भारतीय सेना का दवाब नहीं रहता तो नैटो की तरह भारत सरकार ने भी झेलेन्स्की को सैन्य सहायता भेजने का निर्णय ले लिया रहता ।

By Vinay Jha

अभी रिपब्लिक−भारत टीवी उक्राइनी नगर खारकोव का एक फर्जी वीडियो बारम्बार दिखा रही है जिसमें एक खाली पार्क को नष्ट करने के लिए उसपर गोले बरसाये जा रहे हैं । गोले बरसाने वाले टैंक कहीं पास में ही हैं किन्तु उनको नहीं दिखाया गया । ब्रिटिश प्रधानमन्त्री ने १६ मार्च को ही कहा था कि नौ दिनों में रूस का सारा गोलाबारूद समाप्त हो जायगा जिसके उपरान्त रूस पर उक्राइन की जीत हो जायगी । किन्तु झेलेन्स्की द्वारा प्रचारित फर्जी वीडियो के अनुसार रूस के पास १४ अप्रैल को भी इतना फालतू गोलाबारूद है कि खाली पार्क के बैंचों और पेड़ों को अकारण नष्ट किया जा रहा है!सम्भवतः यह सिद्ध करना लक्ष्य है कि हँसने की मनाही करने वाले उत्तर कोरिया के पश्चात अब रूस दूसरा पागल देश है जो खाली पार्क से युद्ध कर रहा है!

वीकिपेडिया पर https://en.wikipedia.org/wiki/Azov_Battalion लेख पढ़ें,अमरीकी स्रोतों को ही उद्धृत करते हुए इसमें दर्जनों प्रमाण दिये गये हैं जो सिद्ध करते हैं कि अजोव बटालियन युद्धापराध की दोषी है और २०१४ ई⋅ से ही दोनवास में उक्राइन के रूसी लोगों का नरसंहार कर रही थी । किन्तु भारतीय मीडिया को ये बातें नहीं दिखतीं । दोनवास का प्रमुख बन्दरगाह है मारिउपोल जो अजोव बटालियन का मुख्यालय है । अजोव बटालियन अपनी नात्सी विचारधारा का खुलकर प्रचार करती रही है किन्तु भारतीय मीडिया को अजोव बटालियन “निर्दोष सिविलियन” लगती है । २०१४ ई⋅ में रूस समर्थक चुने हुए राष्ट्रपति को भगाने के उपरान्त उक्राइन में एक भी चुनाव लोकतान्त्रिक तरीके से नहीं हुआ । इसी काल में मारिउपोल के मेयर का चुनाव हुआ जिसमें बोयचेन्को विजयी हुए । २४ फरवरी २०२२ ई⋅ को रूसी आक्रमण होते ही वे मारिउपोल से भाग गये और उक्राइन के गुप्त ठिकाने से उनके बयान हरदिन अमरीकी एवं उक्राइनी मीडिया के माध्यम से आ रहे हैं । बोयचेन्को जब मारिउपोल में हैं ही नहीं और उनके ही अनुसार मारिउपोल को रूसियों ने घेर रखा है तो मारिउपोल की सूचना बोयचेन्को को कैसे मिल रही है?झेलेन्स्की ने बयान दिया है कि मारिउपोल उनका दिल है । क्यों?मारिउपोल की ऐसी कौन सी विशेषता है?उक्राइन का प्रमुख बन्दरगाह ओदेस्सा है । मारिउपोल के दो ही महत्व हैं — दोनवास का वह एकमात्र बन्दरगाह है जिसपर यदि अजोव बटालियन का आधिपत्य रहा तो दोनवास के रूसी−बहुल क्षेत्र का समुद्र से सम्पर्क टूट जायगा । दूसरा महत्व यह है कि रूसियों का नरसंहार करने वाली अजोव बटालियन का वह केन्द्र है । अजोव बटालियन की स्थापना निजी सेना के तौर पर की गयी थी जिसमें दर्जनों देशों के आतङ्कवादियों को CIA द्वारा भर्ती कराया गया और बाद में अजोव बटालियन को उक्राइनी सेना का अङ्ग बना दिया गया । अब रूसी टीवी पर भारत सरकार ने भी प्रतिबन्ध लगा दिया है और भारतीयों को झूठे समाचार परोसे जा रहे हैं ।

