आखिर क्यों कुछ लोग सनातन वैदिक धर्म छोड़ कर ईसाई या मुसलमान बन जाते हैं?

 

★★क्या धर्मत्याग (धर्मांतरण) के दोषी शंकराचार्य हैं?★★

★★आखिर क्यों कुछ लोग सनातन वैदिक धर्म छोड़ कर ईसाई या मुसलमान बन जाते हैं?★★

यदि आप निष्पक्ष होकर सच्चाई जानना चाहते हैं तो कृपया पूरा लेख अवश्य पढ़ें और स्वयं निर्णय करें। संघ के स्वयंसेवक भी एक बार पढ़ ही लें तो अच्छा होगा।
हा धीरे धीरे पढ़े और विचार करें अन्यथा समझ मे नही आएगा।

आज धर्मांतरण को लेकर आरएसएस भाजपा के स्वयंसेवक कार्यकर्ता उनकी, आई टी सेल के लोग बड़ी चालाकी से अपने नेताओं के द्वारा किये जा रहे अधर्म, कुकर्म, जनता के साथ धोखे को छुपाने के लिए धर्मांतरण के लिए वर्तमान पूज्य शंकराचार्यों एवं उनकी परम्परा को दोषी ठहरा रहे हैं शंकराचार्यों को गाली दे और दिलवा रहे हैं। 
हिंदुत्व के नाम पर चुनी सरकार हिन्दुओं के सबसे बड़े धर्माचार्यों के अपमान पर चुपचाप तमाशा देख रही है क्योंकि यह उनके एजेंडे के अनुसार ही हो रहा है। यह किसी से छुपा नही है हम सब सोशल मीडिया पर देख रहे हैं।

अब बात आती है कि कोई हिन्दू अपना धर्म छोड़कर ईसाई या मुसलमान क्यों बन रहा है ?
इसके दो कारण हैं।
1. भय 
2. लालच

अभी हाल में ही 1000 हिन्दुओं का स्वधर्मत्याग करा कर अधर्मी मत में प्रतिष्ठित कराने वाले उमर गौतम का यदि आप वक्तव्य सुनेंगे तो उसने साफ साफ कहा है कि उसने डरा धमका कर और लालच देकर हिन्दुओं को मुसलमान बनाया।
यही हाल सर्वत्र है। आज गाँव गाँव मे ईसाई मिशनरियाँ शासन के नाक के तले यह कार्य कर रही हैं। कृष्ण की नगरी वृन्दावन, गोवर्धन के गाँवों में भी रविवार को ईसाइयों की प्रार्थना सभा हो रही है जिसमे लगभग सब अन्त्यज(दलित) जातियों के लोग हैं। यदि उनके इस कार्य को रुकवाने कोई जाता है तो फिर भाजपा सरकार द्वारा बनाये गए कानून का लाभ लेकर कुछ ईसाई लोग तुरन्त रुकवाने वाले पर sc st केस लगा देतें है।

अब आप बताइए कि डरा धमका कर ईसाई या मुसलमान बनाने वालों के खिलाफ कानूनी कार्यवायी करने का संवैधानिक अधिकार भारत गणराज्य के शासन तंत्र के पास है कि पूज्य शंकराचार्य पीठ के पास??

रही बात लालच की तो किस बात की लालच आइये समझते हैं?

मानव जीवन के निर्वाह के लिए 5 मूलभूत आवश्यकतायें हैं जिनके बिना कोई कुछ भी कर सकता है। जो क्रमशः इस प्रकार है-
भोजन
स्वास्थ्य
शिक्षा
न्याय 
परस्पर सम्मान

इन सभी आवश्यकताओं की पूर्ति तभी हो सकती है जब शासन द्वारा व्यक्ति की जीविका सुनिश्चित किया जाए।

अब बताइये क्या जनता को रोजगार देना शंकराचार्य का कार्य है?
क्या शंकराचार्य जनता से आयकर वसूलते हैं?
क्या जनता शंकराचार्य को वोट देकर अपनी मूलभूत आवश्यकताओं के लिए भारत की राजसत्ता सौंपती है?
क्या राजनेता शंकराचार्य का उपदेश मानते हैं?
नेता या जनता की तो छोड़िए दिनभर पूज्य शंकराचार्यों को गाली देने वाले संघ के शाखा में संस्कारित स्वयंसेवकों को बताना चाहिए कि 
वो हमारे सनातन धर्म के मान्य शंकराचार्यों को साल भर में कितना रुपया दान दिए आजतक?
उनके बताए धर्म के कौन से सिद्धान्त को अपनाकर अपना जीवन चला रहे हैं?

