
ये तिन इंडस्ट्री आपस में जुडी हुई है इसीलिए आज इन्सिउरेंस इंडस्ट्री फ़ूड
में पैसा लगा रहा है किउंकि आपजितना जादा ख़राब फ़ूड खायेंगे इन तिन
इंडस्ट्री का बृद्धि होगी और जीडीपी बढेगी ।

अब क्या आपको जीडीपी बढानी है या घर में खाना बनाना है ! अब घर में खाना बनाने से जीडीपी नही बढती । इस मायाजाल को समझे ।
अमेरिका में आज करीब चार करोड़ लोग भूखे पेट सोते है यूरोप में भी चार करोड़ लोग भूखे सो रहे है , भारत में सरकारी आंकड़ा के अनुसार करीब 32 करोड़ लोग भूखे सोते है , अगर जीडीपी ही एक विकास का सूचक होती तो अमेरिका में भूख ख़तम हो जानी चाहिए थी पर अमेरिका और यूरोप में भूख बढ रही है

भारत में भी जीडीपी के साथ भूख बढ रही है !

आपसे निवेदन है कुछ समय निकालकर देश की आर्थिक स्थिति और
उसके कारणो को समझने का प्रयास करें
अतः आप सबसे निवेदन है कि जीडीपी ग्रोथ पे ध्यान देने की बजाय स्वदेशी उत्पाद कितने प्रतिशत बनाये गए और कितना स्वदेशी सामान एक्सपोर्ट हो रहा है, इसपर ध्यान दें.

मित्रों, राईट-टू-रिकॉल समूह द्वारा उपाय इस लिंक मेंtinyurl.com/SwadeshiBadhao बतलाये गए हैं जिसको गजेट में प्रकाशित करवाकर आप क़ानून का रूप दिलवा कर देश का तथा स्वदेशी कारन का भला कर सकते हैं. आप यह मांग इस प्रकार कर सकते हैं-

"माननीय सांसद/विधायक/प्रमं/राष्ट्रपति/अधिकारी, मैं वोटर आई डी नंबर xyz अपने सांवैधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपसे क़ानून ड्राफ्ट tinyurl.com/SwadeshiBadhao को पूरे भारत में लाये जाने की मांग करता/करती हूँ. "

अन्य निम्नलिखित क़ानून सुधार के पॉइंट्स, सभी देशवासियों की भलायी के लिए है, आपको अपने नेताओं से निम्न कानूनों को लागू किये जाने की मांग करना चाहिए अपने सांसदों, विधायकों, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति से. याद रखिये, राजनीति ही किसी भी देश में जनता एवं उनके भावी पीढ़ी की दिशा व भविष्य तथा मानवता की दिशा निर्धारित करती है.

TCP (पारदर्शी शिकायत सिस्टम) की सहायता से पीएम/सीएम पर डायरेक्ट इलेक्शन की माँग करना। SC/HC/DC के जजों पे चुनाव की माँग करना और ज्यूरी ट्रायल की डिमांड करना। जजो पे राईट टू रिकॉल की माँग करना।
TCP की सहायता से पीएम/सीएम पर डायरेक्ट इलेक्शन की माँग करना। SC/HC/DC के जजों पे चुनाव की माँग करना और ज्यूरी ट्रायल की डिमांड करना। जजो पे राईट टू रिकॉल की माँग करना।
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TCP से सम्बंधित लिंक >> TCP (Transparant Complaint Procedure) : tinyurl.com/TeenLineKanoon

