मल्टीपोलर वर्ल्ड
मल्टीपोलर वर्ल्ड By Vinay Jha
रूस को अपने तेल गैस आदि के लिए चीन और भारत के बाजार मिल गये तो झेलेन्स्की की तरह गरजने वाले पोलैण्ड और बुल्गारिया को पेट्रोलियम आपूर्ति बन्द कर दी ।
भारत को भी समझ में आ गया कि नैटो रूस का कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा,तो रूसी टीवी पर प्रतिबन्ध हटा लिया । इतना ही नहीं,भारत सरकार ने आधिकारिक घोषणा कर दी कि भारत को क्या करना चाहिए यह बताने का अधिकार पश्चिमी देशों को नहीं है क्योंकि अब पुराना भारत नहीं रहा!विदेश मन्त्री ने यह नहीं बताया कि “पुराना भारत” से उनका तात्पर्य क्या था — मौनमोहन जी वाला पुराना भारत अथवा वीर जवाहर वाला पुराना भारत जो पेरिस में कोट वॉश कराते थे और लन्दन में ब्रेन वॉश ?
सबसे मजेदार रुख तो असंयुक्त राष्ट्र के मोहासचिव का रहा,मास्को जाकर बोले हैं कि यूनीपोलर वर्ल्ड से वर्ल्ड को क्षति है ("We need a world that is multipolar" — ये शब्द RT पर मैंने उनके मुँह से सुने),अब मल्टीपोलर वर्ल्ड का युग है!इस बयान पर अमरीका बौखला गया है । अभी तक मोहासचिव जी बाइडेन के निजी सचिव की तरह बयानबाजी कर रहे थे,अचानक उनको ज्ञान प्राप्त हुआ कि रूस ने अमरीका की यूनीपोलर दादागिरी समाप्त कर दी ।
भारत की बिकाऊ मीडिया कुछ भी कहे,भारत की सरकार और सेना भारत का हित समझती है । भारत,चीन और रूस का सम्मिलित औद्योगिक उत्पादन नैटो ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण शेष विश्व से अधिक है । डॉलर के नकली विनिमय दर की बदौलत अमरीका टिका हुआ है,वास्तविक उत्पादन में अमरीका पिछड़ चुका है । सोवियत सङ्घ के विघटन के पश्चात नैटो का विघटन करने की बजाय अमरीका उसका लगातार विस्तार करता जा रहा था और जो देश उसकी दादागिरी नहीं मानते थे उनपर झूठे बहाने बनाकर आक्रमण कर देता था । इसी कारण मन बढ़ता गया तो अमरीका ने रूस को भी ईराक समझने की भूल कर दी ।
पोलैण्ड की सरकार नैटो के पक्ष में भौंक रही है क्योंकि रूस द्वारा पेट्रोलियम आपूर्ति बन्द किये जाने पर जर्मनी ने पोलैण्ड को पेट्रोलियम आपूर्ति करना आरम्भ कर दिया है । रूस से पोलैण्ड होकर जिस पाइपलाइन द्वारा जर्मनी को रूस पेट्रोलियम आपूर्ति कर रहा है,उसी रूसी पाइपलाइन द्वारा जर्मनी वही पेट्रोलियम पोलैण्ड को वापस भेज रहा है — अधिक मूल्य पर!पोलैण्ड को घाटा हो रहा है किन्तु नेता को घूस मिल रही है जिस कारण वे गरज रहे हैं कि शैतान रूस द्वारा पेट्रोलियम आपूर्ति बन्द किये जाने पर मानवाधिकारी जर्मनी अब पोलैण्ड की “सहायता” कर रहा है ।
ऐसी ही सहायता अमरीका भी भारत की करना चाहता है । किन्तु भारत को पोलैण्ड नहीं बनना है,भारत के नेता को देश की कीमत पर अपना गुप्त बैंक बैलेन्स नहीं बढ़ाना है । अतः भारत ने साफ कह दिया है कि भारत को मँहगी “सहायता” नहीं चाहिए,सस्ता रूसी पेट्रोलियम ही भारत के लिए ठीक है ।
अभी केवल रूसी टीवी के पत्रकार ही मारियूपोल के स्टील मिल की रिपोर्टिंग कर रहे हैं । बड़ी संख्या में नागरिकों को अजोव बटालियन के गुण्डों ने मिल में बन्धक बना रखा है,रूस द्वारा बार−बार सीजफायर करने पर भी नागरिकों को निकलने नहीं दिया जा रहा है,क्योंकि अजोव बटालियन को पता है कि बन्धकों को छोड़ देंगे तो अजोव बटालियन का सफाया हो जायगा । झेलेन्स्की भौंक रहा है कि रूसी सेना नागरिकों को निकलने नहीं दे रही है!