गाँव गाँव मे लोगों के पास रोजगार नही है, लोग भूख, बीमारी अशिक्षा से मर रहे हैं इसका लाभ उठाकर ईसाई मिशनरियाँ उनको कुछ पैसे दवाई इत्यादि देकर ईसाई प्रार्थनाओं में बुलाने लग जाते हैं, जीसस की पूजा करवाने लग जाते हैं और आगे इस प्रकार धीरे धीरे कट्टर ईसाई बना देतें हैं। तो आप बताइए कि एक बेरोजगार, भूखा मरता व्यक्ति, अपने बच्चों के भोजन और दवाइयों के बिना तड़पता देखकर कैसे ईसाइयों के चंगुल में नही फसेगा?

कोई भी हो जब पेट पर बन आती है तो सारे सिद्धान्त धरे के धरे रह जाते हैं। इस बात को 2 रूपया पर ट्वीट कमेन्ट कमाने वाले गालीबाज आई टी सेलिये कभी नही समझने वाले। 
यह बात एक चिन्तनशील आम भारतीय नागरिक ही समझ सकता है।

ये सारी परिस्थिति कैसे उत्पन्न हुई है आप देखिए-
सबसे ज्यादा ईसाई बन रहे हैं अन्त्यज(दलित) जाति के गरीब बेरोजगार लोग।

◆ सुप्रीम कोर्ट द्वारा SC ST एक्ट में बदलाव कर दिया गया था पर बाबा साहब के भक्त मोदी जी ने उसे संसद से पुनः औरभी मजबूती से लागू करवा दिया अतः इनका विरोध करने पर SC ST एक्ट लगने का डर होता है। जिसमे कोई संघी भाजपायी सहयोग नही करता।

◆ इनके वोटों के लालच में इनपर कार्यवायी नही होती। उमर गौतम का एक प्रकरण सामने आया जबकि आज भाजपा के शासित राज्यों सहित पूरे भारत मे धर्मांतरण का खुला खेल चल रहा है राज्य केंद्र की सरकारें तमाशा देखती रहती हैं, कोई कार्यवायी नही करती उल्टा खिलाफ जाने वालों पर गौरक्षकों के तरह ही कानूनी कार्यवायी हो जाती है।

◆उमर गौतम के तार पाकिस्तान से जुड़े मिले उसे मुसलमानों की सैकड़ो गाड़ियों के साथ सम्मान और सुरक्षा मिलती रही। आपकी खुफिया एजेंसी अब तक सो रही थी तो क्या इसके लिए भी शंकराचार्य दोषी हैं?

◆आज जब आपके राष्ट्रीय नेता भारत मे सबसे ज्यादा धर्मांतरण कराने वाले ईसाइयों का संगठन बनाते हैं, प्रधानमंत्री मोदी जब हाथ पकड़ कर आवभगत करते हैं, जब मुसलमानो के आगे नतमस्तक होते हैं, अल्पसंख्यकों के लिए तमाम सुविधाएं, पैसे, आई ए एस, आई पी एस बनाने के लिए उर्दू को अधिकृत करतें हैं तो क्या इसके लिए भी शंकराचार्य दोषी हैं? 
और आप क्यों अपने आकाओं से इसपर सवाल नही उठाते?

◆ आज नरेंद्र मोदी सरकार की जानबूझ कर बनाई गई गलत नीतियों के कारण देशभर में बेरोजगारी, गरीबी, भुखमरी, बीमारी, अन्याय, अपराध, हत्या बालात्कार आदि समस्त सामाजिक बुराइयाँ बढ़ गयी हैं। पर इनके भक्त इनसे सवाल न पूछने के बजाय जनता को गुमराह करने के लिए पूज्य आचार्यों को गाली देतें एवं दिलवाते हैं।
आप देखिए कि आज भारत की जीडीपी में –19% की गिरावट हो गयी है।
97% लोगों की आय घट गई है। सरकारी आंकड़े के अनुसार केवल एक वर्ष में ही एक करोड़ लोगों का रोजगार चला गया है जबकि सच्चाई यह है कि मोदी सरकार के नोटबंदी, जी एस टी के बाद से ही पूरा लघु उद्योग एवं कुटीर उद्योग बर्बाद हो गया। असंगठित आय के सभी स्रोत समाप्त हो गए और कोरोना पर अंतर्राष्ट्रीय शक्तियों के इशारे पर लॉकडाउन के निर्णय के कारण करोड़ो मजदूरों के पलायन के कारण सारा अर्थ तन्त्र आपके मोदी जी ने तबाह कर दिया। जिसका परिणाम यह हुआ कि पिछले कुछ वर्षों में मोदी जी की कृपा से कई करोड़ लोग बेरोजगार हो गए। अब लोग भूख से बचने के लिए ईसाई बन रहे हैं तो आप अपने नेताओं पे प्रश्न न करके बजाय सत्ता सुख स्वार्थवश मूल समस्या को भटकाकर आम जनता के नजर में शंकराचार्य को दोषी सिद्ध करना चाहते हैं।
क्या इनसब सरकारी नीतियों के दोषी शंकराचार्य हैं?

