सन-1971 में पाकिस्तान के दो ही टुकड़े क्यूँ हुए, इस देश के पांच टुकड़े नही हो पाने के क्या कारण थे?

◆ मित्रों, सन १९७१ में पाकिस्तान के दो देशों में बाँटने के दरम्यान, रूस ने हमें हथियारों एवं उनके स्पेयर पार्ट्स का सप्लाई किया था लेकिन रूस ने पाकिस्तान के और दो-तीन टुकड़े करने में हमारा साथ इसीलिए नहीं दिया था क्योंकि अगर पाकिस्तान खतम हो जाता तो वो हथियारों की सप्लाई हमें फिर क्यों करता?
क्यूंकि पाकिस्तान के खत्म हो जाने के बाद भारत के साथ युद्ध करने वाला एक देश खत्म हो जाता, इसके साथ साथ उस समय के युद्ध में पाकिस्तान अगर सऊदी अरब से मदद मांगता जिससे रूस कई तरह से संधियों में बंधा हुआ देश था, तो उस समय रूस किसी भी कीमत पर मदद नहीं कर सकता था.
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अगर रूस ने उस समय हमें मदद की होती ना, तो पीओके(पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर) जो आज पाकिस्तान का हिस्सा है, उसे भी हिन्दुस्तान में वापस लिया जा सकता था. लेकिन ऐसा नहीं हो सका, क्यूंकि हमें हथियारों के लिए विदेशी संस्थाओं का मुंह ताकना पड़ता था. 


