पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा नोटबंदी एवं जीडीपी पर बोल रहे है तब भी नागरिको से आवश्यक सूचनाएं छिपा रहे है
पूर्व वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा पिछले 10 महीने से कहाँ गायब थे !! और अब जब वे नोटबंदी एवं जीडीपी पर बोल रहे है तब भी नागरिको से आवश्यक सूचनाएं छिपा रहे है !!
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१) सिन्हा ने कहा कि, सरकार ने जीडीपी की गणना का तरीका बदल दिया है, एवं इस वजह से जो जीडीपी दिखायी जा रही है वह वास्तविक नहीं है। बल्कि वास्तविक जीडीपी दिखाई जा रही जीडीपी से 2% कम है। लेकिन सिन्हा ने यह नहीं बताया कि मोदी साहेब ने जीडीपी को बढ़ाकर दिखाने के लिए गणना में क्या बदलाव किये है !!
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१) सिन्हा ने कहा कि, सरकार ने जीडीपी की गणना का तरीका बदल दिया है, एवं इस वजह से जो जीडीपी दिखायी जा रही है वह वास्तविक नहीं है। बल्कि वास्तविक जीडीपी दिखाई जा रही जीडीपी से 2% कम है। लेकिन सिन्हा ने यह नहीं बताया कि मोदी साहेब ने जीडीपी को बढ़ाकर दिखाने के लिए गणना में क्या बदलाव किये है !!
दरअसल यह खबर साल भर पुरानी है। और हमने नागरिको को यह सूचना 7 महीने पहले ही दे दी थी कि मोदी साहेब ने जीडीपी "बढाकर दिखाने के लिए" जीडीपी की गणना का फार्मूला बदल दिया है। पहले उत्पादन की गणना लागत मूल्य पर की जाती थी, और अब इसे बदलकर MRP पर कर दिया गया है। लागत एवं MRP में अमूमन 20 से 30% का फर्क होता है। अत: उतने ही उत्पादन को जब लागत की जगह MRP पर केल्कुलेट किया जाएगा तो उत्पादन 20 से 30% स्वत: ही बढ़ जाएगा, और जीडीपी भी बिना उत्पादन बढे इस अनुपात में बढ़ जायेगी। बिना कुछ किये !! पब्लिक को मामू बनाने के लिए आंकड़ो का खेल !!!
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लेकिन सिन्हा इस जानकारी को साल भर तक दबाकर बैठे रहे। उन्होंने चूं तक नहीं की। जीडीपी पर दर्जन भर प्राइम टाइम कर चुके पेड रविश कुमार ने भी यह जानकारी दर्शको से छुपाई कि जो जीडीपी जीडीपी हम कर रहे है , वह जीडीपी ही फर्जी है !! शेष सभी पेड पत्रकार एवं पेड अर्थशास्त्री भी इस मुद्दे पर चुप्पी मारे बैठे रहे। कोंग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओ ने भी यह जानकारी नागरिको से छुपायी। उन्होंने कभी यह मुद्दा उठाया ही नहीं कि दिखाई जा रही जीडीपी फर्जी है !!
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इस विषय पर मार्च में लिखा गया पोस्ट : कागजी विकास दर ---https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/1217587181692849
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सबक यह है कि - यदि आप खबरों के लिए पेड मीडिया एवं राजनैतिक पार्टियों पर निर्भर है तो आप तक ख़बरें नहीं पहुंचेगी। और यदि वे पहुंचेगी तो सिर्फ तब जब उन्हें दबाकर रखना आसान नहीं रह जाएगा।
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२) सिन्हा नोटबंदी पर भी नागरिको को भ्रमित कर रहे है। वे यह साबित करने पर तुले हुए है कि नोटबंदी एक गलत फैसला था !! जबकि सच्चाई यह है कि नोटबंदी किसी भी लिहाज से गलत फैसला नहीं था। बल्कि यह एक घोटाला था। महा घोटाला। इस घोटाले की रूपरेखा संघ ( संघ = बीजेपी , गंगाधर = शक्तिमान ) के शीर्ष नेताओं ने बेहद इत्मीनान से रची थी !! और इस घोटाले से संघ के शीर्ष नेतृत्व ने लगभग 1 लाख करोड़ रुपया बनाया।
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अब संघ के नेता और मीडिया पूरे देश के नागरिको को यह विश्वास दिलाना चाहते है कि, नोटबंदी एक भूल थी !!! भारतीय राजनीति में यह बिलकुल नयी चीज है। पहले घोटाला करो और फिर उसे भूल कह के प्रचारित कर दो !!!
