बेटी को फौलाद बनाओ |

लड़कियों के पास दो हाथ दो पैर और 32 दांत होते हैं ...... मुसीबत में इनका प्रयोग करना चाहिये .......बलात्कार के बाद तो यूँ भी मर ही जाना है , अच्छा है किसी को मार के मरो ........
मेरी बेटी जब 12 साल की थी तो मैंने उसे Boxing शुरू करा दी थी ....... उसकी academy घर से 8 km दूर थी ...... रोज़ाना सुबह शाम cycle से आती जाती थी ....... इस तरह कुल 32 km की तो cycling ही हो जाती थी .......उसके बाद औसतन 4 से 6 घंटे का workout ......हाड़ तोड़ मेहनत .......
दानू पहलवान उससे छोटे हैं 3 -- 4 साल ........वो भी पहलवानी शुरू कर चुके थे और लगभग 90 किलो के भारी भरकम तगड़े पहलवान थे ....... एक दिन दोनों भाई बहन आपस मे मस्ती कर रहे थे ..... हम दोनों तमाशा देख रहे थे ...... बिटिया ने कहा पापा इसको समझा लीजिये नही तो सारी पहलवानी निकाल दूंगी अभी ....... अब दानू पहलवान को भी अपनी पहलवानी का गुमान था ........ वो कहां मानने वाला था ....... सो बात बिगड़ते बिगड़ते बिगड़ गयी ........ और नंदिनी ने एक घुसंड धर दिया पसलियों के नीचे ....... और पहलवान धराशायी ....... पेट पकड़ के रोने लगा ........
ये एकदम सच्ची घटना है ...... हमने नेहा को डांटा ...... इतनी जोर से मारते हैं ??????
वो बोली अभी मारा थोड़े न है .......ये तो बस छुआया है ....... अगर सचमुच मार देती तो पसलियाँ तोड़ देती ....... नाक पे एक पंच पड़ जाए तो 3 दिन खड़ा न हो आदमी .......
हमने यहां सुल्तानपुर लोधी में अपने स्कूल में बाकायदे एक Boxing Coach appoint किया ........ और सभी लड़कियों के लिये Boxing Compulsary कर दी ........ Taekwando तो पिछले 10 साल से चल रही है ...... आज तक मने पिछले 10 साल में सिर्फ 2 या 3 लड़कियों ने Taekwando सीखी कायदे से ....... Boxing किसी ने नही सीखी ........ physical activity में हमने कहा लड़कियों को भी Push Ups लगवाओ ........ Parents ने ही विरोध करना शुरू कर दिया .........
आप लोग ही बताइए ....... इस पोस्ट को 10 -- 20 हज़ार लोग पढ़ेंगे ......आपमे से कितने लोगों की बेटियाँ / बहनें 10 push Up मारी हों कभी ज़िन्दगी में ?????? कभी कोई Physical activity कराई आपने अपनी बेटी को ????? Self defense की कोई game ???????
सिर्फ दो साल एक घंटा रोज़ाना भेज दो Boxing , कराटे , Taekwando , Judo , Wrestling या किसी भी Combat sports में .......
मैं देखता हूँ समाज मे , औरतें लड़कियां छुई मुई , नाजुक , कोमल सी ....... एक रोटी खा / पचा लेने की क्षमता नही ...... फूंक मार दो उड़ जाएं .......
अपनी बेटी को फौलाद बनाओ ........ लड़ने के लिए हाथों में ताकत और मन मे दृढ़ता चाहिए ....... fighting spirit ........ ऐसे खाली पीली प्रवचन देने से नही हो जाता है ...... लड़ने के लिए कलेजा चाहिए ......... किसी को ईंट पत्थर भी उठा के मारना हो तो उसके लिए हाथ में ताकत चाहिए ...... Explosive Strength ..... ऐसे ही नही आ जाती ये strength ....... उसके लिए पसीना बहाना पड़ता है .......
अपनी बेटी को fighter बनाइये ........ जितना समय साज श्रृंगार में लगाती है न , उसका दसवां हिस्सा इस शरीर को मजबूत करने में लगाये ........
Bcoz its a jungle out there .......और वहां कोई नही आएगा बचाने । अपनी रक्षा खुद ही करनी पड़ेगी .......
Ajit Singh जी की पोस्ट

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