अगर यूनिफार्म सिविल कोड में तलाक का क़ानून मुसलमान लोगों के तलाक के क़ानून कि तरह आसान बना दिया जाए तो क्या भारत खत्म कर दिया जाएगा?




अगर लाये जाने वाले यूनिफार्म सिविल कोड के अंतर्गत अगर तलाक को मात्र पांच बार पांच व्यक्तियों के सामने उच्चारण करके तलाक दिए जाने को आसान बनाया गया तो ये होगा-
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१) हिन्दू इसाई बनेंगे या मुसलमान, काफी लोग मुसलमान या इसाई बनने को मजबूर कर दिए जायेंगे.
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२) अधिकतर उच्च शिक्षित महिलाएं शादी नहीं करेंगी या विदेशो में जा के सेटल हो जाएंगी.
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३) अधिकतर गरीब एवं निम्न-माध्यम वर्गीय घरों के लोग जो उच्च शिक्षा पाने को इतना आसान नहीं बना सकते वे इस धर्मांतरण एवं परिवार-तोडू व्यवस्था की चक्की में पिसने को मजबूर कर दिए जाएंगे.
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४) विशिष्ट वर्ग में व्याभिचार को धर्म बना दिया जाएगा एवं ये सभी जातियों में होगा, शर्त केवल इतना होगा कि उनके पास पर्याप्त धन कि व्यवस्था हो, परिवार जाए भाड़ में.
जो काम पहले समाज में लुक-छिप कर किये जाते थे, अब उन कार्यों को कानूनी बना दिया जाएगा.
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महिलाओं के अविवाहित रहने को बढ़ावा मिलेगा और क्यों न मिले भला, उन्हें भी अमन चैन से जीने का अधिकार प्रकृति प्रदत्त है, जो भारतीय क़ानून के अंतर्गत संभव ही नहीं, अब यूनिफार्म सिविल कोड के अंतर्गत यहाँ महिलाएं एक वस्तु बना दी जाएंगी जिससे ये सुनिश्चित हो कि भारत में महाभारत मचेगा एवं इसकी बर्बादी सुनिश्चित होगी.
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ये सभी सरकारी कदम जान बूझ कर उठाये जा रहे हैं, जिससे परिवार व्यवस्था जिसपे हिन्दू समाज टिका हुआ है, को तोड़ने के इलुमिनती के चाल को सफल बना देगा, इससे तो यही मालूम हुआ कि मोदी का डंका इसीलिए बज रहा है क्यूंकि ये इलुमिनती के अनुसार काम कर रहा है साला.
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और इस मुद्दे पे कोई हिन्दू धर्म गुरु के मुंह से कोई आवाज न आएगी. न कोई हिन्दू इसको लेके आपत्ति उठाएगा.
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सुनने में आ रहा है कि मोदी साहेब द्वारा सुझाये गए "कॉमन सिविल कोड" में ये प्रावधान है कि --- 'यदि कोई हिन्दू पुरुष हाथ में जल लेकर ईश्वर को साक्षी मानकर पांच व्यक्तियों के समक्ष तीन बार "मैं अपनी धर्म पत्नी का त्याग करता हूँ" का उच्चारण करेगा तो इसे तलाक माना जाएगा, और स्त्री अपने पति पर किसी प्रकार के भरण पोषण का दावा नहीं कर सकेगी'।
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यदि बीजेपी के "कॉमन सिविल कोड" में यह प्रावधान है तो मैं ऐसे कॉमन सिविल कोड का समर्थन नहीं करता। बल्कि विरोध भी करता हूँ।
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शंका निवारण के लिए यह आवश्यक है कि, यदि बीजेपी के किसी नेता/कार्यकर्ता या मोदी साहेब के किसी समर्थक/भगत/अंधभगत के पास इस सम्बंध में सटीक/अधिकृत जानकारी हो तो कृपया उपलब्ध करवाये।
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◆ वर्तमान के संसदीय लोकतंत्र की प्रशासनिक व्यवस्था में पारदर्शी शिकायत प्रणाली नहीं है, जिसमे जनता को सुनने वाला कोई नहीं है, एवं प्रस्तावित पारदर्शी शिकायत प्रणाली में जनता अपनी शिकायतों को मात्र एक एफिडेविट द्वारा माननीय प्रधानमंत्री जी की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से रख सकते हैं, जिसे देश के अन्य नागरिक बिना लाग-इन किये देख सकें, एवं मुद्दों से पार पाने के लिए कानूनी सुधार प्रक्रिया का प्रस्ताव रख सकें. एवं आप इसमें साबूतों को भी रखवा सकते हैं अगर आप चाहते हैं तो.
