सरकार की कमजोरी by Vinay Jha

सरकार की कमजोरी by Vinay Jha 
आज मैं नेट पर भारत के बँटवारे के समय के साम्प्रदायिक दंगों के फोटो ढूँढ रहा था तो गूगल सर्च ने सबसे अधिक प्रमुखता news18 के निम्न वेबसाइट को दी=
https://www.news18.com/photogallery/india/rare-pictures-show-the-horror-of-riots-that-shattered-many-lives-1954741-7.html

आश्चर्य इस बात का था कि चुनचुनकर केवल हिन्दू अथवा सिख बहुलता वाले क्षेत्रों के फोटो दिखाये गये ताकि लोग समझें कि निर्दोंष मुसलमानों की सामूहिक हत्या खून के प्यासे हिन्दुओं और सिखों ने की!उन चित्रों में कुछ बहुत बाद वाले ऐसे चित्र भी जानबूझकर जोड़े गये हैं जो “सिद्ध” करते हैं कि हिन्दू और सिख भेड़िये हैं जो आपस में भी एक−दूसरे के खून के प्यासे रहते हैं । एक भी ऐसा फोटो नहीं मिला जिसमें हिन्दुओं वा सिखों की हत्या पाकिस्तान की माँग करने वाले मुसलमानों ने की हो!तब news18 के मालिक को मैंने गूगल सर्च पर ही ढूँढा,तो कम्पनी का नाम CNN-News18 तथा संस्थापक में एक भारतीय राघव बहल का नाम बताया गया जो नोयडा का है ।

किन्तु CNN-News18 पर विकिपेडिया के लेख https://en.wikipedia.org/wiki/CNN-News18 ने स्पष्ट किया कि इसका वास्तविक स्वामित्व Network 18 तथा Warner Bros की Discovery के पास है । Network18 का बहुमत शेयर मुकेश अम्बानी ने खरीद लिया ताकि अमरीकी धन्नासेठों वार्नर भाईयों की CNN का विषैला कु−समाचार Network18 के माध्यम से भारतीयों के मन में ठूँसा जा सके ।

किन्तु इससे भी स्थिति स्पष्ट नहीं होती । ब्रिटेन के सौजन्य से पाकिस्तान की स्थापना हुई । तब ब्रिटेन अशक्त हो चुका था और नैटो के अन्तर्गत अमरीका का कनिष्ठ सहयोगी था । नैटो को सोवियत,चीन और भारत के विरुद्ध एक सस्ता कुत्ता पालना था जिसके लिए पाकिस्तान बनवाया गया । तब से लेकर आजतक पाकिस्तान को विश्व का विशालतम हिन्दू−विरोधी आतङ्कवादी नेटवर्क बनाकर भारत को नष्ट करने में नैटो इस्तेमाल करता रहा है और जब पाकिस्तान सफल नहीं हुआ तो चीन को भी १९७१−युद्ध के पश्चात अमरीका ने मित्र बना लिया । यह दूसरी बात है कि अब चीन अमरीका के लिए भी सिरदर्द बन गया है । किन्तु भूलना नहीं चाहिए कि अमरीकी गिरोह की सहायता के कारण ही चीन को महाशक्ति बनने का अवसर मिला था,और यह सहायता निक्सन ने भारत को नष्ट करने के उद्देश्य से ही आरम्भ की थी ।

तभी तो विश्व−मीडिया को बताया जाता है कि पाकिस्तान शान्तिप्रिय देश है और केवल हिन्दू ही खून के प्यासे होते हैं!पाकिस्तान की हरकतों को मीडिया छुपाती है,वरना पश्चिमी देशों की आम जनता इतनी घटिया नहीं है कि पाकिस्तान की सहायता अपनी सरकारों को करने दें । यूक्रेन−युद्ध में मीडिया की झूठी रिपोर्टिंग ने इस तथ्य की पुष्टि की है ।

भारत के सबसे बड़े सेठ भी इन वैश्विक दरिन्दों के एजेण्ट हैं!तभी तो भारत का यह हाल है!

