आई टी सेल द्वारा अचानक वर्तमान असली शंकराचार्य और शंकराचार्य परम्परा को क्यों गाली दिया जा रहा है?

 प्रश्न:- आरएसएस भाजपा की आई टी सेल द्वारा अचानक वर्तमान असली शंकराचार्य और शंकराचार्य परम्परा को क्यों गाली दिया जा रहा है?

आप लोगों को क्या लगता है कि संघ की शाखा में संस्कारित ये स्वयंसेवक लोग ऐसे ही अचानक से भावावेश में आकर हमारे सनातन धर्म के सर्वोच्च 80, 98 वर्ष के बुजुर्ग तपस्वी आचार्यों पर अभद्रता की सीमा लांघ रहे हैं और 2500 साल से चली आ रही हम सनातनियों की आचार्य परम्परा के ऊपर अभद्रता प्रकट कर रहे हैं?

नही, बात यह है कि अब इनके झूठ का किला ढह रहा है। वर्णाश्रम विरोधी, अवैदिक संघियों की सीधी लड़ाई पूज्य शंकराचार्य परम्परा से आन पड़ी है। आज सच्चे सनातनी जाग रहे हैं इसलिए संघियों में बौखलाहट है। अभी इनलोगों ने सच्चे सनातनियों को देखा ही कहाँ है? अभीतक इनकी लड़ाई कांग्रेस आदि राजनैतिक दलों से थी इसलिए हिंदुत्व के आड़ में ये बचते रहे हैं पर अब लड़ाई सीधे असली सनातन धर्मियों से आन पड़ी है बाकी जितने मत सम्प्रदाय हैं वो या तो इन संघियों को समर्थन कर रहे हैं या तमाशा देख रहे हैं।

अब टेक्नोलॉजी के युग मे आम जनता तक सही बातें पहुँचने लगी है और जनता जागरूक हो रही है। जनता इनके फर्जी समरसता फर्जी जाति व्यवस्था विरोध के खिलाफ एकजुट हो रही है। 

इन सब सफलताओं के पीछे हम सनातनियों के पीठों के शंकराचार्य से लेकर दिनरात अध्ययन करके जनता के सामने सही पक्ष रखने वाले हम आप जैसे एक आम शंकराचार्य भक्त सनातनी शिष्य हैं।

इनसब कारणों से एक सोची समझी रणनीति के तहत चंद फेसबुकिये दद्दा लोगों ने हमारे सर्वोच्च आचार्यों को गालियां देना आरंभ किया है ये सिर्फ इसलिए क्योंकि एक तो हमारे आचार्यों के अनुयायी हम आप जैसे लोग निराश और हताश हो जाये और लिखना, बोलना छोड़ दें वही दूसरी ओर बड़ी संख्या में संघ से हो रहे मोह भंग के कारण हिन्दू लोग शंकराचार्य के शरण मे जाना आरम्भ कर दिए हैं अतः शंकराचार्य को बदनाम करके गाली देकर ये लोग संघियों को शंकराचार्यों के पास जाने से भी रोकना चाहते हैं। पर ध्यान रहे न तो हमारे आचार्य चुप रहने वाले हैं न हम।

ये लोग सरकार की नाकामियों के कारण बेरोजगारी, भूख, अशिक्षा, बीमारी से त्रस्त आम जनता के चंद पैसे के लालच में ईसाई बनने या जीसस की पूजा करने के कार्य का आरोप शंकराचार्य पर लगाते हैं। जबकि समाज में धर्मत्याग कर विधर्मी मत मे जाने का कारण भूख बेरोजगारी अशिक्षा बीमारी है क्योंकि भूख से मरती जनता अपने बच्चों का भूख बर्दास्त नही कर पा रहे हैं और इस तरह विधर्मी के दिये हुए चंद टुकड़ो के लालच में उसके पास चला जा रहा है। इन सब समस्याओं के पीछे आज की वर्तमान सरकार की नाकामी या जानबूझ कर इस हालात में लाने वाली नीति है जिसके ये गालीबाज अनुयायी हैं।

ये लोग आम जनता के दान से चलने वाले आचार्यों के मठ की सम्पत्ति पर तो निगाह रखते हैं और प्रश्न उठाते रहते हैं। पर ईसाईकरण के लिए विदेशों से आ रहे हजारों करोड़ रुपयों पर चुप रहते हैं। ये अपनी सरकार से नही पूछते कि धर्म के नाम पर सत्ता पाए हो तो आज गांव गांव में ईसाई इतने सक्रिय कैसे हो गए हैं?

ये हमें भविष्य में जिहादियों के मंदिरों को तोड़ने का भय दिखाते हैं पर अपने आकाओं से नही पूछते कि आखिर तुम सत्ता में होकर जो काशी, अयोध्या, बद्रीनाथ, केदारनाथ विन्ध्याचल जैसे पूरे भारत के तमाम तीर्थ स्थलों में सुंदरीकरण के नाम पर हजारों पौराणिक मन्दिरों को तोड़ दिए और सभी मंदिरों की संपत्ति अपने कब्जे में ले रहे हो तो ऐसा क्यों कर रहे हो? बल्कि ये लोग बड़ी बेशर्मी से मंदिरों के टूटने को सही ठहराते हैं।

इसी प्रकार सैकड़ो प्रश्न है जो सरकार से करनी चाहिए पर वो इन प्रश्नों से बचने के लिए शंकराचार्य पर आरोप लगाते रहते हैं।

शंकराचार्य के अनुयायियों से आग्रह है कि आपलोग बिल्कुल न घबराए। बस अध्ययन करते जाए और सच्चाई सामने रखते जाएं। हो सके तो पीठों के विवाद में न पड़कर एकजुट हों। 

गाली गलौज करने वाले संघ के स्वयंसेवकों को समझाने का प्रयास न करें बस अपने वर्णाश्रम धर्म का पालन करते रहें और अध्ययन करके नित्य आम जनता को सत्य बताते रहे हैं।

ये संघी अभी छटपटा रहे हैं बहुत जल्दी ये खत्म हो जायेंगे। इन मूर्खों को पता ही नही है कि 2500 वर्ष की स्थिर परम्परा की जड़े समाज मे कितनी गहरी जमी हुई हैं ऊपर से इस परम्परा के आचार्य अनेक सूक्ष्म शक्तियों की साधना में रत हैं और उससे सनातनियों की रक्षा करते रहते हैं अतः ये सभी अवैदिक अधर्मी पाखंडी मत पंथ स्वयं छटपटाते छटपटाते समाप्त हो जायेंगे पर आचार्य परम्परा या सनातन धर्म का बाल भी बांका नही कर पायेंगे। इनका पाला अभी सच्चे सनातनियों से पड़ा नही था अब इनको पता चलेगा। ये बस कुछ ही वर्ष के मेहमान हैं कुछ ही वर्ष में ये जड़ से समाप्त हो रहे हैं। लिख कर रख लो!

🙏




#गौमाता_राष्ट्रमाता #गौहत्या_बंद_करो_सरकार

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