आत्मरक्षा के लिए हथियार-बंद देश की मांग हो, जैसा इसराइल है| भारत को इसराइल जैसा सशक्त होना है ||
बिहार में सहारा समय के एक पत्रकार को कुछ लोगों ने गोली मारी, पत्रकार की हालत नाजुक बताई जा रही है। बाकी पत्रकारों की हत्या का क्या है? वो तो सीवान में कभी भी मार दिये जाते हैं, उत्तरप्रदेश में जला दिये जाते हैं बंगाल में चूं चपड़ करने की आजादी नहीं है.
लेकिन माननीय मानवतावादी वामपंथियों और सेक्यूलरों के कानों मे जूं तक नहीं रेगती ।
🚩 निहत्थे लोगों को मार डालने का सिलसिला चल निकला है. ना आप मनमाफिक लिख सकते हैं.. ना बोल सकते हैं..
लेकिन माननीय मानवतावादी वामपंथियों और सेक्यूलरों के कानों मे जूं तक नहीं रेगती ।

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नहीं मालूम कि पुलिस हत्यारों को कब तक खोज निकालेगी.. जो मालूम है वो ये है कि कलबुर्गी या पंसारे समेत ना जाने कितने पिछले दिनों मारे गए असहमति के स्वरों पर सरकारों के मुंह से एक बार नहीं निकला कि ऐसे नहीं चलने देंगे.
.
🚩 कोई पत्रकार अपराधी नहीं होता, अगर इसी तरह से जरी रहा तो याद रखिए आपकी हमारी सबकी जान पर मौत का पहरा है, क्यूंकि यहाँ हर कोई निहत्था किया जा चूका है.
पत्रकार तो सोशल एक्टिविस्ट भी नहीं होता. वो तो सरकारों के खिलाफ लिखता ही है.
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🚩 पत्रकारों की अपनी नौकरी से सम्बंधित कुछ वैचारिक प्रतिबद्धताएं होतीं हीं हैंं, चाहे ये प्रतिबद्धताएं ईमानदार हो या न हों, पत्रकारिता एकरेखीय हो या नहीं हो.
किसी मनुष्य को उसकी वैचारिकी के लिए मारा नहीं जा सकता.
अगर ऐसा इस देश में होगा तो फिर सरकारों को इतना भर कानूनी कर देना चाहिए की हर वाचिक-वैचारिक एवं शारीरिक रूप से सक्षम लेकिन निहत्थे लोगों के हाथों में आत्मरक्षा के लिए बंदूक और गोले दे दे.
.
🚩 जान बचाने का हक तो सबको है. सरकारें तो जनता की जान बचाने के नाम पर लोगों की जिंदगी के साथ एक तरह का खेल खेलतीं है.
खैर.....सरकारों के हाथ से अगर बात निकल चुकी है तो फिर पत्रकारों के सामने अपनी स्थिती स्पष्ट करने में शर्म कैसी?
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🚩
🚩 समाधान:
समाधान ये है कि आत्मरक्षा के लिए हथियार रखने का अधिकार जनता के पास होना चाहिए जिससे किसी निहत्थे को मारना या किसी का बलात्कार इत्यादि काण्ड करना नैतिक अपंग लोगों से संभव न हो सके.
प्रश्न ये आता है कि हम कैसे पता करेंगे की हत्या इरादतन की गयी या हत्या के बाद, बाद में जान बूझकर झूठ बोला गया कि "हाँ, मैंने तो ये हत्या आत्म-रक्षा के लिए की है" इत्यादि?
तो इस प्रश्न का उत्तर ये है कि नार्को टेस्ट के माध्यम से एक प्रकार का दवा मानव-शरीर में इंजेक्ट करने से दिमाग एक प्रकार की हलकी अर्ध-निद्रा की अवस्था में चला जाता है, एवं इस मानसिक हालत में मुंह से चाहकर भी झूठ निकालने के लिए मस्तिष्क द्वारा कल्पना किया जाना संभव नहीं हो पाटा, अतः, नार्को टेस्ट में सच बोलने का प्रतिशत सामान्य मानसिक स्थिति की तुलना में कई गुना बढ़ जाता है, और इस तरह से अपराधी या प्रतिवादी-वादी द्वारा उगला गया ज्ञान एक तरह का साक्ष्य का कार्य करता है. और हाँ !! एक बात और है की इस इंजेक्शन का प्रभाव मानव-मष्तिष्क पर पूरे दिन के लिए भी नहीं रहता, ये सब कुछ एक घंटे का काम होता है, लेकिन खरीदे जा चुके मानवता-वादी लोग इस टेस्ट को अमानवीय बताकर अपने राजनैतिक प्रगति को एक प्रकार की नयी ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं.
