रानी पद्मावती और समसामयिक राजनीति
रानी पद्मावती :-
रिपब्लिक-टीवी के अर्णव गोस्वामी समसामयिक राजनीति पर बहुत ही अच्छी और निर्भीक पत्रकारिता का परिचय देते हैं | किन्तु जब हिन्दू धर्म, संस्कृति और इतिहास की बात उठती है तो अधिकाँश मामलों में सेक्युलर बन जाते हैं | आज रानी पद्मावती के बारे में बहस के दौरान उन्होंने जो बयान दिया वैसी बेहूदा और असभ्य बात आजतक किसी धर्मान्ध हिन्दू-विरोधी जेहादी आतंकी ने भी नहीं बोली है |
रिपब्लिक-टीवी के अर्णव गोस्वामी समसामयिक राजनीति पर बहुत ही अच्छी और निर्भीक पत्रकारिता का परिचय देते हैं | किन्तु जब हिन्दू धर्म, संस्कृति और इतिहास की बात उठती है तो अधिकाँश मामलों में सेक्युलर बन जाते हैं | आज रानी पद्मावती के बारे में बहस के दौरान उन्होंने जो बयान दिया वैसी बेहूदा और असभ्य बात आजतक किसी धर्मान्ध हिन्दू-विरोधी जेहादी आतंकी ने भी नहीं बोली है |
गजेन्द्र चौहान से उन्होंने पूछा कि भंसाली की फिल्म रिलीज़ भी नहीं हुई है, तब बिना देखे आप विरोध किस आधार पर कर रहे हैं | तब गजेन्द्र चौहान ने कहा कि रानी पद्मावती के साथ अलाउद्दीन के रोमान्टिक दृश्य की बात मीडिया में आयी थी जिसके बाद राजपूत समुदाय ने विरोध आरम्भ किया, और जब विरोध होने लगा तो भंसाली ने बात बदली और कहा कि वैसा रोमान्टिक दृश्य केवल सपने में दिखाया गया है ! अर्थात भंसाली ने हंगामे के बाद दृश्य में थोड़ा बदलाव करके उसे सपना बना दिया | किन्तु सपने में भी झूठी और अपमानजनक बात दिखाना बुरा नहीं है ?
किन्तु अर्णव गोस्वामी ने गजेन्द्र चौहान से पूछा कि अलाउद्दीन और पद्मावती के बीच "किस्सिंग सीन" पर आपको क्यों एतराज है ? गजेन्द्र चौहान के इस उत्तर को अर्णव गोस्वामी ने खारिज कर दिया कि रानी पद्मावती कोई काल्पनिक पात्र नहीं है, एक समुदाय की वास्तविक पूर्वज हैं जिनका अपमान पूरे समुदाय का अपमान है, और अर्णव ने झूठा तर्क दिया कि फिल्म में इतिहास नहीं होता ! अर्थात फिल्मकार को कुछ भी अनाप-शनाप दिखाने की छूट मिलनी चाहिए !
गजेन्द्र चौहान के विरुद्ध वैसे भी मीडिया ने काफी हंगामा मचा रखा है, अतः उन्होंने पूरा उत्तर नहीं दिया | टीवी पर उनके तमतमाए चेहरे को देखकर साफ़ लग रहा था कि असली चौहान खून खौल रहा था और यदि उनको पार्टी और मीडिया की चिन्ता नहीं होती तो वे कहते कि किसी फिल्म में आपकी माताजी का बलात्कार ISIS के जेहादी सपने में भी करेंगे तब भी आप उस दृश्य का ऐसे ही आनन्द लेंगे ?
इससे भी बुरी बात यह थी कि गजेन्द्र चौहान ने जब यह कहा कि बात हिन्दू-मुस्लिम की नहीं है, बल्कि किसी समुदाय के पूर्वज के बारे में मनगढ़ंत अपमानजनक बात का मसला है, तो अर्णव गोस्वामी ने कहा के मैं भी हिन्दू हूँ, आप सीमा पार कर रहे हैं ! सच्चाई यह है कि अर्णव रंजन गोस्वामी सीमा पार कर रहे हैं, "किस्सिंग सीन" को जायज ठहराने वाला उनका बयान जूता खाने लायक है | उनके दादा कांग्रेस के नेता थे, और नाना कम्युनिस्ट थे | किन्तु उनके पिता सेना से अवकाश लेने के बाद भाजपा के टिकट से लोक सभा का चुनाव लड़े और हारे, और मामा असम भाजपा के अध्यक्ष 2016 तक थे और भाजपा के विधायक थे | भाजपा में ऐसे ही "सेक्युलर" लोगों की घुसपैठ के कारण भाजपा और देश का यह हाल है ! केन्द्र में ही नहीं, अब तो असम में भी भाजपा की सरकार बन गयी है और बांग्लादेशी घुसपैठियों के मामले पर भाजपा कान में तेल डालकर बैठी हुई है , और अर्णव गोस्वामी भी इस मुद्दे पर हल्ला नहीं मचाते, रानी पद्मावती के बारे में झूठी और अपमानजनक बातों का "आनन्द" लेना चाहते हैं !
