“देवबन्द” को कब “पिशाचबन्द” बनायेंगे?

“देवबन्द” को कब “पिशाचबन्द” बनायेंगे?by Vinay Jha 

योगी जी दूसरे स्थानों का नाम बदलते हैं,“देवबन्द” को कब “पिशाचबन्द” बनायेंगे?

देवबन्द सम्मेलन में मदन−वंश के मदनी ने संसद के कानून को अमान्य करके शरीयत के अनुसार तलाक की घोषणा की है,यह जानते हुए कि “३−तलाक” पैगम्बर की मृत्यु के पश्चात बनाया युद्धकालीन मार्शल लॉ था । मुल्लों को भ्रम हो गया है कि वे भारत को ईस्लामी देश बना सकते हैं । जिनकी ऐसी ईच्छा थी वे पाकिस्तान चले गये,बचे खुचे अब भी जा सकते हैं ।

हिन्दू के साथ नहीं रह सकते — यही कहकर जिनलोगों ने देश को तोड़कर पाकिस्तान लिया,आज उनके धर्मगुरु मुल्ला मदनी कह रहा है कि जिनको मुसलमानों का ३−तलाक पसन्द नहीं वे भारत छोड़ दें!

असत् उद् दीन ओवैसी ने अपने हिन्दू पूर्वजों को नकारकर कल ही घोषणा की है कि उसके पूर्वज अब्रामिक नस्लों के पूर्वज आदम थे !आज ओवैसी के परपरदादा ब्राह्मण “तुलसी राम दास” की आत्मा रो रही होगी जिन्होंने टीपू सुल्तान से बचने के लिए ईस्लाम अपनाकर ग्राम ओवैस के नाम पर आस्पद ओवैसी अपनाया । अब ओवैसी टीपू सुल्तान से भी बढ़कर ग़ाजी और जिहादी बनने में लगे हैं ।

देवकीनन्दन ठाकुर जी ने मुल्लों को कहा है कि प्रेम से मथुरा काशी के मन्दिर लौटा दो,वरना न्यायालय द्वारा हम ले ही लेंगे । आज देवकीनन्दन ठाकुर जी ने देवबन्दी तलाकवादियों को कहा है कि हिन्दू भी यदि संसदीय कानूनों को न मानकर सनातनी कानूनों की जिद कर दें तब देश का क्या होगा!

अब तक कट्टरता का उत्तर तुष्टीकरण से हम देते आये हैं जिस कारण पिशाचधर्मियों का मन बढ़ गया है । साम दाम का समय गया,कानूनों को जो न मानें उनके लिए दण्ड है ;वे या तो भारत छोड़ दें,और यदि न छोड़ सकें तो समस्त सरकारी सुविधाओं को त्याग दें ।

मीडिया नहीं बता रही है कि सारे तालिबानी देवबन्दी के अनुयायी ही हैं । देवबन्द की खुदाई करके पता लगायें कि इनलोगों ने कब किन−किन देव को कहाँ बन्द किया था । केवल अयोध्या काशी मथुरा को ही बन्द किया अथवा ३००० वा ३००००?
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आज रात लगभग १२:३० से ढाई घण्टे तक संज्ञाशून्य था जिस दौरान सम्भवतः चूहे ने तीन बार श्वास नली पर वार किया जिसके चिह्न अभी भी हैं और अभी तक दर्द हो रहा है, किन्तु ईश्वर ने तीनों बार श्वास नली में उसे छेद करने से रोक दिया । मेरी जन्मकुण्डली के प्रथम वर्ग में अष्टोत्तरी गु सू रा मं गु तथा षष्ट्यंश में मं शु गु मं शु अत्यधिक अशुभ थे,नवांश के शुक्र ने बचाया । तीसरा दिन था भोजन किये । भोजन तैयार करने और प्रेशर कूकर में सेट करने में बहुत कठिनाई हुई,सेट करके टाइमर लगाते ही संज्ञाशून्य होकर गिरा जिस कारण हाथ कहीं टकराकर कट गया और सिर फूट गया,चेतन होने के उपरान्त फर्श पर बहुत रक्त दिखा । बना हुआ भोजन करना सम्भव नहीं था,थोड़ा जल पीते ही उलटी हो गयी । एक घण्टा प्रतीक्षा करने पर भी भोजन करना असम्भव लगा,जबकि भूख से शरीर टूट चुका था । अकालमृत्यु का योग था । तब एक प्रिय चीज त्यागने का संकल्प किया तो ऊपर से आदेश आया “अब खा ले” । बिना दवा के अब ठीक हूँ,केवल कमजोरी है जो दूर हो जायगी । किसको कौन सी चीज त्यागने से ग्रहशान्ति होगी यह व्यक्ति पर निर्भर करता है । शुभ वस्तु नहीं त्यागनी चाहिये ।

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