भारत के वर्तमान पेटेंट क़ानून और बिकने वाली दवाओं एवं उनके कंपनियों का सम्बन्ध

★ हमारे देश में एक ही कम्पोजीशन वाली दवाएं अलग अलग नामों से बेचीं जाती हैं एवं दावा कंपनियां घनघोर मुनाफा कमा रहीं हैं, इससे बीमार लोगों को कोई ख़ास स्वास्थ्य लाभ नहीं होता एवं लोग असमय ही काल कवलित हो जाते हैं ं स्थिति १९७० के पहले वाली ही होने जा रही हैं, जब काफी बड़े पैमाने पर लोग बीमारियों से मर जाते थे.
https://www.youtube.com/watch?v=VOSzvaQQKWU
एक ही कम्पोजीशन की दवाइयों को उनके ओरिजिनल नाम से बची जानी चाहिए, ना कि उनके ब्रांड नाम के द्वारा.
.
★ इस देश में नए पेटेंट क़ानून का मतलब ये है कि नयी स्वदेशी कंपनियां यहाँ मार्केट में कोई इनोवेशन नहीं का सकतीं हैं, जिन कंपनियों के नाम पर पेटेंट है, वही कर सकतीं हैं.
.
★ मान लीजिये कि कोई आयुर्वेदिक कंपनी किसी आविष्कार द्वारा सामान कम्पोजीशन के उत्पाद को यहाँ बेचा और किसी विदेशी कंपनी ने अगर उस आयुर्वेदिक कंपनी को अपने पेटेंट को चुराने का आरोप लगा दिया तो उस आयुर्वेदिक कंपनी के ऊपर पेटेंट के अवहेलना का केस चलेगा और reversal of burden of proof के तहत उन आयुर्वेदिक कंपनियों को अपने अपने उत्पाद का प्रोडक्शन बंद करना पड़ेगा. जब तक केस का अंतिम फैसला न आ जाए तब तक उन आयुर्वेदिक कंपनियों को उत्पादन बंद रखना पड़ेगा,
.
★ विदेशी कंपनियां को तो खुला हुआ रास्ता है कि वे जिस किसी कंपनी पर चाहे आरोप लगा दें, और उनके मार्केट बंद करवाकर अपना एकाधिकार कर लें.
.
★ इस दुनिया भर के किसी देश में ये क़ानून नहीं चलता सिवाय भारत देश के जहाँ कि रेवेर्सल of बर्डन of प्रूफ के तहत स्वदेशी कंपनियों को बंद करने का प्रावधान है.
.
★ अब मान लिया जाए कि कोई देश अपनी कंपनियों को आपके देश में व्यापार करने से रोक देती है, तो उस स्थिति में क्या होगा, जैसा कि अमेरिका ने कभी ईराक के साथ किया था? इस स्थिति में वहां अनगिनत लोग असमय ही काल-कवलित हो गए थे.
वही स्थिति यहाँ भी आ सकती है.
.
★ अतः आप इस भरोसे में मत रहे कि आपको आज दवाएं जो मिल रहीं हैं, कल भी इसी तरह दवाएं मिला करेंगी, हो सकता है कि दवा इतनी महँगी कर दी जाए कि साधारण लोगों कि पहुंच से ही बाहर हो तो यहाँ भी ईराक जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाएगी.
.
★ समस्या ये है कि दुनिया का सबसे बड़ा जनतांत्रिक देश कहे जाने वाले इस देश के संसदीय लोकतंत्र व्यवस्था में जनता को सुनने वाला कोई है नहीं, पारदर्शी शिकायत प्रणाली नहीं है, जिसमे जनता को सुनने वाला कोई नहीं है.
.
★ समाधान ?
.
निम्नलिखित प्रस्तावित पारदर्शी शिकायत प्रणाली में जनता अपनी शिकायतों को मात्र एक एफिडेविट द्वारा माननीय प्रधानमंत्री जी की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से रख सकते हैं, जिसे देश के अन्य नागरिक बिना लाग-इन किये देख सकें, एवं मुद्दों से पार पाने के लिए कानूनी सुधार प्रक्रिया का प्रस्ताव रख सकें. एवं आप इसमें साबूतों को भी रखवा सकते हैं अगर आप चाहते हैं तो.
इस प्रक्रिया को ही पारदर्शी शिकायत प्रणाली कहते हैं, इसे राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप देने की मांग अपने सांसदों/विधायकों से कर आप उनपर नैतिक दबाव बना सकते हैं.
.
