वहाबी आतंकवाद

वहाबी आतंकवाद :-
इस्लाम की कई शाखाएं हैं जिनमें मुख्य शाखाएं दो हैं - सुन्नी और शिया | फारस और मेसोपोटामिया (इराक का दोआब) एवं कुछ संलग्न क्षेत्रों में बहुमत लोग शिया हैं, जहाँ इस्लाम से पहले से ही प्राचीन सभ्यताओं का दीर्घ इतिहास रहा है | यही कारण है कि सुन्नी की अपेक्षा शिया में असहिष्णुता और हिंसक कट्टरता कम है, सभ्यता अपेक्षाकृत अधिक है |
सुन्नी में चार मुख्य शाखाएं हैं जिसमें संख्या की दृष्टि से सबसे अधिक हनफी हैं - मिश्र आदि भूतपूर्व तुर्क खलीफा के क्षेत्रों से लेकर भारत एवं केन्द्रीय एशिया में इसका बहुमत है | इसके क्षेत्रों में भी इस्लाम से पहले से ही सभ्यता का इतिहास है |
सऊदी अरब और क़तर का आधिकारिक पन्थ है हनबली शाखा की वहाबी उपशाखा | हनबली का आधुनिक "सुधारवादी" संस्करण सलफी और वहाबी उपशाखाएँ हैं (सलफी की ही सबसे कट्टर धारा वहाबी है)| हनबली का आरम्भ इराक से हुआ था और इस्लाम-पूर्व की परम्पराओं का इसमें बहुत सीमा तक समावेश हुआ था | किन्तु आधुनिक काल में उत्पन्न वहाबी आन्दोलन कहने के लिए तो हनबली है किन्तु इस्लाम-पूर्व की परम्पराओं का इसमें निषेध तो है ही, सारे पीरों के दरगाहों और शिक्षाओं का इसमें निषेध है एवं केवल आरंभिक कट्टरपन्थ को ही प्रधानता दी गयी | चौदह शताब्दियों तक अन्य सभ्यताओं का इस्लाम पर जो प्रभाव पडा उसे मिटाकर मुहम्मद साहब के आसमानी फलसफे की हूबहू नक़ल वहाबी मत का मुख्य स्तम्भ है | मिश्र के इस्लामी विद्वान वहाबी मत को शैतान का मत कहते हैं | फारस की खाड़ी के चारों ओर 890 लाख शिया हैं, जो मुख्यतः इरान-इराक़ में हैं, 285 लाख गैर-वहाबी सुन्नी हैं, और केवल 50 लाख वहाबी हैं (पह कुछ वर्ष पुराना आँकड़ा है)|
इस्लामी शाखाओं का चित्र संलग्न है :-


