मानव और दानव

मानव और दानव :-
भारत में धर्म की जड़ें अधिक गहरी थीं, अतः कलियुग में असुरों का प्रभाव बढ़ने पर भी केवल भारत में ही सनातन धर्म बच पाया, सबसे बुरे प्रभाव तो पाकिस्तान से मोरक्को तक और अफ्रीका एवं अमरीकी महादेशों में पड़े | उन क्षेत्रों में पूरी की पूरी सभ्यताओं को मिटा दिया गया और पूरी आबादी का सफाया हुआ या दास बनाया गया |
कहने को पाकिस्तान भारत का हिस्सा था लेकिन द्वापर युग के अन्त में ही वहां के संस्कार पूरी तरह से भ्रष्ट हो चुके थे यह महाभारत में वर्णित है |

ईसाइयों ने मुसलमानों से अधिक अत्याचार किये हैं - अमरीकी महादेशों और अफ्रीका पर, केवल USA में चार करोड़ रेड इण्डियन का जंगली जानवरों की तरह शिकार किया गया | भारत में बन्दूकें और तोपें थी अतः भारतीय जिन्दा बच पाए, केवल अधीन बनाए गए |
यूरोप से सनातनी परम्परा को मिटाने के लिए रोमनों और बाद में रोमन चर्च ने भयंकर अत्याचार किये | चर्च का ईसा की शिक्षाओं से कोई लेना-देना नहीं था, अभी जो बाइबिल है उसमें ईसा का कोई विचार नहीं है | ईस्वी 300 के बाद रोमनों ने नए ईसाई सम्प्रदाय को अपने स्वार्थ के लिए खड़ा किया | पुराने सनातनी एवं आसुरी सम्प्रदायों को मानने वालों को जादूगर कहकर जिन्दा जलाया गया |
भारत में जन्मे किसी भी सम्प्रदाय ने धर्म के नाम पर नरसंहार कभी नहीं किया, भले ही कलियुग में अनेक कुरीतियाँ भारत में भी फैली | बौद्ध सम्प्रदाय जबतक भारत में फला-फूला, धार्मिक बना रहा, विदेश गया तो गोमाँस खाकर अहिंसा पर लम्बे प्रवचन देने वाला आसुरी सम्प्रदाय बन गया | दलाई लामा प्रतिदिन नवजात बछड़ा ("veal") खाते हैं, तभी तो नोबेल पुरस्कार मिला है ! हिंसा नहीं करते, बछड़े का खाना-पीना बन्द करा देते है ताकि वह स्वयं अहिंसापूर्वक मर जाय ! अभी तक तीस करोड़ रूपये से अधिक के बछड़े खा चुके हैं -- वह धन चीन के अत्याचार से पीड़ित तिब्बती शरणार्थियों के लिए दान के नाम पर आता है ! ऐसा घोटाला तो लालू और सोनिया भी नहीं कर पाए !! (इसको भारत में राजनैतिक केन्द्र खोलने की अनुमति देने के कारण चीन से सम्बन्ध बिगड़े, इसे भारत में लाना अमरीका की चाल थी जिसमें मूर्ख नेहरु फँस गया |)
मेगास्थनीस ने लिखा था कि भारत में दास नहीं थे | दासप्रथा के स्थान पर वर्ण व्यवस्था थी, शूद्रों के कारण दासों की आवश्यकता ही नहीं थी | कुछ दास भारत में भी थे, किन्तु उनकी हालत यूरोप के दासों से लाख गुनी बेहतर थी | शूद्रों को दास कहना गलत है, शूद्रों की खरीद-बिक्री सम्भव नहीं थी और उनको नागरिकों वाले वैधानिक अधिकार प्राप्त थे |
फिर भी हमें पढ़ाया जाता है कि हिन्दुओं में मानवाधिकार की स्थिति ठीक नहीं है !! दानवाधिकार आयोग वालों से और आशा ही क्या ??




किन्तु कालचक्र ने 2000 ईस्वी की मेष संक्रान्ति के बाद पलटा खाया है, 42 हज़ार वर्षों तक भारत के लगातार उत्थान का युग आरम्भ हो चुका है | अब दानवों के पीछे हटने का काल है | सनातन धर्म को सबसे अधिक खतरा घर के भेदियों से है जो झूठमूठ हिन्दू-हिन्दू चिल्लाकर सनातन धर्म की जड़ें खोखली करना चाहते हैं, हिन्दुत्व से कोई सरोकार नहीं है | घर ठीक रहेगा तभी बाहरी शत्रुओं से लड़ पायेंगे |
अब तो बुद्ध और अम्बेडकर को जपने वाले युगपुरुष भी जय श्री राम बोलने लगे हैं !! कितना भी विकास कर लो, शाइनिंग इन्डिया चिल्लाने पर वोट नहीं मिलेगा, वोट तो रामलला का मन्दिर बनाने पर ही मिलेगा |
जो राम का नहीं वह किसी काम का नहीं !

