यही झूठी फोटो बहुत फैलाई है झूठो ने
मिथक 1: क्या सरदार पटेल को गांधी एवं नेहरू जी ने पीएम नही बनने दिया ?
देश का प्रथम चुनाव 1951-1952 के मध्य हुआ था। सरदार पटेल जी का निधन 15 दिसम्बर 1950 को ही हो गया था, तो क्या प्रधानमंत्री बनने के लिए कायरकर एवं हंगामा प्रसाद लुख़र्जी ने समर्थन किया था ?
अब कांग्रेस अध्यक्ष बनने की वृतांत: मौलाना अबुल कलाम आजाद 1940-1946 तक कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। 1946 में नया अध्यक्ष का चुनाव होना था। जिस चुनाव में 15 में से 13 प्रदेश कांग्रेस कमेटियों ने पटेल जी को एवं 2 कमेटियों ने आचार्य कृपलानी जी को अध्यक्ष बनने के लिए समर्थन किया था। लेकिन 2 सितंबर 1946 को अंतरिम सरकार यानी गवर्नर जनरल की एग्जीक्यूटिव कॉउंसिल में प० जवाहर लाल नेहरू उपाध्यक्ष (विदेश एवं राष्ट्रमंडल विभाग) एवं सदस्य सरदार बल्लभ भाई पटेल (गृह एवं संचार विभाग) बन गए जिसके कारण कांग्रेस संगठन के अध्यक्ष आचार्य कृपलानी बन गए। 1946 - 1948 तक आचार्य कृपलानी अध्यक्ष बने रहे। उसके बाद पट्टाभि सीतारमैया अध्यक्ष बने। 1940-1951 तक नेहरू या पटेल दोनों में से कोई कांग्रेस का अध्यक्ष नही रहा है।
तो प्रिय अंग्रेजी दुहराहो व मुखविरो खोज कर बताना कब पटेल जी को कांग्रेस अध्यक्ष बनने हेतु वोट दिया गया एवं नेहरू अध्यक्ष बन गए या कब पटेल जी को प्रधानमंत्री बनने हेतु वोट दिया एवं नेहरू प्रधानमंत्री बन गए। आश्चर्य की बात तो यह है कि उस समय प्रधानमंत्री नाम का पद भी भारत मे नही होता था। यह भी बताना कि कब पटेल जी ने यह इच्छा जाहिर किया कांग्रेस में ही या सार्वजनिक कि मैं प्रधानमंत्री बनना चाहता था नेहरू बन गए। कब कांग्रेसी पटेल जी ने तुम्हारे अंग्रेजी दुहरहे मुखविर पूर्वजो को ठेका दिया था कि मेरे न रहने पर कहना कि गांधी नेहरू एवं कांग्रेस ने मुझे पीएम नही बनने दिया। वह इच्छा पत्र या ठेका दिखाना जो तुम्हारे बाप दादाओं को या तुम्हे कांग्रेसी पटेल जी ने दिया है जो उधार का बाप बनाये घूम रहे हो। 😊
चलो कुछ क्षण के लिए मान लिया तुम्हारा कल्पना एवं अफवाह भी की देश और कांग्रेस कमेटी पटेल जी को पीएम बनाना चाहती थी (जरा इसी क्रम में अपने हाफ चड्डी पूर्वजो का भी कोई समर्थन पत्र दिखाना की वो पटेल जी को पीएम देखना चाह रहे थे) और गांधी नेहरू ने उनको नही बनने दिया था। फिर तो देश की जनता नेहरू गांधी और कांग्रेस से नाराज रही होगी कि, पटेल जी को नेहरू पीएम नही बनने दिए है खुद बन गए इनको आने वाले चुनाव में पटेल से हड़पे हुए इस पीएम गद्दी से उतार देंगे 😊 लेकिन ऐसा भी नही हुआ उल्टे 495 सीट में से नेहरू बढ़ते हुए क्रम में 373 से 410 सीट तक जीत कर 3 बार पटेल जी के निधन के बाद भी प्रधानमंत्री बने। यह भी नही हुआ अंग्रेजी दुहराहो की तुम्हरे पूर्वज पटेल के समर्थक थे इसलिए जनता ने कहा की गोरों के छोरे हाफ चड्डी वाले,पटेल के समर्थक है चलो इस बार पीएम कुर्सी हड़पने वाले नेहरू को सबक सिखाते है और इन दुहरहे हाफ चड्डियो को जिताते है यह पटेल समर्थक है 😊 उल्टे 2 सीट प्रथम चुनाव में जनता ने दे दिया जानते हो क्यू क्योकि तुम्ही वो दोगले हो जिन्होंने पटेल जी को सशर्त माफीनामा दिया था कि कभी राजनीतिक कार्य नही करेंगे और तिरंगे को मानेगे लेकिन फिर कर्म किये क्योकि दोगलई तो खून में तुम लोगो के........।
काल्पनिक इतिहास पर जबाब : इतिहास पढ़ने की एक शाखा का एक मनोरोग है जिसे कल्पनाओं का अध्ययन रोग कहा जाता है, इसमें बिना कुछ पढ़े कल्पना किया जाता है कि यदि ऐसा होता तो क्या होता ? ऐसा होता तो यह नही होता ? इतिहास फेल प्रधान सेवक भी इसी रोग से ग्रसित है, उन्होंने देश की संसद में ही कह डाला यदि सरदार पटेल प्रथम प्रधानमंत्री होते तो यह नही होता ? मेरी भी इस कल्पना वाले इतिहास में एक सवाल उम्मीद है इस रोग से ग्रसित काल्पनिक प्रधान सेवक इतिहासकार एवं उनके समर्थक सार्थक जबाब देंगे:-
काश यदि राष्ट्रीय सीक्रेट सर्विस का हाफ चड्डी गिरोह स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया होता तो इतना जलील नही होना पड़ता न ही इस तरह पटेल,बोस,गाँधी इत्यदि समाजवादी एवं कांग्रेसी महापुरुषों की चरण वंदना में साष्टांग दण्डवत होना पड़ता ?
मिथक 2: हाफ चड्डी आईटी सेल द्वारा फैलाये जा रहे फ़ोटो से प० जवाहरलाल नेहरू जी को अश्लील बताये जाने सत्यता ?
1. प्रथम फ़ोटो में प० जवाहरलाल नेहरू जी के साथ उनकी भांजी प्रसिद्ध लेखिका नयनतारा सहगल के साथ है।
2. द्वितीय फ़ोटो में प० जवाहरलाल नेहरू जी के साथ उनकी बहन विजयलक्ष्मी पंडित जी है जो 1949 में अमेरिका की यात्रा से पूर्व उनके साथ है।
3.तृतीय फ़ोटो में भी प० जवाहरलाल नेहरू अपनी बहन विजयलक्ष्मी पंडित जी के साथ है।
जाहिल,निम्नस्तरीय लोग जो अश्लीलता का आरोप लगा रहे है वे अनपढ़ एवं नीच लोग शायद अपने रिश्तेदारों एवं परिवार के महिला सदस्यों के किसी फ़ोटो के सम्बंध में भी ऐसा ही गन्दा विचार रखते होंगे।
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.