यूक्रेन सङ्कट — १०
यूक्रेन सङ्कट — १०
पुतिन डरकर साइबेरिया भागने की तैयारी में है
— “भारतीय टीवी” ।
अब विश्वयुद्ध की खुली धमकी दे दी है
मुँगेरीलाल ने !
मुँगेरीलाल का एक भी पॉयलट रूस के विरुद्ध उक्राइनी युद्धविमान उड़ाने के लिए तैयार नहीं है । मुँगेरीलाल के अधिकांश टैंक रूस द्वारा विकसित पुराने T-72 हैं जिनके फोटो दिखाकर उनको पकड़े हुए रूसी टैंक बता रहा है । रूस के नये टैंक अगली पीढ़ियों वाले हैं जिनका युद्ध में प्रयोग हो रहा है,उनमें से एक भी टैंक मुँगेरीलाल क्यों नहीं पकड़ता?
पत्तलकारों का कहना है कि स्लोवाकिया रूसी S-300 मिसाइल विरोधी प्रणाली उक्राइन को देना चाहता है जिसपर रूस अप्रसन्न है । पत्तलकारों को पता है कि रूस द्वारा ही S-300 उक्राइन को दिया गया था जो नालायकों को प्रयोग करना नहीं आता;वर्षो से रखे−रखे सड़ रहे हैं । सही बात बताने पर सनसनीखेज समाचार नहीं बनता । TRP झूठ बकने पर ही बढ़ती है?
असैन्य मुहल्लों में मुँगेरीलाल के नात्सी गुण्डों ने मोर्चेबन्दी कर रखी है जिस कारण रूसी सेना नगरों में घुसने से कतरा रही है । फिर भी जिस तरह से रूसी सेना बढ़ रही है वह स्तालिन और हिटलर के बीच वास्तविक शतरञ्ज की स्मृति दिला रही है ।
मिन्स्क समझौता करके उसका पालन उक्राइन ने नहीं किया और नैटो को बुलाकर रूस को धमकाने लगा । मिन्स्क समझौता लागू होता तो शान्ति स्थापित हो जाती,दोनवास सहित समूचे उक्राइन पर झेलेन्स्की का राज रहता,रूस का कहीं कोई घुसपैठ नहीं होता । पुतिन आठ वर्षों से मिन्स्क समझौता को लागू करने की माँग कर रहा था । फ्रांस और जर्मनी के सौजन्य से मिन्स्क समझौता हुआ था । किन्तु अमरीका को युद्ध कराकर हथियार बेचने थे । मिन्स्क समझौता का मसौदा पढ़िये,अमरीकियों ने ही यह लेख लिखा है (गूगल−ट्रान्सलेट में अनुवाद कर सकते हैं)=
https://en.wikipedia.org/wiki/Minsk_agreements#Text_of_the_agreement
════════════════════
(विण्डो−११ वाले लेख में निम्न अंश डाल दिया था जिसे उक्राइन लेखमाला में रहना चाहिए,अतः यहाँ संलग्न कर रहा हूँ = )
शिवजी के त्रिशूल राजचिह्न वाले उक्राइना देश की राजधानी “शिव” पर रूस कोई आक्रमण ही नहीं कर रहा है जबकि भारतीय मीडिया बता रही है कि आज रूसी सेना को वहाँ से ८० किमी पीछे धकेल दिया गया है!सेमेटिक अल्फाबेट में “श” के लिए कोई चिह्न नहीं था जिस कारण सदियों तक सेमेटिकों का दास रहने के कारण “शिव” का उच्चारण “क्यिव” (Kyiv) हो गया जिसे जर्मन में किएफ कहते हैं ।
क्यिव के पश्चिमोत्तर में इरपिन शहर में रूसी सेना तीन सप्ताह से डटी है और आगे बढ़ने का कोई प्रयास नहीं कर सकती क्योंकि विशाल दलदल है जिसपर पुल आरम्भ में ही तोड़ा जा चुका था । क्यिव के पूर्वोत्तर का भी वही हाल है,उधर भी विशाल दलदल के कारण रूसी सेना रुकी हुई है । क्यिव में केवल दक्षिण से ही आक्रमण हो सकता है जिधर रूसी सेना ने जाने का प्रयास तक नहीं किया । तब क्यिव में युद्ध कैसे हो रहा है?पुतिन के दो ही लक्ष्य हैं — उक्राइना की सैन्य शक्ति का नाश और नात्सी विचारधारा का नाश । ये दोनों लक्ष्य कुछ ही दिनों में पूरे नहीं हो सकते,किन्तु मीडिया बकवास कर रही है कि पुतिन दो−तीन दिनों में लक्ष्य पूरा करना चाहते थे जो झेलेन्स्की की वीरता के कारण पूरा नहीं कर सके!
चार दिन पहले झेलेन्स्की ने डरकर बयान दिया कि शान्तिवार्ता के लिए तैयार हैं और नैटो का सदस्य नहीं बनेंगे । तुरन्त ब्रिटेन ने कहा कि रूस के पास अब केवल दस दिनों का गोला−बारूद बचा है,अर्थात् लगभग २५ मार्च तक समूचा रूस झेलेन्स्की का गुलाम बन जायगा!अमरीका ने भी संसद में वीडियो कान्फ्रेन्स करा दिया । पुनः कॉमेडियन मुँगेरीलाल को मॉस्को (मस्क्वा) जीतने के हसीन सपने आने लगे!
हिटलर से लड़ने में ६ वर्षों तक रूस का गोलाबारूद नहीं चुका,अब १० दिनों में चुक गया!
