प्रायोजित दंगे, देश का बंटाधार युक्त भविष्य और समाधान

Note: सभी कार्यकर्ता अपने हर स्तर के अफसरों को कहें कि वे ऐसी वेबसाईट बनाएँ जिसमें देश के किसी भी नेता का नाम डालकर उनके द्वारा समर्थित या विरोध हुआ बिल का पता चले और बिल का पीडीऍफ़ भी दिखे.
समाचारों में बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे के यात्रा के लिए किसी अधिकारी से अनुमति की जरूरत है, जबकि फ्लैग-एक्ट में अनुसार ऐसा कोई बिंदु नहीं दिया गया है कि देश के अन्दर तिरंगे की शोभायात्रा के लिए किसी अधिकारी से अनुमति लेने की जरूरत पड़ेगी.फ्लैग कोड-२००२ के अनुसार – The Flag Code of India 2002 permits unrestricted display of the tricolour, consistent with the honour and dignity of the flag,”
डीप स्टेट की मिडिया वालों एवं अराजक तत्त्वों के अनुसार आप अपने जन्मभूमि का यशोगान नहीं कर सकते, इसके लिए शान्तिधूर्तों से अनुमति लेनी पड़ेगी या उनके ही मालिक एवं सेवक बने हुए सरकारी तंत्र से अनुमति लेनी पड़ेगी. वस्तुतः, ये सब जान बूझकर करवाया जा रहा है जिससे की २०३५ तक देश के ५-६ टुकड़ों में बांटने का काम पूरा किया जा सके. इसके लिए जब तक चिरकालीन समुदाय वालों को दबाकर नौकर की भाँती न रखा जाए, उनका धर्मांतरण न करवाया जाए, उनकी संख्या जब तक कम नही होगी, तब तक इस देश के टुकड़े होने संभव नहीं है. क्योंकि अन्य सभी समुदाय वाले लोग के लिए धर्म पहले है, जबकि चिरकालीन वालों के लिए देश पहले है. इसीलिए यहाँ अलगाववाद को पोषण मिल रहा है.
डीप स्टेट के मीडिया वाले लोग, आपको मतिभ्रम उत्पन्न करने वाले माफिया लोग हैं, जो ये साबित करते हैं कि शान्तिधूर्त भी तुम्हारी तरह ही हैं, वैसे ही गांधी की अहिंसा इतनी प्रचारित की गयी कि लोगों ने उसे महात्मा प्रचारित कर दिया, अंधश्रद्धा उत्पन्न हो गयी जिससे आज तक भारतीय जन समुदाय हथियार विहीन है. वस्तुतः डीप स्टेट वाले १८५७ के स्वतंत्रता संग्राम में देश के लोगों के पास हथियार होने को भी एक महत्त्व्पूर्ण कारण मानते हैं, जिसे वापस नहीं होने देने के लिए उन्होंने अहिंसा को प्रचारित करवाया और उनके लोग अपने सभी भाषणों में ये कहते हैं कि हम गांधी और बुद्ध के देश में रहते हैं. ये सब मनगढ़ंत बातें लोगों को अपने विरुद्ध आन्दोलन नहीं करने देने के लिए मानवीय मष्तिष्क में बिठा दी गयीं, जिससे कोई वापस १८५७ के विद्रोह करने का न सोचे, और १८५७ के बाद डीप स्टेट वालों ने यहाँ अपने ही मालिकाना हक़ के अन्दर आने वाली मिडिया के माध्यम से किसी को भी अपना आदमी बनाकर उसे संत आदि का रूप देकर भोले भाले लोगों को दिग्भ्रमित कर अपना उल्लू सीधा करते हैं और देश किसी भी समझौते के नाम में बिक रहा होता है. १८५७ के बाद मीडिया की मदद से उनकी योजनाएं ऐसी थीं कि वे मान चुके हैं कि भारत समेत तीसरी दुनिया के देशों में कोई उन्हें हरा नहीं सकता, इसके लिए कोई दिव्य शक्ति युक्त या कोई तांत्रिक क्रिया युक्त इंसान ही चाहिए जो उन्हें आँखों में आँखें डालकर उनकी औकात बता सके !!
मित्रों, १९४५ में द्वितीय विश्वयुद्ध समाप्त होने के बाद डीप स्टेट वालों की योजना कोल्ड वॉर करवाने की थी, जिसके लिए मध्य एशिया को नियंत्रित करने के लिए अमेरिका को मध्य एशिया में सेना रखने के लिए जगह चाहिए थी, जिसके लिए पाकिस्तान को अलग देश का दर्जा देकर उसके द्वारा कश्मीर के एक हिस्से को पाकिस्तान द्वारा अधिकृत करवाया गया और उसके साथ अमेरिका ने एक संधि की जिसके तहत पाकिस्तान यदि अधिकृत कश्मीर में अमेरिका को सेना रखने दे तो पाकिस्तान को अमेरिका सैन्य मदद करता रहेगा.
यदि हिन्दुस्तानी उस समय हथियारबंद होते तो पाकिस्तान कभी भी कश्मीर को अधिग्रहित नहीं कर सकता था और वहां आज कोई विदेशी सेना आज न होती
लोगों का कुतर्क ये होता है कि हथियार रखने से लोग आपस में ही लड़ मरेंगे, जबकि आपको ये ध्यान रखना चाहिए कि गुंडों के समूह कभी आपस में नहीं लड़ते कभी भी, क्योंकि उन्हें ये पहले से ही पता है कि हम दोनों के काम एक ही है लेकिन हथियार उसके पास भी है. इसके खिलाफ अमेरिकी सरकार ने अपने जनता से हथियार रखने के संवैधानिक अधिकार को छीनने के लिए वहां की मिडिया द्वारा अभियान चलवाया और फाल्स-फ्लैग अर्थात वास्तविक रूप से झूठी आतंकी घटना को अंजाम दिलवाया गया कि जिसमे एक व्यक्ति की मृत्यु भी हुई, जिससे भारत जैसी तीसरी दुनिया के लोग समझ सकें, की हथियार आदि रखना केवल सरकार का काम है न कि जनता का, जबकि हकीकत ये है कि रेप, आतंकी घटना आदि के वक्त कभी भी सरकार के आदमी आज तक कभी भी मरने वालों की संख्या को काबू में करने के लिए पहले पहल नहीं किये, ये तो हथियार धारी नागरिक होते हैं जो ऐन मौके पर आतंकियों के ऊपर हावी होकर मरने वालों की संख्या कम करते हैं.

