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Showing posts from June, 2016

देवपूजन: दैवीगुणों के विकास की वैज्ञानिक पद्धति

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सनातन धर्म में अनेक देवी देवताओं के पूजन का विधान है. मानव को महामानव बनाने की एक ऐसी वैज्ञानिक पद्धति विश्व के किसी भी दुसरे धर्म में नहीं है. इसीलिए एनी वेसेंट ने कहा: "मैंने विश्व के सभी बड़े धर्मों का अध्ययन करके पाया कि हिन्दू धर्म के सामान पूर्ण, महान और वैज्ञानिक धर्म कोई नहीं है. यदि हिन्दू ही हिन्दू धर्म को न बचा सके तो और कौन बचाएगा? यदि भारत की संतान ही अपने धर्म पर दृढ न रही तो कोण उस धर्म की रक्षा करेगा?" ईश्वर एक है परन्तु उसकी शक्तियां अनंत हैं. साधारण व्यक्ति के लिए ईश्वरीय शक्ति की भेद- विभेद को समझाना अत्यंत कठिन है. जन साधारण इस गुप्त भेद को समझकर उन दिव्य शक्तियों का समुचित लाभ उठा सके इसलिए हमारे सूक्ष्म दृष्टा ऋषियों ने "देव पूजन" की एक सरल वैज्ञानिक पद्धति बनाई. समस्त प्राणियों में मनुष्य ही एकमात्र ऐसा प्राणी है जो तप- साधना के द्वारा अपने भीतर ईश्वर की समस्त शक्तियों को विकसित कर सकता है. इस साधना में "ध्यान योग" प्रधान है क्योकि मनोविज्ञान के अनुसार हम जिसका गहराई से चिंतन करते हैं, उसके गुण हमारे अंदर प्रगट होने लगते है

भारतीय मीडिया रुपी स्वघोषित जज/परीक्षक/ज्यूरी/वकील/अभिभावक को ठीक करने के लिए क्या करना चाहिए?

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भारतीय मीडिया एक स्वघोषित जज सिस्टम, ज्यूरी सिस्टम, वकील, डॉक्टर, परीक्षक व जनता का अभिभावक है, जिसके अनुसार वह जो भी दिखा दे उसपर जनता विश्वास कर ले. ज्यादा प्रश्न किया तो आप किसी पार्टी के ठेकेदार करार दिए जायेंगे.वे जो चाहें, जो भी प्रश्न पीड़ित, अपराधी इत्यादि से पूछ सकते हैं. इसके समाधान के लिए सभी भ्रष्ट सरकारी अधिकारियों, मंत्रियों को उनके पद से निष्कासित करने का अधिकार जनता के हाथ में होना ही चाहिए, लेकिन समस्या ये है की जनता अपनी शक्ति पहचान नहीं पा रही है. इसीलिए  तो सही से दसवीं पास लोग बिहार के मंत्री-पद पे बैठे हैं, जो सही से देख कर भी अपना स्वयं का  शपथ-पत्र भी नहीं पढ़ सकते हैं. खैर.. चौधरी चरण सिंह ने यूपी में साइंस साइड के छात्रों को यह सुविधा दी थी कि अगर दसवीं या बारहवीं की परीक्षा में ये छात्र फेल होंगे तो पास माने जाएंगे। नतीजा यह हुआ कि अच्छे खासे पढाकू छात्र भी अंग्रेजी में फेल हो गए। सन 1969 में तब इंटरमीडिएट कालेज के एक छात्र वरियाम सिंह ने बारहवीं पास की। वह यूपी बोर्ड की मेरिट लिस्ट में था। उसके अस्सी परसेंट से ऊपर नंबर थे मगर अंग्रेजी में वह फेल थ

बिहार के इंटरमीडियेट परीक्षा के टॉपर्स घोटाले में सम्बंधित बच्चों की गिरफ्तारी सरकारी तंत्र की नाकामी पर पर्दा डालने के लिए षड्यंत्र का एक हिस्सा है.

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बिहार के इंटरमीडियेट परीक्षा के टॉपर्स घोटाले में सम्बंधित बच्चों की गिरफ्तारी, सरकारी तंत्र की नाकामी पर पर्दा डालने के लिए षड्यंत्र का एक हिस्सा है. . बिहार के इंटरमीडियेट परीक्षा के टॉपर्स घोटाले में नादान बच्चों और बच्चियों की गिरफ्तारी कानूनी और तकनीकी तौर पर सही होने के बावजूद बिहार की पुलिस और सरकार के अमानवीय चेहरे को ही ज्यादा उजागर करती है। क्या ये जुवेनाइल एक्ट का उल्लंघन नहीं है? . क्या इतने सुनियोजित षड्यंत्र के लिए ये छोटे-छोटे बच्चे ज़िम्मेदार हो सकते हैं ? यह निर्ममता शायद सरकार द्वारा कुछ बड़े-बड़े लोगों के कुकृत्य और अपनी नाकामी पर पर्दा डालने के लिए ही उठाया गया है। . बेहतर होता कि इन मासूमों को गिरफ्तार करने के बज़ाय सरकार उनके जालसाज अभिभावकों, संबंधित कालेजों के प्रबंधकों और इंटरमीडिएट बोर्ड के अधिकारियों को पकड़ कर हवालात भेजती और प्राथमिकता के आधार पर संबंधित मुकदमों का ट्रायल कराकर उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलाती। . इससे इन बच्चों को सबक तो मिलता ही, बिहार के शिक्षा विभाग में लंबे अरसे से सक्रिय जालसाजों और घोटालेबाजों के बीच एक

भक्तों के अनुसार नेहरू ने एनएसजी में भारत की सदस्यता के प्रस्ताव को ठुकराया था, लेकिन सच कुछ और ही है.

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कुछ पार्टी-भक्त लिख रहे है मोदी NSG के लिए दिन रात मेहनत कर रहे है जबकि 1960 में अमेरिका ने नेहरू को NSG का सदस्य बनने का ऑफर दिया जिसको नेहरु जी ने ठुकरा दिया. हालाँकि, एनएसजी में सदस्यता न मिल पाने के जवाब में मोदी सरकार ने पेरिस क्लाइमेट अग्रीमेंट को अभी लागू न करने का निर्णय लिया है, जिसे ओबामा गवर्नमेंट का अभी तक का सबसे बड़ा उपलब्धि करार दिया जा रहा था. खैर.. . अब इन अंध भक्तो से पूछे की NSG बनी कब ? 1974 में जब श्रीमती इंदिरागाँधी ने परमाणु परीक्षण किया, उसका उत्तर देने के लिए  NSG का गठन हुआ जिसकी पहली बैठक १९७५ में हुई थी. उसके बाद १९७८ तक कई बैठक हुई इसकी. Anyway.. . महीनो से जारी जिस राजनैतिक और कुटनीतिक घटना का पटाक्षेप हुआ हैं वैश्विक मंच पर वो खासतौर से विश्व के तीन राष्ट्र के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण रहा ये तीन अमेरिका, भारत और चीन, बाकि के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष जुड़े हैं जिनका भी योगदान और भूमिका काबिलेतारीफ रहा. =========== परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह  भारत के पहले परमाणु परिक्षण के बाद अस्तित्व में आया जिसका मकसद मुख्य रूप से यही था की कोई नयी ताकत उभर कर पश