जिस प्रकार “शिव” का “क्यिव” हो गया,वैसे ही मस्क्वा का वास्तविक अर्थ था “माता की (नगरी)” । उसी नाम की नदी के किनारे है ।यूक्रेन सङ्कट — १०
पुतिन डरकर साइबेरिया भागने की तैयारी में है
— “भारतीय टीवी” ।
अब विश्वयुद्ध की खुली धमकी दे दी है
मुँगेरीलाल ने !
मुँगेरीलाल का एक भी पॉयलट रूस के विरुद्ध उक्राइनी युद्धविमान उड़ाने के लिए तैयार नहीं है । मुँगेरीलाल के अधिकांश टैंक रूस द्वारा विकसित पुराने T-72 हैं जिनके फोटो दिखाकर उनको पकड़े हुए रूसी टैंक बता रहा है । रूस के नये टैंक अगली पीढ़ियों वाले हैं जिनका युद्ध में प्रयोग हो रहा है,उनमें से एक भी टैंक मुँगेरीलाल क्यों नहीं पकड़ता?
पत्तलकारों का कहना है कि स्लोवाकिया रूसी S-300 मिसाइल विरोधी प्रणाली उक्राइन को देना चाहता है जिसपर रूस अप्रसन्न है । पत्तलकारों को पता है कि रूस द्वारा ही S-300 उक्राइन को दिया गया था जो नालायकों को प्रयोग करना नहीं आता;वर्षो से रखे−रखे सड़ रहे हैं । सही बात बताने पर सनसनीखेज समाचार नहीं बनता । TRP झूठ बकने पर ही बढ़ती है?
असैन्य मुहल्लों में मुँगेरीलाल के नात्सी गुण्डों ने मोर्चेबन्दी कर रखी है जिस कारण रूसी सेना नगरों में घुसने से कतरा रही है । फिर भी जिस तरह से रूसी सेना बढ़ रही है वह स्तालिन और हिटलर के बीच वास्तविक शतरञ्ज की स्मृति दिला रही है ।
मिन्स्क समझौता करके उसका पालन उक्राइन ने नहीं किया और नैटो को बुलाकर रूस को धमकाने लगा । मिन्स्क समझौता लागू होता तो शान्ति स्थापित हो जाती,दोनवास सहित समूचे उक्राइन पर झेलेन्स्की का राज रहता,रूस का कहीं कोई घुसपैठ नहीं होता । पुतिन आठ वर्षों से मिन्स्क समझौता को लागू करने की माँग कर रहा था । फ्रांस और जर्मनी के सौजन्य से मिन्स्क समझौता हुआ था । किन्तु अमरीका को युद्ध कराकर हथियार बेचने थे । मिन्स्क समझौता का मसौदा पढ़िये,अमरीकियों ने ही यह लेख लिखा है (गूगल−ट्रान्सलेट में अनुवाद कर सकते हैं)=
https://en.wikipedia.org/wiki/Minsk_agreements#Text_of_the_agreement
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(विण्डो−११ वाले लेख में निम्न अंश डाल दिया था जिसे उक्राइन लेखमाला में रहना चाहिए,अतः यहाँ संलग्न कर रहा हूँ = )
शिवजी के त्रिशूल राजचिह्न वाले उक्राइना देश की राजधानी “शिव” पर रूस कोई आक्रमण ही नहीं कर रहा है जबकि भारतीय मीडिया बता रही है कि आज रूसी सेना को वहाँ से ८० किमी पीछे धकेल दिया गया है!सेमेटिक अल्फाबेट में “श” के लिए कोई चिह्न नहीं था जिस कारण सदियों तक सेमेटिकों का दास रहने के कारण “शिव” का उच्चारण “क्यिव” (Kyiv) हो गया जिसे जर्मन में किएफ कहते हैं ।
क्यिव के पश्चिमोत्तर में इरपिन शहर में रूसी सेना तीन सप्ताह से डटी है और आगे बढ़ने का कोई प्रयास नहीं कर सकती क्योंकि विशाल दलदल है जिसपर पुल आरम्भ में ही तोड़ा जा चुका था । क्यिव के पूर्वोत्तर का भी वही हाल है,उधर भी विशाल दलदल के कारण रूसी सेना रुकी हुई है । क्यिव में केवल दक्षिण से ही आक्रमण हो सकता है जिधर रूसी सेना ने जाने का प्रयास तक नहीं किया । तब क्यिव में युद्ध कैसे हो रहा है?पुतिन के दो ही लक्ष्य हैं — उक्राइना की सैन्य शक्ति का नाश और नात्सी विचारधारा का नाश । ये दोनों लक्ष्य कुछ ही दिनों में पूरे नहीं हो सकते,किन्तु मीडिया बकवास कर रही है कि पुतिन दो−तीन दिनों में लक्ष्य पूरा करना चाहते थे जो झेलेन्स्की की वीरता के कारण पूरा नहीं कर सके!
चार दिन पहले झेलेन्स्की ने डरकर बयान दिया कि शान्तिवार्ता के लिए तैयार हैं और नैटो का सदस्य नहीं बनेंगे । तुरन्त ब्रिटेन ने कहा कि रूस के पास अब केवल दस दिनों का गोला−बारूद बचा है,अर्थात् लगभग २५ मार्च तक समूचा रूस झेलेन्स्की का गुलाम बन जायगा!अमरीका ने भी संसद में वीडियो कान्फ्रेन्स करा दिया । पुनः कॉमेडियन मुँगेरीलाल को मॉस्को (मस्क्वा) जीतने के हसीन सपने आने लगे!
हिटलर से लड़ने में ६ वर्षों तक रूस का गोलाबारूद नहीं चुका,अब १० दिनों में चुक गया!
जिस प्रकार “शिव” का “क्यिव” हो गया,वैसे ही मस्क्वा का वास्तविक अर्थ था “माता की (नगरी)” । उसी नाम की नदी के किनारे है ।
By Vinay Jha
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.