हिंसक और बुरे लोग सभी धर्मों में हैं, इसका किसी धर्म विशेष से कोई लेना देना नहीं है।मगर देश में जो माहौल तैयार किया जा रहा है वो अंग्रेजों की फुट डालो राज करो की नीति से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि आज साम्राज्यबाद नहीं लोकतंत्र है और वर्तमान परिवेश में हमें मिलकर चलना है न कि अलग अलग। अलग अलग चलोगे तो उपरोक्त अनुसार देश का बंटवारा होता रहेगा.
अब जब केंद्र और राज्यों में बीजेपी का शासन आया है तबसे ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि लोग रोजगार और विकास की जगह हिन्दू और मुश्लिम में लगे रहें और बेरोजगार युवा अपना भविष्य दंगे-फसाद में जॉब ढूंढें.
अब जब केंद्र और राज्यों में बीजेपी का शासन आया है तबसे ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि लोग रोजगार और विकास की जगह हिन्दू और मुश्लिम में लगे रहें और बेरोजगार युवा अपना भविष्य दंगे-फसाद में जॉब ढूंढें.
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प्राचीन काल से मध्यकाल तक भारत में जो परंपरा रही राजा की चाटुकारिता की वो अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रदर्शित हो रही है।प्राचीन और मध्यकाल के कवि और लेखक इनाम पाने की होड़ में अपने राजा को इतना शक्तिशाली दिखाते थे कि वो राजा अहंकार में चूर होकर लापरवाह हो जाता था।जब कोई विदेशी आक्रमणकारी आता आसानी से ऐसे अहंकारी और कमजोर भारतीय राजा को हरा देता था।आज भी वही स्थिति देखने को मिल रही है भारतीय मीडिया मोदी को ऐसे नेता के रूप में दिखा रहा है जो सारा हिंदुस्तान के साथ विश्व को जीत लेगा।मगर सच्चाई ये है कि मोदी से हमारा पडोसी दुश्मन पाकिस्तान भी नहीं डरता।
मोदी की विदेश नीति को ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे मोदी के आगे दुनिया के सारे देश नतमस्तक है। जबकि मोदी भारतियों की गाढ़ी कमाई को विदेश यात्रा में पानी की तरह बहा रहे हैं। जिस विदेशी निवेश के नाम पर ये यात्रा की जा रही हैं ये मत भूलिए की यूरोपीय देश अपने देश के पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए गरीब देशों में निवेश कर उनके संसाधनों का दोहन कर अपना भला करेंगे।
प्राचीन काल से मध्यकाल तक भारत में जो परंपरा रही राजा की चाटुकारिता की वो अब इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से प्रदर्शित हो रही है।प्राचीन और मध्यकाल के कवि और लेखक इनाम पाने की होड़ में अपने राजा को इतना शक्तिशाली दिखाते थे कि वो राजा अहंकार में चूर होकर लापरवाह हो जाता था।जब कोई विदेशी आक्रमणकारी आता आसानी से ऐसे अहंकारी और कमजोर भारतीय राजा को हरा देता था।आज भी वही स्थिति देखने को मिल रही है भारतीय मीडिया मोदी को ऐसे नेता के रूप में दिखा रहा है जो सारा हिंदुस्तान के साथ विश्व को जीत लेगा।मगर सच्चाई ये है कि मोदी से हमारा पडोसी दुश्मन पाकिस्तान भी नहीं डरता।
