डेरा प्रकरण : सभी गवाहों और "तथ्यों" को 1500 नागरिको की ज्यूरी के समक्ष पेश

सन्दर्भ : गुरु श्री राम रहीम गुरमीत जी का मुकदमा ; मेरा प्रस्ताव है कि सभी गवाहों और "तथ्यों" को 1500 नागरिको की ज्यूरी के समक्ष पेश किया जाये। इस ज्यूरी मंडल का रेंडम चयन हरियाणा की वोटर लिस्ट में से किया जाएगा एवं इनका आयुवर्ग 30-45 वर्ष के बीच होगा। यह ज्यूरी सबूतों एवं तथ्यों का अन्वेषण करके यह तय करे कि गुरमीत जी को रिहा किया जाना चाहिए या उन्हें कारावास में भेज दिया जाना चाहिए। 

मुझे जजों पर एक पैसे का भी विश्वास नहीं है। नीचे से ऊपर तक जितने जज बैठे है उनमे से 99% भ्रष्ट है। और 1% का ईमानदार होना भी सिर्फ इत्तिफाक है। दरअसल भारत के नेताओं से लेकर अन्य विभागों तक सबसे भ्रष्ट महकमा अदालते है। जज सिर्फ इसीलिए ईमानदार नजर आते है क्योंकि उन्हें भ्रष्ट कहने पर वे आपको अवमानना के केस में जेल की हवा खिला सकते है। इसीलिए हमारे सभी बुद्धिजीवी और ऊँची पांत के लोग जजों की स्तुति करते है। 

संत श्री आसाराम जी बापू, संत श्री रामपाल जी , श्री श्री रविशंकर महाराज ( पर्यावरण का मामला ) , स्वामी नित्यानंद जी ( शुक्र है कि उनका मुकदमा निपट चुका है। ) आदि के मामलों में भी मेरा यही प्रस्ताव है कि इनके मुकदमो का निपटान ज्यूरी द्वारा किया जाए। जब जयललिता ने कांची के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था तब भी मैंने यही प्रस्ताव किया था। 
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कुल मिलाकर मुझे जजों पर कभी भी भरोसा नहीं रहा। और भरोसा करने का कोई कारण भी मौजूद नहीं है।
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यह देखना बेहद दुखद है कि, इन सभी संतो के अनुयायी करोडो रूपये लेकर वकीलों के चक्कर लगा रहे है, ताकि वकील उन्हें जजों से न्याय दिला सके। एक मात्र अपवाद संत श्री रामपाल जी रहे जिन्होंने सार्वजनिक रूप से कहा कि देश के 80% से ज्यादा जज भ्रष्ट है !!
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इन अनुयायियों को इस बात का भान नहीं है कि हमारे जज / प्रशासनिक अधिकारी / पुलिस अधिकारी / मंत्री एवं कल्कि पुरुष तृतीय मोदी साहेब समेत संघ के सभी मंत्री अमेरिकी धनिकों की फौलादी पकड़ में है। ये सभी नेता अधिकारी एवं सभी मीडिया कर्मी ( बिकाऊ अर्नव व बिकाऊ सरदेसाई समेत ) अमेरिकी धनिकों की कठपुतलियां मात्र है। 
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गुरमीत जी , श्री आसाराम जी बापू, श्री रामपाल जी , श्री श्री रविशंकर महाराज आदि संतो ने अपने असाधारण कार्यो से इस बात को सुनिश्चित किया कि गरीब /दलित / ओबीसी आदि मिशनरीज के आश्रय में चले जाने की जगह हिन्दू धर्म में बने रहे। मैं फिर से दोहराता हूँ -- यदि आज गरीब /दलित / ओबीसी आदि हिन्दू धर्म में बने हुए है तो मंदिर प्रमुखों, प्राचीन राजाओ, संघ के नेताओं, बीजेपी नेताओं का इसमें योगदान शून्य है। इसका असली श्रेय सिर्फ इन तथा इन जैसे अन्य संप्रदाय प्रमुखों की नयी खेप को जाता है। और विडम्बना यह है कि आज उदारवादी / पढ़े लिखे / आधुनिक हिन्दू इन संतो को जेल में भेज दिए जाने का जश्न मना रहे है !!! हिन्दुओ को अपने नीचे "एक" करने की चाहत रखने वाले संघ के ज्यादातर कार्यकर्ता भी इससे खुश है। उनका नजरिया है कि, चलो अच्छा हुआ। यदि ये सभी संत हवालात में भेज दिए जाते है तो हम उनके अनुयायियों को आसानी से संघ में जोड़ लेंगे !! इन बेवकूफों को यह अहसास ही नहीं है कि, मिशनरीज की ताकत के सामने इनकी कोई औकात नहीं है। यदि संत गुरमीत जी , संत श्री आसाराम जी एवं संत रामपाल जैसे लोग कमजोर हो गए तो दलितों / ओ बी सी / गरीबो की एक बड़ी संख्या मिशनरीज की गोद में जा गिरेगी। ऐसे सभी व्यक्ति को इन संतो को 10-20 साल के लिए जेल में भेजने का जश्न मना रहे है दरअसल वे जाने / अनजाने मिशनरीज की मदद कर रहे है। 
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समाधान ?
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(a) सभी प्रकार के मुकदमो की सुनवाई नागरिको की ज्यूरी द्वारा हो।
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(b) राईट टू रिकॉल सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट, लोअर कोर्ट जज, पुलिस प्रमुख आदि क़ानूनो को गेजेट में प्रकाशित किया जाए। 
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(c) SGPC की तरह हिन्दू धर्म एवं सम्प्रदायों के प्रबन्धन को मजबूत बनाने के लिए राष्ट्रीय देवालय ट्रस्ट अधिनियम पारित हो। ताकि श्रद्धालु मंदिर / मठ/ आश्रम प्रमुखों को चुन सके और अनियमितता पाने पर पद से हटा सके। ( सबसे महत्त्वपूर्ण )
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(d) मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाये और मौजूदा ट्रस्टियों की रजामंदी से श्रधालुओ को ऐसी प्रक्रिया दी जाए जिस से वे अपने प्रमुख / ट्रस्टियो को बदल सके। 
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कृपया संघ के नेताओं, जजों आदि के भरोसे पर रह कर इन्हें अपना वोट / श्रम / समर्थन देना बंद करे। ये सभी लोग ऊपर दिए गए कानूनों के खिलाफ है और मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण को बनाये रखने का समर्थन करते है। 

आपसे आग्रह है कि ऊपर दिए गए कानूनों को लागो करवाने के लिए प्रयास करे। 

#JurySystem , 

"वेल्थ टेक्स ग्रुप" 

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