इसे पारदर्शी इस लिए कहा जा रहा है क्योंकि इस व्यवस्था में पीड़ित से संपर्क साधना आसान हो जाएगा, जबकि अभी के मौजूदा व्यवस्था में पीड़ित से संपर्क साधना , उनके बारे में पता लगाना इतना आसान नहीं है.
.
★★★★ आप सबको यहाँ पारदर्शी शिकायत प्रणाली एवं सभी सरकारी पदों पर राईट-टू-रिकॉल के कानूनों को गजेट में प्रकाशित करवा कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप दिए जाने को लेकर अपने अपने सांसदों, विधायकों, प्रधानमंत्री को अपना एक जनतांत्रिक आदेश भेजकर उनपर नैतिक दबाव बनाना चाहिए.
.
इस क़ानून का ड्राफ्ट आप यहाँ देख सकते हैं- rtrg.in/tcpsms.h (हिंदी) अंग्रेजी मेंwww.Tinyurl.com/PrintTCP देखें.
.
◆ ★★★आप अपने नेताओं को अपना जनतांत्रिक आदेश इस तरह भेजें, जैसे की-
"माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको भारत में पारदर्शी शिकायत प्रणाली के प्रस्तावित क़ानून ड्राफ्ट :-https://m.facebook.com/notes/830695397057800/ को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप दिए जाने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद "
.<---------
.
◆ अपने सांसदों का फ़ोन नंबर/ईमेल एड्रेस/आवास पता यहाँ लिंक में देखे:www.nocorruption.in
..
◆★★★ जब अपराध जनता के प्रति हुआ हो ना, तो सजा देने का अधिकार भी हम जनता को ही रहना चाहिए, न कि जजों इत्यादि को, क्योंकि जज व्यवस्था में, जो वकीलों एवं अपराधियों के साथ सांठ गाँठ कर न्यायिक प्रक्रिया पूरी की पूरी तरह से उनके ही पक्ष में देते हैं.
.
◆★★★ जनता द्वारा न्याय किये जाने को ज्यूरी सिस्टम बोलते हैं,इसके अलावा ज्यूरी सिस्टम जिसमे सरकार एवं अन्य बड़े व्यक्तियों द्वारा अखबारों में यदा कदा प्रकाशित होने वाले ज्यूरी सिस्टम जिसमे कहा जाता है कि ये बिक जाते हैं, जबकि सच्चाई में हमारे संगठन द्वारा प्रस्तावित ज्यूरी सिस्टम में इसके सदस्यों को मतदाताओं की सूची से अचानक से ही न्याय का कार्य दिया जाता है, और वो सदस्य कई वर्षों में मात्र एक बार ही इस समिति का सदस्य बन सकता है, एवं अभियुक्तों व पीड़ितों से सच उगलवाने वाले सार्वजनिक नार्को टेस्ट, वेल्थ टैक्स, राईट-टू-रिकॉल एवं ऐसे ही ्अन्य प्रस्तावित ड्राफ्ट्स के लिए यहाँ देखें-https://www.facebook.com/righttorecallC/posts/1045257802233875:0
एवं अपने नेताओं को ऊपर बताए जा चुके तरीके से एक जनतांत्रिक आदेश भेजें.
==
जय हिन्द.
______________________
https://www.youtube.com/watch?v=VOSzvaQQKWU

Comments

Popular posts from this blog

चक्रवर्ती योग :--

जोधाबाई के काल्पनिक होने का पारसी प्रमाण:

क्या द्रौपदी ने सच में दुर्योधन का अपमान किया था? क्या उसने उसे अन्धपुत्र इत्यादि कहा था? क्या है सच ?

पृथ्वीराज चौहान के बारे में जो पता है, वो सब कुछ सच का उल्टा है .

ब्राह्मण का पतन और उत्थान

वैदिक परम्परा में मांसभक्षण का वर्णन विदेशियों-विधर्मियों द्वारा जोड़ा गया है. इसका प्रमाण क्या है?

द्वापर युग में महिलाएं सेनापति तक का दायित्त्व सभाल सकती थीं. जिसकी कल्पना करना आज करोड़ों प्रश्न उत्पन्न करता है. .

ऋग्वेद के पुरुष सूक्त में पुरुष का अर्थ

चिड़िया क्यूँ मरने दी जा रहीं हैं?

महारानी पद्मावती की ऐतिहासिकता के प्रमाण