रोथ्स्चिल्ड घराने के देश भारत से सोना, विश्व को लम्बे समय तक गुलाम रखने के लिए हड़प रहे हैं.
प्रश्न है कि: इल्लुमिनती के लोग पाताल में शैतान को सोना चढाते हैं, क्यों?
उत्तर: मेरी अपनी जानकारी में ऐसा नहीं है, क्योंकि शैतान जैसा कुछ नहीं होता, लोगों की अपनी मनोव्रित्तियां ही किसी को शैतान या देव बना देतीं हैं.
इल्लुमिनती के लोग हमारे देश से सोना हड़प रहे हैं क्योंकि उन्हें लम्बे समय तक विश्वयुद्ध आदि जारी रखने के लिए पॉवर अर्थात विद्युत शक्ति की आवश्यकता होगी, जिसमे सोना सबसे उपयोगी धातु है. इसीलिए वे तरह तरह की भ्रष्ट अंतर्राष्ट्रीय संधियों में हमारे देश को निचोड़ कर सोना निकलवा ले जा रहे हैं, जिससे भविष्य में हम पूर्णतया गुलाम तो बने हीं, साथ साथ कभी उनसे मुकाबला करने लायक शक्ति भी हासिल न कर पाएं.
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शुद्ध सोना को द्रव रूप में ा उपयोग उच्च क्वालिटी के नाभिकीय रिएक्टर में किया जाता है, लेकिन हमारे यहाँ नहीं है.
इसके स्थान पे हमारे यहाँ और अन्य कमजोर देशों में हेवी वाटर रिएक्टर बहुतायत में पाए जाते हैं.
नाभिकीय रिएक्टर में नाभिकीय कूलैंट एवं मंदक के रूप में लिक्विड शुद्ध सोना use करने का अलग फायदा है, जो अभी मुझे याद भी नहीं है, हालाँकि मेरा ध्यान इस दिशा से उतर चूका था, क्योंकि उस समय मुझे नहीं मालूम था कि मुझे कभी ये सुनने को मिलेगा की इलू के लोग सोने का प्रयोग कोई शैतान को चढाने में करते होंगे इत्यादि. खैर.....
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शुद्ध सोना को द्रव रूप में ा उपयोग उच्च क्वालिटी के नाभिकीय रिएक्टर में किया जाता है, लेकिन हमारे यहाँ नहीं है.
इसके स्थान पे हमारे यहाँ और अन्य कमजोर देशों में हेवी वाटर रिएक्टर बहुतायत में पाए जाते हैं.
नाभिकीय रिएक्टर में नाभिकीय कूलैंट एवं मंदक के रूप में लिक्विड शुद्ध सोना use करने का अलग फायदा है, जो अभी मुझे याद भी नहीं है, हालाँकि मेरा ध्यान इस दिशा से उतर चूका था, क्योंकि उस समय मुझे नहीं मालूम था कि मुझे कभी ये सुनने को मिलेगा की इलू के लोग सोने का प्रयोग कोई शैतान को चढाने में करते होंगे इत्यादि. खैर.....
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इलुमिनती और उनके लोगों को डर है कि भविष्य में विश्वयुद्ध एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय कर्जों एवं संधियों द्वारा दुनिया में जब पॉवर क्राइसिस अर्थात विद्युत के क्षेत्र में कमी लायी जायेगी(क्योंकि वर्तमान बीजेपी सरकार ने सभी भारतीय तेल कंपनियों के शेयर्स को विदेशी हाथों में दान देना शुरू कर दिया है, जबकि तेल का प्रयोग आपातकाल में सभी उद्योगों यहाँ तक कि नाभिकीय रिएक्टर संस्थानों में भी किया जाता है, अतः, यदि तेल कंपनियों को विदेशी संस्थानों को गिरवी रख दिया जाए तो रोथ्स्चिल्ड घरानों को कई फायदे एक साथ हासिल हो जायेंगे, और ये भारत जैसी तीसरी दुनिया के देशों को गुलाम बनाने के चरणों में से एक है, जिसमे विद्युत कमी लाकर बचे हुए उद्योगों को बंद करवाया जाए), तो इसीलिए सोने का प्रयोग वे पाताल में नाभिकीय रिएक्टर में वे करते हैं जिसमे सोने का इस्तेमाल वे करते है.
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जैसे की तीसरे या चौथे वीश्व युद्ध जो कह लीजिये, के वक्त में पॉवर क्राइसिस का उनको डर है, क्योंकि मुस्लिम + हिन्दू को अभी लड़ा रहे हैं,लेकिन इसमें भी उनको डर है कि ये दोनों ने हाथ मिलाके कहीं इलू पर ही धावा बोल दिया तो उन्हें पाताल में भी छुपने की जगह न मिले,
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अब देखिये,
एक ग्राम यूरेनियम से लगभग सौ मेगा वाट के बराबर बिजली एक साल तक बनायी जा सकती है, लेकिन इसका निश्कार्ष्ण का तकनीक काफी महंगा है.