भारत के टुकड़े किये गये,चालीस लाख लोगों का नरसंहार करवाया गया,किन्तु प्रचार किया जाता है कि हिन्दू ही मुसलमानों का कत्लेआम करते थे और कर रहे हैं,आज भी प्रचार किया जाता है कि मुसलमानों के मस्जिदों को हिन्दू हथियाना चाहते हैं!

असली गुण्डे पाकिस्तान अथवा अरब देशों में नहीं,नैटो के मुख्यालयों तथा ह्वाइट हाउस जैसे भवनों में हैं जो बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के धन्नासेठों के नौकर हैं । आश्चर्य इस बात का है कि कम्युनिष्टों का इन पूँजीपतियों से मतभेद रहा है,किन्तु जब हिन्दुत्व की बात उठती है तो उनका मतभेद तो समाप्त होता ही है,मुसलमानों से भी सहस्र वर्षों का क्रूसेड ईसाई भूल जाते हैं!हिन्दुओं की पूर्ण एथनिक क्लीन्सिंग इन सबका लक्ष्य है,जैसा कि पहले पाकिस्तान में कराया गया और बाद में कश्मीर में । अन्यत्र ऐसा होता है तो संयुक्त राष्ट्र से लेकर मानवाधिकारियों के कान खड़े हो जाते हैं,किन्तु हिन्दुओं का सामूहिक नरसंहार होता है तो उसमें भी मीडिया को केवल हिन्दुओं की रक्तपिपासा तथा मुसलमानों पर अत्याचार ही सूझता है!१९७१ ई⋅ में २४ लाख हिन्दुओं की हत्या याह्या खान ने की किन्तु भारत से लेकर बाहर तक की समूची मीडिया को आजतक पता नहीं चला!आज यूक्रेन से कुछ लाख शरणार्थी निकले तो मीडिया विधवाविलाप कर रही है,१९७१ ई⋅ में एक करोड़ शरणार्थी भारत आये तो मानवाधिकारियों की नीन्द नहीं खुली ।

१९४७ ई⋅ के दंगों पर news18 के एकपक्षीय एवं भ्रामक चित्रों को देखकर मेरे मन में यही उठा कि हमारी सरकार कितनी अशक्त है जो भारतीय कम्पनियों को भारत−विरोधी दुष्प्रचार करने से रोक नहीं सकती!नुपुर शर्मा के विरोध में सफाई देते हुए भाजपा के प्रवक्ता कह रहे थे कि महान पैग़म्बर के बारे में झूठी हदीसों को लिखने वालों को उद्धृत नहीं करना चाहिए । बिचारे को पता नहीं था कि अल्लाह की जो बात पैग़म्बर ने सुनी उसे “क़ुरान” कहते हैं और पैग़म्बर के वचनों के संग्रहों को “हदीस” कहते हैं । नुपुर शर्मा ने अपनी ओर से कुछ नहीं कहा था,केवल पैग़म्बर को उद्धृत किया था । मुस्लिम देशों में उसे हिन्दूविरोधी मीडिया ने विकृत करके प्रचारित किया । हिन्दूविरोधी मीडिया भारत की हो वा पाकिस्तान अथवा अमरीका की,जब बात हिन्दू की उठे तो उनमें कोई मतभेद नहीं रहता—

⋅⋅⋅ ⋅⋅⋅ क्योंकि सृष्टि के आदिकाल से ही देवासुर संग्राम चल रहा है । इस संग्राम में मुकेश अम्बानी जैसे लोग आर्थिक लाभ के लिए पाला बदल लेते हैं । रानी पद्मावती पर झूठी और गन्दी फिल्म मुकेश अम्बानी के ही पैसे से बनी थी । स्पष्ट है कि आर्थिक कारणों से मुकेश अम्बानी भी वैश्विक मगरमच्छों के चुगंल में हैं । news18 द्वारा साम्प्रदायिक दंगों पर उपरोक्त असत्य प्रचार में वार्नर के सौजन्य से मुकेश अम्बानी का पैसा लगा है ।

