यूक्रेन सङ्कट — ६

यूक्रेन सङ्कट — ६

भारतीय मीडिया का कहना है कि रूस के सर्वश्रेष्ठ सुखोई−३५ विमानों को पिछड़ी तकनीक  वाले यूक्रेन के मिग−२९ मारकर गिरा रहे हैं ।

सच्चाई यह है कि यूक्रेन के वायुवान उड़ ही नहीं सकते,उसके सम्पूर्ण आकाश पर रूसी वायुसेना का और उसके सम्पूर्ण समुद्री तट पर रूसी नौसेना का पूर्ण आधिपत्य है । आधिपत्य करना उचित है वा अनुचित यह दूसरा विषय है,आधिपत्य है इस सच्चाई को भारतीय मीडिया छुपा रही है । गलत सूचनायें दी जा रही हैं ताकि सभी देशों की सरकारें गलत निर्णय लें ।

१ मार्च को ब्रिटिश प्रधानमन्त्री पोलैण्ड में थे,वहाँ एक यूक्रेनी पत्तलकार ने पूछा — “आप कहते हैं कि यूक्रेन का साथ देंगे किन्तु यूक्रेन के आकाश को “नो फ्लाई जोन” घोषित क्यों नहीं करते ताकि रूसी फाइटर विमान यूक्रेन में उड़ न सकें?”

ब्रिटिश प्रधानमन्त्री बेवकूफ हैं,बेवकूफी में ऐसी सच्चाई मुँह से निकल गयी जिसे मीडिया वालों को सुधारकर प्रचारित करना पड़ा । बोले कि आपका कहा मानें तो यूक्रेन के आकाश में हमें रूसी विमानों को मारकर गिराना होगा जो हम कर नहीं सकते” ( “... which is something we cannot do.” )।

अर्थात् नैटो की नाभि में दम नहीं है!
“cannot do.”!

cannot do तो २००८ ई⋅ में यूक्रेन को नैटो ने क्यों वचन दिया कि उसे नैटो की सदस्यता दी जायगी?यूक्रेन को आज ही यदि नैटो की सदस्यता मिल जाय तो उसकी रक्षा में पूरी सैन्य शक्ति को झोँक देने के लिए नैटो विवश हो जायगा ।

नैटो के पूर्व डिप्टी कमाण्डर,अर्थात् उप−प्रमुख,ने टीवी पर लम्बी अन्तर्वार्ता दी है जिसमें स्पष्ट कहा है कि यूक्रेन को नैटो की सदस्यता देने का सीधा अर्थ है कि शीतयुद्ध के काल में जिस तरह पश्चिम जर्मनी की रक्षा में नैटो पूरी शक्ति से तैनात था उसी तरह अब यूक्रेन में पूरी शक्ति से तैनात रहना पड़ेगा जो सम्भव नहीं है । सम्भव क्यों नहीं है इसका कारण भी बताया — नैटो का सदस्य बनने की योग्यता यूक्रेन में नहीं है!

उन्होंने स्पष्ट कहा कि २००८ ई⋅ में यूक्रेन को नैटो की सदस्यता देने का वचन गलत था क्योंकि सुदूर भविष्य में भी ऐसी कोई सम्भावना नहीं है । उनका कहना था कि इसी वचन के कारण यूक्रेन में रूस−विरोधियों का साहस बढ़ा और संघर्ष तक बात आ गयी । अतः नैटो की सदस्यता देने का वचन एक सुनियोजित झाँसा था जिसमें यूक्रेन को फँसाकर उसे रूस से लड़वाया गया । यूक्रेन और पश्चिम की आम जनता इस झाँसे से अनजान है क्योंकि उनकी मीडिया सच्चाई छुपाती है । भारतीय मीडिया भी सच्चाई छुपाती है ।

सोवियत संघ का विघटन केवल रूसी राष्ट्रवादियों की करामात थी,सोवियत संघ को तोड़ने के लिये यूक्रेन और अन्य गणराज्यों ने कोई संघर्ष नहीं किया था । सोवियत संघ को तोड़ने के पश्चात यूक्रेन को स्वतन्त्र देश बनाना अकेले रूस का कार्य था । यही कारण था कि यूक्रेन जब नया देश बना तो उसने ५००० अणुबम एवं अत्याधुनिक आणविक मिसाइलें रूस को लौटा दिये अथवा नष्ट कर दिये — नैटो की जिद के कारण । नैटो नहीं चाहता था कि ढेर सारे आणविक देश बने । यूक्रेन और रूस में बहुत ही अच्छे सम्बन्ध थे ।

