आत्म-रक्षा के लिए हथियार रखने की उपयोगिता हिन्दू कभी समझ नहीं पायेंगे !
हमारे नेता सांसद विधायक इत्यादि कहते हैं, रोहिंग्याओं को घुसपैठियों को शरण दे दिया जाये क्योंकि ये देश चिरकाल से वसुधैव कुटुम्बकम के सिद्धांत पर चलता आ रहा है ! हमारे धर्म में एवं देश में अन्य श्लोक भी तो हैं जैसे की “अहिंसा परमो धर्मः धर्मः हिंसा तथिव च” इत्यादि….एवं वसुधैव कुटुम्बकम जैसे श्लोक सन्यासियों द्वारा सज्जनों के लिए कहा गया था, न की राक्षसों एवं यज्ञों में मांस फिकवाने वालो के लिए…..अगर ऐसा ही होता तो यज्ञो में मांस फिकवाने वालों का वध करने के लिए श्री राम का निर्माण उनके गुरु एवं अन्य सन्यासी साधू लोग कभी नहीं करते !!
अन्य लोग आपके ऊपर वार करने से डरेंगे.
उदाहरण के लिए अधिक दूर जाने की जरूरत नहीं है, आप कर्नाटक के ही कुर्ग जिले में उदहारण देख सकते हैं, जहाँ पे नागरिकों को अंग्रेजों के ही समय से हथियार रखने का अधिकार है, उसवक्त अंग्रेजों ने इस जिले को भी अन्य भारतीय जिलों की तरह से हथियार विहीन करने का दबाव वहां के राजा के ऊपर डाला था, लेकिन भारत के दुसरे प्रान्तों के कायर राजाओं की तरह से न होकर, कुर्ग जिले के राजा ने अंग्रेजों के इस डिमांड को मानने से मना कर दिया जिससे आज वहां सभी नागरिक हथियार बंद हैं, और आज की तारीख में वहां लोग इस तरह से आतंक से प्रभावित नहीं हैं, वहां पर अपराध की दर सबसे कम है. अब तो समझ में आ जाना चाहिए की हथियार बंद समाज होना सुरक्षित जिंदगी जीने के लिए कितना आवश्यक है?
आप जब 80% होते हैं तब जाती-जाती धन-धन उंच-नीच छूआछूत इसका उसका का खेल खेल के आपस में ही बंटे रहते होते हैं, और जब आपास में कोई हिन्दू भाई बहन के घर में आग लगती है तो सब अपना घर जलने का इन्जार करते हैं, कि खैर..मेरा घर अभी नहीं जला. ऐसे गुण-अवगुण जिस जाती में हो, उसकी यही नियति होनी भी चाहिए की आप सब को अपने ही जमीन से उखाड़ फेंक दिया जाए.
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ये जो रहा है यही नियति है आपकी.
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ये जो रहा है यही नियति है आपकी.
“धर्म शिक्षा के अभाव में हिन्दू धर्म पतन के चरम पर है,अतः विनाश होना ही है”.
आप तो गोपिकाओं वाले कृष्ण को पूजेंगे क्योंकि चक्र वाले कृष्ण तो अहिंसा रूपी नामर्दानगी के पीछे छिप गए हैं. गलती किसी मुसलमान या गांधीवादियों की नहीं, गलती आप की है जिस दिन पहली लड़की का रेप हुआ उस दिन अगर 80% इकठ्ठा हो जाते तो आज #म्यांमार या #कैराना नहीं होता.
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मगर हमें क्या पड़ी है….
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मगर हमें क्या पड़ी है….
पडोसी की लड़की का रेप हुआ क्योंकि वही वैसी थी….?(अगर वैसी थी, तो क्या बलात्कार जायज है?)
पडोसी दुकानदार से रंगदारी मागी गयी क्योंकि वो हिन्दू है !
मगर हमारे लिए पंडित, बनिया, तेली, अहीर, चमार है, फिर एक दिन पडोसी की हत्या हो गयी… हमें क्या??
आज पडोसी का बचा खुचा परिवार घर छोड़ कर चला गया. अगला नंबर मेरा आ गया.
