खञ्जर > खिञ्जर > खिञ्जल > किञ्जल > किञ्झल
विश्व के सर्वोत्तम हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल किञ्झल ( Кинжал ) का रूसी में अर्थ है “खञ्जर” । By Vinay Jha
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उपरोक्त रूपिम परिवर्तन में कुल चार स्वनिमों में परिवर्तन हुआ =
(१) अकार > इकार
(२) र् > ल्
(३) ख् > क्
(४) ज > झ ( ख् का स्वरण् ज् को ट्रान्सफर हुआ )
४२००० वर्षीय कालचक्र में १३ रूपिम परिवर्तन ६⋅० दशम−लॉगेरिथ्मिक पैमाने पर होते हैं । चार रूपिम परिवर्तनों का काल है=
(४ x (६÷१३)) का एण्टी−लॉग अर्थात् ७०⋅१७०४,जिसे ४२००० से भाग देने पर मिलेगा ५९८⋅५४३ वर्ष । ४२००० वर्षीय कालचक्र की समाप्ति २००० ई⋅ की सौरपक्षीय मेष−संक्रान्ति को हुई,उससे ५९८⋅५४३ वर्ष पहले १४०१ ईस्वी के सितम्बर में रूसी भाषा में किञ्झल का वास्तविक उच्चारण था “खञ्जर” । अतः उस समय की हिन्दी और उस समय की रूसी में इस शब्द का समान उच्चारण था ।
पश्चिम की नस्लवादी वेदविरोधी भाषाविज्ञान में रूपिम परिवर्तन द्वारा कालनिर्धारण के विषय को ग्लोट्टो−क्रोनोलॉजी कहते हैं । उनकी ग्लोट्टो−क्रोनोलॉजी में दो त्रुटियाँ हैं,लघुगणकीय (लॉगेरिथ्मिक) पैमाने की बजाय सामान्य पैमाने का उपयोग,और भाषाविज्ञान पर नस्लवादी पूर्वाग्रहों का आरोपण । वैदिक भाषाविज्ञान और पाश्चात्य भाषाविज्ञान पर बारह वर्षों तक कठोर परिश्रम के पश्चात मेरे माथे से मैकॉले का भूसा झड़ा ।
१४०० ई⋅ में समूची रूसी भाषा हिन्दी की तरह नहीं थी,उधार वाले शब्द समान थे । मूल व्याकरण और मौलिक शब्दों में अन्तर थे किन्तु वे अन्तर आज की तुलना में बहुत अल्प थे । यह बात भारोपीय परिवार की सभी भाषाओं पर लागू थी । भारत में भी हम जैसे−जैसे वर्तमान से अतीत की ओर बढ़ते हैं,वैसे−वैसे हम पाते हैं कि भारत के विभिन्न प्रान्तों की भाषाओं एवं बोलियों में अन्तर घटते जाते हैं । मौर्यकाल में शिलालेखों की प्राकृत भाषा पूरे देश में लगभग समान थी और पूरा देश उस प्राकृत भाषा को समझता था । उस प्राकृत को मागधी,शौरसेनी आदि नामों की विभिन्न भाषाओं में बाँटना ईस्ट इण्डिया कम्पनी के नौकरों की गुण्डागर्दी थी । मागधी,शौरसेनी आदि परस्पर भिन्न भाषाएँ नहीं थीं,एक ही प्राकृत की विभिन्न क्षेत्रीय बोलियाँ थीं । आचार्य हेमचन्द्र का प्राकृत व्याकरण पढ़ने पर मुझे मैक्समूलर जैसे कम्पनी के नौकरों का षडयन्त्र समझ में आया । “कम्पनी” का “com” भी देवभाषा के “सम्” से तथा “pany” भी “पणि” से बना । अंग्रेजों की “pony” (खच्चर) भी “पणि” से ही बनी जिसपर पणिक वा वणिक अपना माल लादते थे । अतः कम्पनी के नौकरों में “पणि” वाला लक्षण भी था और “pony” वाला भी,बिना डण्डे वा किञ्झल के बाइडेन जैसे “pony” को आप सही बात नहीं समझा सकते ।