मोदी की विदेश नीति को ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे मोदी के आगे दुनिया के सारे देश नतमस्तक है। जबकि मोदी भारतियों की गाढ़ी कमाई को विदेश यात्रा में पानी की तरह बहा रहे हैं। जिस विदेशी निवेश के नाम पर ये यात्रा की जा रही हैं ये मत भूलिए की यूरोपीय देश अपने देश के पर्यावरण को स्वच्छ रखने के लिए गरीब देशों में निवेश कर उनके संसाधनों का दोहन कर अपना भला करेंगे।
मोदी कटोरा लेकर विदेशी निवेश के लिए घूम रहे हैं लेकिन जो विदेशी निवेश करेंगे क्या उनका उद्देश्य भारत को सुदृढ़ करना होगा या ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाना होगा?आज मशीनों का युग है इसलिए भारतियों को विदेशी निवेश से रोजगार मिलेगा ये भूल जाना चाहिए।
रोजगार स्वयं अपने संसाधनों से पैदा होते हैं लेकिन देश के अधिकांश संसाधनों पर कुछ चुनिंदा उद्द्योगपतियों ने कब्ज़ा कर रखा है।
मोदी जी ने भारतीय युवाओं को रोजगार के नाम पर पकौड़ा बनाने का व्यवसाय बताया है तो उच्च शिक्षा प्राप्त बच्चे-बच्चियां के लिए मोदी की सौगात पकौड़ा बनाओ और रोजगार पाओ। क्या सरकार बता सकती है कि इस कदम से देश की सैन्य-हथियार बनाने की क्षमता में कितनी वृद्धि होगी, या फार्मूला बदल कर रोजगार प्राप्त हुए लोगों की संख्या में वृद्धि दिखा दिया जाएगा !! सुनने में तो ये भी आ रहा है कि मोदी सरकार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक रोजगार देने वाले सरकार की श्रेणी में अपने कार्यकाल को गिनवाना चाहती है, जिसके लिए ये सरकार पकोड़े बनाने जैसी असंगठित रोजगार वालों को भी गिनेगी. खैर…
रोजगार स्वयं अपने संसाधनों से पैदा होते हैं लेकिन देश के अधिकांश संसाधनों पर कुछ चुनिंदा उद्द्योगपतियों ने कब्ज़ा कर रखा है।
मोदी जी ने भारतीय युवाओं को रोजगार के नाम पर पकौड़ा बनाने का व्यवसाय बताया है तो उच्च शिक्षा प्राप्त बच्चे-बच्चियां के लिए मोदी की सौगात पकौड़ा बनाओ और रोजगार पाओ। क्या सरकार बता सकती है कि इस कदम से देश की सैन्य-हथियार बनाने की क्षमता में कितनी वृद्धि होगी, या फार्मूला बदल कर रोजगार प्राप्त हुए लोगों की संख्या में वृद्धि दिखा दिया जाएगा !! सुनने में तो ये भी आ रहा है कि मोदी सरकार अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वाधिक रोजगार देने वाले सरकार की श्रेणी में अपने कार्यकाल को गिनवाना चाहती है, जिसके लिए ये सरकार पकोड़े बनाने जैसी असंगठित रोजगार वालों को भी गिनेगी. खैर…
अतः, मित्रों, जनता को हथियारबंद होना अत्यावश्यक है. क्योंकि कोई भी दुश्मन देश जब भी किसी अन्य देश के ऊपर अटैक करने की सोचता है तो पहले ये देखता है कि उसकी जनता के पास आत्मरक्षा के लिए, जान-माल की रक्षा के लिए कुछ है या नहीं. यदि नहीं है तो दुश्मन देश को जनता में लूट-पाट की छूट मिल जाती है. अतः, आत्म रक्षा के लिए हथियार ले के रखना अत्यावश्यक है. खैर…..