तो दुनिया में उपस्थित सभी यूरेनियम + थोरियम + अन्य नाभिकीय मटेरियल से कई अत्यधिक गुना बिजली बनाई जा सकेगी, लेकिन उनमे प्रयोग आने वाले कूलैंट और मंदक के रूप में उपयोग आने वाला सबसे बेहतर धातु लिक्विड सोना है, क्योंकि इसके रासायनिक रिएक्शन की संख्या अन्य धातुओं की अपेक्षा काफी कम है, अर्थात ये न तो रियेक्ट करता है और इसे निश्कार्ष्ण करना इतना कठिन नहीं होता. लेकिन इसका रेडिएशन प्रभाव होता है, अतः, इसे भी अन्य रेडिएशन से खराब हो चुके धातुओं के एक शील्ड में रखना होता है लेकिन इसे नाभिकीय रेअक्टोर्स में इस्तेलाम रखना चालू रखा जा सकता है. इसके बाहर आने पर इससे निकलने वाले उच्च उर्जा गामा किरणों के कारण क्रोमोसोम्स की संरचना बदलने के बाद जेनेटिक बीमारी लगने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. लेकिन लिक्विड सोने के रूप में इसकी लाइफ अभी भी अन्य धातुओं की तुलना में ज्यादा होती है.
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अब यदि तृतीय विश्वयुद्ध करवाया जाए और सभी देशों को बर्बाद करके घुटने टेकने पे मजबूर कर दिया जाए तो क्या होगा?
उन्हें वापस अपने पैरों पर खड़े होने अर्थात अपने स्वदेशी उद्योगों को खड़े करने के लिए बिजली की आवश्यकता तो पड़ेगी ही, लेकिन अं मौके पर चूंकि हमारे गणित-विज्ञान का स्तर काफी पहले से शून्य के नजदीक किया जा चूका है, साथ ही अनुसंधान संस्थानों को १-२-३ अग्रीमेंट के अंतर्गत मनमोहन सिंह सरकार द्वारा पहले ही से अमेरिका के अधीन करवाया जा चूका है, इन सब कारणों से जिसके बल पर ये देश कभी पुनर्जीवित नहीं हो सकेंगा, अंततः. अनंत काल तक उन्ही पिशाचों का पिशाची साम्राज्य यहाँ कायम रहने से कोई रोक न सकेगा.
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ये है उनका प्लान, मेरी समझ से....
इलुमिनती और उनके लोगों को डर है कि भविष्य में विश्वयुद्ध एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय कर्जों एवं संधियों द्वारा दुनिया में जब पॉवर क्राइसिस अर्थात विद्युत के क्षेत्र में कमी लायी जायेगी(क्योंकि वर्तमान बीजेपी सरकार ने सभी भारतीय तेल कंपनियों के शेयर्स को विदेशी हाथों में दान देना शुरू कर दिया है, जबकि तेल का प्रयोग आपातकाल में सभी उद्योगों यहाँ तक कि नाभिकीय रिएक्टर संस्थानों में भी किया जाता है, अतः, यदि तेल कंपनियों को विदेशी संस्थानों को गिरवी रख दिया जाए तो रोथ्स्चिल्ड घरानों को कई फायदे एक साथ हासिल हो जायेंगे, और ये भारत जैसी तीसरी दुनिया के देशों को गुलाम बनाने के चरणों में से एक है, जिसमे विद्युत कमी लाकर बचे हुए उद्योगों को बंद करवाया जाए), तो इसीलिए सोने का प्रयोग वे पाताल में नाभिकीय रिएक्टर में वे करते हैं जिसमे सोने का इस्तेमाल वे करते है.
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जैसे की तीसरे या चौथे वीश्व युद्ध जो कह लीजिये, के वक्त में पॉवर क्राइसिस का उनको डर है, क्योंकि मुस्लिम + हिन्दू को अभी लड़ा रहे हैं,लेकिन इसमें भी उनको डर है कि ये दोनों ने हाथ मिलाके कहीं इलू पर ही धावा बोल दिया तो उन्हें पाताल में भी छुपने की जगह न मिले,
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अब देखिये,
एक ग्राम यूरेनियम से लगभग सौ मेगा वाट के बराबर बिजली एक साल तक बनायी जा सकती है, लेकिन इसका निश्कार्ष्ण का तकनीक काफी महंगा है.
