Original writer- Vinay Jha, https://www.facebook.com/vinay.jha.906/posts/1279166025428032 ========================================================================= चक्रवर्तियों की सूची में 12 नाम तो अनेक स्रोतों में मिलते हैं, कई सन्देहास्पद हैं | वैसे भी सूर्यचक्र में 12 अरे होते हैं, अतः सूर्यवंश में 12 चक्रवर्ती होने की बात ही तर्कसंगत लगती है, हो सकता है इसी आधार पर संख्या 12 तक ही कल्पित कर ली गयी हो | "चक्रवर्ती" की पारंपरिक परिभाषा है "पृथ्वीचक्रम् वर्तते" = समुद्रपर्यंत समस्त भूमि पर जिसका चक्र चले | मैत्रेय उपनिषद, महाभारत, बौद्ध तथा जैन साहित्यों में चक्रवर्तियों का उल्लेख है | जिन बारह चक्रवर्तियों की सूची उपलब्ध है, वे सब के सब सूर्यवंशी (इक्ष्वाकु वंश के) थे :-- भरत, सगर, मघवा, सनत्कुमार, शान्ति, कुन्थु, अर, कार्तवीर्य, पद्म, हरिषेण, जय, ब्रह्मदत्त | यह सूची आज से एक हज़ार वर्ष पहले के ग्रन्थों में है, जब भारत से बाहर का भूगोल भी भारत के पण्डित भूल चुके थे | ये भरत द्वापर युग के शकुन्तला-पुत्र भरत नहीं, बल्कि सृष्टि के आरम्भ में मनुवंशीय भरत थे जिनक...
अकबर की शादी “जोधा बाई” से नहीँ "मरियम-उल-जमानी" से हुयी थी जो कि आमेर के राजा भारमल के विवाह के दहेज में आई परसीयन दासी की पुत्री थी। वैसे तो बहुत प्रयास किए गये हिँदुओँ को अपमानित करने के लिये लेकिन एक सच ये भी है।। 1 – अकबरनामा (Akbarnama) में जोधा का कहीं कोई उल्लेख या प्रचलन नही है।।(There is no any name of Jodha found in the book “Akbarnama” written by Abul Fazal) 2- तुजुक-ए-जहांगिरी /Tuzuk-E-Jahangiri (जहांगीर की आत्मकथा /BIOGRAPHY of Jahangir) में भी जोधा का कहीं कोई उल्लेख नही है। (There is no any name of “JODHA Bai” Found in Tujuk -E- Jahangiri ) जब की एतिहासिक दावे और झूठे सीरियल यह कहते हैं की जोधा बाई अकबर की पत्नि व जहांगीर की माँ थी जब की हकीकत यह है की “जोधा बाई” का पूरे इतिहास में कहीं कोइ नाम नहीं है, जोधा का असली नाम {मरियम- उल-जमानी}( Mariam uz-Zamani ) था जो कि आमेर के राजा भारमल के विवाह के दहेज में आई परसीयन दासी की पुत्री थी उसका लालन पालन राजपुताना में हुआ था इसलिए वह राजपूती रीती रिवाजों को भली भाँती जान्ती थी और राजपूतों में उसे ह...
टीवी से इतिहास पढेंगे ? अजमेर के सरकारी संग्रहालय में वे सिक्के रखे हैं जिनकी मैंने लेख में चर्चा की है, और उनके बारे में तीस वर्षों से NCERT की पाठ्यपुस्तकों में पढ़ाई हो रही है | लेकिन अधिकाँश लोग स्कूल में ठीक से पढ़ाई नहीं करते, और जो लोग करते भी हैं वे स्कूल के निकलने के बाद अधिकाँश बातें स्कूल में ही छोड़ देते हैं | पृथ्वीराज के दरबारी चारण चन्दरबरदाई की कविता को इतिहास मानने वालों ने स्कूल में इतिहास का अध्ययन ठीक से नहीं किया, चोरी करके परीक्षा में उत्तीर्ण होते रहे हैं, वरना NCERT की इतिहास की पुस्तक पढ़े रहते तो जानते कि पृथ्वीराज युद्ध में नहीं मरा और मुहम्मद गोरी को दिल्ली सौंपकर उसके अधीन अजमेर का राजा बना रहा जिसके सबूत के तौर पर सिक्के मिले हैं जिनके एक ओर मुहम्मद गोरी को बादशाह मानकर दूसरी ओर पृथ्वीराज को अजमेर का अधिपति बताया गया है । चन्दरबरदाई के झूठ का प्रमाण यह है कि उसके अनुसार पृथ्वीराज ने शब्दभेदी बाण द्वारा मुहम्मद गोरी को मारा जिसके बाद पृथ्वीराज और चन्दरबरदाई ने एक दूसरे को वहीं पर मार डाला । इस सफ़ेद झूठ को इतिहास मानने वाले इतना भी नहीं सोचते कि यदि यह सच ...