गजेन्द्र चौहान के इस बयान से मैं सहमत नहीं हूँ कि रानी पद्मावती का अपमान राजपूत समुदाय का अपमान है | रानी पद्मावती का अपमान हर हिन्दू का अपमान है, अर्णव गोस्वामी की रगों में बहने वाले हिन्दू खून का भी अपमान है, यदि उस खून में मिलावट नहीं हो तो | रानी पद्मावती की मूर्ति मन्दिर में स्थापित की जानी चाहिए, किन्तु कई तथाकथित हिन्दुओं के मुँह से उनके बारे में असभ्य बातें सुनकर स्वयं को हिन्दू कहते हुए मुझे शर्म आती है | इज्जत की रक्षा के लिए जिन्होंने जौहर किया उनके साथ "किस्सिंग सीन" का सपना वही देख सकता है जिसकी दादी की दादी की दादी .... की इज्जत अलाउद्दीन जैसे किसी राक्षस ने लूटी हो | रानी पद्मावती अकेले जौहर की आग में नहीं कूदी थी | सामूहिक बलात्कार के इच्छुक राक्षसों से बचने के लिए इतनी बड़ी संख्या में जौहर समूचे मानव इतिहास की अकेली घटना है | वे लोग खुशी से आग में नहीं कूदी थीं, इज्जत बचाने के लिए कूदी थी, उनको पता नहीं था कि मरने के सात सौ साल बाद कुछ लोग उनकी इज्जत फिर से उतारने की कुचेष्टा करेंगे !! भंसाली और अर्णव जैसे कमीनों को रोमान्टिक सीन का मजा लूटना है तो अपनी माँ-बहनों के साथ ऐसा करे, रानी पद्मावती को यदि ये लोग हिन्दू समाज के पूर्वजों में नहीं गिनते हैं तो दूसरों के पूर्वजों का अपमान करने का इनको क्या अधिकार है ?
अर्णव गोस्वामी की जन्मकुण्डली में मंगल मूलत्रिकोणस्थ बलवान हैं, और निर्बल बृहस्पति नीच के हैं | अतः लड़ाकू हैं, किन्तु धर्म और अध्यात्म के मामलों में नीच विचार रखते हैं |
हो सकता है सपने वाले उस बेहूदे दृश्य को कल भंसाली फिल्म से हटा दे, लेकिन अभी तो पूरी सेक्युलर जमात भंसाली के समर्थन में खड़ी हो गयी है और "देशभक्त" मीडिया भी उनका साथ देने लगी है ! जिनकी नैतिकता घास चरने गयी है उनकी देशभक्ति भी कब घास चरने चली जाय इसका कोई भरोसा नहीं |
मुझे तो इस फिल्म में रानी पद्मावती का नाच भी बेहूदा लगता है क्योंकि वे गद्दारों और दोगलों को छोड़कर पूरे देश की माता हैं, केवल राजपूतों की नहीं | बॉलीवुड के नटुओं, सेक्युलर नेताओं और प्रेसटीटयूट को छोड़कर कौन भारतीय अपनी माता का नाच फिल्म में देखना पसन्द करेगा ?
बाहरी शत्रु से अधिक खतरनाक आस्तीन के सांप होते हैं | भारतमाता की आस्तीन में तीन साँप हैं - बॉलीवुड के नटुए, सेक्युलर नेता और प्रेसटीटयूट | इनका इलाज हो जाय तो खुल्लमखुल्ला शत्रुता करने वालों से निबटना बाएं हाथ का खेल हो जाएगा |
रानी पद्मावती केवल एक ऐतिहासिक चरित्र ही नहीं हैं, बल्कि एक सभ्यता और संस्कृति की प्रतीक हैं जिसमें नारी मनोरंजन की साधन नहीं होती, जिसमें जान से अधिक कीमत इज्जत की होती है |
Comments
Post a Comment
कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.