तो दुनिया में उपस्थित सभी यूरेनियम + थोरियम + अन्य नाभिकीय मटेरियल से कई अत्यधिक गुना बिजली बनाई जा सकेगी, लेकिन उनमे प्रयोग आने वाले कूलैंट और मंदक के रूप में उपयोग आने वाला सबसे बेहतर धातु लिक्विड सोना है, क्योंकि इसके रासायनिक रिएक्शन की संख्या अन्य धातुओं की अपेक्षा काफी कम है, अर्थात ये न तो रियेक्ट करता है और इसे निश्कार्ष्ण करना इतना कठिन नहीं होता. लेकिन इसका रेडिएशन प्रभाव होता है, अतः, इसे भी अन्य रेडिएशन से खराब हो चुके धातुओं के एक शील्ड में रखना होता है लेकिन इसे नाभिकीय रेअक्टोर्स में इस्तेलाम रखना चालू रखा जा सकता है. इसके बाहर आने पर इससे निकलने वाले उच्च उर्जा गामा किरणों के कारण क्रोमोसोम्स की संरचना बदलने के बाद जेनेटिक बीमारी लगने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है. लेकिन लिक्विड सोने के रूप में इसकी लाइफ अभी भी अन्य धातुओं की तुलना में ज्यादा होती है.
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अब यदि तृतीय विश्वयुद्ध करवाया जाए और सभी देशों को बर्बाद करके घुटने टेकने पे मजबूर कर दिया जाए तो क्या होगा?
उन्हें वापस अपने पैरों पर खड़े होने अर्थात अपने स्वदेशी उद्योगों को खड़े करने के लिए बिजली की आवश्यकता तो पड़ेगी ही, लेकिन अं मौके पर चूंकि हमारे गणित-विज्ञान का स्तर काफी पहले से शून्य के नजदीक किया जा चूका है, साथ ही अनुसंधान संस्थानों को १-२-३ अग्रीमेंट के अंतर्गत मनमोहन सिंह सरकार द्वारा पहले ही से अमेरिका के अधीन करवाया जा चूका है, इन सब कारणों से जिसके बल पर ये देश कभी पुनर्जीवित नहीं हो सकेंगा, अंततः. अनंत काल तक उन्ही पिशाचों का पिशाची साम्राज्य यहाँ कायम रहने से कोई रोक न सकेगा.
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ये है उनका प्लान, मेरी समझ से....
अब ये सवाल आता है कि नकली सोया बनाकर चीन और अमेरिका बाजार में उतारने वाले हैं, तो क्या होगा? .
अब यदि हम नकली सोना बनाकर बाजार में उतारते हैं, तो भी बाकी देश बोगस करेंसी रखने के जुर्म में पुनः घुटने के बल टिका दिए जायेंगे, और सभी मानव गुलाम बन चुके होंगे.
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वैसे ये सब मैं सार्वजनिक नहीं करना चाहती थी क्यूंकि तब कई लोग मेरे पे शक करेंगे की मैं इलू की आदमी हूँ और कई मेरी बुद्धि पे शक-सवाल करेंगे इत्यादि.
अब यदि हम नकली सोना बनाकर बाजार में उतारते हैं, तो भी बाकी देश बोगस करेंसी रखने के जुर्म में पुनः घुटने के बल टिका दिए जायेंगे, और सभी मानव गुलाम बन चुके होंगे.
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वैसे ये सब मैं सार्वजनिक नहीं करना चाहती थी क्यूंकि तब कई लोग मेरे पे शक करेंगे की मैं इलू की आदमी हूँ और कई मेरी बुद्धि पे शक-सवाल करेंगे इत्यादि.
अतः, लोग जो मर रहे हैं, वे अपने संदेह एवं अंधभक्ति के कारण मर रहे हैं.
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इस सदी में, जो लड़ाई होगी, उससे धरती का अक्ष अपने केंद्र बिंदु से कोई कोण से झुकेगा.
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कई हजार वर्षों के बाद पुनः ऐसी ही लड़ाई होगी तब पृथ्वी का अक्ष एक बार और झुकेगा.....और लास्ट में कल्कि अवतार रहेगा. ऐसा....
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इस सदी में, जो लड़ाई होगी, उससे धरती का अक्ष अपने केंद्र बिंदु से कोई कोण से झुकेगा.
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कई हजार वर्षों के बाद पुनः ऐसी ही लड़ाई होगी तब पृथ्वी का अक्ष एक बार और झुकेगा.....और लास्ट में कल्कि अवतार रहेगा. ऐसा....
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मित्रों, उपरोक्त कारणों से ही, हमारे देश में थोरियम रिएक्टर के ऊपर अनुसन्धान को आगे नहीं बढ़ने दिया जा रहा है क्योंकि उसमे भी शुद्ध सोना को एक प्रमुख घटक के रूप में उपयोग किया जाता है.
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आज हमारे देश में उनके अर्थात ब्रिटेन का कोई आता है तो मीडिया जोर शोर से हल्ला मचाती है और इस तरह से अपने मालिकों का प्रचार करती है जैसे की विदेशी धनपशु हमारे यहाँ पब्लिक का उद्धार करने आ रही है....
वे ऐसा इसीलिए करते हैं, क्योंकि अधिकतर मीडिया संस्थानों के मालिक वे विदेशी माफिया लोग ही हैं, जिनमे मुख्यतया छह लोग हैं, जो संसार भर की लगभग सभी मीडिया संस्थानों को नियंत्रित करती हैं.
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.