आज यूक्रेन में जो सङ्कट है उसके मूल में लेनिन की नीति है । सोवियत क्रान्ति के उपरान्त जार के एक बहुराष्ट्रीय रूसी साम्राज्य को कैसा स्वरूप दिया जाय इसपर बहुत मन्थन हुआ । एक बहुराष्ट्रीय साम्राज्य कम्युनिज्म की धारणा से मेल नहीं खाता । दो ही विकल्प थे — या तो सभी गणराज्यों को स्वतन्त्र कर दिया जाय जैसा कि बाद में येल्तसिन ने किया,या फिर समाजवादी गणराज्यों का संघ बनाया जाय जैसा कि लेनिन ने किया । उस समय की परिस्थिति में संघ बनाना ही लेनिन को सही लगा क्योंकि सभी गणराज्यों को स्वतन्त्र करने पर पश्चिमी देशों से मिलकर वे रूस से लड़ते जैसा कि आज हो रहा है । आज जो हो रहा है उसे लेनिन ने १९१७ ई⋅ में भाँप लिया था किन्तु येल्तसिन १९९१ ई⋅ में भाँप न सकें!येल्तसिन नैटो के इस झाँसे में आ गये कि नैटो का विस्तार पूर्वी यूरोप में नहीं किया जायगा और रूस की सुरक्षा पर नैटो आँच नहीं आने देगा । येल्तसिन की गलती यही थी कि नैटो के झाँसे में न आकर उसी समय शर्त रखते कि या तो रूस को नैटो का सदस्य बनाया जाय,या नैटो को ही भङ्ग किया जाय,या फिर पूर्वी यूरोप के देशों पर रूसी नियन्त्रण वाले वार्सा पैक्ट का आधिपत्य बना रहे । किन्तु सच्चाई यह थी कि येल्तसिन बेईमान थे,कम्युनिष्ट नेताओं की चमचई करके मास्को कम्युनिष्ट पार्टी के प्रमुख बने जो अत्यन्त महत्वपूर्ण पद था,और अवसर मिलते ही अपने कम्युनिष्ट आकाओं की पीठ में चाकू भोँककर नैटो की गोद में बैठ गये,उसके पश्चात रूस के हित की बजाय अपने हित पर ध्यान देने लगे । यही कारण है कि उनके पूरे कार्यकाल में रूस की अर्थव्यवस्था तेजी से नीचे लुढ़कती रही और पश्चिम उनकी प्रशंसा के पुल बाँधता रहा ।

वही बेईमानी आज झेलेन्स्की कर रहे हैं । २०१४ ई⋅ में CIA के षडयन्त्र द्वारा निर्वाचित सरकार को हटाया गया और यूक्रेन में रूस−विरोधी नात्सी नस्लवाद की आँधी बहायी गयी । संयुक्त राष्ट्र को भी निर्णय करना पड़ा कि यूक्रेन में अजोव बटालियन युद्ध−अपराध की दोषी है । अतः एक कॉमेडियन कलाकार झेलेन्स्की को सुनियोजित तरीके से नेता बनाया गया,पहले एक टीवी सीरियल बनवाकर उसको मीडिया द्वारा प्रचारित करके सुपरहिट कराया गया — उस सीरियल में झेलेन्स्की भ्रष्टाचार के विरुद्ध लड़कर राष्ट्रपति बने । फिर वास्तविक राजनीति में उनको उतारा गया ।  नात्सी नस्लवाद के आरोप से बचने के लिए यहूदी झेलेन्स्की को नैटो ने चुना । पोलैण्ड के बाद सबसे अधिक यहूदी यूक्रेन में ही थे किन्तु उनको हिटलर ने मार डाला और जो बचे वे भाग गये,आज यूक्रेन की जनसंख्या में केवल ०⋅५% ही यहूदी हैं । यूक्रेन में हिटलरी नात्सीवाद की आँधी नैटो ने चला रखी है और उस आँधी में यहूदी झेलेन्स्की राष्ट्रपति कैसे बन गया यह टीवी देखकर समझना सम्भव नहीं है,टीवी तो कहेगी कि यूक्रेन के आमलोग रूसियों के शत्रु होते हैं जो सत्य नहीं है । यूक्रेन के आमलोगों ने रूसी पार्टी को २००९ ई⋅ में सत्ता दी जिसे गलत तरीके से २०१४ ई⋅ में हटाया गया और उस पार्टी को प्रतिबन्धित कर दिया गया!यूक्रेन के आमलोगों की भावना का दुरुपयोग करने के लिये झेलेन्स्की का इस्तेमाल किया गया क्योंकि उनकी मातृभाषा रूसी है,यूक्रेनी नहीं!और वे यहूदी हैं जिनको रूसियों ने हिटलर से बचाया था । यूक्रेन के रूसियों को झाँसा देने के लिये झेलेन्स्की का इस्तेमाल किया गया । २००९ ई⋅ के पश्चात यूक्रेन में निष्पक्ष मतदान CIA और नैटो ने होने ही नहीं दिया,रूसी भाषा और उसकी पार्टी पर प्रतिबन्ध लगाकर यूक्रेनी नात्सीवाद को बढ़ावा दिया जा रहा है और रूसी भाषा बोलने वालों को ठगकर वोट पाने के लिये रूसी भाषी यहूदी को राष्ट्रपति बनाया गया ।