इस सबके लिए सामान्य जनता को एक-बद्ध होकर अपने अधिकारों का हनन होने देने से रोकना होगा, आप सब उन कानूनों की मांग कीजिये जिससे नार्को टेस्ट, न्यायिक प्रक्रिया में ज्यूरी प्रणाली, इमानदार अधिकारियों को भाल रखने के लिए भ्रष्ट अधिकारियों को हटाने के लिए राईट-टू-रिकॉल जैसे कानूनों का संम्मिलित रूप से मांग करें , अन्य लोगों को भी कहें, प्रेरित करें., और ये अभियान चलाएं,
नहीं मालूम कि पुलिस हत्यारों को कब तक खोज निकालेगी.. जो मालूम है वो ये है कि कलबुर्गी या पंसारे समेत ना जाने कितने पिछले दिनों मारे गए असहमति के स्वरों पर सरकारों के मुंह से एक बार नहीं निकला कि ऐसे नहीं चलने देंगे.
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पत्रकार तो सोशल एक्टिविस्ट भी नहीं होता. वो तो सरकारों के खिलाफ लिखता ही है.
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किसी मनुष्य को उसकी वैचारिकी के लिए मारा नहीं जा सकता.
अगर ऐसा इस देश में होगा तो फिर सरकारों को इतना भर कानूनी कर देना चाहिए की हर वाचिक-वैचारिक एवं शारीरिक रूप से सक्षम लेकिन निहत्थे लोगों के हाथों में आत्मरक्षा के लिए बंदूक और गोले दे दे.
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खैर.....सरकारों के हाथ से अगर बात निकल चुकी है तो फिर पत्रकारों के सामने अपनी स्थिती स्पष्ट करने में शर्म कैसी?
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समाधान ये है कि आत्मरक्षा के लिए हथियार रखने का अधिकार जनता के पास होना चाहिए जिससे किसी निहत्थे को मारना या किसी का बलात्कार इत्यादि काण्ड करना नैतिक अपंग लोगों से संभव न हो सके.
प्रश्न ये आता है कि हम कैसे पता करेंगे की हत्या इरादतन की गयी या हत्या के बाद, बाद में जान बूझकर झूठ बोला गया कि "हाँ, मैंने तो ये हत्या आत्म-रक्षा के लिए की है" इत्यादि?
तो इस प्रश्न का उत्तर ये है कि नार्को टेस्ट के माध्यम से एक प्रकार का दवा मानव-शरीर में इंजेक्ट करने से दिमाग एक प्रकार की हलकी अर्ध-निद्रा की अवस्था में चला जाता है, एवं इस मानसिक हालत में मुंह से चाहकर भी झूठ निकालने के लिए मस्तिष्क द्वारा कल्पना किया जाना संभव नहीं हो पाटा, अतः, नार्को टेस्ट में सच बोलने का प्रतिशत सामान्य मानसिक स्थिति की तुलना में कई गुना बढ़ जाता है, और इस तरह से अपराधी या प्रतिवादी-वादी द्वारा उगला गया ज्ञान एक तरह का साक्ष्य का कार्य करता है. और हाँ !! एक बात और है की इस इंजेक्शन का प्रभाव मानव-मष्तिष्क पर पूरे दिन के लिए भी नहीं रहता, ये सब कुछ एक घंटे का काम होता है, लेकिन खरीदे जा चुके मानवता-वादी लोग इस टेस्ट को अमानवीय बताकर अपने राजनैतिक प्रगति को एक प्रकार की नयी ऊंचाई पर ले जाना चाहते हैं.
इस सबके लिए सामान्य जनता को एक-बद्ध होकर अपने अधिकारों का हनन होने देने से रोकना होगा, आप सब उन कानूनों की मांग कीजिये जिससे नार्को टेस्ट, न्यायिक प्रक्रिया में ज्यूरी प्रणाली, इमानदार अधिकारियों को भाल रखने के लिए भ्रष्ट अधिकारियों को हटाने के लिए राईट-टू-रिकॉल जैसे कानूनों का संम्मिलित रूप से मांग करें , अन्य लोगों को भी कहें, प्रेरित करें., और ये अभियान चलाएं,
अतः, ज्यूरी सिस्टम, सार्वजनिक नार्को टेस्ट और राईट-टू-रिकॉल जज का क़ानून गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से कानूनी धारा में लागू कर दिया जाना चाहिए.