◆मोदी सरकार के आने के बाद टी वी, फ़िल्म जगत, वेबसिरिज आदि को अश्लील, हिन्दू धर्म के विरुद्ध अनर्गल असंवैधानिक गलत एवं ईसाई बौद्ध मुस्लिम धर्म के प्रति सम्मान प्रशंसा मानवता दिखने वाली सीरियल फिल्में कार्यक्रम बनाने की छूट दे दी गयी जिससे आज हिन्दू युवा वर्ग भ्रमित हो रहा है इसपर मोदी जी मौन है तो क्या इसके लिए भी शंकराचार्य दोषी हैं?

◆ईसाई मिशनियों के पास विदेशों से हजारों करोड़ रुपया आ रहा है और आपकी सरकार तमाशा देख रही है वही शासकों के शासक पद पर विराजमान शंकराचार्य जिन्हें जनता से टैक्स लेने का भी अधिकार है जिसका वर्णन "मठाम्नाय महानुशासनम्" मे भी मिलता हैं उनके लिए तो आप ऐसा बोलते हैं जैसे आचार्य को चाहिए कि फटा चिथड़ा पहन कर रोड पर घूम कर भिक्षा मांगते हुए ही खाये। वो अलग बात है सन्यासी मर्यादा के अनुसार भिक्षा के धन से ही आहार लेते हैं पर यह भिक्षा कुछ ऐसे भक्तों द्वारा बंधी होती है जो पुण्यकर्म के द्वारा अर्जित होती हैं।

क्या ईसाई मिशनरियों को विदेशों से आ रहे हजारों करोड़ रुपये के लिए भी शंकराचार्य दोषी हैं?

शंकराचार्य के आय के जितने साधन थें जो परम्परा से उन्हें प्राप्त थे वो सब तो आपने अपने कब्जे में ले लिया। सभी बड़े तीर्थ स्थल, मन्दिर जो आचार्यों के अधिकार क्षेत्र में थें उसपे आपने कब्जा कर लिया और उसकी सम्पत्ति को सरकारी संपत्ति घोषित करके अल्पसंख्यकों, अन्त्यजों में बन्दरबाट करते हैं। तीस पर यदि शंकराचार्य का कोई अमीर शिष्य उन्हें कुछ धन दान कर दे तो उसपर भी आपका नजर रहता है।
गुजरात के मुख्यमंत्री रहते हुए 760 मन्दिरों को तोड़वाने वाले मोदी जी ने जब गुजरात में यह कानून बना दिया था कि सभी मठों आश्रमों को सरकारी नियन्त्रण में लेना है तब किसी संघी के मुह से नही निकला कि आप निजी आश्रमों को कैसे अपने सरकारी कब्जे में ले सकते हैं?

वो तो भला हो शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज का कि राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करवा के इस कानून को रद्द करवाएं अन्यथा आज गुजरात के सभी मठ आश्रम संघ के कार्यालय बन चुके होतें। जैसे रामजन्मभूमि अयोध्या संघ का कार्यालय बन रहा है।
ये गुजरात वाला कानून भी बहुत जल्दी मोदी जी देश मे लाने वाले हैं और सभी आश्रमों मठों की स्वतंत्रता रद्द करके वहाँ सरकारी मैनेजर बैठाएंगे और सारे मठों और आश्रमों का संचालन सरकार द्वारा होगा और उसकी संपत्ति सरकार द्वारा हड़प ली जाएगी सबमे दलितों को पुजारी बनने का कोटा दे दिया जाएगा यह कानून बहुत जल्दी आ जायेगा इसकी ड्राफ्टिंग होकर तैयार हो चुकी है। पर इस कानून के अंतर्गत मदरसे मस्जिदें और चर्च आदि नही होंगे।
तो क्या इसके लिए मान्य शंकराचार्य दोषी हैं अथवा होंगे?