कुछ लोग मेरी बात नहीं पचा सकेंगे कि रूसी टीवी पर भारत सरकार ने प्रतिबन्ध लगाया । भारत की किसी टीवी के पास संचार उपग्रह नहीं है । निजी सर्विस प्रोवाइडरों को भी सरकारी संचार उपग्रह से ही विभिन्न चैनलों की सेवायें मिलती हैं । टाटा−स्काई का कनेक्शन मेरे पास है,पहले टाटा−स्काई कहती थी कि सर्विस प्रोवाइडर द्वारा RT चैनल प्रदान नहीं किया जा रहा है । अब टाटा−स्काई कुछ नहीं कहती है,RT का चैनल ही हटा दिया गया है । स्पष्ट है कि भारत सरकार के संचार उपग्रह ने ही रूसी RT चैनल पर प्रतिबन्ध लगाया है ताकि अमरीका प्रसन्न रहे ।

रूस के बारे में उलजलूल समाचार परोसे जा रहे हैं जिनका स्रोत CIA है । कुछ दिन पहले बताया गया कि पुतिन की गुप्त पत्नी की बेटी के इटैलियन महल पर मानवाधिकार वालों ने आधिपत्य जमाकर उक्राइनी शरणार्थियों को उसमें भर दिया है । आज उस महल के सभी आलीशान कमरों के चित्र रिपब्लिक टीवी दिखा रही है,सारे कमरे खाली हैं!वह महल वास्तव में किसका है इसका कोई प्रमाण नहीं ।

अमरीकी न्यूज एजेन्सी Associated Press का कहना है कि मारिउपोल में केवल दो बाहरी पत्रकार थे जिन्होंने ११ मार्च को मारिउपोल त्याग दिया ( https://apnews.com/article/russia-ukraine-europe-edf7240a9d990e7e3e32f82ca351dede )। तब से एक भी बाहरी पत्रकार मारिउपोल में नहीं है । किन्तु भारतीय पत्तलकारों को सारी सूचनायें मिल रही हैं!

भारत सरकार को रूसी टीवी पर अघोषित प्रतिबन्ध नहीं लगाना चाहिए । भारतीयों को दोनों पक्षों की बातें सुनने का अवसर मिलना चाहिए । भारतीय सेना का दवाब नहीं रहता तो नैटो की तरह भारत सरकार ने भी झेलेन्स्की को सैन्य सहायता भेजने का निर्णय ले लिया रहता ।

रूस की शक्ति नष्ट हो गयी तो भारतीय सेना को एक भी सहायक नहीं मिलेगा ।

बहुत पहले मैंने लिखा था कि २००० ई⋅ के पश्चात विपरीत कालचक्र के आरम्भ होने पर इतिहास विपरीत क्रम से चलेगा । किन्तु तीन बातों का अन्तर रहेगा । पहला अन्तर यह है कि विपरीत कालचक्र अर्थात् उत्सर्पिणी केवल १२०० वर्षों का होता है जबकि अवसर्पिणी ४२००० वर्षों की थी । दूसरा अन्तर यह है कि सौरपक्षीय प्रवेशचक्रों के फल घटनाक्रमों को प्रभावित करते रहेंगे जिस कारण इतिहास विपरीत क्रम से हु−ब−हू नहीं चलेगा । तीसरा अन्तर यह है कि पुरानी मानव प्रजाति का लोप और नयी मानव प्रजाति का पदार्पण इतिहास को प्रभावित करेगा,किन्तु यह प्रक्रिया इतनी रहस्यमय एवं गोपनीय तरीके से होगी कि पुरानी मानव प्रजाति को पता नहीं चलेगा तथा नयी मानव प्रजाति को भी तब पता चलेगा जब पुरानी मानव प्रजाति का पूर्ण लोप हो जायगा । अतः इतिहास की धारा को समझने का एकमात्र सही तरीका रहेगा सौरपक्षीय प्रवेशचक्रों के फलों की जाँच । खेद की बात है कि २४ फरवरी २०२२ ई⋅ को उक्राइनी समय प्रातः ८ बजे युद्धारम्भ की कुण्डली किसी ने नहीं जाँची जिसमें रूस को विपरीत राजयोग है और नैटो को भाग्यलाभ । भारत को लाभ नहीं है ।
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भूत−पँवार निकट नहीं आवे राज ठाकरे चालीसा गावे ।
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इलैक्ट्रिक साइकिल अच्छा कार्य कर रही है । सँकरी गलियों वाले बाजारों के लिए उपयोगी है । मैंने सुना है कि ३५ cc तक के पेट्रोल इञ्जन वाली साइकिल मोटर वेहिकल में नहीं गिनी जाती । यदि यह सच है तो इस इलैक्ट्रिक साइकिल में ३५ cc का पेट्रोल इञ्जन भी लगा दूँगा,बैटरी डाउन हाेने पर कार्य करेगी । एक लीटर पेट्रोल में दो सौ किलोमीटर से अधिक चलनी चाहिए । बैटरी पर तो उससे भी कई गुणी सस्ती है ।

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