काँग्रेसी भ्रष्टाचार के विरुद्ध जन आन्दोलन का इस्तेमाल करके केजरीवाल सत्ता में आये और काँग्रेस−विरोधी आन्दोलन को भाजपा−विरोध की ओर मोड़ा । केजरीवाल की राजनीति का आरम्भ जिस कबीर फाउण्डेशन से हुआ था उसका रजिस्ट्रेशन होने से एक मास पहले ही उसे CIA के कहने पर फोर्ड फाउण्डेशन से धन मिल चुका था जो गैर−कानूनी है । मोदी जब चाहे उस मामले में केजरीवाल को जेल भेज सकते हैं किन्तु तब अमरीका नाराज हो जायगा । झेलेन्स्की यूक्रेन के केजरीवाल हैं,यूक्रेनी नस्लवादियों द्वारा अमानवीय हिंसा एवं भ्रष्टाचार के विरुद्ध नकली आन्दोलन CIA की सहायता से खड़ा करके सत्ता में आये और अब उस सत्ता का दुरुपयोग यूक्रेनी नस्लवादियों को बढ़ावा देने में कर रहे हैं,न कि भ्रष्टाचार एवं हिंसा को मिटाने में ।

१९वीं शती में भारोपीय परिवार का होमलैण्ड केन्द्रीय एशिया में बताया जाता था । उसका कारण था भारत को होमलैण्ड बनने से रोकना क्योंकि सारे साक्ष्य भारत के पक्ष में थे । जर्मनी का विश्वशक्ति के रूप में उदय हुआ तो पूरे पश्चिम की यूनिवर्सिटियों ने आर्य होमलैण्ड को खिसकाकर जर्मनी भेज दिया ताकि “शुद्ध आर्य नस्ल” वाले जर्मनों को अशुद्ध रूसियों से लड़वाया जा सके । अब जर्मनी की उपयोगिता नहीं रही,अब आर्य होमलैण्ड को खिसकाकर पूर्वी यूक्रेन भेज दिया गया है ताकि “शुद्ध आर्य नस्ल” वाले यूक्रेनियों को अशुद्ध रूसियों से लड़वाया जा सके । भाषाविज्ञान जैसे अनमोल शास्त्र का ऐसा वीभत्स दुरुपयोग हार्वर्ड,ऑक्सफर्ड आदि जैसी यूनिवर्सिटियाँ कर रही हैं और उनके कचड़े को भारत में आज भी पढ़ाया जा रहा है । इस “थ्योरी” के अनुसार आर्य होमलैण्ड से सबसे दूर होने के कारण सर्वाधिक “अशुद्ध आर्य नस्ल” वाले लोग हैं “ऋग्वैदिक आर्य” । वामपन्थी रामशरण शर्मा और ऐसे अन्य दलालों ने स्पष्ट लिखा है कि केवल दो लाख शुद्ध आर्य यूरोप से आये और मूल भारतीयों से मिश्रित हो गये । अर्थात् अशुद्ध दोगले बन गये । अतः सारे हिन्दू अशुद्ध दोगले हैं । जिस प्रकार जर्मनी की उपयोगिता समाप्त होने के पश्चात आर्य होमलैण्ड को खिसकाकर पूर्वी यूक्रेन भेज दिया गया,उसी प्रकार यूक्रेन की उपयोगिता समाप्त होने के पश्चात आर्य होमलैण्ड को खिसकाकर किसी ऐसे देश में भेजा जायगा जो भारत जैसे अशुद्ध दोगले देश का सामूहिक नरसंहार कर सके । ये लोग संसार को शुद्ध एवं पवित्र करेंगे । रूस अशुद्ध दोगला होने पर भी ईसाई तो है,भारत अशुद्ध दोगला भी है और हिन्दू जैसा घटिया भी!
इस षडयन्त्र के प्रमाण अगले अङों में ।
(क्रमशः)

By Vinay Jha

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