आपने तो शंकराचार्यों की सामाजिक शक्ति को नष्ट करने का प्रयास 1925 से ही आरम्भ कर दिए हैं पर आजतक पूर्णतः न कर सकें तो आज सीधे गाली गलौज पर उतर आये। 
ऊपर से जब आप असली शंकराचार्यों पर आरोप लगाते हैं तो आप उन फर्जी शंकराचार्यों से सवाल नही करते जिन्हें आपने स्वयं बनाया है, समस्त सरकारी शक्तियाँ देकर सम्मानित किया है।
आपने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को ताक पर रखकर ज्योतिष्पीठ के फर्जी शंकराचार्य को समर्थन दिया और उन्हें ज्योतिष्पीठ का शंकराचार्य बनाकर राम मन्दिर मे ट्रस्टी बना दिया, कुम्भ आदि क्षेत्रों में सुप्रीम कोर्ट के मना करने के पश्चात भी सबसे अधिक भूमि आवंटित करते हैं, जनता के पैसे से सरकारी सुविधाएं, सुरक्षा आदि देतें है सिर्फ इसलिए कि वो फर्जी शंकराचार्य बनकर आपके लिए वोट मांगते है जबकि असली वाले आचार्य जनता के सामने आपके अनीति का विरोध कर देतें हैं।

आपने शंकराचार्य की कौन सी बात मानी?

सनातन धर्म के सभी शास्त्र सभी मान्य आचार्य जन्मना जाति व्यवस्था तद्नुसार जन्मना जीविकोपार्जन का उपदेश करते हैं पर आप सबसे ज्यादा परम्परा प्राप्त वैदिक जाति व्यवस्था का ही विरोध करते हैं। 
यदि सूक्ष्म दृष्टि से देखा जाए तो आज जो धर्मांतरण हो रहा है उसके मूल में जाति व्यवस्था को नष्ट करने का आपका प्रकल्प ही काम कर रहा है।
जन्मना जाति व्यवस्था से प्रत्येक परिवारों की जातिगत जीविका सुरक्षित रहती है और सभी तक धन का प्रवाह बना रहता है। जातीय एकता और बन्धन के कारण कोई धर्म परिवर्तन नही कर पाता था पर आपजैसे पूंजीवाद के समर्थक आरएसएस भाजपा द्वारा इसका विरोध करने से जाति की सामाजिक व्यवस्था नष्ट हो गयी और अमीरी गरीबी की खाई बढ़ गयी जो निरन्तर जारी है। 
अमीर लोग पैसे के बल पर सभी जातियों के अधिकृत कार्यों को अकेले करने लगते हैं जिसके कारण करोड़ो लोगों का रोजगार चला जाता है और वो भोजन दवाई के लिए ईसाई बनता है।
जैसे आपके चहते अडानी अम्बानी पेट्रोल डीजल मोबाइल एयरपोर्ट मीडिया से धन कमा ही रहे हैं पर आज दूध, शब्जी, राशन आदि बेचकर लाखो लोगों का रोजगार अकेले छीन लिए पर यदि जाति की व्यवस्था होती तो ये ऐसा नही कर पातें। क्योंकि इन वस्तुओं का व्यापार इनके लिए अधिकृत जातियाँ ही कर पातीं।

2013 के एक रिपोर्ट के अनुसार देश के 70 % सम्पत्ति के मालिक मात्र 1% लोग थें पर मुझे विश्वास है कि मोदी जी के नीतियों के कारण आज देश के 90% सम्पत्ति मात्र चंद गिने चुने लोगों के पास होगी। क्योंकि सब तो आपने बेच ही दिया है अब बचा क्या है बेचने को?

यह सब अर्थशास्त्र का विषय है जो शाखा में संस्कारित जाति व्यवस्था के विरोधी बुद्धिभ्रष्ट स्वयंसेवकों को समझ मे नही आएगा।

क्या इन सब बातों की जिम्मेदारी भी शंकराचार्य की ही है?

यदि हाँ तो फिर यह राज सत्ता किसलिए बनी है? केवल राष्ट्र का धन लूटने के लिए?

शंकराचार्य आज भी अपनी परम्परा का निर्वाह कर रहे हैं तो इसमे उनकी स्वयं की विद्या तपस्या का ही बल है अन्यथा जिस परम्परा को पूरी दुनिया मिटा देना चाहती है वो पिछले 2500 वर्ष से आज तक कैसे चल रही है और सनातन धर्मियों का मार्गदर्शन कर रही है। आज विश्व की षड़यन्त्रकारी शक्तियों मे आर्यसमाज, आरएसएस, भाजपा भारत के वो संगठन हैं जो सीधे शंकराचार्य परम्परा को नष्ट करने पर जोर लगाए हुए हैं। 