वर्तमान भारत सरकार की कमजोरी भारत के द्रेशद्रोही एवं हिन्दूद्राेही पूँजीपति हैं ।

बड़े पूँजीपतियों में केवल डालमिया सही थे तो उनको मार डाला । उससे पहले सारे अच्छे पूँजीपतियों और सही मीडिया को अंग्रेजों ने नष्ट किया । नेताओं में भी अंग्रेजों ने चमचों को ही उभरने दिया ।

पेट्रोडॉलर की शक्ति १९७५ ई⋅ के पश्चात बढ़ी,भारतीय पूँजीपति वर्ग उससे पहले भी हिन्दूद्रोही ही था । १९७५ ई⋅ के पश्चात पेट्रोडॉलर केवल भारत के लिए प्रतिकूल है?चीन वा कोरिया के लिए नहीं?थोरियम पर भारत ध्यान क्यों नहीं देता?

चीन की तरह विश्व बाजार पर वर्चस्व के लिए तैयार माल का निर्यात अत्यधिक बढ़ाना पड़ेगा । निर्यात के लिए गुणवत्ता चाहिये । उसके लिए R&D आवश्यक है । भारतीय पूँजीवाद को R&D से कितना प्रेम है इसपर विस्तार से लिख चुका हूँ । भारतीय पूँजीवाद के जातिवादी परिवारवादी सामन्ती चरित्र पर भी लिख चुका हूँ । पूँजीपतियों के दिमाग में सेट है कि हिन्दुत्व केवल ब्राह्मणों का चोंचला है । कुछ पूँजीपतियों में ईश्वर का भय है भी तो किस ईश्वर का यह वे भी नहीं जानते । हिन्दुत्व के बारे में मैकॉलेवाद ने जो पढ़ा दिया वही परम सत्य है । ब्राह्मणों की एथनिक क्लीन्सिंग के पश्चात ही “असली” हिन्दुत्व बचेगा — चर्च की शरण में ।

दार्शनिक चिन्तन से भारतीय पूँजीपतियों को कोई सरोकार नहीं । इसके विपरीत पाश्चात्य पँजीवाद कट्टर नस्लवादी और सम्प्रदायवादी है किन्तु सेक्यूलरिज्म की आड़ में छुपकर कार्य करता है । अभी रूस से विवाद हुआ तो उसके आर्थोडॉक्स चर्च पर भी आक्रमण होने लगा!चीन को आज भी पश्चिम खतरा नहीं मानता क्योंकि चीन के पास अपनी सांस्कृतिक शक्ति नाममात्र की ही बची है और सामरिक शक्ति में वह नैटो के सामने कुछ भी नहीं । सामरिक तौर पर केवल रूस खतरनाक है और सांस्कृतिक तौर पर हिन्दुत्व । इस्लाम से वे एक दिन में निबट लेंगे,पेट्रोलियम चुकने पर ।

अतः भारत आर्थिक और सामरिक तौर पर सशक्त राष्ट्र बन जाय तो पश्चिम को ऐसे खतरे का सामना करना पड़ेगा जो उसकी सांस्कृतिक जड़ें खोद डालेगा यह पश्चिम जानता है,क्योंकि उसे पता है कि हिन्दुत्व को वह लाख गरिया ले,ईसाईयत के पास आध्यात्मिक पूँजी लगभग शून्य है । यदि भारत का सत्ताधारी वर्ग सही अर्थ में सनातनी बन जाय तो पूरे विश्व को सनातनी बनने में देर नहीं लगेगी । अतः जिस दिन ऐसी सम्भावना दिखेगी उस दिन इस्लाम आदि को साथ लेकर पश्चिम पूरी शक्ति से भारत पर किसी न किसी बहाने टूट पड़ेगा । परन्तु तबतक अमरीका और ब्रिटेन अपने ही बोझ तले दम तोड़ चुके होंगे ।

