न हूरें मिली न जन्नत


परसों १२ मई को तमिलनाडु के तंजौर एयरबेस से भारतीय वायुसेना के टाइगर−शार्क्स स्क्वाड्रन के Su-30MKI सुखोई युद्धविमान ने हवा में ही ईंधन भराई और ब्रह्मोस−१ सुपरसोनिक मिसाइल के संवर्द्धित−परास (extended range) संस्करण को बंगाल की खाड़ी में ४५० किलोमीटर दूर के एक पूर्वनिर्धारित लक्ष्य तक सफलतापूर्वक छोड़ा । भारतीय रक्षा मन्त्रालय के प्रवक्ता ने बयान दिया — “It was the first launch of the Extended Range version of BrahMos missile from Su-30MKI aircraft. With this, the IAF has achieved the capability to carry out precision strikes from Su-30MKI aircraft against a land/sea target over very long ranges. The extended range capability of the missile coupled with the high performance of the Su-30MKI aircraft gives the IAF a strategic reach and allows it to dominate the future battlefields.”

ब्रह्मोस−१ का प्रथम परीक्षण २००१ ई⋅ में हुआ था । यह २९० किलोमीटर की परास (range) का था । इसमें रूसी इञ्जन था जिस कारण परास २९० किलोमीटर तक ही रखने की विवशता थी क्योंकि मिसाइल परीसीमन सन्धि के कारण ३०० किलोमीटर से अधिक परास का इञ्जन रूस किसी देश को नहीं दे सकता था । अतः ३०० किलोमीटर से अधिक परास का इञ्जन भारत को स्वयं विकसित करने में २१ वर्ष लग गये । नवीन इञ्जन का अधिकतम परास ५०० किलोमीटर तक का है । १२ मई के परीक्षण में लक्ष्यवेध अत्यधिक शुद्धि के साथ हुआ ।

Su-30MKI युद्धविमान द्वारा संवर्द्धित ब्रह्मोस−१ को छोड़ने की क्षमता अर्जित कर लेने के कारण भारतीय सेना अब युद्धक्षेत्र पर रणनीतिक श्रेष्ठता सहित प्रभुत्व स्थापित करने की क्षमता अर्जित कर चुकी है । २००५ ई⋅ में प्रथम Su-30MKI भारत में बना । यह विमान दो इञ्जन वाला है,एक इञ्जन बन्द हो जाय तो दूसरे पर कार्य कर सकता है । इस विमान को मल्टीरोल सुपिरिऑरिटी फाइटर कहा जाता है जिसका अर्थ यह है कि आधुनिक लड़ाकू युद्धविमानों की सभी किस्मों की क्षमतायें इसमें हैं । जनवरी २०२० ई⋅ रिपोर्ट के अनुसार भारतीय वायुसेना में २६० Su-30MKI थे,अतः वायुसेना की शक्ति का यह मुख्य स्तम्भ है और दीर्घकाल तक रहेगा । भारतीय वायुसेना के Su-30MKI में भारत,फ्रांस तथा इजरायल में बनी प्रणालियाँ और उपकरण लगे हैं जो भारतीय परिस्थितियों के लिए बने हैं । इसकी क्षमतायें Sukhoi Su-35 के समान हैं । भारत में बने Su-30MKI रूस द्वारा प्रदत्त Su-30 से इतने बेहतर थे कि रूसी वायुसेना ने भारत से आयात किया । Su-30MKI में अणुबम की क्षमता वाली निर्भय मिसाइल और ब्रह्मोस मिसाइल छोड़ने की क्षमता है । २०१७ ई⋅ में २९० किलोमीटर वाली ब्रह्मोस का परीक्षण Su-30MKI से हुआ था । Su-30MKI में नये अत्याधुनिक उपकरण लगाने की परियोजना पर कार्य चल रहा है । फिलहाल Su-30MKI में अमरीका के नवीनतम युद्धविमानों और उनमें लगे आधुनिकतम मिसाइलों तथा मिसाइल−रोधी शस्त्रों को मार गिराने की क्षमता है । Su-30MKI में लगे राडार द्वारा एक साथ छ लक्ष्यों को वेधने की क्षमता है जिसे बढ़ाने पर कार्य चल रहा है । इस विमान में Pugachev's Cobra क्षमता है जिसका अर्थ है सीधे ऊपर मुँह करके उड़ने की क्षमता । अमरीका के नवीनतम युद्धविमान में वर्टिकल−लिफ्ट क्षमता बिना पंखे के हेलीकॉप्टर जैसी है जो बहुत धीमी वर्टिकल−लिफ्ट देती है,Su-30MKI का वर्टिकल−लिफ्ट रॉकेट की तरह सुपरसोनिक गति का है ।

