सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कि , "लड़की का बयान हर हाल में सच माना जाएगा :
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कि , "लड़की का बयान हर हाल में सच माना जाएगा और लड़की को अपना बयान बदलने की इजाजत नहीं होगी" - मुख्य वजह बनी जिसकी वजह से मोदी साहेब के नियन्त्रण में काम करने वाले सीबीआई के आई पी एस अधिकारी श्री गुरु राम रहीम को जेल में पहुंचा सके।
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इसके अलावा, जब 20 साध्वियों से पूछताछ की गयी थी तो सभी ने किसी भी अपराध के होने से इनकार कर दिया। 1-2 कथित साध्वियो ने अपने बयान दर्ज करवाए हो कि अनेकार्थी एवं असमंजस उत्पन्न करने वाले थे। इन्ही बयानों को "सबूत" के तौर पर मान लिया गया।
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सीबीआई के अधिकारियों ने ये बयान मजिस्ट्रेट के सामने कथित crpc की धारा 164 के तहत दर्ज किये थे !! अब यदि बयान देने वाली लड़की अपने बयान को बदलती तो उसे झूठा बयान दर्ज करवाने के मुकदमे का सामना करना पड़ता। इस तरह उन्हें कोर्ट में श्री गुरु राम रहीम के खिलाफ फिर वही बयान देने के लिए बाध्य किया गया !!
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और फिर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का इस्तेमाल किया गया कि -- लड़की के बयान को अंतिम सत्य एवं अकाट्य सबूत माना जाएगा।
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कोई गवाह नहीं , कोई भौतिक सबूत नहीं !!! सिर्फ उलझाने वाले सवालों एवं असमंजस भरे जवाबो के बयानों को सबूत मान लिया गया। कथित पीड़ित के पास अपना बयान बदलने का कोई विकल्प नहीं था। इन्ही बयानों को सबूत मान लिया गया !!!
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और फिर हमारे पास ऐसे "शिक्षित" लोगो का जमघट है जो सुबह शाम अनाज खाने के बावजूद इस प्रक्रिया को "क़ानून का शासन" कह के संबोधित कर रहे है !!! मेरे समझ में ये बात नहीं आती कि ये पढ़े लिखे होशियार चंद खुद को झेलते कैसे है !! और बहुत बड़ी तादाद में है ये !!
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समाधान ?
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हमें सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली कोर्ट तक के सभी जजों को नौकरी से निकाल देना चाहिए, और मुकदमो की सुनवाई के लिए नागरिको के ज्यूरी मंडल का का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा हमे सभी जजों पर राईट टू रिकॉल जज का क़ानून चाहिए। ताकि ईमानदारी के इन अवतारों को नौकरी से बाहर किया जा सके। नागरिको की ज्यूरी के सामने मुकदमे रखे जाए। यदि ज्यूरी उचित समझे तो आरोपियों का सार्वजनिक नार्को टेस्ट ले और सबूतों के आधार पर सजा या रिहाई का फैसला करे।
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संघ के नेता और हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर ने अस्पताल का दौरा करके पुलिस कार्यवाही से घायल होने वाले भक्तो का हाल चाल पुछा है। मतलब, संघ के नेता अब घडियाली आंसू बहाकर अपना शोक प्रकट कर रहे है !!