1.शंकराचार्यों की सेना कहे जाने वाले अखाड़ों को नष्ट करवा दिया आज परिणाम यह हुआ कि शंकराचार्यों के विरोध के बाद भी हिजड़ो का एक नया अखाड़ा बनवा दिया।
2.सैकड़ो नकली शंकराचार्य बना दिये।
3.ज्योतिष्पीठ का मुकदमा कोर्ट से हल नही होने दे रहे हैं।
4.आम जनता में अपनी टी सेल के माध्यम निरंतर जहर उगल रहे हैं।
ऐसे न जाने कितने षड़यन्त्र रोज करते हैं ।

इतने पर भी ऐसा नही है कि शंकराचार्य कोई सामाजिक कार्य नही करते। सारे असली पीठों के मान्य असली शंकराचार्य दिनरात धर्म की रक्षा के लिए प्रयासरत हैं।

हम आपको केवल एक शंकराचार्य की बात बताते हैं। आज पूरे देश मे स्वामी स्वरूपानंद स्वरस्वती जी महाराज के सैकड़ो आश्रम कार्य कर रहे हैं जहां से निःशुल्क भोजन, चिकित्सा, शिक्षा, साधना उपासना के प्रकल्प तो चल ही रहे हैं साथ मे झारखंड छतीसगढ़ जैसे अनेक राज्यों के वनवासी क्षेत्रों में स्वधर्मानयन अभियान के तहत भोजन शिक्षा चिकित्सा की सुविधा देकर लगभग 5.5 लाख लोगों को पुनः सनातन धर्मी बनाया जा चुका है। पर ये सब गुप्त रूप से किया जाता है आपके तरह प्रचार प्रसार नही करते पर आज आपके आरोपों का जवाब देने के लिए यह सब बताना पड़ रहा है। यदि कल को इस कार्य मे कोई बाधा पड़ती है तो उसके एक मात्र दोषी राष्ट्रीय मसीही मंच, राष्ट्रीय मुश्लिम मंच बनाकर हिन्दुओं की बेटियों को इनसे ब्याहने वाला आरएसएस भाजपा ही जिम्मेदार होगा।
आज काशी, द्वारका, जबलपुर, परमहंसी, सहारनपुर, कलकत्ता जैसे अनेक जगहों पर स्थापित कई गुरूकुलों से हजारों बच्चे हरवर्ष पढ़कर निकलते हैं ये बच्चे आपके स्वयंसेवकों के तरह बुद्धिभ्रष्ट नही होते बल्कि वेद पुराण धर्म शास्त्र आदि पढ़कर सनातन धर्म की सेवा मे लगते हैं।
जबकि आपको मात्र सत्ता से मतलब है।

हमारा आम हिन्दुओं से कहना है कि जिस परम्परा ने पिछले 2500 वर्ष से तुम्हे सनातनी बनाये रखा है आज यदि वो समाप्त हो गया तो कौन तुम्हे मार्गदर्शन करेगा? आज यदि तुम अपने आचार्यों के अपमान पर तमाशा देख रहे हो और चुप हो तो यह जान लो कि अपने विनाश को ही आमंत्रण दे रहे हो। ये संघी तुम्हे नही बचाने वाले मुसलमानो की संख्या जिस दिन बढ़ जाएगी उस दिन ये सबको मुसलमान बनने के लिए कह देंगे क्योंकि इनके अनुसार मुसलमान मूसा पंथी और ईसाई ईशा पंथी हिन्दू है। न विश्वास हो तो इनके मार्गदर्शक दीनदयाल उपाध्याय को पढ लो।
अस्तु

नोट:- 
1. शंकराचार्यों का वास्तव में क्या कर्तव्य है शंकराचार्य पीठ क्यों बनाई गई है यह अगले लेख में हम सप्रमाण लिखेंगे।
2. धर्मांतरण शब्द संघ का गढ़ा हुआ है जिसका अर्थ हुआ एक धर्म से दूसरे धर्म मे चले जाना जबकि ईसाई और इस्लाम धर्म नही है पर फिर भी हमने रूढ़ होने के कारण धर्मांतरण शब्द लिखा है। वास्तव में शब्द धर्मत्याग होना चाहिए क्योंकि हिन्दू धर्म त्याग करके अधर्म में चला जाता है।
2. पोस्ट मुझ लेखक के नाम के सहित कॉपी कर सकते हैं। 
3.अधिक से अधिक लोगों तक यह सत्य पहुचाइए और हमसे जोड़िए जिससे सही पक्ष लोगों को पता चल सके।

#गौमाता_राष्ट्रमाता #गौहत्या_बंद_करो_सरकार




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