किन्तु 1970 के दशक में पेट्रोलियम का मूल्य बढ़ने के बाद से सऊदी अरब की सरकार वहाबी कट्टरपंथ और उसपर आधारित आतंकवादी जेहादी संगठनों को पूरी दुनिया में फैलाने के लिए लाखों करोड़ रूपये खर्च कर चुकी है | ISIS के इस्लामी राष्ट्र का घोषित पन्थ भी वहाबी ही है और उसे दोनों वहाबी देशों से भरपूर सहायता मिलती है - सऊदी अरब तथा क़तर |
भारत में भी आतंकवाद का सम्बन्ध वहाबी और उनके पेट्रो-डॉलर से जुड़ा रहा है | कश्मीर से लेकर रोहिंग्या तक सब जगह वहाबियों का पेट्रो-डॉलर ही अपनी करामात दिखा रहा है | स्वतन्त्रता के बाद पहली बार भारत की सरकार ने विदेशी वहाबी फंडिंग पर रोक लगाने की प्रक्रिया आरम्भ की है | फारूक अब्दुल्ला की बौखलाहट देखने लायक है | किन्तु कांग्रेस के बड़े नेता भी जब कश्मीर की आज़ादी की मांग करते हैं तो समझ लेना चाहिए कि उनके विदेशी बैंक खातों में वहाबी पेट्रो-डॉलर अपना रंग दिखा रहा है | स्विस बैंकों में भारतीयों का कालाधन बहुत कम बचा है, दुबई, कराची, होंग कोंग के बैंकों में स्थानान्तरण हो चुका है |
संसार के सभी मुसलमानों का एक प्रतिशत भी वहाबी नहीं हैं, किन्तु पेट्रोलियम के अधिकाँश कूँए उनके ही पास है | रूस और अमेरिका जैसे देशों के पेट्रोलियम भण्डार दस वर्ष भी नहीं टिकेंगे, लेकिन सऊदी अरब का तेल भण्डार साढ़े चार सौ वर्षों तक चलेगा, यद्यपि विकसित देशों के भण्डार समाप्त होने के बाद अरब तेल अधिक निकाला जाएगा, अत: उतने दिनों तक नहीं चल सकेगा |
वहाबी पेट्रो-डॉलर का ही कमाल है कि भारत के बड़े और छोटे शहरों के मुसलमानों में भी सऊदी अरब के संस्कारों की यथाशक्ति नक़ल करने की बीमारी बढ़ रही है | भारतीय मुसलमानों के सभी प्रमुख संस्थाओं पर इक्का-दुक्का शिया को छोड़कर वहाबियों के समर्थकों का कब्जा है, यद्यपि भारतीय मुसलमानों में वहाबी नाममात्र ही हैं |
कल जी-न्यूज़ टीवी पर राष्ट्रगान के बारे में एक मौलवी ने कहा :- "हमें उनके राष्ट्र्गान पर एतराज नहीं है, राष्ट्रगीत वन्दे मातरम् पर एतराज है"|
यही है सऊदी अरब की वहाबी भाषा - "उनके राष्ट्रगान" , "हमारा राष्ट्रगान" नहीं !!!
अर्थात जन-गण-मन भी हिन्दुओं का राष्ट्रगान है, यही वहाबी सोच है जो सऊदी पैसे की बदौलत मदरसों और मस्जिदों के माध्यम से फैलाई जा रही है |
1970 के दशक में पेट्रोलियम का मूल्य बढ़ने से पहले दो सौ वर्षों से वहाबी विचारधारा को पूछने वाले लोग मुट्ठी भर ही थे | किन्तु आने वाले दीर्घकाल तक यह आतंकी विचारधारा पूरे संसार में उथल-पुथल मचाती रहेगी -- जबतक इनका तेल न सूख जाय अथवा शेष संसार के लोग बिगड़कर इनके तेल पर बलपूर्वक कब्जा न कर लें |
मोदी सरकार लाख गड़बड़ी करे, इस आतंकी खतरे के प्रति सचेत है और कार्यवाई भी कर रही है, अतः सभी राष्ट्रवादियों को सरकार का समर्थन करना चाहिए | भारत को नष्ट करके इस्लामी राष्ट्र स्थापित करने का षड्यन्त्र चल रहा है जिसमें सारी सेक्युलर पार्टियां भी वहाबी पेट्रो-डॉलर कमाने के चक्कर में देशविरोधी बयानबाजी करती रहती हैं | जब गृहयुद्ध छिड़ेगा तो ये तथाकथित सेक्युलर लोग केवल बयानबाजी ही नहीं देंगे | ओवैसी ने सच कहा था कि एक सौ करोड़ हिन्दुओं को काटने की तैयारी चल रही है | ओवैसी के अब्बा हैदराबाद निजाम के समर्थक रजाकार सेना के प्रमुख थे जिसने सरदार पटेल द्वारा भेजी गयी भारतीय सेना से युद्ध किया था | सरदार पटेल नहीं रहते तो नेहरु शान्ति के कबूतर ही उड़ाते रह जाते, उसी समय भारत में कई देश बन गए होते | हिन्दुओं को जागना ही पडेगा | पहले कश्मीर घाटी से हिन्दुओं को भगाया, अब जम्मू में जनसंख्या बढाने के लिए रोहिंग्या का आयात किया जा रहा है, पूर्वी भारत में "बृहत्तर बांग्लादेश" की तैयारी चल रही है जिसे चीन का गुप्त समर्थन प्राप्त है |
देश के कानून तो तोड़कर अवैध घुसपैठ करने वाले आतंकियों को भगाने पर सर्वोच्च न्यायालय ने भी रोक लगा दी है |
सचमुच पेट्रो-डॉलर में बड़ी शक्ति है !!
जम्मू क्षेत्र की जनसंख्या वृद्धि का मैंने बारीकी से अध्ययन किया है, बाहरी मुस्लिमों को नहीं भी बसाया जाय तब भी कुछ दशकों में मुस्लिमों का बहुमत वहां हो जाएगा क्योंकि जनसंख्या की वृद्धि दर तेज होने के कारण नयी पीढी में उनका बहुमत हो चुका है | चीन की तरह भारत को भी परिवार छोटे रखने वाला कानून बनाकर सख्ती से लागू करना चाहिए |
सरकार के भरोसे बैठे रहने से काम नहीं चलेगा, जनता को जागरूक बनना ही पडेगा | ख़तरा देखकर भी जो शुतुरमुर्ग बनना चाहेंगे उनका नाश निश्चित है |
वित्तीय सुधारों द्वारा सरकार आमदनी बढाने के प्रयास में है और सेना को भी शक्तिशाली बनाने में लगी हुई है | पुरानी बीमारियाँ हैं, समय तो लगेगा ही | मनमोहन सरकार ने देश की जड़ों को खोखला कर दिया था, सेना को कमजोर करके और वहाबियों को छूट देकर |
जब मिश्र का सुन्नी अल अजहर घोषणा कर सकता है कि वहाबी शैतानी मत है तो भारत सरकार को भी यह घोषणा कर देनी चाहिए -- लेकिन समस्या यह है कि अभी भारत को पेट्रोलियम की सख्त जरूरत है |
सभी सुन्नियों का प्रमुख लक्ष्य है "खलीफा" की पुनर्स्थापना और उसके तहत विश्वविजय का बिगुल फूँकना | सुन्नी विचारधारा का मुख्य स्तम्भ ही खिलाफ़त (खलीफा) है, जिसके अंतर्गत संसार के सभी मुसलमानों का इस्लामी राष्ट्र रहेगा और संसार से काफिरों का उच्छेद कर दिया जाएगा - यह कुरान का घोषित लक्ष्य है I अल्लाह ने मुहम्मद को केवल सऊदी अरब पर इस्लाम थोपने को नहीं कहा था, पूरी दुनिया पर थोपने का आदेश दिया था -- कान में गुप्त रूप से (क्योंकि मुहम्मद के सिवा और कोई अल्लाह की आवाज नहीं सुन सकता ; मुहम्मद भी विशेष तान्त्रिक मुद्रा में ही सुन पाते थे जिसमें बीबी सहायता करती थी) |
आतंकी ISIS का भी यही लक्ष्य है | हिन्दुओं का पूरी तरह से सफाया वहाबियों का प्रमुख उद्देश्य है, यद्यपि खुलकर अभी ऐसा नहीं बोलते |
Vinay Jha

Comments

  1. अच्छी जानकारी है, असलियत तो सामने आनी ही चाहिए

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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.

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