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साफ़ नजर आ रहा है कि, संघ के कार्यकर्ता देश में किसी भी हिन्दू संत को पनपते हुए नहीं देखना चाहते है। उनका मानना है कि श्री गुरु राम रहीम, श्री श्री रविशंकर महाराज, श्री रामपाल जी , संत श्री आसाराम जी बापू आदि जैसे संतो को यदि जड़ से उखाड़ दिया जाये तो उनके भक्तो के पास संघ के प्रायोजित संतो की शरण में जाने के सिवाय कोई चारा नहीं रहेगा।
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असल में ऐसा नहीं होगा !! क्योंकि, इनमे से ज्यादातर भक्त मिशनरीज के जाल में फंस जायेंगे। और सिर्फ ये भक्त ही क्यों -- कोंग्रेस / आम आदमी पार्टी के तरह ही संघ के ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता अब खुले आम मिशनरीज का समर्थन करने लगे है और उनकी कठपुतली की तरह काम कर रहे है।
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हिंदुवादियो को इस बात को समझना चाहिए कि संघ के सभी नेता और कार्यकर्ता छद्म हिंदूवादी है। संघ के कार्यकताओ ने उन सभी कानूनों का विरोध किया है जिससे हिन्दू धर्म के प्रशासन को मजबूत बनाया जा सके तथा हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जा सके। और संघ के कार्यकर्ता परेश रावल की ओह माय गॉड जैसी फिल्मो को भी प्रमोट करते है। अहमदाबाद में परेश रावल का एक नाटक "कान्हा vs कान्हा" खेला गया और यह नाटक विशेष रूप से सिर्फ संघ के कार्यकर्ताओं के लिए आयोजित किया गया था। इस नाटक की स्क्रिप्ट एवं ओह माय गॉड फिल्म की स्क्रिप्ट एक ही है। और जब संत श्री आसाराम बापू को गिरफ्तार किया गया तो संघ के किसी भी कार्यकर्ता ने अखबार में इस आशय का विज्ञापन नहीं दिया जिनेम उन तथ्यों को बताया गया हो जो आसाराम बापू के पक्ष में जाते है ( जैसे अपने पहले स्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार पीड़ित लड़की नाबालिग नहीं थी, आदि )
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समाधान के लिए मैं दो कानूनों का प्रस्ताव करता हूँ :
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(1) "राष्ट्रीय हिन्दू देवालय प्रबंधन ट्रस्ट" ( NHDMT ) -- यह क़ानून हिन्दू धर्म एवं उनसे जुड़े हुए मंदिरों के प्रबंधन को SGPC की तर्ज पर सुगठित कर देगा। इस क़ानून के प्रवृत होने से मंदिर हिन्दू श्रधालुओ की सम्पत्ति हो जायेगी और वे ट्रस्टियो को चुन व् नौकरी से निकाल सकेंगे। यह क़ानून राष्ट्रीय स्तर के सभी मंदिरो जैसे अयोध्या , मथुरा, काशी में निर्मित होने वाले क्रमश राम-कृष्ण-विश्वनाथ मंदिर एवं अमरनाथ आदि मंदिरों का प्रबन्धन करेगा। इस क़ानून का प्रस्तावित ड्राफ्ट इस लिंक पर देखा जा सकता है -- https://web.facebook.com/ProposedLawsHindi/posts/570764579768407
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(2) "सम्प्रदाय देवालय प्रबन्धन ट्रस्ट" ( SDMT ) -- यह क़ानून अन्य सभी मंदिरों / मठो / आश्रमों / सम्प्रदायों आदि पर लागू होगा। यदि इन संस्थाओ के शीर्ष संचालक /
वर्तमान ट्रस्टी चाहे तो वे इस क़ानून के अंतर्गत आ सकेंगे। इससे इन धार्मिक संस्थाओ का प्रबंधन SGPC की तर्ज पर किया जा सकेगा। इस क़ानून का प्रस्तावित ड्राफ्ट यहाँ देखें --https://web.facebook.com/pawan.jury/posts/834846793300225
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तो मेरा सभी कार्यकर्ताओ से आग्रह है कि यदि आप मिशनरीज का दबदबा भारत में कम करना चाहते है और हिन्दू धर्म के प्रशासन को सुधार कर इसे मजबूत बनाना चाहते है ताकि हिन्दू धर्म मिशनरीज के सामने टिक सके तो ज्यूरी सिस्टम, राइट तू रिकॉल, NHDMT एवं SDMT आदि कानूनों को लागू करवाने का प्रयास करे। संघ / कोंग्रेस / आम आदमी पार्टी आदि के नेताओं एवं कार्यकर्ताओ के भरोसे में आकर कृपया समय एवं श्रम नष्ट न करे। ये सभी संगठन मिशनरीज की कठपुतलियां बन चुके है और भारत में उनकी घुसपैठ को बढ़ावा दे रहे है।
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#JurySystemIndia
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"वेल्थ टेक्स ग्रुप"
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इसके अलावा, जब 20 साध्वियों से पूछताछ की गयी थी तो सभी ने किसी भी अपराध के होने से इनकार कर दिया। 1-2 कथित साध्वियो ने अपने बयान दर्ज करवाए हो कि अनेकार्थी एवं असमंजस उत्पन्न करने वाले थे। इन्ही बयानों को "सबूत" के तौर पर मान लिया गया।
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सीबीआई के अधिकारियों ने ये बयान मजिस्ट्रेट के सामने कथित crpc की धारा 164 के तहत दर्ज किये थे !! अब यदि बयान देने वाली लड़की अपने बयान को बदलती तो उसे झूठा बयान दर्ज करवाने के मुकदमे का सामना करना पड़ता। इस तरह उन्हें कोर्ट में श्री गुरु राम रहीम के खिलाफ फिर वही बयान देने के लिए बाध्य किया गया !!