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ये भी ध्यान रखना चाहिए कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई देश पहले अपना सोचता है, वहां कोई भाईचारा नहीं होता, केवल संधि होती है, अब ये संधि आपके अपने देश के फायदे के लिए हो या नुक्सान के लिए, संधि हमेशा आर्थिक एवं सामरिक शक्ति से मजबूत देशों के ही पक्ष में हुई है इतिहास में, आप इतिहास उठा के देख लीजिये.
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◆ अतः भारत को अपने हथियार स्वयं के बलबूते पर निर्माण करने में महारथ हासिल करना चाहिए, ना कि विदेशी कंपनियों द्वारा यहाँ कि जमीन पर निर्मित होने वाले हथियार./
अधिक जानकारी के लिए सुनें- https://www.youtube.com/watch?v=Tgv-UPZDfjQ&sns=fb
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◆ आप सब जानते हैं कि हमारे देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के द्वारा विदेशी कंपनियों को ये अधिकार दे दिया गया है कि, वे यहाँ आकर हथियार निर्माण करें, और निर्यात करें लेकिन सरकार आपको ये नहीं बता रही है कि. इन कंपनियों द्वारा होने वाले निर्यात यहाँ विदेशी मुद्रा भण्डार में कमी लाते हैं, जिसके लिए सरकार को विदेशी बैंक से पुनः कर्ज लेना होता है, और इसका पुनर्भरण इतना आसान नहीं है, इस चक्र-व्यूह में फंसकर कई देश दिवालिया हो चुके हैं.
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मित्रों, अब ये आपके हाथ में है कि आप अपने देश को बचाने के लिए क्या करते हैं , किस तरह का एक्शन लेते हैं?
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◆ आप को इसके लिए एक तरह का जनांदोलन करना चाहिए लेकिन शांत तरीके से.
★ये ध्यान रखें कि यहाँ आप जिस तरह का क़ानून लाना चाहते हैं, उसे मात्र एक पत्र जिसे गजेट-नितिफिकेशन कहते हैं, में प्रकाशित करवा कर तत्काल प्रभाव से क़ानून के रूप में अपने देश में लागू होता देख सकते हैं और ये प्रक्रिया आसान भी है, इसके लिए आपको केवल ये करना होगा कि अपने अपने सांसदों-विधायकों के ऊपर जनसमूह ये नैतिक दबाव बनाए कि वे अमुक अमुक क़ानून-ड्राफ्ट्स को गजेट में प्रकाशित करने के लिए प्रधानमंत्री पर दबाव बनाएं, अन्यथा आप उन्हें वोट नहीं देंगे.
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★ भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540
आप अपना आदेश इस प्रकार भेजें-
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"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको भारत में स्वदेशी हथियारों के उत्पादन के लिए प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/809740312477540 क़ानून को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून भारत में लाये जाने का आदेश देता /देती हूँ.
वोटर-संख्या- xyz
धन्यवाद "
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★ भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक का यह संविधानिक अधिकार तथा कर्तव्य है कि, वह देश को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक आदेश अपने सांसद को भेजे। आप दिए गए ड्राफ्ट्स के लिनक्स में जाकर उनका अध्ययन करें, अगर सहमत हों तो अपने नेता/ मंत्री/ विधायक/प्रधानमन्त्री/राष्ट्रपति को अपना सांविधानिक आदेश जरूर भेजें.
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★ यह डिमांड सांविधानिक है, क्यूंकि भारत एक प्रजातंत्र है. इसमें सभी नागरिकों को अपने देश की भलाई के लिए क़ानून लाने के लिए प्रस्ताव देने और अपने नेताओं को आदेश देने का अधिकार स्वतः ही प्राप्त है.
आपने यह भी ध्यान दिया होगा की हमारे देश के पास अत्याधुनिक हथियारों की कमी है, जो भी टेस्ट्स होते हैं परिक्षण इत्यादि के,उनमे से पचास प्रतिशत से ज्यादा उपकरण व सॉफ्टवेर बाहर से आयातित होते हैं, वहां के ही अभियंता भारत आकर यहाँ के अभियंताओं को उन उपकरण चलाने की ट्रेनिंग दे देते हैं, और समाचार में आता है की हमारे देश ने अमुक अमुक टेक्नोलॉजी को स्वनिर्मित किया है, ये जो बात स्वनिर्मान की है, वो केवल २० - ३० प्रतिशत उपकरणों पर ही सही बैठती है, लेकिन जिस तरह से इन तरह के समाचारों को न्यूज़ में दिखाया जाता है, वैसा नहीं होता रियल में.
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★ हमारे देश में स्वनिर्मित हथियार बनाने में उतनी उच्च-गुणवत्ता हासिल नहीं होने का कारण हमें यह बताया जाता है, की हमारे देश के पास उतनी संपत्ति नहीं है, लेकिन अगर बात भ्रष्ट लोगों-अधिकारियों-मंत्रियों से गबन किये गए धन को वसूलने की बात आती है तो यहाँ का भ्रष्ट न्यायिक सिस्टम, इस बात को थोड़े ही दिनों में न्यूज़ चलाकर इन मामलों को ही बंद करवा देती है, रही बात न्याय की तो वो तो इस देश में मृत्यु-उपरान्त भी चलता है, इसमें क्या बड़ी बात है?
पर्याप्त धन दे दो और कोर्ट-कचहरी में मामले का डेट बढाते जाओ, तब तक बढ़ाओ जब तक की पीड़ित-पक्ष या अपराधी-पक्ष या दोनों की ही मृत्यु ना आ जाये.
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★ उसी तरह से आप परमाणु परिक्षण की क्षमता में भी भारत की तुलना अन्य देशों से कर सकते है, इसकी अध्ययन सामग्री आपको इन्टरनेट पर काफी मात्रा में मिल जायेगी. अगर आप उन अध्ययन संसाधनों को ध्यान से पढेंगे तो पायेंगे की भारत एवं पाकिस्तान की परमाणु क्षमता में कोई ख़ास अंतर नहीं है, कभी आपने यह ध्यान देने की कोशिश की कि द्वितीय परमाणु परिक्षण के बाद भारत पुनः और आगे की श्रृंखला का परमाणु-परिक्षण क्यों नहीं कर सका?
आपमें से कई लोग यह कहेंगे की भारत ने कभी दुसरे देशों पर आक्रमण नहीं किया , हम शान्ति-प्रिय देश हैं, हम पर भी कभी कोई आक्रमण नहीं करेगा, लेकिन शायद ऐसे लोगों को यह नहीं पता की भारत पाकिस्तान के साथ हुए कारगिल युद्ध को जीत न सका, वो हार गया था, अगर आप इस विषय पर अधिक जानना चाहते हैं तो कृपया यह लिंक सुनें- https://www.youtube.com/watch…
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◆ अपने सांसदों का फ़ोन नंबर/ईमेल एड्रेस/आवास पता यहाँ लिंक में देखे: www.nocorruption.in
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◆★★★ जब अपराध जनता के प्रति हुआ हो ना, तो सजा देने का अधिकार भी हम जनता को ही रहना चाहिए, न कि जजों इत्यादि को, क्योंकि जज व्यवस्था में, जो वकीलों एवं अपराधियों के साथ सांठ गाँठ कर न्यायिक प्रक्रिया पूरी की पूरी तरह से उनके ही पक्ष में देते हैं.
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◆★★★ जनता द्वारा न्याय किये जाने को ज्यूरी सिस्टम बोलते हैं,इसके अलावा ज्यूरी सिस्टम जिसमे सरकार एवं अन्य बड़े व्यक्तियों द्वारा अखबारों में यदा कदा प्रकाशित होने वाले ज्यूरी सिस्टम जिसमे कहा जाता है कि ये बिक जाते हैं, जबकि सच्चाई में हमारे संगठन द्वारा प्रस्तावित ज्यूरी सिस्टम में इसके सदस्यों को मतदाताओं की सूची से अचानक से ही न्याय का कार्य दिया जाता है, और वो सदस्य कई वर्षों में मात्र एक बार ही इस समिति का सदस्य बन सकता है, एवं अभियुक्तों व पीड़ितों से सच उगलवाने वाले सार्वजनिक नार्को टेस्ट, वेल्थ टैक्स, राईट-टू-रिकॉल एवं ऐसे ही ्अन्य प्रस्तावित ड्राफ्ट्स के लिए यहाँ देखें- https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1045257802233875:0
एवं अपने नेताओं को ऊपर बताए जा चुके तरीके से एक जनतांत्रिक आदेश भेजें.
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जय हिन्द

Comments

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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.

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