ईशा कृष्ट (यीशु क्राइस्ट)
यूरोप के अधिकाँश आम लोगों ने ईशा के मत का समर्थन किया था और इसी समर्थन से घबडाकर ईशा के हत्यारों ने ईसाइयत अपनाया और उस मत को अपने स्वार्थ के अनुसार सुनियोजित षड्यन्त्र द्वारा विकृत किया |
ईशा का असली मत तो सैकड़ों सीक्रेट सोसाइटीज के द्वारा बचाकर रखा गया था | ईसाइयों को तीन सौ वर्षों तक ढूँढ-ढूँढकर रोमन सैनिक मारते रहते थे | ईशा के मत की लोकप्रियता बढ़ती ही गयी | अन्त में इस मत को मिटाने के लिए रोमन सम्राट कांस्टेंटाइन ने तीन सौ वर्ष बाद रोमन चर्च की स्थापना की और स्वयं भी अपने बनाए नकली ईसाई मत को स्वीकार कर लिया !
पाश्चात्य भाषाविज्ञान ने भी सिद्ध कर दिया है कि आर्यलैंड (आयरलैंड) तक यूरोपियनों के सारे प्रारम्भिक देवता वैदिक ही थे | भारतीय इतिहासकार भी यह बात जानते हैं किन्तु पढ़ाते नहीं | उसी मूल धर्म को पुनः खड़ा करने का प्रयास ईशा ने किया था ---
गॉड-द-फादर परमात्मा,
गॉड-द-सन जीवात्मा, तथा
गॉड-द-पवित्र आत्मा,
पवित्र आत्मा का आध्यात्मिक गुरु (पादरी या आध्यात्मिक पिता) ही आवाहान कर सकता है |
ईशा का असली मत तो सैकड़ों सीक्रेट सोसाइटीज के द्वारा बचाकर रखा गया था | ईसाइयों को तीन सौ वर्षों तक ढूँढ-ढूँढकर रोमन सैनिक मारते रहते थे | ईशा के मत की लोकप्रियता बढ़ती ही गयी | अन्त में इस मत को मिटाने के लिए रोमन सम्राट कांस्टेंटाइन ने तीन सौ वर्ष बाद रोमन चर्च की स्थापना की और स्वयं भी अपने बनाए नकली ईसाई मत को स्वीकार कर लिया !
पाश्चात्य भाषाविज्ञान ने भी सिद्ध कर दिया है कि आर्यलैंड (आयरलैंड) तक यूरोपियनों के सारे प्रारम्भिक देवता वैदिक ही थे | भारतीय इतिहासकार भी यह बात जानते हैं किन्तु पढ़ाते नहीं | उसी मूल धर्म को पुनः खड़ा करने का प्रयास ईशा ने किया था ---
गॉड-द-फादर परमात्मा,
गॉड-द-सन जीवात्मा, तथा
गॉड-द-पवित्र आत्मा,
पवित्र आत्मा का आध्यात्मिक गुरु (पादरी या आध्यात्मिक पिता) ही आवाहान कर सकता है |
यही ईशा के दर्शन का मूलाधार है जिसका अर्थ है गुरु द्वारा दिया गया उपनिषदों का अध्यात्मिक ज्ञान | भौतिक पिता का इस आध्यात्मिक ज्ञान के मार्ग में कोई स्थान नहीं था, किन्तु माता हमेशा पवित्र होती है जो केवल ईशा जैसा ब्रह्मचारी ही समझ सकता है |
अब तो कुछ दुष्टों ने ईशा की पत्नी भी "खोज" लिया है ! कुछ ही वर्ष पहले ब्रिटेन के एंग्लिकन चर्च ने पादरियों को विवाह की अनुमति दे दी है जो दो हज़ार वर्षों से ईसाइयत में वर्जित रही है | पादरी को ब्रह्मचारी रहना चाहिए, तभी गॉड-द-सन ब्रह्मचारी जीवात्मा को गॉड-द-फादर ब्रह्म के बारे में ज्ञान दे सकेगा, जिसके लिए संसार की हर नारी में पवित्र माता होली मदर दुर्गा का दर्शन अनिवार्य है वरना ब्रह्मचर्य कहाँ ? और ब्रह्मचर्य नहीं तो ब्रह्म की प्राप्ति कैसे ?
न्यू टेस्टामेंट में ईशा जादू द्वारा शराबियों को शराब की नदी बहाकर खुश करता है ताकि वे ईशा को ईशपुत्र मान लें और शराब पीते रहे, वेश्याओं को केवल इतना कहा कि मुझे ईशपुत्र मान लो तो सारे पाप धुल जायेंगे -- वेश्यावृति त्यागने के लिए नहीं कहा | क्या ऐसा व्यक्ति अपने विचारों के लिए हँसते हुए सूली पर चढ़ जाएगा और हत्यारों के लिए भी क्षमादान मांगेगा ?
कलियुग में हर सच्चे गुरु के विचार का अचार बन गया !!
आज भी वैटिकन में बहुत से पुराने दस्तावेज छुपाकर रखे हुए हैं जो सामान्य पादरियों को भी दिखाए नहीं जाते, वरना चर्च का भांडा फूट जाएगा |
Comments
Post a Comment
कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.