इस विमान की  fly-by-wire तकनीक में quadruple redundancy है जिस कारण पॉयलट की गलतियों को स्वतः कम्प्यूटर सुधार लेता है और पॉयलट के मूल लक्ष्यों के अनुरूप विमान को स्वतः सञ्चालित कर लेता है । विमान बिना मुड़े चारों ओर शस्त्रों को छोड़ सकता है । इस विमान का परास ३००० किलोमीटर है जो रफाएल से बहुत अधिक है । बिना ईंधन भरे विमान पौने चार घण्टों तक आकाश में युद्धरत रह सकता है और आकाश में ही ईंधन भरकर लगातार दस घण्टों तक युद्धरत रह सकता है । यह विमान सुपरसोनिक है,२१६० किलोमीटर प्रतिघण्टे की गति का । चीन के पास जो सुखोई हैं उससे बेहतर यह भारतीय सुखोई संस्करण है । भारत और चीन का युद्ध हो तो इस विमान के कारण आकाश पर भारत का ही नियन्त्रण रहेगा,चीन के पास इस विमान की कोई काट नहीं है और न ही कोई ब्रह्मोस जैसा सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है ।

अमरीकी विरोध के बावजूद S-400 मिसाइल−रोधी प्रणाली की नयी खेप रूस से भारत मँगा रहा है । भारत में S-400 प्रणाली कार्यरत हो चुकी है,चीन और पाकिस्तान की किसी भी मिसाइल को भारत रास्ते में गिरा सकता है जबकि भारत के ब्रह्मोस मिसाइल को रोकने की क्षमता चीन और नैटो के पास भी नहीं है । S-400 के परीक्षण का दुर्लभ चित्र संलग्न है । रूस ने अभीतक अपनी S-550 प्रणाली किसी को नहीं दी है,भारत को देने पर गुप्त विमर्श चल रहा है ।

नया समाचार यह है कि रूसी आयुधों पर नैटो की सम्भावित रोक को ध्यान में रखकर भारतीय सेना ने रूस से पुर्जों और स्पेयर आदि का आयात करके भण्डार बनाना तेज कर दिया है ।

समाचार यह है कि मनमोहन राज में भारत संसार का सबसे बड़ा आयुध आयातक था । रक्षा सामग्री निर्माण में भाजपा शासन में तेजी आयी है जिस कारण अब भारत सउदी अरब से नीचे दूसरा आयातक बन चुका है । अभी भारत के आयातित शस्त्रों में से ५५% रूस,१४% अमरीका तथा १२% इजरायल से आते हैं । रक्षा मन्त्रालय का कहना है कि २०२४ ई⋅ तक इसमें भारी कमी आ जायगी,अधिकांश शस्त्र भारत में ही बनेंगे ।

दूसरा नया समाचार यह है कि ज्ञानवापी के तहखाने में भग्न मूर्ति मिली है जो मन्दिर तोड़े जाने का प्रमाण है । भड़काऊ भाइजान भड़क गये हैं । काशी के मुस्लिमों को कहा जाता है कि अपने मुहल्ले की मस्जिदों को छोड़कर ज्ञानवापी में जुम्मे की नमाज अदा करें — जो न्यायालय की अवमानना है । ज्ञानवापी का सबसे पुराना फोटो मीडिया नहीं दिखा रही है,वह फोटो आधुनिक फोटोग्राफी के आविष्कार से पहले का है — ब्राह्मी लिपि को सबसे पहले सफलतापूर्वक पढ़ने वाले जेम्स प्रिन्सेप द्वारा बनवाया गया स्केच है जिसपर “टेम्पल अॅव विश्वेश्वर” उन्होंने लिखा था । स्केच १८३४ ई⋅ का है और लन्दन की ब्रिटिश लाइब्रेरी में है । उसका चित्र भी संलग्न है । विश्वनाथ−क्षेत्र की सफाई के कारण अब ज्ञानवापी मन्दिर सुस्पष्ट देखा जा सकता है;संलग्न है दुर्लभ ड्रोन फोटो जिसमें मन्दिर भी दिख रहा है और यह भी स्पष्ट है कि मस्जिद और मन्दिर एक ही भवन के अङ्ग हैं (ड्रोन फोटो २०१९ ई⋅ में किसी ने लिया था,मुझे ट्वीटर पर मिला )। मोदी जी ने बुद्धिमानी यह की कि मस्जिद के पिछवाड़े में मन्दिर होकर जो रास्ता बन्द था उसे VIP गेट संख्या−४ से विश्वनाथ मन्दिर तक का रास्ता बना दिया है ताकि सारे VIP ज्ञानवापी मन्दिर का भग्नावशेष अपनी आँखों से देख लें ।  जब मैं इस रास्ते से सित⋅२०२१ ई में विश्वनाथ मन्दिर जा रहा था तो संयोगवश उसी समय पुजारी माँ श्रृङ्गार गौरी की पूजा हेतु तहखाने के द्वार के अन्दर जा रहे थे । पुलिस ने कहा कि केवल पुजारी को अन्दर जाने की अनुमति है । संलग्न ड्रोन फोटो में नीचे दाहिनी ओर लाल पथ ही माँ श्रृङ्गार गौरी मन्दिर होकर जाने वाला VIP पथ है । ज्ञानवापी का १८६३ ई⋅ वाला Samuel Borne द्वारा लिया गया फोटो भी संलग्न है ; मुसलमानों ने बहुत परिवर्तन कर दिया है ।

भड़काऊ भाईजान अदालत पे बिगड़ गये!
दो कदम बढ़े गजवा में,वो भी पिछड़ गये
पहले गयी बाबरी,अब ज्ञानवापी जा रही है
न हूरें मिली न जन्नत,जान पापी जा रही है

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