यूक्रेन सङ्कट — ४

यूक्रेन सङ्कट — ४
(जिनको ज्योतिष में रुचि नहीं है अथवा सीखना नहीं चाहते उनको ज्योतिषीय बातों को अनदेखा करते हुए शेष बातें पढ़नी चाहिए ।)

बाइडेन से पहले विश्व−कुण्डली की जाँच कर लें । वर्तमान सौरवर्ष की मेरु−कुण्डली में सबसे अशुभ फल यूक्रेन और उसमें भी लुगान्स्क को है जिसके कारण युद्ध भड़का । सर्वतोभद्रचक्र में “य” पर गुरु,केतु,सूर्य एवं शुक्र के वेध हैं,तथा “उ” पर चन्द्र,राहु,सूर्य,शुक्र एवं शनि के । अतः “यू’ पर गुरु,केतु,चन्द्र,राहु,सूर्य,शुक्र एवं शनि के कुल सात वेध हैं!बुध का वेध नहीं है किन्तु सूर्य से बुध पराजित हैं जिस कारण बुध का फल सूर्य ही देंगे । इस प्रकार कुल आठ वेध हैं!पाँच वेध पर पूर्ण फल मिलता है,आठ तो भयङ्कर है!

शनि शुभ हैं किन्तु मारकेश भी हैं । वही हाल राहु का भी है । शुक्र स्वयं तो शुभ हैं किन्तु मृत्युभावेश सूर्य में अस्त हैं । वही हाल बुध का है । चन्द्र,सूर्य,केतु और गुरु अशुभ हैं । कुल मिलाकर अशुभ वेध अत्यधिक हैं और शुभ वेध अल्प हैं । यूक्रेन के लिये वर्ष अत्यधिक अशुभ है ।

यूक्रेन में भी रूसी−बहुल लुगान्स्क प्रान्त सर्वाधिक अशुभ है जिसे रूस ने स्वतन्त्र देश की मान्यता दी है । लुगान्स्क पर “उ” वाले उपरोक्त चन्द्र,राहु,सूर्य,शुक्र,बुध एवं शनि के छ वेध तो हैं ही,“ल” पर शनि,चन्द्र,सूर्य,शुक्र,बुध एवं मङ्गल के छ वेध हैं,कुल सात वेध हैं ।

नैटो के अधिकांश देश सूर्य के प्रभाव में हैं । अतः चार अशुभ वेध वाले अमरीका ने पहले चार अशुभ वेध वाले अफगानिस्तान का बेड़ा गर्क किया और फिर यूक्रेन का ।

रूस भी “उ” के छ अशुभ वेधों से आक्रान्त है ही,किन्तु “र” पर केवल राहु का वेध है जो उच्चस्थ होकर पञ्चम में है । अतः अशुभ फल की प्रधानता रहने पर भी उच्च राहु का भी लाभ है,यद्यपि राहु मारकेश भी हैं और अशुभ मङ्गल से युक्त भी । रूस और यूक्रेन सप्तम भावस्थ हैं,भावेश चन्द्र केन्द्रेश−दोष के कारण रूस और यूक्रेन हेतु अशुभ हैं । किन्तु नैटो भी मृत्युभाव में है,रूस पर नैटो का आक्रमण हुआ तो रूस भी नैटो देशों का अस्तित्व मिटा देगा — किन्तु लग्न में बैठे लग्नेश शनि ऐसा होने ही नहीं देंगे । पुतिन के “प” पर वेध नहीं है किन्तु “उ” पर छ वेध का बुरा फल पुतिन झेल रहे हैं ।
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अमरीका के अपने प्राकृतिक संसाधन अधिकांशतः समाप्त हो चुके हैं जबकि रूस के अधिकांश संसाधन बचे हुए हैं । यही कारण है कि पश्चिम की गिद्ध दृष्टि रूस के प्राकृतिक संसाधनों पर लगी हुई है । प्रत्यक्ष युद्ध में रूस को पराजित करना असम्भव है,अतः रूस को किसी बहाने आक्रमणकारी घोषित करके आर्थिक प्रतिबन्धों द्वारा बर्बाद करना पश्चिम की नीति है ताकि पुतिन के विरुद्ध विद्रोह भड़के ।