प्रतिसेकण्ड चार किलोमीटर से भी अधिक गति सें उड़ने वाला किञ्जल मिसाइल हाइड्रोजन बम लेकर धरातल से कुछ ही मीटर की ऊँचाई पर उड़ रहा हो और उसकी गाइडेन्स प्रणाली में नाममात्र की त्रुटि से रास्ते के किसी पेड़ वा भवन से टकड़ाकर किसी महानगर में वह हाइड्रोजन बम फट पड़े तो क्या होगा?अतः ऐसे क्रूज मिसाइल की नियन्त्रण प्रणाली कैसी शुद्ध होनी चाहिये?उस शुद्ध प्रणाली के आविष्कर्ता थे कलाम साहब । व्लादिमीर पुतिन ने ब्रह्मोस−२(K) हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल के नाम में “कलाम” (K) को जोड़ने की स्वीकृति दी । जब यह प्रस्ताव स्वीकृत हुआ था तब मनमोहन सिंह की सरकार थी,अतः मुझे विश्वास है कि कलाम−विरोधी काँग्रेस सरकार ने इस प्रस्ताव का विरोध ही किया होगा ।
“व्लादिमीर पुतिन” का अर्थ है “वरदायक (ब्रह्मरूपी अन्तरिक्ष के वरुण ) समुद्र का पुत्र” । केवल वैदिक संस्कृति एवं धर्म में ही शब्दों के ऐसे अर्थ सम्भव हैं । जेम्स बॉण्ड पाश्चात्य जगत में केवल फिल्मों में ही सम्भव है,पुतिन का वास्तविक जीवन वैसा रहा है,बुढ़ापे में भी बिचारे को चैन नहीं । शीतयुद्ध के दौरान उनको विश्व के सबसे खतरनाक मोर्चे का प्रभार KGB ने सौंपा था — बर्लिन फ्रण्ट,जहाँ नैटो और वार्सा−पैक्ट की सर्वोत्तम सेनायें सदा विश्वयुद्ध मोड में तैयार रहती थीं । तब पश्चिम जर्मनी जाकर नैटो के हाइ−सेक्यूरिटी IBM सैन्य सुपर−कम्प्यूटर को हैक करके नैटो का सारा डैटा पुतिन ले गये थे ।
हमारे डोभाल साहब भी सात वर्षों तक वैसे ही कार्य किये,अन्तर यह था कि डोभाल साहब को नैटो के सुपर−कम्प्यूटर की जगह पाकिस्तान जैसा पिद्दी मिला जहाँ डैटा के बदले केवल गधे मिलते हैं । डोभाल साहब को पाकिस्तान के बदले पेण्टागन के मुख्यालय में जाना चाहिए था जहाँ पाकिस्तान के असली डैटा मिलेंगे ।
सोवियत सङ्घ का विघटन हुआ तो KGB के सभी जासूसों की फाइलें पुतिन ने जला दी क्योंकि वे जानते थे कि येल्तसिन डॉलर के बदले उन फाइलों को बेच देगा और पुतिन के सारे साथी मारे जायेंगे । पुतिन को मारने के सारे प्रयास अभी तक असफल हो चुके हैं । रूस से लेकर जापान तक के मार्शल आर्ट विधाओं का वह विशेषज्ञ है ।
क्रूज मिसाइल की गाइडेन्स प्रणाली का सैद्धान्तिक आधार है “निगेटिव फीडबैक” जिसका लोकभाषा में अर्थ है “निन्दक नियरे राखिये” । “पॉजिटिव फीडबैक” का अर्थ है “कैडर नियरे राखिये” — जिसका सदुपयोग वायरलैस ट्रान्समिशन,चुनावकाल,आदि में होता है,अन्य कालों में इसका प्रयोग अन्धभक्ति अथवा चमचागिरी कहलाता है । फीडबैक पर फिर कभी ।
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.