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सिन्हा पिछले 10 महीने से मामले पर खामोश बने रहे। जबकि राईट टू रिकॉल ग्रुप ने दिसम्बर में ही पूरे पृष्ठ का विज्ञापन देकर नागरिको को यह सूचना दे दी थी कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार कम होने का कोई लेना देना नहीं है, तथा इससे सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा और अर्थव्यवस्था की कमर टूट जायेगी।
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दिए गए विज्ञापन का विवरण यहाँ देखें -- https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1132775560174012&set=a.778193075632264.1073741827.100003247365514&type=3&theater
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( ये वही यशवंत सिन्हा है जिन्होंने मोरिशस रूट पर राजीव भाई द्वारा हाईकोर्ट में जीते गए मुकदमे के फैसले पर पानी फेरने और मोरिशस रूट को जारी रखने के लिए सर्कुलर निकाला था। इस सर्कुलर के आने से हाई कोर्ट का आदेश अप्रभावी हो गया और मोरिशस रूट जारी रहा। और इन्होने ही राजीव भाई की स्वदेशी मूवमेंट को तोड़ने के लिए स्वदेशी जागरण मंच में सक्रीय भूमिका निभायी थी। )
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"राईट टू रिकॉल पार्टी "
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लेकिन सिन्हा इस जानकारी को साल भर तक दबाकर बैठे रहे। उन्होंने चूं तक नहीं की। जीडीपी पर दर्जन भर प्राइम टाइम कर चुके पेड रविश कुमार ने भी यह जानकारी दर्शको से छुपाई कि जो जीडीपी जीडीपी हम कर रहे है , वह जीडीपी ही फर्जी है !! शेष सभी पेड पत्रकार एवं पेड अर्थशास्त्री भी इस मुद्दे पर चुप्पी मारे बैठे रहे। कोंग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओ ने भी यह जानकारी नागरिको से छुपायी। उन्होंने कभी यह मुद्दा उठाया ही नहीं कि दिखाई जा रही जीडीपी फर्जी है !!
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इस विषय पर मार्च में लिखा गया पोस्ट : कागजी विकास दर ---https://www.facebook.com/pawan.jury/posts/1217587181692849
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सबक यह है कि - यदि आप खबरों के लिए पेड मीडिया एवं राजनैतिक पार्टियों पर निर्भर है तो आप तक ख़बरें नहीं पहुंचेगी। और यदि वे पहुंचेगी तो सिर्फ तब जब उन्हें दबाकर रखना आसान नहीं रह जाएगा।
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२) सिन्हा नोटबंदी पर भी नागरिको को भ्रमित कर रहे है। वे यह साबित करने पर तुले हुए है कि नोटबंदी एक गलत फैसला था !! जबकि सच्चाई यह है कि नोटबंदी किसी भी लिहाज से गलत फैसला नहीं था। बल्कि यह एक घोटाला था। महा घोटाला। इस घोटाले की रूपरेखा संघ ( संघ = बीजेपी , गंगाधर = शक्तिमान ) के शीर्ष नेताओं ने बेहद इत्मीनान से रची थी !! और इस घोटाले से संघ के शीर्ष नेतृत्व ने लगभग 1 लाख करोड़ रुपया बनाया।
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अब संघ के नेता और मीडिया पूरे देश के नागरिको को यह विश्वास दिलाना चाहते है कि, नोटबंदी एक भूल थी !!! भारतीय राजनीति में यह बिलकुल नयी चीज है। पहले घोटाला करो और फिर उसे भूल कह के प्रचारित कर दो !!!
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सिन्हा पिछले 10 महीने से मामले पर खामोश बने रहे। जबकि राईट टू रिकॉल ग्रुप ने दिसम्बर में ही पूरे पृष्ठ का विज्ञापन देकर नागरिको को यह सूचना दे दी थी कि नोटबंदी से भ्रष्टाचार कम होने का कोई लेना देना नहीं है, तथा इससे सिर्फ भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा और अर्थव्यवस्था की कमर टूट जायेगी।
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दिए गए विज्ञापन का विवरण यहाँ देखें -- https://www.facebook.com/photo.php?fbid=1132775560174012&set=a.778193075632264.1073741827.100003247365514&type=3&theater
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( ये वही यशवंत सिन्हा है जिन्होंने मोरिशस रूट पर राजीव भाई द्वारा हाईकोर्ट में जीते गए मुकदमे के फैसले पर पानी फेरने और मोरिशस रूट को जारी रखने के लिए सर्कुलर निकाला था। इस सर्कुलर के आने से हाई कोर्ट का आदेश अप्रभावी हो गया और मोरिशस रूट जारी रहा। और इन्होने ही राजीव भाई की स्वदेशी मूवमेंट को तोड़ने के लिए स्वदेशी जागरण मंच में सक्रीय भूमिका निभायी थी। )
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"राईट टू रिकॉल पार्टी "
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.