येल्तसिन के दौरान रूस लगातार डूबता जा रहा था जिसे पुतिन के काल में लगातार विकास करने का अवसर मिला और रूस पुनः सशक्त बना — जो अमरीका को रास नहीं आ रहा है । १९८९ ई⋅ से रूस की आर्थिक विकासदर का ग्राफ भी संलग्न है जो दिखाता है कि नष्ट हो रहे रूस को पुतिन के काल में ही उत्थान का अवसर मिला (२०२१ ई⋅ में ग्राफ ४३२८ अरब डालर तक उछल चुका है)। अतः पुतिन को हटाना पश्चिम को अनिवार्य लग रहा है ।

असली लड़ाई रूस को लूटने की है,रूस ढह जाय तो भारत को लूटना अत्यधिक आसान हो जायगा । किन्तु दिव्यवर्ष की कुण्डली में यह सम्भव नहीं ।

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की पूरी बैठकें मैंने लाइव देखी । मेरे मुहल्ले के गुण्डे भी उनसे अधिक शरीफ हैं,केवल शराफत का नाटक करने में कुशल नहीं हैं । अमरीका का आरोप था कि वीडियो फुटेजों से सिद्ध हो गया है कि रूस नागरिकों पर बमबारी कर रहा है । रूस का कहना था कि उन वीडियो फुटेजों में से कुछ यूक्रेनियों द्वारा बमबारी के हैं,कुछ अन्य देशों के पुराने फुटेज हैं और कुछ अमरीका ने वीडियो गेम सॉफ्टवेयरों द्वारा बनाये हैं । अमरीका का कथन सत्य है वा रूस का इसकी जाँच होनी चाहिये थी । किन्तु रूस की किसी ने नहीं सुनी । ऐसी बेईमान असुरक्षा परिषद पर वीटो ही नहीं,पीटो भी लगना चाहिये । झूठे आरोप लगाओ और किसी विशाल देश को नष्ट कर दो?जाँच भी नहीं?नैटो देशों ने संसार में जितने युद्ध,उपनिवेशवाद,दास−व्यापार आदि फैलाये उसके आगे तो प्राचीन राक्षस भी शर्म से पानी भरेंगे ।

भारत को सावधान हो जाना चाहिये । कमजोर की कोई नहीं सुनेगा । गोमाँसप्रेमी दलाई को निकालकर चीन से सम्बन्ध सुधारे,रूस चीन ब्राजील के साथ BRIC को प्रबल बनाये ताकि डॉलर के चँगुल से रूपया निकले — वरना नकली विनिमय मूल्य द्वारा डॉलर हमें लूटता रहेगा । और थोरियम शक्ति को तेजी से विकसित करे ताकि पेट्रोलियम पर निर्भरता समाप्त हो । वरना भारत की भी खैर नहीं । यूगोस्लाविया पर बिना संयुक्त राष्ट्र की स्वीकृति के नैटो ने आक्रमण करके उसे मिटा डाला । नैटो किस मुँह से आज रूस को आक्रमणकारी कह रहा है?पिछले दो दशकों से हिटलर की नकल में नात्सी विचारधारा यूक्रेनियों को पिलायी जा रही है,उनको सरेआम सिखाया जाता है कि रूसी नस्ल घटिया है जिसे मिटाना पुण्यकार्य है । यूक्रेनियों द्वारा सवाल न पूछें जाय इसके लिये उनको कोकीन और डॉलर दिये जा रहे हैं । नैटो की समस्या यह है कि कोकीन और डॉलर तो दिये जा सकते हैं,रूस से लड़ने योग्य साहस और क्षमता यूक्रेनियों को कौन दे?कोकीन तो बाइडेन जी तालिबान से माँग लेंगे,साहस किस बाजार में बिकता है?

पाप अधिक हो तो इस जन्म में ही कर्म का फल मिलने लगता है । बाइडेन का एक बेटा मर गया,एक बचा है जो पूरी तरह कोकीन एडिक्ट बन चुका है । यूक्रेन को एडिक्ट बनाने का प्रभार उसे ही मिला था ।
By Vinay Jha

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