प्राचीन भारत में स्त्रियाँ सेनापति एवं राजा होने का भी दायित्त्व संभाल लेती थी, उन्हें उस तरह से शिक्षित ही किया जाता था, इस तरह की कल्पना करना आज करोड़ों सवाल उत्पन्न करता है. अगर आप ऐसी हैं, तो यकीनन आप के चरित्र पर सवाल होगा, या आप मर्द समझी जायेंगी. मूर्खों ने ये भी समझना छोड़ दिया है, की किसी भी व्यक्ति के सजीव रहने के लिए स्त्री व पुरीष तत्व का समय समय पर मजबूत होना परमावश्यक है, अन्यथा वो जीव इस धरती पर जीवित नहीं रह सकता..... अब विदेशी दानव सभ्यताओं से प्रेरित समाज में स्त्रियों को वंशावली में स्थान तक नहीं दी जाती है, तो समाज में स्त्रियों के अन्दर मानवीय गुणों का होना एक तरह से अचंभित तो करेगा ही, एक तरह से समाज अधिकाधिक रूप से संवेदनाविहीन निर्जीव तथा सड़ी गलित मानसिकता वाला बन चूका है. अधिक शिक्षा ग्रहण कर लेना भी अभिशाप मानते हैं., क्यूंकि इससे मर्दों के झूठे मूर्खता पूर्ण घमंड को ठेस पहुँचती है. इसी मूर्खता के पोषण होने के चलते ही हिंदुत्व अपनी समाप्ति पर पहुचं चूका है. इस तरह की मानसिकता, विदेशी आक्रमण-कारियों, हमलावरों, ईसाईयों, गौ-क़त्ल करने वालों के ह...
By Dr. Vinay Jha जो अपनी शाखा के वेद को स्मृति द्वारा बचाकर रखे और उसकी व्यवहारिक विधि का ज्ञाता हो उसे ब्राह्मण कहते हैं | ऐसे ब्राह्मण अब बहुत कम हैं जो वेद का पाठ भी नियमित रूप से करते हैं | अब वेद का लाभ भी नहीं जानते, उसमें सन्देह करते हैं | अपनी शाखा के बाद अन्य वेद पढ़ने वाले को द्विवेदी, त्रिवेदी और चतुर्वेदी कहते थे | यज्ञ में चतुर्वेदी ही ब्रह्मा बन सकता था | अब वास्तविक चतुर्वेदी कोई नहीं है, केवल नाम के लिए हैं | रामायण आदि का पाठ करने वाले पाठक हुए | मिश्रित ब्राह्मणोचित कर्म वाले 'मिश्र' हैं | प्राचीन काल में वेद पढ़ाने वाले शिक्षक को उपाध्याय कहते थे ; (उप) पास नीचे बैठे शिष्य को उसका (स्वशाखा का वेद) अध्याय पढ़ाने वाला | अपभ्रंश में उसका उपाज्झा > ओझा और झा हो गया, आज से लगभग एक सहस्र वर्ष पूर्व | काशी विद्वानों के प्रभाव में रही, अतः वहां और आसपास 'उपाध्याय' बना रहा | बंगाल में इन्हीं शिक्षकों ने आर्य संस्कृति का प्रसार किया और वंदोपाध्याय, चट्टोपाध्याय, गंगोपाध्याय एवं मुखोपाध्याय कहलाये जो वहां आज भी प्रवासी ब्राह्मण माने जाते हैं | उधर अपभ्रंश म...
लोग महाभारत के लिए द्रौपदी को ही मुख्य कारण मानते हैं, उसके द्वारा हुए दुर्योधन के अपमान का और ये भी समझते हैं कि द्रौपदी द्वारा हुई इस भूल के कारण उसे भारी कीमत चुकानी पड़ी, जबकि सच ये नहीं है. . महाभारत का मूल कारण था, दुर्योधन एवं उसके पक्ष के सभी राजाओं की हड़प नीति, उनका पूंजीवादी व्यवस्था को दिया जाने वाला समर्थन !!. . लेकिन आज के इस घोर संदेह की कालिमा वाले समय में, इन ग्रंथों को हम युवा वर्ग द्वारा पढना, समाज में किसी पिछड़ेपन की निशानी से कम नहीं मानी जाती, और भी बात तब जब आप किसी प्राइवेट कंपनी में कार्य करते हों तो आपका रहन सहन अलग ही होना चाहिए, समाज-परिवार की नजर में हमें इन ग्रंथों का अध्ययन न कर, कोई कामुक मूवी,इससे जुड़े पुस्तकों को पढना चाहिए, जैसे कि ये कामुक चीज़ें आज के समय में मन को शुद्धि प्रदान करने वाली, आत्मा को मुक्त करने वाली चीज़ हो, लेकिन पुराणों का अध्ययन करना, पाप-कर्म है. !! . खैर....आगे देखिये, द्रौपदी ने नहीं बल्कि सभी राजाओं, रानियों, दास-दासियों ने दुर्योधन का अपमान किया था, लेकिन आज सारा दोष द्रौपदी के सर पर मढ़ दिया जाता है, इस...
