धार्मिक स्थलों का आधुनिकीकरण मूल आस्तित्व के पहचान मिटाने की साजिश

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आज पीएम मोदी जब केदारनाथ मंदिर से गुजरात चुनाव प्रचार कर रहे थें तो उन्होनें केदारनाथ का आधुनिकीकरण की बात कही।दरअसल प्राचीन स्थलों के आधुनिकीकरण मुझे विकास कम षडयंत्र ज्यादा लगता है और वह षडयंत्र है आधुनिकीकरण के नाम पर धार्मिक स्थलों के पहचान खत्म करने का साजिश है उसके गौरव छिनने की।
.......किसी को मेरी यह बात भले ही बुरी लग सकती है लेकिन मैं सभी बिंदूओं पर अच्छी तरह से सोंच-समझकर ही कोई लेख लिखता हुं।
......विकास के पापा जी, यदि आपको आधुनिकीकरण करना ही है तो धार्मिक स्थलों से छेड़छाड़ करने के बजाए आप वहां तक पहुंचने के सुगम मार्ग बनाइये।मंदिर के रास्ते में अनेकों धर्मशाला बना दिजीए।तिर्थयात्रीओं को पीने का पानी पहुंचाइये धार्मिक स्थलों को स्वच्छ बनाए रखने का सरकारी प्रयास किजीए और वहां की स्थानीय जनता को सारी मुलभूत सुविधा पहुंचाइये और रोजगार के साधन पहुंचाइये।न की आप पर्यटन के नाम पर पश्चीमी देशों के नकल में आकर धार्मिक नगरों को गोवा और मुंबई बना दिजीए कि वह अपना मुल आस्तित्व ही खो बैठें।
......जहांतक विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने की बात है तो वह भारतीय संस्कृति के दर्शन करने आते है। वें भारत में न तो हिल पहाड़ी घुमने आते हैं न ही समुंद्री बिच और न ही विभिन्न होटल में टाइम पास करने आते हैं।
........विकास के पापा (मोदी) जी विदेशी देश में हिल स्टेशन देखने नही आते यदि हिल स्टेशन ही देखना है तो वें स्विटजरलैंड ,आइसलैंड , अलास्का ,न्यू साउथ वेल्स और स्काॅटलैंड जैसे जगहों पर जाना पसंद करेगें ।.......उनको आधुनिक शहर घुमना रहना तो वें नयी दिल्ली के बजाए न्युयार्क ,मास्को ,लंदन और बर्लिन जैसे शहर अच्छा लगता।
......समुंद्री बीच घुमना होता तो वे मेलबर्न ,सिडनी,फ्लोरीडा और कैलोफोर्नीया जाना ज्यादा पसंद करेंगे।कहने का मतलब की विदेशी पर्यटक भारत में भारतीय संस्कृति का दर्शन करने आते हैं अतः बेहतर होगा धार्मीक स्थलों के पौराणिक पहचान से कोई छेड़छाड़ न हो।
........मेरी राय से धार्मिक स्थलों पर होटलों और भवनों की जगह गुरूकुल बनाया जाए, घांस-फुस के आश्रम और कुटियां बनाया जाए।पार्क के बजाए बाग-बगीचे बनाया जाए।धार्मिक स्थलों पर फास्ट-फूड के बेचने के बजाए वहां का स्थानीय फल और स्थानीय खाना बेचा जाए, प्राचीन धर्मग्रंथो के पांडूलिपीओं और पुस्तकों को संग्रह कर पुस्तकालय बनाया जाए।.
......ताकी गुरूकुल में विद्यार्थीओं को सुभाषित पढता देख, आश्रम और कुटियों में साधु और संतों को देखकर, पुस्तकालय मे प्राचीन पुस्तकों और पांडूलिपीओं को देखकर विदेशी पर्यटक भी हमारी प्राचीन संस्कृति को दर्शन कर लें साथ में देशी पर्यटक भी इसका साक्षात्कार कर लें।
........इसलिए मैं मोदी सरकार द्वारा धार्मिक स्थलों का आधुनिकीकरण का प्रयास मूल आस्तित्व के पहचान मिटाने की साजिश के रूप में देख रहा हुं।

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