*************************************************************************************************************

Q & A :


1) विश्वामित्र जी गायत्री मंत्र के द्रष्टा हैं॥ परन्तु उनके जन्म से पहले गायत्री मंत्र के द्रष्टा कौन थे? (क्योकि वेद अपौरषेय है तो गायत्री मंत्र भी पहले से ही है, और विश्वामित्र जी भी सप्तर्षि होने के कारण कभी नही मरते और सप्तर्षि पहले से ही विराट पुरूष के मुख में थे(पुरूष सुक्त) तो पहले से ही थे तो फिर राजा गाधि के पुत्र कैसे? और द्रष्टा बाद मे कैसे हुए(क्योकि पहले तो वे ब्राह्मण भी नहीं थे))

Ans- विष्णु की नाभि से जो ब्रह्मा प्रकट होते हैं उनकी आयु 72000 कल्पों की है | उसके बाद विष्णु की नाभि से दूसरे ब्रह्मा निकलते हैं | एक कल्प में 432 करोड़ वर्ष होते हैं , जो ब्रह्मा जी का दिन है | इतना ही दीर्घ उनकी रात होती है | उनकी रात में सृष्टि का लोप हो जाता है (ली), और जागते हैं तो पूर्वकल्प को याद करते हैं तो अघमर्षण सूक्तानुसार पूर्व कल्प की भाँति नया कल्प कल्पित हो जाता है (ला)| नए कल्प में ऋषि पुनः आते हैं जिनको ब्रह्मा जी से वेद प्राप्त होता है | मनुष्यों की उत्पत्ति ऋषियों से होती है | कभी कभी पुराण आदि पढ़ लें | सभी पुराणों और महाकाव्यों एवं अन्य प्राचीन ग्रंथों में ऐसी ही बात है | बचपन में स्कूल की बकवास पढ़कर मैं इन बातों को झूठा समझता था | ज्योतिष सीखने के बाद प्रमाण मिलने लगे | इसी कारण ज्योतिष को वेद की आँख कहा जाता है | बाह्य चक्षु से जो नहीं दिखता उसे भी ज्योतिष दिखा सकता है |

2) क्या रेड इंडियन और भारतीयों में कोई सम्बन्ध है? मैंने कहीं पढ़ा था कि हजारों वर्ष पहले एशिया से मानव जमीनी मार्ग से उत्तरी अमेरिका तक पहुँच गया था।

Ans- मंगोल नस्ल से उनका सम्बन्ध है | यूरोपियनों ने चीनियों का महत्त्व घटाने के लिए चीनी लोगों को मंगोल नस्ल का कहा | यह ऐसा ही है कि भारतीयों को दस-बारह लाख की आबादी वाले किसी देश के लोगों की शाखा कहा जाय | मंगोलिया की आबादी चीन के सबसे बड़े नगर से तीस गुनी कम है ! किन्तु नस्ल की यूरोपियन अवधारणा ही मूर्खतापूर्ण है, शरीर के बाहरी रंग या नाक-नक्श के आधार पर उन्होंने मनुष्यों को विभाजित किया, यह उनकी कूपमण्डूकी नस्लवादी विचारधारा है |

By 
Vinay Jha

Comments

Popular posts from this blog

चक्रवर्ती योग :--

जोधाबाई के काल्पनिक होने का पारसी प्रमाण:

क्या द्रौपदी ने सच में दुर्योधन का अपमान किया था? क्या उसने उसे अन्धपुत्र इत्यादि कहा था? क्या है सच ?

पृथ्वीराज चौहान के बारे में जो पता है, वो सब कुछ सच का उल्टा है .

ब्राह्मण का पतन और उत्थान

वैदिक परम्परा में मांसभक्षण का वर्णन विदेशियों-विधर्मियों द्वारा जोड़ा गया है. इसका प्रमाण क्या है?

द्वापर युग में महिलाएं सेनापति तक का दायित्त्व सभाल सकती थीं. जिसकी कल्पना करना आज करोड़ों प्रश्न उत्पन्न करता है. .

ऋग्वेद के पुरुष सूक्त में पुरुष का अर्थ

चिड़िया क्यूँ मरने दी जा रहीं हैं?

महारानी पद्मावती की ऐतिहासिकता के प्रमाण