धन्वंतरि भगवान स्वास्थ्य को असली धन बताते हैं.
By डॉ. शिव दर्शन मलिक is at Vedic Bhawan.
हिन्दू धर्म में भगवान् और इस धर्म का एक एक नाम मानव सभ्यता को कुछ ऐसा सिखाता है, जो इस संसार में धर्म-पूर्वक आचरण के लिए अत्यंत आवश्यक तत्त्व है.
इसी तरह भगवान धन्वन्तरि ये बताते हैं की असली धन स्वास्थ्य होता है न की कंकड़ पत्थर लोहा लक्खाड़ वाले धन असली धन.
वस्तुतः, मानव-जीवन मिल जाना अपने आप में एक धन है.
पश्चिमी विचारों पे चलने वाले लोगों ने धर्म और स्वास्थ्य से बढ़कर ईंटे-झिटकों को धन का नाम दे दिया, जिसे हम आसुरी और दानवीय वृत्ति एवं प्रवृत्ति का जन्मदाता मानते हैं, जो धर्म से च्युत कर घमंड की पराकाष्ठा पर पहुंचा कर पतन करवाने का मुख्य कारण है.
धन तेरस है ..तेरस तो आज है ही पर ये धन क्या है??? बताओ???
जब तक हम जिंदा हैं धन हैं फिर सबका निधन होता है अर्थात धन कुछ और नहीं धन हम सब ही हैं।
धन के साथ जुड़ा है धान्य, ये धान्य क्या है??? धान्य है धान, अन्न मतलब खाणपीण की सारी चीजें धान्य हैं।
तो साथियों सब तैं बड्डा धन के??? हम सब प्राणी। यह बात हमें आज के दिन जन्म लेणे वाळे ऋषि धनवंतरी नै बताई, समझाई थी।
हमें अपणे धन की रक्षा करणी चाहिए और आपणा धन सै आपणा स्वास्थ्य। स्वस्थ रहने के लिए के करणा चाहिए???
घणा कुछ ना करणा बस दो तीन काम भतेरे। पहला यो अक् सुरज ल्यकड़ण तैं पहल्यां उठो अर जंगळ जाओ। दूसरा कोए बी बांसली चीज ना खाओ पीओ जिस म्हं तैं सिड़ांध आंदी हो। खुशबू दार अन्न, फळ, कंद मूळ अर शाग सब्जी खाओ, घी दूध पीओ।
तीसरा शरीर नै हिलाओ, ढुलाओ।
तीसरा शरीर नै हिलाओ, ढुलाओ।
बस ..... काचे काटो।
यो सोना, चांदी, हीरे जवाहरात तै मोह माया सै ....
अर सब नै बेरा सै अक् पीस्यां नै तै गधे बी ना खांदे।
स्वस्थ रहो, मस्त रहो, धन धान्य से भरपूर रहो। धरती घूम फिर कै उल्टी उड़ै ए आण लाग री सै, इस बात का सबूत 2017 का दवाईयां का नोबेल पुरस्कार सै जो तीन अमेरिकना ताहीं जैविक घड़ी की खोज पै दिया गया।
ना बेरा हो तै यो लिंक खोल कै पढ़ लियो
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.