आपसे अनुरोध है कि आप एक बार इसको पढ़ें. सिर्फ तीन लाइन का यह कानून गवाह, अपराध की जानकारी देने वाले कार्यकर्ताओं (सचेतकों) की जान बचायेगा, भ्रष्टाचार, गरीबी, अशिक्षा, महंगाई, बेरोजगारी आदि समस्याओं को कुछ ही महीने में कम कर देगा और देश में सच्चे लोकतंत्र की स्थापना करेगा ।
इस क़ानून-ड्राफ्ट की मांग सांसदों/विधायकों से गजेट में प्रकाशित कर क़ानून का रूप दिए जाने की मांग कर सकते हैं, साथ ही आपका मांग सांवैधानिक भी है क्योंकि हम एक प्रजातांत्रिक गणतंत्र में रह रहे हैं-
"माननीय सांसद/ विधायक महोदय, मैं अपने सांवैधानिक कर्तव्य का पालन करते हुए पारदर्शी शिकायत सिस्टम के ड्राफ्टtinyurl.com/TeenLineKanoon को भारतीय गजेट में प्रकाशित कर क़ानून का रूप दिए जाने की मांग करता/ करती हूँ. धन्यवाद, वोटर संख्या- xyz. "
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कैसे ये प्रक्रिया नागरिकों, गवाहों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की जान बचा सकती है ? जैसे की आप राजिव-दीक्षित जी के हत्यारों को इस प्रणाली से खोजकर उचित सजा भी दिलवा सकते हैं.

मान लीजिए, किसी क्षेत्र में कोई अपराध हुआ है और नागरिक उसकी एफ.आई.आर. लिखवाता है या गवाही/सबूत देता है और नागरिक को एफ.आई.आर. की कॉपी मिलती है तो उसे कोई भ्रष्ट पुलिस अफसर अपराधियों के साथ सांठ-गाँठ करके आसानी से दबा सकते हैं | क्योंकि नागरिक अपनी दर्ज एफ.आई.आर. या अर्जी जमा करने के बाद देख नहीं सकते |
और आज के सिस्टम में गवाहों को गलत तत्व आसानी से डरा-धमका सकते हैं ; यहाँ तक गवाहों को जान से भी मार दिया जाता है | क्योंकि गुंडों को मालूम है कि अधिक लोगों को तथ्य की जानकारी नहीं है और गवाह दबाने/मारने से सबूत समाप्त हो जायेंगे |

लेकिन यदि नागरिकों के पास ये नागरिक-प्रामाणिक विकल्प है कि वे अपनी बात, सबूत या राय अपनी वोटर आई.डी. नंबर के साथ सार्वजनिक रूप से दर्शा सकते हैं, तो पुलिस अफसर देखेगा कि सबूत को दबाया नहीं जा सकता है, अब तो लाखों-करोड़ों को प्रमाण प्राप्त हो गए हैं | और गुंडों को भी समझ में आएगा कि गवाह ने अपना बयान सार्वजनिक कर दिया है - इसीलिए अब गवाह को मारने से कोई लाभ नहीं है | इस प्रकार गवाह की भी जान बच जायेगी |

क्यों भारत के नागरिकों को इस कानून की सबसे ज्यादा जरुरत है ?
भारतीय राज व्यवस्था में सबसे बड़ा दोष यह है कि नागरिकों के पास शासकों के सम्मुख अपनी स्पष्ट मांग संगठित रूप से रखने की कोई नागरिक-प्रामाणिक प्रक्रिया नहीं है ।

यदि प्रधानमन्त्री या मुख्यमंत्री अपनी कोई बात जनता के सामने रखना चाहे तो वे ऐसा मिडिया के माध्यम से आसानी से कर सकते है, किन्तु यदि जनता अपनी कोई मांग या सुझाव् शासन के सम्मुख रखना चाहे तो उन्हें अनशन, धरने, विरोध प्रदर्शन, हस्ताक्षर अभियान, ज्ञापन, रास्ता जाम, नारेबाजी आदि असंगठित तरीकों को अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ता है । किन्तु इन सब तरीकों से कोई 'नागरिक प्रमाणिक' प्रमाण पैदा नहीं होता, मतलब कोई भी नागरिक स्वयं जांच सके, ऐसा प्रमाण नहीं मिल पाता कि कितने नागरिक अमुक विषय के समर्थन या विरोध में हैं । नागरिक-प्रामाणिक नहीं होने से इन प्रक्रियाओं की विश्वसनीयता नहीं होती और नागरिक या अफसर कोई स्पष्ट निष्कर्ष पर नहीं आ पाते |