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और फिर सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का इस्तेमाल किया गया कि -- लड़की के बयान को अंतिम सत्य एवं अकाट्य सबूत माना जाएगा।
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कोई गवाह नहीं , कोई भौतिक सबूत नहीं !!! सिर्फ उलझाने वाले सवालों एवं असमंजस भरे जवाबो के बयानों को सबूत मान लिया गया। कथित पीड़ित के पास अपना बयान बदलने का कोई विकल्प नहीं था। इन्ही बयानों को सबूत मान लिया गया !!!
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और फिर हमारे पास ऐसे "शिक्षित" लोगो का जमघट है जो सुबह शाम अनाज खाने के बावजूद इस प्रक्रिया को "क़ानून का शासन" कह के संबोधित कर रहे है !!! मेरे समझ में ये बात नहीं आती कि ये पढ़े लिखे होशियार चंद खुद को झेलते कैसे है !! और बहुत बड़ी तादाद में है ये !!
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समाधान ?
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हमें सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली कोर्ट तक के सभी जजों को नौकरी से निकाल देना चाहिए, और मुकदमो की सुनवाई के लिए नागरिको के ज्यूरी मंडल का का उपयोग करना चाहिए। इसके अलावा हमे सभी जजों पर राईट टू रिकॉल जज का क़ानून चाहिए। ताकि ईमानदारी के इन अवतारों को नौकरी से बाहर किया जा सके। नागरिको की ज्यूरी के सामने मुकदमे रखे जाए। यदि ज्यूरी उचित समझे तो आरोपियों का सार्वजनिक नार्को टेस्ट ले और सबूतों के आधार पर सजा या रिहाई का फैसला करे।
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संघ के नेता और हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर ने अस्पताल का दौरा करके पुलिस कार्यवाही से घायल होने वाले भक्तो का हाल चाल पुछा है। मतलब, संघ के नेता अब घडियाली आंसू बहाकर अपना शोक प्रकट कर रहे है !!