कल मुझे फोन पर सूचना मिली कि एक भारतीय चैनल ने अपनी पत्रकार टीम को उक्राइन भेजने का निर्णय लिया है और उस टीम को पहले से कह दिया है कि रूस के विरोध में बुलेटिन बनाकर लाये!उस चैनल के मालिक सत्यम घोटाला के अभियुक्त रह चुके हैं ।
वास्तविक युद्ध की लाइव रिपोर्टिंग देखनी हो तो रूसी RT टीवी देखें,आज उसपर मैंने देखा कि ८०० मीटर दूर से रूसी स्नाइपरों द्वारा अजोवस्तल स्टील मिल के अन्दर नागरिकों को बचाते हुए नात्सी गुण्डों पर निशाना लगाया जा रहा था और उन सैनिकों के ठीक बगल में RT के रिपोर्टर थे!
भारत के पत्तलकार कभी भी युद्धस्थल तक नहीं जाते,झेलेन्स्की के चमचों द्वारा उनको “गाइडेड टूर” और होटलबाजी करायी जाती है । इसे पत्रकारी नहीं,पत्तलकारी कहते हैं!
पश्चिम के पत्तलकार भी युद्धस्थल तक नहीं जाते,क्योंकि सही रिपोर्टिंग करने पर नौकरी से हाथ धोना पड़ेगा और झूठी रिपोर्टिंग करने पर रूसी सेना ठोक देगी!दोनवास जाकर एक पत्तलकार बिना सबूत बक रहा था कि रूसी सेना नागरिकों को मार रही है तो रूसी सैनिक ने उसे परलोक भेज दिया । कारण यह था कि दोनवास के नागरिक रूसी भाषी हैं जिनका २०१४ ई⋅ से ही अमरीका के पोसे हुए गुण्डे नरसंहार कर रहे हैं,वहाँ उलटी बकवास कोई करेगा तो फल क्या होगा?RT ने उस नरसंहार के बहुत से वीडियो दिखाये थे जिस कारण RT को ही नैटो के समर्थकों ने प्रतिबन्धित कर दिया ताकि लोग सच्चाई न जान सकें ।
RT ने कहा है कि आजकल रूस का विरोध करना लाभप्रद धन्धा बन गया है!अनेक लाभ हैं । मुफ्त में हथियार मिलते हैं,डॉलर मिलते हैं,टूर और होटलबाजी करायी जाती है ।
RT पक्षपात नहीं करती,नैटो का समर्थन करने वाले पश्चिमी बुद्धिजीवियों का विस्तृत इण्टरव्यू भी दिखाती है जो बेशर्मी से RT पर झूठ बकते रहते हैं । RT की “गलती” केवल इतनी है कि वह सच्चाई भी दिखा देती है ।
RT पर एक अमरीकी प्रोफेसर्प आज बक रहा था कि उक्राइन की सहायता अमरीका ने इस कारण की चूँकि अमरीका की स्थापना ही समानता और स्वतन्त्रता की रक्षा के लिए हुई थी!एंकर ने यह नहीं पूछा कि रेड इण्डियनों और नीग्रों की गिनती मनुष्यों में नहीं थी जिस कारण उनको समानता और स्वतन्त्रता अमरीका की स्थापना के समय नहीं दी गयी!अमरीका की स्थापना करने वालों ने रेड इण्डियनों और नीग्रों को “नागरिक” नहीं माना था,यद्यपि रेड इण्डियन पहले से वहाँ रह रहे थे और नीग्रों को अफ्रीका से अपहरण करके बेचने के लिए अमरीका लाया गया था,वे घुसपैठिये नहीं थे जिस कारण नागरिकता से वञ्चित किया जाता ।
विषविद्यालय के प्रोफेसर्प इतनी बेशर्मी से झूठ कैसे बक पाते हैं?पादरी के कान में कनफेसन करके पाप धो लेने के कारण नया पाप करने का साहस आ जाता है?
वामपन्थियों को कनफेसन भी नहीं करना पड़ता क्योंकि मार्क्स ने ही कह दिया था कि पाप और पुण्य सत्ताधारी शोषक वर्ग के बनाये ढकोसले हैं!एक और मजहब है जिसमें काफिरों का सफाया करने के लिए सारे झूठ,छल,लूटपाट,बलात्कार,हत्या आदि “पुण्य” में गिने जाते हैं ।
काफिरों का मसला हो तो उपरोक्त तीनों समूहों में परस्पर मेल हो जाता है!
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.