चीन की तरह भारत का सत्ताधारी वर्ग भी धर्मविमुख है । किन्तु वहाँ की बहुमत प्रजा भी धर्मविमुख है,चिन्तनशील वर्ग का माओ ने सफाया कर दिया । भारत के सत्ताधारी वर्ग को छोड़कर शेष गैर−सेमेटिक समाज पर सनातनी दर्शन का गहरा प्रभाव है । पश्चिम इसे सबसे बड़ा खतरा मानता है । वैश्विक स्तर पर अब कम्युनिज्म खतरा नहीं रहा । वह दिन दूर नहीं जब वैश्विक स्तर पर हिन्दुत्व को सबसे बड़ा “खतरा” घोषित कर दिया जायगा,विशेषतया ब्राह्मणों को । ब्राह्मणों की एथनिक क्लीन्सिंग होने पर ही चर्च का एजेण्डा सम्पन्न हो सकेगा । अतः बाहरी शक्तियाँ आजकल भाजपा को ब्राह्मण−विरोधी बनाने पर तुली हैं — किन्तु परोक्ष तरीके से ताकि पता न चले ।

हिन्दुत्व की सही समझ वैश्विक समाज को मिले तो पूरे संसार को सनातनी बनने में देर नहीं लगेगी,क्योंकि अब विश्व पढ़ा−लिखा है और वैचारिक तौर पर सनातन धर्म के सिवा अन्य सारे अभारतीय सम्प्रदाय विपन्न हैं,उनके पास मनुष्य की आध्यात्मिक प्यास को बुझाने के लिए कुछ भी नहीं है । अतः चर्च और इस्लाम का तभी तक अस्तित्व है जबतक वैश्विक मीडिया हिन्दुत्व के बारे में भ्रामक जानकारी लोगों को देती रहे । एक अन्य साधन भी असुरों के पास है — आध्यात्मिक प्यास को ही नष्ट कर दिया जाय इसके लिए भौतिकता और विशेषतया कामुकता को बढ़ावा देना ।

देवासुर संग्राम है!हिन्दुओं में भी दैवी और आसुरी प्रवृत्तियों के बीच संघर्ष है । इतिहास गवाह है कि हरेक आसुरी साम्राज्य अपने ही भार से दबकर नष्ट हुआ । असुरों की जीत ही उनकी मृत्यु है क्योंकि भविष्य का पथ सदैव देवपथ ही हो सकता है (असुर यदि चैतन्य हो जाय तो असुरत्व बचा कहाँ?धर्म के दसों लक्षणों का विलोम ही असुरत्व है,वह शाश्वत मृत्यु का मार्ग है ।) । असुरपथ तमस है,देवपथ ज्योतिर्गमय है । असुरपथ असत् का फव्वारा है । देवपथ चैतन्य ज्योतिर्लिङ्ग है;उसका जागरण आरम्भ हो चुका है ।

Comments

Popular posts from this blog

चक्रवर्ती योग :--

जोधाबाई के काल्पनिक होने का पारसी प्रमाण:

क्या द्रौपदी ने सच में दुर्योधन का अपमान किया था? क्या उसने उसे अन्धपुत्र इत्यादि कहा था? क्या है सच ?

पृथ्वीराज चौहान के बारे में जो पता है, वो सब कुछ सच का उल्टा है .

ब्राह्मण का पतन और उत्थान

वैदिक परम्परा में मांसभक्षण का वर्णन विदेशियों-विधर्मियों द्वारा जोड़ा गया है. इसका प्रमाण क्या है?

द्वापर युग में महिलाएं सेनापति तक का दायित्त्व सभाल सकती थीं. जिसकी कल्पना करना आज करोड़ों प्रश्न उत्पन्न करता है. .

ऋग्वेद के पुरुष सूक्त में पुरुष का अर्थ

चिड़िया क्यूँ मरने दी जा रहीं हैं?

महारानी पद्मावती की ऐतिहासिकता के प्रमाण