अब दूसरा पड़ोसी कह रहा है हमें क्या?? होने दो इसकी बेटी का रेप ! मरने दो इसे !! हमारा इससे कोई लेना देना नहीं है और ये क्रम चलता रहा.
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इस्लाम तो प्रकृति से ही विस्तारवादी और अग्रेसिव है, अरब साम्राज्यवादी विचारधारा है.
ईराक के सिंजर से लेकर अफ्रीका का नाइजीरिया, सीरिया से लेकर पाकिस्तान सब इसके गवाह हैं, मगर आप का “गांडीव”, ” सुदर्शन” और “वज्र” कहाँ चला गया?
किसी मुसलमान को कोसने से पहले आत्मविश्लेषण जरूरी है ऐसा कैसे संभव है की 80% लोगो को 20% लोग लात मार के भगा दे और 80% जनता नपुंसक बनी रहे… गद्दार हमारे में है… आज कैराना को छिपाने या दबाने की सबसे ज्यादा कोशिश कौन कर रहा है?? कोई मुसलमान तो नहीं कर रहा?? मैंने अब तक किसी बड़े मुसलमान नेता का बयान इस पर नहीं सुना… क्योंकि उन्होंने जो किया वो उनकी स्वाभाविक प्रकृति का हिस्सा है… अतः कोई अफ़सोस नहीं… न कश्मीर पर था… न गोधरा के ट्रेन में जले लोगो का था, न ही कैराना पर है… मगर ये तथाकथित “हिन्दू” ही सेकुलर फ़ौज लेकर कैराना को छुपाने दबाने पर लगे हैं… यही पतन की प्रकाष्ठा है…
मैं धर्म के प्रति समर्पण के मामले में पिशाच धर्मी “इस्लाम के अनुयायियों ” की इज्जत करता हूँ… घटना बर्मा में होती है मगर विरोध बिहार से लेकर लखनऊ तक होता है… सबके अपने अपने विरोध का तरीका है आप “चरखा कात के” और “अहिर पंडित तेली चमार बामन बनिया” खेल कर विरोध करते हैं वो 10-15 धमाके कर के विरोध कर देते हैं जिससे आगे कोई आँख न उठाये इसकी चेतावनी सबको मिल जाये..
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सभी हिन्दुओं को हथियारबंद नागरिक समाज की रचना के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
fb.com/notes/1475761792516805
के ड्राफ्ट को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर क़ानून का रूप दिए जाने का मांग अपने नेताओं / मंत्रियों/सांसदों/विधायकों/प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति को sms/ट्विटर सन्देश या पोस्टकार्ड या ईमेल जिस किसी संचार माध्यम से संभव हो सके, करना चाहिए, जिससे उनके ऊपर इस क़ानून को गजेट में प्रकाशित करने का दबाव बने.
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आप अपना आदेश इस प्रकार भेजें-
——->
“माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको fb.com/notes/1475761792516805
के ड्राफ्ट को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर इस क़ानून को भारत में लाये जाने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद ”
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सभी हिन्दुओं को हथियारबंद नागरिक समाज की रचना के लिए प्रस्तावित कानूनी ड्राफ्ट :
fb.com/notes/1475761792516805
के ड्राफ्ट को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर क़ानून का रूप दिए जाने का मांग अपने नेताओं / मंत्रियों/सांसदों/विधायकों/प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति को sms/ट्विटर सन्देश या पोस्टकार्ड या ईमेल जिस किसी संचार माध्यम से संभव हो सके, करना चाहिए, जिससे उनके ऊपर इस क़ानून को गजेट में प्रकाशित करने का दबाव बने.
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आप अपना आदेश इस प्रकार भेजें-
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“माननीय सांसद/विधायक/राष्ट्रपति/प्रधामंत्री महोदय, मैं अपने सांविधानिक अधिकार का प्रयोग करते हुए आपको fb.com/notes/1475761792516805
के ड्राफ्ट को राष्ट्रीय गजेट में प्रकाशित कर इस क़ानून को भारत में लाये जाने का आदेश देता /देती हूँ. वोटर-संख्या- xyz धन्यवाद ”
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सांसद व विधायक के नंबर एवं संपर्क डिटेल यहाँ से लें http://nocorruption.in/
नागरिकों को आत्म-सुरक्षा के लिए हरदम तैयार रहना चाहिए, क्योंकि हमारी सरकारों ने हत्यारों, आतंकियों को शरण देने की कसम खा राखी है और सभी सरकारें नागरिकों की सुरक्षा करने के मुद्दे पर फेल हो चुकीं हैं.
