🚩“सवर्ण” और “अवर्ण” के सही अर्थ : 🚩
🚩“सवर्ण” और “अवर्ण” के सही अर्थ : 🚩 सनातनियो मे भेदभाव मुगलकाल मे पैदा किया गया है, गरीब तबके के लोग जो संघर्ष करने की स्थिति मे नही थे से कहा गया या तो तुम अपना धर्म बदलकर मुस्लिम बनो या जो कार्य सनातनियो को निषिद्ध है वह कार्य करवाये गये ।पर जिन्हे हम सनातन विरोधी कार्यो के कारण अछूत समझने लगे थे, वो कितने कट्टर सनातनी होगे कि धर्म मे निषिद्ध कार्य तो करने लगे पर धर्म नही बदला, ।अछूत किसे कहते है जिसे छुआ न जा सके, पर ये अछूत क्यो हो गये क्योकि ये निम्न कार्य मे मुगलो द्वारा बलपूर्वक, लगाये गये, पर आज तो ये सनातन मे निषिद्ध कार्यो मे लिप्त नही है तो फिर इन्हे सनातन की मुख्यधारा मे लाये, दूसरे धर्म के लोगो ने हमे तोड़ा भेदभाव पैदा किये, तो आज तो हम शिक्षित है सब जानते है तो हम एक बने समता मूलक सनातन का निर्माण करे. बहुत पहले मैंने लिखा था — “सवर्ण” का अर्थ है वर्ण−सहित,अर्थात् वर्णव्यवस्था के अन्तर्गत चारों वर्ण। अवर्ण वह है जो चारों वर्णों से बाहर हो । म्लेच्छों ने जानबूझकर आधुनिक काल में “सवर्ण” और “अवर्ण” के गलत अर्थ प्रचारित किये । ऋग्वेद,...