इस प्रक्रिया को ही पारदर्शी शिकायत प्रणाली कहते हैं, इसे राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप देने की मांग अपने सांसदों/विधायकों से कर आप उनपर नैतिक दबाव बना सकते हैं.
इसे पारदर्शी इस लिए कहा जा रहा है क्योंकि इस व्यवस्था में पीड़ित से संपर्क साधना आसान हो जाएगा, जबकि अभी के मौजूदा व्यवस्था में पीड़ित से संपर्क साधना , उनके बारे में पता लगाना इतना आसान नहीं है.
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★ आप सबको यहाँ पारदर्शी शिकायत प्रणाली एवं सभी सरकारी पदों पर राईट-टू-रिकॉल के कानूनों को गजेट में प्रकाशित करवा कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप दिए जाने को लेकर अपने अपने सांसदों, विधायकों, प्रधानमंत्री को अपना एक जनतांत्रिक आदेश भेजकर उनपर नैतिक दबाव बनाना चाहिए.
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इस क़ानून का ड्राफ्ट आप यहाँ देख सकते हैं- rtrg.in/tcpsms.h (हिंदी) अंग्रेजी में www.Tinyurl.com/PrintTCP देखें.
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◆ आप अपने नेताओं को अपना जनतांत्रिक आदेश इस तरह भेजें, जैसे की-
"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको भारत में पारदर्शी शिकायत प्रणाली के प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट :- https://m.facebook.com/notes/830695397057800/ को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप दिए जाने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद "
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◆ अपने सांसदों का फ़ोन नंबर/ईमेल एड्रेस/आवास पता यहाँ लिंक में देखे: www.nocorruption.in
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◆ जब अपराध जनता के प्रति हुआ हो ना, तो सजा देने का अधिकार भी हम जनता को ही रहना चाहिए, न कि जजों इत्यादि को, क्योंकि जज व्यवस्था में, जो वकीलों एवं अपराधियों के साथ सांठ गाँठ कर न्यायिक प्रक्रिया पूरी की पूरी तरह से उनके ही पक्ष में देते हैं.
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◆ जनता द्वारा न्याय किये जाने को ज्यूरी सिस्टम बोलते हैं,इसके अलावा ज्यूरी सिस्टम जिसमे सरकार एवं अन्य बड़े व्यक्तियों द्वारा अखबारों में यदा कदा प्रकाशित होने वाले ज्यूरी सिस्टम जिसमे कहा जाता है कि ये बिक जाते हैं, जबकि सच्चाई में हमारे संगठन द्वारा प्रस्तावित ज्यूरी सिस्टम में इसके सदस्यों को मतदाताओं की सूची से अचानक से ही न्याय का कार्य दिया जाता है, और वो सदस्य कई वर्षों में मात्र एक बार ही इस समिति का सदस्य बन सकता है, एवं अभियुक्तों व पीड़ितों से सच उगलवाने वाले सार्वजनिक नार्को टेस्ट, वेल्थ टैक्स, राईट-टू-रिकॉल एवं ऐसे ही ्अन्य प्रस्तावित ड्राफ्ट्स के लिए यहाँ देखें- https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1045257802233875:0
एवं अपने नेताओं को ऊपर बताए जा चुके तरीके से एक जनतांत्रिक आदेश भेजें.
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जय हिन्द.
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