(1) हथियारबंद नागरिक समाज की रचना के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475761792516805(2) ज्यूरी सिस्टम के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
(1) हथियारबंद नागरिक समाज की रचना के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट : fb.com/notes/1475761792516805(2) ज्यूरी सिस्टम के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
fb.com/notes/1475753109184340.
(3) पब्लिक में नार्कोटेस्ट - बलात्कार , हत्या , भ्रष्टाचार , गौ हत्या आदि के लिए नारको टेस्ट का कानूनी ड्राफ्ट :fb.com/notes/1476079982484986.
(4) राइट-टू-रिकॉल जिला प्रधान जज के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :fb.com/notes/1475755772517407.
(5) जनता की आवाज - पारदर्शी शिकायत प्रणाली' -- टीसीपी :fb.com/notes/1475751599184491.
सांसद व विधायक के नंबर एवं संपर्क डिटेल यहाँ से लें http://nocorruption.in/.
🚩 अपने सांसदों/विधायकों को उपरोक्त क़ानून को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून लागू करवाने के लिए उन पर जनतांत्रिक दबाव डालिए, इस तरह से उन्हें मोबाइल सन्देश या ट्विटर आदेश भेजकर कि:-.
" माननीय सांसद/विधायक महोदय, मैं आपको अपना एक जनतांत्रिक आदेश देता हूँ कि भारत में हथियारबंद नागरिक समाज की रचना के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :fb.com/notes/1475761792516805
को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से इस क़ानून को लागू किया जाए, नहीं तो हम आपको वोट नहीं देंगे.
धन्यवाद,
मतदाता संख्या- xyz " .
इसी तरह से अन्य कानूनी-प्रक्रिया के ड्राफ्ट की डिमांड रखें. यकीन रखे, सरकारों को झुकना ही होगा.
🚩
🚩राईट टू रिकॉल, ज्यूरी प्रणाली, वेल्थ टैक्स जैसेे क़ानून आने चाहिए जिसके लिए, जनता को ही अपना अधिकार उन भ्रष्ट लोगों से छीनना होगा, और उन पर यह दबाव बनाना होगा कि इनके ड्राफ्ट को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप दें, अन्यथा आप उन्हें वोट नहीं देंगे.
अन्य कानूनी ड्राफ्ट की जानकारी के लिए देखें fb.com/notes/1479571808802470/.
इमेज सोर्से: http://www.newsworldindia.in/…/bihar-journalist-pan…/274522/
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जय हिन्द. वन्दे मातरम्
(3) पब्लिक में नार्कोटेस्ट - बलात्कार , हत्या , भ्रष्टाचार , गौ हत्या आदि के लिए नारको टेस्ट का कानूनी ड्राफ्ट :fb.com/notes/1476079982484986.
(4) राइट-टू-रिकॉल जिला प्रधान जज के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :fb.com/notes/1475755772517407.
(5) जनता की आवाज - पारदर्शी शिकायत प्रणाली' -- टीसीपी :fb.com/notes/1475751599184491.
सांसद व विधायक के नंबर एवं संपर्क डिटेल यहाँ से लें http://nocorruption.in/.

" माननीय सांसद/विधायक महोदय, मैं आपको अपना एक जनतांत्रिक आदेश देता हूँ कि भारत में हथियारबंद नागरिक समाज की रचना के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :fb.com/notes/1475761792516805
को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से इस क़ानून को लागू किया जाए, नहीं तो हम आपको वोट नहीं देंगे.
धन्यवाद,
मतदाता संख्या- xyz " .
इसी तरह से अन्य कानूनी-प्रक्रिया के ड्राफ्ट की डिमांड रखें. यकीन रखे, सरकारों को झुकना ही होगा.


अन्य कानूनी ड्राफ्ट की जानकारी के लिए देखें fb.com/notes/1479571808802470/.
इमेज सोर्से: http://www.newsworldindia.in/…/bihar-journalist-pan…/274522/
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जय हिन्द. वन्दे मातरम्
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.