5G रेडिएशन के नुकसानदायी होने का ये कारण है कि इससे अति लघु आवृत्ति की विद्युत-चुम्बकीय तरंगे निकलती हैं, जिसके कारण इसके उपकरणों को न केवल टेलीफोन के टावर्स बल्कि हर घर एवं बिल्डिंग पे लगाया जाता है. कारण ये बताया जाता है कि इससे हर उपयोग कर्ता को इन्टरनेट की एवं स्मार्ट उपकरण की उपलब्धता हासिल रहेगी. वस्तुतः आज के समय में सभी घरों में स्मार्ट उपकरणों का इस्तेमाल होना आम बात है जैसे कि स्मार्ट मीटर, स्मार्ट माइक्रोवेव ओवन, स्मार्ट फ़ोन और स्मार्ट न जाने क्या क्या.....उन सभी उपकरणों के लिए ५G रेडिएशन हर घर के ऊपर जैसे चिमनी लगी होती है वैसे लगाया जाता है. इसे साइन बोर्ड के ऊपर भी लगाया जाता है. इसकी मशीन का शक्ल जूते के डिब्बे जितनी होती है. . वस्तुतः आपका लैपटॉप भी एक प्रकार का विद्युत चुम्बकीय तरंग उत्पन्न करता है, जो वाई फाई से जुड़ने पे, कोई भी वीडियो स्ट्रीमिंग होने पे ज्यादा तरंग देता है. 5G की तरंग एक शक्तिशाली तरंग होती है और घरों के निकटतम लगे होने के कारण सभी के आसपास इन शक्तिशाली तरंगों का घना कोहरा सा रहता है जिसके कारण ह्रदय आदि की बीम...
वैदिक परम्परा में मांसभक्षण का वर्णन विदेशियों-विधर्मियों द्वारा जोड़ा गया है. इसका प्रमाण क्या है? जानने के लिए पोस्ट को धैर्यपूर्वक पूरा पढ़ें. ***************************** मनुष्यों के मन का ९०% से अधिक अचेतन है, जिसका कारण है पूर्वकृत पापजनित अशुभ संस्कार । जब मानवजाति बनी थी तब भी पाप का भाग ५०% था । इक्का-दुक्का परमहंसों को छोड़ दें तो मानवों को चैतन्य प्राणी नहीं माना जा सकता । किन्तु देवभाषा जैसी पूर्णतः नियमबद्ध और वैज्ञानिक भाषा का निर्माण वही समाज कर सकता है जिसके प्रायः सभी सदस्य पूर्ण चैतन्य हों । अतः संस्कृत देवभाषा है, मानवकृत नहीं । इसका अर्थ यह है कि जब भाषा बनी, अर्थात जब मानवों को देवभाषा प्राप्त हुई, तब धात्वर्थों और प्रचलित अर्थों में विरोध नहीं था । आज "सम्भ्रान्त" शब्द अच्छे अर्थ में प्रयुक्त होता है, किन्तु संस्कृत में इसका अर्थ अच्छा नहीं है ("सम्यक् रूपेण भ्रान्त")। प्रचलित अर्थ धात्वर्थ से भिन्न हो सकते हैं ,किन्तु धात्वर्थ का विरोध नहीं कर सकते : यह देवभाषा का मौलिक नियम है । मांस शब्द "मन्" धातु से बना है (देखें शि...
ब्राहमण, क्षत्री, वैश्य, शूद्र को वेदों से जोड़ कर वेदों के पुरुष सूक्त से दिखाया जाना भ्रमित करता है \ क्योंकि वेदों में पुरुष सधारण मनुष्य नहीं है | पुरूष का मनुष्यरूप विवेचन तो वेदों के अनंत काल पश्चात वेदांत उपनिषद काल से प्रारम्भ हुआ है | इस के लिए निम्न विवेचना देखिए ;वैदिक वाङ्मय में पुरुष शब्द से अभिप्राय:- आजकल अल्पज्ञान और मतिमन्द होने के कारण बहुत से लोग पुरुष से अभिप्राय केवल अंग्रेजी के जेण्ट्स से लेते हैं । वैदिक वाङ्मय में पुरुष शब्द के अनेक अभिप्राय उपलब्ध हो ते हैं । आइए देखते हैं कि पुरुष शब्द का क्या अभिप्राय हैः--- (१.) पुरुष शब्द परमात्मा का वाचकः--- सृष्टि विद्या के विषय में अति प्राचीन आर्यग्रन्थकार सहमत हैं कि वर्त्तमान दृश्य जगत् का आरम्भ परम पुरुष अविनाशी , अक्षर अथवा परब्रह्म से हुआ । तदनुसार पुरुष शब्द मूलतः परब्रह्म का वाचक है । (२.) हिरण्यगर्भ का वाचकः--- पुरुष शब्द का प्रयोग कहीं-कहीं हिरण्यगर्भ अथवा प्रजापति के लिए भी हुआ है वेदांत में पुरुष को मनुष्यपरक माना है । (३.) मनुष्यपरकः--- पुरुष शब्द का तीसरा मनुष्यपरक अर्थ सुप्रसिद्ध ...
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.