अब सभी हिन्दू ये सोचते हिंगे की अगर सब कोई हथियार रखेगा तो लोग आपस में हिन् लड़ मरेंगे, जबकि वास्तव में ऐसा नहीं है. क्यूंकि जब आपके पास हथियार होगा न, तो हर दूसरा व्यक्ति आप पे वार करने से डरेगा.
इसी तरह से अन्य कानूनी-प्रक्रिया के ड्राफ्ट की डिमांड रखें. यकीन रखे, सरकारों को झुकना ही होगा.
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राईट टू रिकॉल, ज्यूरी प्रणाली, वेल्थ टैक्स जैसेे क़ानून आने चाहिए जिसके लिए, जनता को ही अपना अधिकार उन भ्रष्ट लोगों से छीनना होगा, और उन पर यह दबाव बनाना होगा कि इनके ड्राफ्ट को गजेट में प्रकाशित कर तत्काल प्रभाव से क़ानून का रूप दें, अन्यथा आप उन्हें वोट नहीं देंगे.
अन्य कानूनी ड्राफ्ट की जानकारी के लिए देखें fb.com/notes/1479571808802470/
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यदि धर्म और अधर्म के मध्य युद्ध हो तो तीर्थयात्रा का तीर्थस्थान 1 ही बचता है, वो केवल और केवल रणभूमि होती है, न कि कोई हिमालय !!
धर्म की मर्यादा शून्य में नहीं उगती, वो अधर्म के शव के ऊपर उगती है.
पराजय मृत्यु से अधिक महत्त्वपूर्ण है.
औपचारिकताएं सज्जनों के लिए निभानी चाहिए. दुष्टों के लिए नहीं.
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अन्य कानूनी ड्राफ्ट की जानकारी के लिए देखें fb.com/notes/1479571808802470/
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धर्म की मर्यादा शून्य में नहीं उगती, वो अधर्म के शव के ऊपर उगती है.
पराजय मृत्यु से अधिक महत्त्वपूर्ण है.
औपचारिकताएं सज्जनों के लिए निभानी चाहिए. दुष्टों के लिए नहीं.
इन कानूनों के आने की संभावना तभी बढ़ेगी जब हम सब मिलकर छोटे छोटे लाखों मीडिया स्रोत खड़े करके इन कानूनों की जानकारी करोड़ों नागरिकों तक पहुंचाने के साथ साथ अपने नेताओं पर दबाव बनाएं।
याद रखें, जब जब भी कोई देवव्रत भीष्म बनकर देश की प्रगति का मार्ग रोककर खड़ा हो जाता है, तब तब अर्जुन व भीम उन्हें बाणों की शैय्या पर सुला देने के लिए उपस्थित हो जाते हैं. प्रतिज्ञा करनी केवल भीष्म जैसों को ही नहीं बल्कि अर्जुन व भीम को भी आती है. !!
जय हिन्द, वन्देमातरम
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कानूनों से फर्क पङता है. किसी देश की अर्थव्यवस्था कैसी है जानना हो तो पता लगाओ की उस देश की न्याय प्रणाली कैसी है. देश में आर्थिक सामाजिक विकास तब तक नहीं हो सकता जब तक कि आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था कड़ी न हो.
राजनैतिक, आर्थिक, सामरिक-क्षमता में, अगर कोई देश अन्य देशों पर निर्भर रहता है तो उस देश का धर्म, न्याय, संस्कृति, विज्ञान व प्रौद्योगिकी, अनुसंधान व जनता तथा प्राकृतिक संसाधन कुछ भी सुरक्षित नहीं रह जाता.
वही राष्ट्र सेक्युलर होता है, जो अन्य देशों पर हर हाल में निर्भर हो.