www.pgportal.gov.in जैसी सरकारी साईट में नागरिक के वोटर आई.डी. के साथ शिकायत दर्शाने का विकल्प भी नहीं है, जिससे दूसरे नागरिक ये पता नहीं लगा सकते कि शिकायत दर्ज करने वाला व्यक्ति असली हैं कि नकली | लेकिन टी.सी.पी. में नागरिक की राय पहचान पत्र के साथ प्रधानमंत्री वेबसाईट पर आएगी ; कोई भी नागरिक वोटर आई.डी. राय वाले डाटा का सैम्पल लेकर, राय देने वाले व्यक्तियों का पता निकालकर उनसे संपर्क करके स्वयं पता लगा सकता हैं कि डाटा सही है कि नहीं |

जिन लोगों के पास इन्टरनेट नहीं भी है, वे भी इस प्रक्रिया का उपयोग कर सकेंगे, कलक्टर दफ्तर या निश्चित सरकारी दफ्तर जाकर और अपनी अर्जी प्रधानमंत्री वेबसाईट पर स्कैन करवाकर | क्योंकि इस प्रक्रिया में कोई भी व्यक्ति कभी भी अपनी राय बदल सकता है, ये प्रक्रिया पैसों, गुंडों, मीडिया द्वारा या अन्य किसी भी प्रकार से प्रभावित नहीं कि जा सकेगी | प्रक्रिया नागरिक-प्रामाणिक होने से कोई भी नागिक स्वयं जांच सकता है कि सच क्या है, क्या नहीं |

इस प्रस्तावित प्रक्रिया के लागू होने से प्रस्तावों को दबाया नहीं जा सकता है और दूसरे जनहित के प्रक्रियाओं की आने की सम्भावना बढ़ जायेगी जिससे गरीबी और भ्रष्टाचार को कुछ ही महीनों में कम किया जा सकता है |

अधिक जानकारी के लिए http://www.righttorecall.info/tcpsms.h.htm देखें (डाउनलोड लिंक - http://www.righttorecall.info/tcpsms.h.pdf)|
प्रश्नोत्तरी के लिए http://www.righttorecall.info/007.h.htmदेखें (डाउनलोड लिंक - http://www.righttorecall.info/007.h.pdf) |
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दुसरे कुछ महत्वपूर्ण क़ानून सुधार प्रस्ताव जो न्याय-प्रक्रिया को त्वरित एवं सुदृढ़ बना सकते हैं-
स्वदेशी निर्माण को सहायतार्थ क़ानून-tinyurl.com/SwadeshiBadhao
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Jury System : https://www.facebook.com/notes/399473430209088
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राइट टू रिकाल - हिन्दी व्याख्या https://www.facebook.com/notes/451577328332031
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Mineral Royalty for Citizen and Military (MRCM) :https://www.facebook.com/notes/399475206875577
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Permanent Solution for Paid Media.https://www.facebook.com/notes/400255136797584
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चेनल्स द्वारा परोसी जा रही अश्लीलता और नग्नता पर रोक लगाने का समाधान https://www.facebook.com/528756677280762
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What is Gazette Notification and How it Looks ?https://www.facebook.com/notes/399467490209682

Solution for Reservation. https://www.facebook.com/notes/517180525105044

Jury System : https://www.facebook.com/notes/399473430209088

आप सभी पाठकों से आग्रह है की उपरोक्त लिंक में दिए हुए क़ानूनसुधार के ड्राफ्ट की प्रक्रिया को गजेट में छापकर क़ानून बनाए जाने का दबाव आपसब राष्ट्रपति, प्रधानमन्त्री, सांसदों विधायकों बनाए.

धन्यवाद.

जय हिन्द.

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