जब मुहर्रम में शान्तिधूर्त सार्वजनिक रूप से अन्य समुदाय के मोहल्लों में अपने झंडे की शोभायात्रा निकलते हैं, उनमे भी ये लोग हथियारों का प्रदर्शन कर अन्य समुदायों को अपने हथियार दिखला कर साबित करना चाहते हैं कि देखो, तुमसे हम शक्तिशाली लोग हैं ! तुम यदि हमारे मोहल्ले से अपने भगवान या अपने देश के झन्डे आदि की शिभायात्रा निकालोगे तो मार दिए जाओगे !! ? क्या ये लोग यही साबित करना चाहते हैं?
क्या इस देश में सरकार की कोई प्रशासनिक जिम्मेदारी नहीं है? क्या परतंत्रता वापस आ गयी? क्या हम शरिया में रहेंगे? क्या अब अन्य समुदायों की महिलाओं को भी हलाला करवाना पड़ेगा? या तीन तलाक?

वर्ल्ड बैंक जैसी संस्थाओं को हमारे देश जैसी तीसरी दुनिया के देशों के अन्दर अराजक माहौल बनाकर लोगों को जबरन अपराधी बनवाना और पिछले दरवाजे से सभी बौद्धिक एवं प्राकृतिक संसाधनों को अपने यहाँ ट्रान्सफर करवाना वर्ल्ड बैंक की चाल है, जिसे कई योजनाओं में तोड़ कर यूनाइटेड नेशन द्वारा यहाँ आदमी एवं एन जी ओ भेजकर अंजाम दिया जाता है, वो संस्थान अपने उन आदमियों को नोबेल प्राइज भी दिलवा देती है जिससे साधारण सामान्य लोग उनके द्वारा कहे जा चुके बातों को सीधे हाथ ले लें.
अधिक जानकारी के लिए देखिये – http://bit.ly/2nZWOt9 , http://bit.ly/2yYAXmD , http://bit.ly/2nX1VqG , http://bit.ly/2D83YPf
प्रस्तावित समाधान –

इसके साथ साथ भारत के भीतर भयंकर रूप से बढती जनसँख्या की भार को नियंत्रण के लिए “टू चाइल्ड पॉलिसी” के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1478457208913930
मित्रों, मिडिया को नियंत्रण में लेने के लिए हमको पारदर्शी शिकायत प्रणाली की जरूरत है जहाँ नागरिक अपनी शिकायत सार्वजनिक रूप से दर्ज कर सके. पारदर्शी शिकायत प्रणाली के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475756632517321
को भी गजेट में अत्यंत शीघ्र प्रकाशित करने का अत्यधिक दबाव प्रधान-सेवक पर बनाएं.

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” माननीय सांसद/विधायक महोदय, मैं आपको अपना एक जनतांत्रिक आदेश देता हूँ कि‘ “टू चाइल्ड पॉलिसी” के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1478457208913930 व हथियारबंद नागरिक समाज की रचना के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475761792516805
को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से इस क़ानून को लागू किया जाए, नहीं तो हम आपको वोट नहीं देंगे.
धन्यवाद,
मतदाता संख्या- xyz ”
इसी तरह अन्य ड्राफ्ट के लिए भी आदेश भेज सकते हैं .

ट्वीट करने का तरीका: होम में जाकर तीन टैब दिखेगा, उसमे एक खाली बॉक्स दिखेगा जिसमे लिखा होगा कि “whats happening” जैसा की फेसबुक में लॉग इन करने पर पुछा जाता है कि आपके मन में क्या चल रहा है- तो अपने ट्विटर अकाउंट के उस खाली बॉक्स में लिखें ” @PMO India I order you to print draft “2 child policy draft” : fb.com/notes/1478457208913930 व हथियारबंद नागरिक समाज की रचना के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475761792516805 in gazette notification asap” . इसी तरह अन्य ड्राफ्ट के लिए भी आदेश भेज सकते हैं .
बस इतना लिखने से पी एम् को पता चल जाएगा, सब लोग इस प्रकार ट्विटर पर पी एम् को आदेश करें.

राईट टू रिकॉल, ज्यूरी प्रणाली, वेल्थ टैक्स जैसेे क़ानून आने चाहिए जिसके लिए, जनता को ही अपना अधिकार उन भ्रष्ट लोगों से छीनना होगा, और उन पर यह दबाव बनाना होगा कि इनके ड्राफ्ट को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप दें, अन्यथा आप उन्हें वोट नहीं देंगे.
अन्य कानूनी ड्राफ्ट की जानकारी के लिए देखें fb.com/notes/1479571808802470
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जय हिन्द, जय भारत, वन्दे मातरम् ||
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.