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साफ़ नजर आ रहा है कि, संघ के कार्यकर्ता देश में किसी भी हिन्दू संत को पनपते हुए नहीं देखना चाहते है। उनका मानना है कि श्री गुरु राम रहीम, श्री श्री रविशंकर महाराज, श्री रामपाल जी , संत श्री आसाराम जी बापू आदि जैसे संतो को यदि जड़ से उखाड़ दिया जाये तो उनके भक्तो के पास संघ के प्रायोजित संतो की शरण में जाने के सिवाय कोई चारा नहीं रहेगा।
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असल में ऐसा नहीं होगा !! क्योंकि, इनमे से ज्यादातर भक्त मिशनरीज के जाल में फंस जायेंगे। और सिर्फ ये भक्त ही क्यों -- कोंग्रेस / आम आदमी पार्टी के तरह ही संघ के ज्यादातर नेता और कार्यकर्ता अब खुले आम मिशनरीज का समर्थन करने लगे है और उनकी कठपुतली की तरह काम कर रहे है।
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हिंदुवादियो को इस बात को समझना चाहिए कि संघ के सभी नेता और कार्यकर्ता छद्म हिंदूवादी है। संघ के कार्यकताओ ने उन सभी कानूनों का विरोध किया है जिससे हिन्दू धर्म के प्रशासन को मजबूत बनाया जा सके तथा हिन्दू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जा सके। और संघ के कार्यकर्ता परेश रावल की ओह माय गॉड जैसी फिल्मो को भी प्रमोट करते है। अहमदाबाद में परेश रावल का एक नाटक "कान्हा vs कान्हा" खेला गया और यह नाटक विशेष रूप से सिर्फ संघ के कार्यकर्ताओं के लिए आयोजित किया गया था। इस नाटक की स्क्रिप्ट एवं ओह माय गॉड फिल्म की स्क्रिप्ट एक ही है। और जब संत श्री आसाराम बापू को गिरफ्तार किया गया तो संघ के किसी भी कार्यकर्ता ने अखबार में इस आशय का विज्ञापन नहीं दिया जिनेम उन तथ्यों को बताया गया हो जो आसाराम बापू के पक्ष में जाते है ( जैसे अपने पहले स्कूल सर्टिफिकेट के अनुसार पीड़ित लड़की नाबालिग नहीं थी, आदि )
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समाधान के लिए मैं दो कानूनों का प्रस्ताव करता हूँ :
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(1) "राष्ट्रीय हिन्दू देवालय प्रबंधन ट्रस्ट" ( NHDMT ) -- यह क़ानून हिन्दू धर्म एवं उनसे जुड़े हुए मंदिरों के प्रबंधन को SGPC की तर्ज पर सुगठित कर देगा। इस क़ानून के प्रवृत होने से मंदिर हिन्दू श्रधालुओ की सम्पत्ति हो जायेगी और वे ट्रस्टियो को चुन व् नौकरी से निकाल सकेंगे। यह क़ानून राष्ट्रीय स्तर के सभी मंदिरो जैसे अयोध्या , मथुरा, काशी में निर्मित होने वाले क्रमश राम-कृष्ण-विश्वनाथ मंदिर एवं अमरनाथ आदि मंदिरों का प्रबन्धन करेगा। इस क़ानून का प्रस्तावित ड्राफ्ट इस लिंक पर देखा जा सकता है -- https://web.facebook.com/ProposedLawsHindi/posts/570764579768407
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(2) "सम्प्रदाय देवालय प्रबन्धन ट्रस्ट" ( SDMT ) -- यह क़ानून अन्य सभी मंदिरों / मठो / आश्रमों / सम्प्रदायों आदि पर लागू होगा। यदि इन संस्थाओ के शीर्ष संचालक /
वर्तमान ट्रस्टी चाहे तो वे इस क़ानून के अंतर्गत आ सकेंगे। इससे इन धार्मिक संस्थाओ का प्रबंधन SGPC की तर्ज पर किया जा सकेगा। इस क़ानून का प्रस्तावित ड्राफ्ट यहाँ देखें --https://web.facebook.com/pawan.jury/posts/834846793300225
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तो मेरा सभी कार्यकर्ताओ से आग्रह है कि यदि आप मिशनरीज का दबदबा भारत में कम करना चाहते है और हिन्दू धर्म के प्रशासन को सुधार कर इसे मजबूत बनाना चाहते है ताकि हिन्दू धर्म मिशनरीज के सामने टिक सके तो ज्यूरी सिस्टम, राइट तू रिकॉल, NHDMT एवं SDMT आदि कानूनों को लागू करवाने का प्रयास करे। संघ / कोंग्रेस / आम आदमी पार्टी आदि के नेताओं एवं कार्यकर्ताओ के भरोसे में आकर कृपया समय एवं श्रम नष्ट न करे। ये सभी संगठन मिशनरीज की कठपुतलियां बन चुके है और भारत में उनकी घुसपैठ को बढ़ावा दे रहे है।
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#JurySystemIndia
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"वेल्थ टेक्स ग्रुप"
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.